Shayari Of Bashir Badr
हेलो दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आए हैं एक बहुत ही मशहूर शायर बशीर बद्र जी की शायरी जिसे पढ़कर अवश्य ही आपका दिन बन जाएगा। बशीर बद्र जी का असली नाम सैयद मोहम्मद बशीर बद्र था। जिनका जन्म 15 फरवरी 1936 में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में हुआ था। बद्र साहब ने बचपन से ही शेरो शायरी लिखनी शुरू कर दी थी। इनके द्वारा लिखी गई शेरो शायरी अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में भी अनुवाद की गई है। बशीर बद्र साहब को पद्मश्री व अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। आपको भी बस यह साहब की शायरी पढ़ना पसंद है तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।
1-Shayari Of Bashir Badr : दुश्मनी
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे,
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिन्दा न हों।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा यह बताया जा रहा है कि कभी भी किसी से दुश्मनी में सारी हदों को पार नहीं करना चाहिए बल्कि इतनी गुंजाइश रखनी चाहिए कि कभी जिंदगी में अगर आमना सामना भी हो तो आपको शर्मिंदगी ना उठानी पड़े।
2- हुनर
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा।
व्याख्या
इस शायरी में शायर बशीर बद्र जी द्वारा कहा जा रहा है कि इंसान को हमेशा खुद को दरिया जैसा गहरा बनाना चाहिए कि जिस तरह या जिस राह पर भी आपको मुन्ना पड़े वहां आप रास्ता बना सके इतना हुनर होना चाहिए।
3-Shayari Of Bashir Badr : मंजिल
जिस दिन से चला हूं मेरी मंज़िल पे नज़र है,
आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा।
व्याख्या
शायरी में शायर बशीर बद्र जी द्वारा बताया जा रहा है कि जिंदगी में कुछ पाने के लिए इतना हौसला और जुनून रखना चाहिए कि आपकी नजर केवल आपकी मंजिल पर हो बाकी रास्ते में आने वाले पत्थर या कांटो से आपको कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
4- शोहरात
शौहरत की बुलन्दी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पर बैठे हो, वो टूट भी सकती है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर बशीर बद्र जी द्वारा कहा जा रहा है कि कभी भी अपनी जिंदगी में शोहरत की बुलंदी पर पहुंचने के बाद घमंड या गुरुर नहीं लाना चाहिए क्योंकि आपकी कमाई हुई कामयाबी की डाल कभी भी टूट सकती है।
5-Shayari Of Bashir Badr : दिखावे की दोस्ती
मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला।
व्याख्या
इस शायरी में शायर बशीर बद्र जी द्वारा बताया जा रहा है कि कभी भी दिखावे की दोस्ती नहीं रखनी चाहिए यदि अगर किसी के प्रति आपका दिल साफ नहीं है तो उसे दूर ही रहना बेहतर है।
6- एतबार
उसे किसी की मुहब्बत का एतबार नहीं
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर बशीर बद्र जी द्वारा कहा जा रहा है कि कभी-कभी हमें अपनी जिंदगी में कुछ लोग ऐसे मिलते हैं जिन्हें मोहब्बत पर ऐतबार नहीं होता यह वह लोग होते हैं जिन्हें लोगों से या तो धोखा मिला होता है या फिर दुनिया वालों ने बहुत सताया होता है।
7-Shayari Of Bashir Badr : मोहब्बत
गुलाबों की तरह शबनम में अपना दिल भिगोते हैं
मुहब्बत करने वाले ख़ूबसूरत लोग होते हैं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर बशीर बद्र जी द्वारा बताया जा रहा है कि प्यार करने वाले लोग बहुत ही खूबसूरत दिल के मालिक होते हैं। उनका दिल एकदम गुलाबों की खुशबू की तरह महकता है और नरम होता है।
8- आसुओं की ज़मी
मुख़ालिफ़त से मेरी शख़्सियत संवरती है
मैं दुश्मनों का बड़ा एहतेराम करता हूं
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा यह कहा जा रहा है कि अगर आप अपनी शख्सियत सवारना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने दुश्मनों से भी एतराम के साथ मिलना चाहिए क्योंकि यदि आपको अपने अंदर कुछ बदलाव लाना है तो सबसे पहले अपने नेगेटिव प्वाइंट से स्टार्ट करना चाहिए।
9-Shayari Of Bashir Badr : रुख बदला दरिया ने
अबके आंसू आंखों से दिल में उतरे
रुख़ बदला दरिया ने कैसा बहने से।
व्याख्या
इस शायरी में शायर बशीर बद्र जी द्वारा बताया जा रहा है कि कई बार हमारी आंखों के आंसू दिल में उतर जाते हैं जिसके बाद इंसान खुद को अंदर से इतना मजबूत कर लेता है लेकिन यह सब किसी अपने के दिए गए धोखे के कारण होता है।
10- जहीन सांप
ज़हीन सांप सदा आस्तीन में रहते हैं
ज़बां से कहते हैं दिल से मुआफ़ करते नहीं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर बशीर बद्र जी द्वारा कहा जा रहा है कि हम हमारी जिंदगी में कुछ अपने बिल्कुल आस्तीन के सांप की तरह होते हैं जो जुबान से तो हमारे सगे बनते हैं और दिल में बुगज़ रखते हैं।
11-Shayari Of Bashir Badr : नफरत
सात सन्दूकों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
आज इन्सां को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत।
व्याख्या
इस शायरी में शायर बशीर बद्र जी द्वारा बताया जा रहा है कि आज के समय में लोगों को अपनों के प्यार और मोहब्बत की बहुत ज्यादा जरूरत है इसलिए अगर आपके दिल में किसी के प्रति नफरत है तो उसे जल्द से जल्द मिटाकर मोहब्बत में बदल दे।
12- खुला लोन
खुले से लॉन में सब लोग बैठें चाय पियें
दुआ करो कि ख़ुदा हमको आदमी कर दे।
व्याख्या
इस शायरी में शायर बशीर बद्र जी द्वारा कहा जा रहा है कि आज के समय में लोग घर की जिम्मेदारियों को पूरा करने में इतने व्यस्त हो गए हैं कि उनके पास अपनों के साथ ही बैठने का वक्त नहीं। ऐसा लगता है जैसे लोग आम आदमी से एक मशीन बनकर रह गए हैं। कभी कुछ वक्त अपनों के लिए निकालना चाहिए और उनके साथ समय बिताना बहुत आवश्यक है।
13-Shayari Of Bashir Badr : लहजा
लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुशबू अज़ान दे
जी चाहता है मैं तेरी आवाज़ चूम लूं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर बशीर बद्र जी द्वारा बताया जा रहा है कि कुछ लोगों का बात करने का अंदाज इतना नरम और खूबसूरत आता है कि कभी-कभी दिल करता है कि हम उनकी आवाज चूम ले। कम लोग ऐसे होते हैं जो अपने प्यार भरे लहजे के लिए लोगों की नजर में रहते हैं।
14- महबूब
इतनी मिलती है मेरी ग़ज़लों से सूरत तेरी
लोग तुझको मेरा महबूब समझते होंगे।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा यह कहा जा रहा है कि कुछ लोगो के दिल का हाल उनके चहरे से पता चल जाता है और लोग उनके हाव भाव से अंदाजा लगा लेते हैं क्योंकि उनके चेहरे खुली किताबो की तरह होते हैं।
15-:Shayari Of Bashir Badr खुशी
इस ख़ुशी में मुझे ख़याल आया
ग़म के दिन कितने ख़ूबसूरत थे।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा यह कहा जा रहा है कि कई बार हमारे दिए गए दुख का समय हमें बहुत कुछ सिखा कर जाता है और वह वक्त हमारे लिए बहुत खूबसूरत होता है क्योंकि उस कड़े वक्त में हमें बहुत कुछ नई चीजें सीखने को मिलती हैं।
16- जिंदगी की शाम
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा बताया जा रहा है कि कई बार किसी की यादें ही हमारे जीने का सहारा होती है। अगर यादें खूबसूरत है तो उन्हें हमेशा संभाल कर रखना चाहिए क्योंकि नहीं पता कब जिंदगी का अंत हो जाए।
17- दीवार में सर लगता है
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि जिंदगी से शिकायत करते हुए कहा जा रहा है कि उसे कब्र से भी कम जमीन जिंदगी जीने के लिए मिली है जहां वह पांव फैलता है तो दीवारों से सर टकराने लगता है।
18- मजबूरिया
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा बताया जा रहा है कि कई बार कुछ लोगों के साथ ऐसी मजबूरियां रहती हैं जिसके कारण वे सच में मोहब्बत नहीं निभा पाते।
19- दुश्मनी
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि कभी भी आपके किसी से दुश्मनी हो जाए तो भले ही आप दुश्मनी जमकर करें लेकिन अपने दरमियां इतनी गुंजाइश रखें की एक दूसरे का सामना करने पर आपको शर्मिंदा न होना पड़े।
20- तीर
यूँ तरस खा के न पूछो अहवाल
तीर सीने पे लगा हो जैसे।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा बताया जा रहा है कि कुछ लोगों के सीने पर इतने जख्म लगे होते हैं कि कोई तरस का खाकर सवाल भी पूछे तो जहर लगता है।
21- दास्तां
सुनाते हैं मुझे ख़्वाबों की दास्ताँ अक्सर
कहानियों के पुर-असरार लब तुम्हारी तरह।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि कई बार हम ख्वाबों में अपने प्यार की सुनाई हुई दास्तान को जी लेते हैं और उन ख्वाबों में ऐसा लगता है जैसे कि हमारा प्यार ही हमें अपने लबों से कहानी सुना रहा हो।
22- कहानी
फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है
इस में तेरी ज़ुल्फ़ों की बे-रब्त कहानी है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा बताया जा रहा है कि अगर तारीफ करनी है तो किसी शायर से करना सीखे जो खुली जुल्फों को फूलों की गजल और चेहरे को रात की रानी बयान करते हैं जिसकी जुल्फों में बेरब्त कहानी छुपी होती है।
23- मेरी तरफ
जिस को देखो मेंरे माथे की तरफ़ देखता है
दर्द होता है कहाँ और कहाँ रौशन है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि हर कोई मेरे माथे की तरफ देख रहा है लेकिन नादान लोग दिल में दर्द है और परेशानी देखते हैं।
24- मोड़
अभी राह में कई मोड़ हैं
कोई आएगा कोई जाएगा
तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया
उसे भूलने की दुआ करो।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा बताया जा रहा है कि जिंदगी की राह में कई मोड़ आते हैं जहां कुछ लोग हमारी जिंदगी में आते हैं तो कुछ लोग चले जाते हैं। भले ही आप किसी को दिल से भुला दे लेकिन हकीकत में भूल नहीं पाते इसलिए हमेशा भूलने की दुआ करनी चाहिए।
25- दूर
अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया
जिस को गले लगा लिया वो दूर हो गया।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोगों ने दस्तूर बना रखा है कि जिसको जितनी इज्जत और प्यार से गले लगाया वह इतना ही दूर होता चला गया।
26- शौहरत की बुलंदी
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा बताया जा रहा है कि शोहरत की बुलंदी भी एक पल भर के तमाशे की तरह होती है यदि आप आज ऊंची शाक पर बैठे हैं तो यह मत भूलिए कि वह डाली टूट भी सकती है और आप औंधे मुंह जमीन पर आ गिरेंगे।
27- लोग टूट जाते है
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग इस कदर निर्दय होते हैं कि उन्हें तरस नहीं आता बस्तियां उजाड़ने और जलाने में, हकीकत तो यह है कि कुछ लोग घर बनाने में टूट जाते हैं।
28- चाहत
तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा बताया जा रहा है कि भले ही सच्चे प्यार करने वाले को छोड़ने के बाद हर कोई आपको चाहत की नजर से दिखेगा, लेकिन हर एक की निगाह हमारी तरह पाक हो वह जरूरी नहीं।
29- अजनबी
इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं
तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग जमाने की हरकतों से इस कदर वाकिफ होते हैं कि वे दुनिया में अजनबियों की तरह जिंदगी जीते हैं क्योंकि दुनिया के लोग खुद को फरिश्ते की तरह समझते हैं लेकिन शुक्र है कि हम आम इंसान की तरह जिंदगी जीते हैं।
30- बचपन के ज़माने
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा बताया जा रहा है कि यदि कोई अपने पंखों की उड़ान भरकर शोक हवा में उड़ना चाहता है तो उसे उड़ने देना चाहिए क्योंकि बचपन के जमाने कभी लौट कर नहीं आते।
31- चेहरा किताबी
वो चेहरा किताबी रहा सामने
बड़ी ख़ूबसूरत पढ़ाई हुई।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोगों के चेहरे किताबों की तरह होते हैं जिनके चेहरे पर साफ-साफ उनकी जिंदगी की हकीकत दिखाई देती है।
32- दुश्मनी का सफर
दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा बताया जा रहा है कि जिंदगी का सफर एक या ज्यादा से ज्यादा दो कदम तक ही निभाना चाहिए क्योंकि थकना आपने भी है और थकना सामने वाले को भी है इसलिए इतनी गुंजाइश रहनी चाहिए कि आप एक दूसरे की बराबरी कर सके।
33- नफरते
सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि यदि आपकी किसी से दुश्मनी है तो उसे साथ संधू को में बंद करके खत्म कर देनी चाहिए क्योंकि आज के समय में लोगों को मोहब्बत और सम्मान की बहुत ज्यादा जरूरत है।
34- दोस्ती
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा बताया जा रहा है कि कई बार लोग बहुत बड़ी भूल कर बैठते हैं और दिल से दुनिया के लोगों से दोस्ती कर बैठते हैं। जिसका कभी-कभी भारी नुकसान भी उठाना पड़ जाता है।
35- दुआ करो
दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे उदासियों में भी चेहरा खिला खिला ही लगे।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि हमेशा दुआ करनी चाहिए कि हमारा और हमारे अपनों का चेहरा हमेशा खुशियों की तरह हरा भरा रहे और यह भी दुआ कर नहीं जाएंगे अगर कोई दुखिया उदासी हम तक आती भी है तो हमें अपना चेहरा हमेशा खिला खिला दिखना चाहिए।
36- बदनाम
मैं यूँ भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ कोई मासूम क्यूँ मेरे लिए बदनाम हो जाए।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा बताया जा रहा है कि किसी से मोहब्बत करते हैं तो उसे लड़की की गली से जरा कम गुजरा चाहिए। क्योंकि कई बार आपके एक गलत कदम या उसे देखने की इच्छा के कारण कोई मासूम लोगों की नजरों में बदनाम हो सकता है।
37- चरागो को महफूज रखना
चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना,
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि भले ही आपके पास रोशनी की किरण ना हो लेकिन आपनी आंखों में चिरागों को महफूज रखना क्योंकि कई बार राते बड़ी दूर-दूर तक अंधेरी होती हैं।
38- उर्दू जुबान की खुशबू
वो इत्र-दान सा लहजा मेरे बुज़ुर्गों का
रची-बसी हुई उर्दू ज़बान की ख़ुश्बू।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि हमारी रची बसी उर्दू जबान की खुशबू आज भी लोगों के दिलों में इत्र की तरह महफुज है। बहुत से लोग उर्दू जबान बोलने में कतराते हैं लेकिन अगर उर्दू प्यार और नरमी के साथ बोली जाए तो सबसे प्यारी जवान उर्दू ही है।
39- किसी को केसे चाहे
हम ने तो बाज़ार में दुनिया बेची और ख़रीदी है। हम को क्या मालूम किसी को कैसे चाहा जाता है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा जा रहा है कि बताया जा रहा है लोग तो दुनिया के बाजार में लोगों को बेचने और खरीदने का काम करते हैं लेकिन कुछ नादान लोगों को तो यह भी नहीं पता कि किसी को चाहना या किसी को कैसे अपना बनाया जाता है।
40- खौफ दिल में ज़रा न हो
कभी यूं मिले कोई मसलेहत कोई खौफ दिल में ज़रा न हो मुझे अपनी कोई खबर न हो तुझे अपना कोई पता न हो ।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि जा रहा है कि कई बार दिल दिल में किसी भी मसलेहट का खौफ न हो और हम उसे प्यार करने वाले शख्स से ऐसे मिलेंगे उसे अपना पता ना हो और मुझे अपनी खबर ना हो।
उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा आज का आर्टिकल अवश्य पसंद आया होगा आकर भी हम आपके में इसी तरह के प्यारे-प्यारे शायरी लेख लेकर आते रहेंगे और आप हमेशा की तरह अपना प्यार और सपोर्ट बनाए रखें।