Subhadra Kumari Chauhan Poems In Hindi: श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1940 को इलाहाबाद निहालपुर गांव में हुआ था। इस मशहूर लेखिका को बचपन से ही काव्य ग्रंथ लिखने का शौक था। इनकी पहली कविता बचपन में ही पब्लिश हो गई थी। झांसी की रानी जैसी प्रसिद्ध कविता इन्हीं की देन है। इनकी प्रसिद्ध कविताएं चलते समय, आराधना, अनोखा दान झांसी की रानी आदि हैं। 15 फरवरी 1948 को एक सड़क दुर्घटना में इनका निधन हो गया और इस दुनिया को अलविदा कह दिया। Check here the latest Subhadra Kumari Chauhan Poems In Hindi:
1- Subhadra Kumari Chauhan Poems In Hindi: कोयल
देखो कोयल काली है पर,
मीठी है इसकी बोली,
इसने ही तो कूक कूक कर,
आमों में मिश्री घोली।
कोयल कोयल सच बतलाना,
क्या संदेसा लायी हो?
बहुत दिनों के बाद आज फिर,
इस डाली पर आई हो।
क्या गाती हो किसे बुलाती?
बतला दो कोयल रानी,
प्यासी धरती देख मांगती,
हो क्या मेघों से पानी?
कोयल यह मिठास क्या तुमने,
अपनी माँ से पायी है?
माँ ने ही क्या तुमको मीठी,
बोली यह सिखलायी है?
डाल डाल पर उड़ना गाना,
जिसने तुम्हें सिखाया है,
सबसे मीठे मीठे बोलो,
यह भी तुम्हें बताया है।
बहुत भली हो तुमने माँ की,
बात सदा ही है मानी,
इसीलिये तो तुम कहलाती,
हो सब चिड़ियों की रानी।
व्याख्या
इस Subhadra Kumari Chauhan Poems In Hindi के माध्यम से सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा कहा जा रहा है कि कैसे कोयल अपनी मीठी बोली से मन मोह लेती है। भले ही कोयल काली होती है लेकिन उसकी मीठी आवाज सबके कानों में और दिलों में रस घोल देती है। द्वारा कहा जा रहा है कि कोयल तुम डाल-डाल जाकर अपनी मीठी आवाज सबको सुनाती हो क्या यह गुण तुमने अपनी मां से सीखा है। हमें अपने जीवन में कोयल की तरह अच्छे व्यवहार और प्यार से सब से बात करनी चाहिए। एक अच्छा व्यवहार ही इंसान हो समाज में इज्जत और रुतबा दिलाता है। लेखिका द्वारा कहा जा रहा है कि मीठा मीठा बोल ना तुमने अपनी मां से सीखा है इसीलिए तुम सब चूड़ियों की रानी कह लाती हो।
2- आराधना
जब मैं आँगन में पहुँची,
पूजा का थाल सजाए।
शिव जी की तरह दिखे वे,
बैठे थे ध्यान लगाए॥
जिन चरणों के पूजन को,
यह हृदय विकल हो जाता।
मैं समझ न पाई, वह भी,
है किसका ध्यान लगाता?
मैं सन्मुख ही जा बैठी,
कुछ चिंतित सी घबराई।
यह किसके आराधक हैं,
मन में व्याकुलता छाई॥
मैं इन्हें पूजती निशि-दिन,
ये किसका ध्यान लगाते?
हे विधि! कैसी छलना है,
हैं कैसे दृश्य दिखाते??
टूटी समाधि इतने ही में,
नेत्र उन्होंने खोले।
देख मुझे सामने हँस कर
मीठे स्वर में वे बोले॥
सफल गई साधना मेरी,
तुम आईं आज यहाँ पर।
उनकी मंजुल-छाया में
भ्रम रहता भला कहाँ पर
अपनी भूलों पर मन यह
जाने कितना पछताया।
संकोच सहित चरणों पर,
जो कुछ था वही चढ़ाया।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखिका कुमारी चौहान द्वारा बताया जा रहा है कि किस तरह हो अपने भगवान की आराधना करती हैं। आप चाहे किसी भी भगवान को पूछा लेकिन उनकी आराधना सच्चे मन से करना बहुत महत्वपूर्ण है। आवश्यक नहीं है कि आप लाखों का चढ़ावा अपने आराध्य पर चलाएं आप बिना संकोच के जो भी आपके पास है वह भगवान के चरणों में अर्पित कर सकते हैं। सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य ही सफल होती है। जीवन में सभी से गलतियां होती हैं भगवान के आगे हाथ जोड़कर सच्चे मन से उन गलतियों का पछतावा करने से भी आपकी प्रार्थना जल्दी सुन लेते हैं। सच्चे मन से आराधना करने पर आपको वह भी मिल जाता है जो आपकी किस्मत में नहीं होता
3- Subhadra Kumari Chauhan Poems In Hindi: अनोखा दान
अपने बिखरे भावों का मैं,
गूँथ अटपटा सा यह हार।
चली चढ़ाने उन चरणों पर,
अपने हार का संचित प्यार॥
डर था कहीं उपस्थिति मेरी,
उनकी कुछ घड़ियाँ बहुमूल्य।
नष्ट न कर दे, फिर क्या होगा,
मेरे इन भावों का मूल्य?
संकोचों में डूबी मैं जब,
पहुँची उनके आँगन में।
कहीं उपेक्षा करें न मेरी,
अकुलाई सी थी मन में।
किंतु अरे यह क्या,
इतना आदर, इतनी करुणा, सम्मान?
प्रथम दृष्टि में ही दे डाला,
तुमने मुझे अहो मतिमान!
मैं अपने झीने आँचल में,
इस अपार करुणा का भार।
कैसे भला सँभाल सकूँगी,
उनका वह स्नेह अपार।
देख महानता उनकी पल-पल,
देख रही हूँ अपनी ओर।
मेरे लिए बहुत थी केवल,
उनकी तो करुणा की कोर।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा बताया जा रहा है कि कैसे एक स्त्री भगवान पर के चरणों में अनोखा दान करने पहुंची है। भगवान कभी भी अपने भक्तों में ऊंच नीच, जात पात और अमीरी गरीबी नहीं देखते।अगर देखते हैं तो वह आपकी निष्ठा, समर्पण और प्रेम की भावना देखते हैं। भगवान के प्रेम के माध्यम से जब आपकी प्रार्थना या आपका कोई संकल्प पूरा होता है तो भगवान के प्रति निष्ठा और भी अटूट होती जाती है। भले ही आपके पास भगवान के चरणों में अर्पित करने के लिए कुछ ना हो लेकिन हाथ जोड़कर प्रेम और करुणा के भाव से खड़ा होना है उनके प्रति प्रेम की भावना दर्शित कर देता है।
4- Subhadra Kumari Chauhan Poems In Hindi: उल्लास
शैशव के सुन्दर प्रभात का
मैंने नव विकास देखा।
यौवन की मादक लाली में
जीवन का उललास देखा।।
जग-झंझा-झकोर में
आशा-लतिका का विलास देखा।
आकांक्षा, उत्साह, प्रेम का
क्रम-क्रम से प्रकाश देखा।।
जीवन में न निराशा मुझको
कभी रुलाने को आयी।
जग झूठा है यह विरक्ति भी
नहीं सिखाने को आयी।।
अरिदल की पहिचान कराने
नहीं घृणा आने पायी।
नहीं अशान्ति हृदय तक अपनी
भीषणता लाने पायी।।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से कुमारी चौहान जी द्वारा बताया जा रहा है कि एक मनुष्य कैसे अपने जीवन में और खुशी का होना बहुत जरूरी है। संसार में दुख देने वाले हैं, घर्णना करने वाले और मंजिल के रास्ते में अड़चन आने वाले बहुत से मिलेंगे लेकिन आपको निराशा में रोना है। संसार के स्वार्थी लोग ना ही आपको कुछ सिखाने वाले हैं आपको उन्हीं लोगों से सीख लेते हुए अपने हृदय में किसी के प्रति घृणा नहीं लानी है।
5- चलते समय
तुम मुझे पूछते हो ’जाऊँ’?
मैं क्या जवाब दूँ, तुम्हीं कहो।
’जा…’ कहते रुकती है जबान,
किस मुँह से तुमसे कहूँ ’रहो’।
सेवा करना था, जहाँ मुझे
कुछ भक्ति-भाव दरशाना था।
उन कृपा-कटाक्षों का बदला,
बलि होकर जहाँ चुकाना था।
मैं सदा रूठती ही आई,
प्रिय! तुम्हें न मैंने पहचाना।
वह मान बाण-सा चुभता है,
अब देख तुम्हारा यह जाना।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान जी द्वारा बताया जा रहा है कि साथी के साथ चलते समय मैं कैसे उसे रोकी। रास्ते में चलता हुआ साथी मुझसे पूछ रहा है क्या मैं जाऊं लेकिन मैं उसे जाने देना नहीं चाहती। समझ नहीं आ रहा कि कैसे उसके किए गए उपकारओं का बदला चुकाओ। जिन कठिन समय में एक शख्स ने मेरा साथ दिया मैं उसके साथ हमेशा चलना चाहती हूं। उसके जाने का एहसास मेरे मन में एक तीर की तरह चुभता है।
6- चिंता
लगे आने, हृदय धन से
कहा मैंने कि मत आओ।
कहीं हो प्रेम में पागल
न पथ में ही मचल जाओ
कठिन है मार्ग, मुझको
मंजिलें भी पार करनीं हैं।
उमंगों की तरंगें बढ़ पड़ें
शायद फिसल जाओ।
तुम्हें कुछ चोट आ जाए
कहीं लाचार लौटूँ मैं।
हठीले प्यार से व्रत-भंग
की घड़ियाँ निकट लाओ।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखिका द्वारा कहा जा रहा है कि मन में कभी भी चिंता नहीं लानी चाहिए। हो सकता है कई बार आप अपने पथ से पीछे हट जाओ। रास्ता मुश्किल है और मंजिल भी पार करनी है और में रास्ते से भटकना नहीं चाहती। जिंदगी के पड़ाव में कदम कदम पर परीक्षाएं आती है लेकिन बिना चिंता लिए उन परीक्षाओं में सफल होना महत्वपूर्ण होता है।
7- Subhadra Kumari Chauhan Poems In Hindi: मुरझाया फूल
यह मुरझाया हुआ फूल है,
इसका हृदय दुखाना मत।
स्वयं बिखरने वाली इसकी
पंखड़ियाँ बिखराना मत॥
गुजरो अगर पास से इसके
इसे चोट पहुँचाना मत।
जीवन की अंतिम घड़ियों में
देखो, इसे रुलाना मत॥
अगर हो सके तो ठंडी
बूँदें टपका देना प्यारे।
जल न जाए संतप्त-हृदय
शीतलता ला देना प्यारे।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान जी द्वारा फूलों का उदाहरण देते हुए अपने जीवन को कैसे महकाना है बड़े ही प्यारे शब्दों में बताया जा रहा है। हमें भी अपने जीवन में बिखरे हुए लोगों की जिंदगी को फूलों की तरह मेहकाना आना चाहिए ना कि उन्हें और तोड़ना चाहिए। कभी भी किसी को चोट नहीं पहुंचाने चाहिए बल्कि उसके दर्द पर मरहम लगाना चाहिए।
8- प्रथम दर्शन
प्रथम जब उनके दर्शन हुए,
हठीली आँखें अड़ ही गईं।
बिना परिचय के एकाएक
हृदय में उलझन पड़ ही गई।
मूँदने पर भी दोनों नेत्र,
खड़े दिखते सम्मुख साकार।
पुतलियों में उनकी छवि श्याम
मोहिनी, जीवित जड़ ही गई।
भूल जाने को उनकी याद,
किए कितने ही तो उपचार।
किंतु उनकी वह मंजुल-मूर्ति
छाप-सी दिल पर पड़ ही गई।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान जी द्वारा अपने आराध्य के प्रथम दर्शन करने पर कैसा महसूस होता है यह बताया जा रहा है। जब हम बिना परिचय के अपने भगवान के सामने हाथ जोड़कर आंखें बंद कर कर खड़े होते हैं तो हमें बंद आंखों से भी उनकी छवि नजर आती है। दर्शन करने के बाद भी मन उनकी याद नहीं जा रही।
9 – भ्रम
देवता थे वे, हुए दर्शन, अलौकिक रूप था।
देवता थे, मधुर सम्मोहन स्वरूप अनूप था।
देवता थे, देखते ही बन गई थी भक्त मैं।
हो गई उस रूपलीला पर अटल आसक्त मैं।
देर क्या थी? यह मनोमंदिर यहाँ तैयार था।
वे पधारे, यह अखिल जीवन बना त्यौहार था।
झाँकियों की धूम थी, जगमग हुआ संसार था।
सो गई सुख नींद में, आनंद अपरंपार था।
किंतु उठ कर देखती हूँ, अंत है जो पूर्ति थी।
मैं जिसे समझे हुए थी देवता, वह मूर्ति थी।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी द्वारा भ्रम का वर्णन किया जा रहा है। लेखिका द्वारा कहा जा रहा है कि कई हम अपने भ्रम के कारण डर जाते हैं और कई बार हमारे भ्रम में कुछ ऐसा नजार आ जाता है, जिसके बाद हम सच्चे मन से अपने भगवान के और भी करीब हो जाते हैं। इस कविता में लेखिका द्वारा कहा जा रहा है कि वे अपने भ्रम में जगमगाता हुआ संसार धूम मचाते झांकियां सम्मोहन स्वरूप में अपने देवता को देखती हैं और जब उनकी नींद खुलती है तो उन्हें समझ आता है की यह सिर्फ एक भ्रम था।
10- Subhadra Kumari Chauhan Poems In Hindi: मेरा जीवन
मैंने हँसना सीखा है
मैं नहीं जानती रोना;
बरसा करता पल-पल पर
मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई
कैसी होती है पीडा;
हँस-हँस जीवन में
कैसे करती है चिंता क्रिडा।
जग है असार सुनती हूँ,
मुझको सुख-सार दिखाता;
मेरी आँखों के आगे
सुख का सागर लहराता।
उत्साह, उमंग निरंतर
रहते मेरे जीवन में,
उल्लास विजय का हँसता
मेरे मतवाले मन में।
आशा आलोकित करती
मेरे जीवन को प्रतिक्षण
हैं स्वर्ण-सूत्र से वलयित
मेरी असफलता के घन।
सुख-भरे सुनले बादल
रहते हैं मुझको घेरे;
विश्वास, प्रेम, साहस हैं
जीवन के साथी मेरे।
व्याख्या
इस Subhadra Kumari Chauhan Poems In Hindi के माध्यम से लेखिका सुभद्रा कुमारी चौहान जी द्वारा अपना जीवन कैसे जीना चाहिए यह बताया जा रहा है। जीवन में हमेशा हंसते रहना चाहिए क्योंकि रोने वाले लोग कभी जीवन का आनंद नहीं ले सकते। हमेशा जोश, उल्लास, खुशी,विश्वास और साहस के साथ जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। नफरत, किसी से घृणा करना यह सब हमारे जीवन का सार नहीं होना चाहिए। जिंदगी में आगे बढ़ना है तो खुशी से जिंदगी को आगे जीना चाहिए ताकि लोग जब भी आपको याद करें तो आपकी अच्छी बातों की वजह से करें।
दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आए हैं मशहूर कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी की कुछ प्रसिद्ध कविताएं। उम्मीद करते हैं आपको यह कविताएं अवश्य ही पसंद आएंगी। हम आपके लिए हैं ऐसे ही आगे भी दिलचस्प कविताएं लेकर आते रहेंगे और आप ऐसे ही हमारे साथ बने रहे। These were all the latest Subhadra Kumari Chauhan Poems In Hindi!!