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Hindi Poems – 50+ Latest Poems in Hindi with Explanation

Posted on May 1, 2023May 23, 2023 by ANDREW

Hindi Poems: आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से हिंदी की प्रसिद्ध कविताओं के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हैं। लेखक बनना हर किसी के बस की बात तो नही है, लेकिन अगर बात कविताएं सुनने की हो तो उसमे हर उम्र के लोग रुचि रखते हैं। कई बार हिंदी कविताएं से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है, जैसे की जिंदगी में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए इन कविताओं से हमे कितनी प्रेरणा मिलती है। बहुत सारे लोग तो अपने दिन की शुरुआत पॉजिटिव और मोटिवेशनल कविताओं के साथ करते हैं और उन्ही की मदद से अपने पूरा दिन भी खुशहाल बना लेते हैं। बहुत सारे लोग तो दुखी या उदास होने पर कविताएं पढ़ना पसंद करते हैं जिससे की उनके मन को शांति का एहसास होता है। काफी सारे लोग रात में हिंदी कविताएं पढ़कर सोना पसंद करते हैं जिससे की उन्हें पॉजिटिव वाइब्स आती हैं और दिन भर की थकान भी दूर हो जाती है। तो दोस्तो अगर आप भी अलग अलग कैटेगरी की कविताओं को पढ़ना पसंद करते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

Table of Contents

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  • 1- Hindi Poems: मां
  • 2- प्रकृति संदेश (लेखक _ सोहनलाल द्विवेदी)
  • 3- जिंदगी ( लेखक_ कृतिका वशिष्ठ)
  • 4- Hindi Poems: उमर ( लेखक – अटल बिहारी बाजपेई)
  • 5- दोस्ती (लेखक – ऋचा गर्ग)
  • 6- Hindi Poems: मोटिवेशन (लेखक – राकेश चौहान)
  • 7- कड़वा सच ( लेखक -प्रेरणा मेहरोत्रा)
  • 8- Hindi Poems: मंजिल तुझे पाना है ( लेखक – राजीव राउत)
  • 9- समय ( लेखक – अभय शर्मा )
  • 10- काश ज़िंदगी एक किताब होती
  • 11- Hindi Poems: सुबह साथ लाई है (लेखक – अविनाश शाही)
  • 12- ऐ जिंदगी तेरे लिए (लेखक- आलोक शर्मा )
  • 13- रोज़ बेवजह मरते जा रहे हैं
  • 14- Hindi Poems: छांव भी जरूरी है
  • 15- बचपन (लेखक – अनुकेश जी )
  • 16- Hindi Poems: हवा की खुशबू में
  • 17- Hindi Poems: जानवरो पर संकट ( लेखक – वी सिंह )
  • 18- पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ (लेखक- वैशाली गुप्ता)
  • 19- Hindi Poems: सपना (लेखक – रमनदीप कौर)
  • 20- औरत (लेखक – शेखर खरंडी)
  • 21- पिता
  • 22- हिंदी कविताएं: अहमियत
  • 23- जीना सिखाए जा रहा है
  • 24- तेरा साथ न मिला
  • 25- Hindi Poems: थोड़ा सा थक सा जाता हूं अब में
  • 26- Hindi Poems: बचपन
  • 27- Hindi Poems: ज़िंदगी
  • 28- Hindi Poems: आग जलनी चाहिए
  • 29- मकान ( लेखक – कैफ आजमी)
  • 30- Hindi Poems: एक भी आँसू न कर बेकार ( लेखक – रामावतार त्यागी)
  • 31- Hindi Poems: प्यार
  • 32- हिंदी भाषा (लेखल-भारतेंदु हरिश्चंद्र)
  • 33- प्रिय अंग्रेज़ी ( लेखक -गोपाल सिंह नेपाली)
  • 34- Hindi Poems: मेरी आत्मा हिंदी (लेखक – गिरिजा कुमार माथुर)
  • 35- हिंदी भाषा (लेखक- सावित्री नौटियाल काला)
  • 36- गूंजी हिंदी विश्व में (लेखक- अटल बिहारी वाजपई)
  • 37- Hindi Poems: हम सबकी प्यारी (लेखक- संजय जोशी
  • 38- हिंदी मेरे रोम रोम में (लेखक- सुधा गोयल)
  • 39- Hindi Poems: जन जन की भाषा हैं हिंदी
  • 40- हिंदी से यह हिन्द बना है
  • 41- Hindi Poems: हिंदी को नमन
  • 42- नीला रंग (लेखक- अंकुर मिश्र)
  • 43- उड़ान (लेखक- अंकुर मिश्र)
  • 44- चाय पर चर्चा (लेखक- अंकिता आनंद)
  • 45- सिगरेट समीक्षा (लेखक- काका हाथरसी)
  • 46- Hindi Poems: त्याग और बलिदान
  • 47- Hindi Poems: मैं मोबाइल हू
  • 48- वो बातें मेरे ही जेहन में सब दबी निकली
  • 49- किसान (लेखक- प्रीति शर्मा )
  • 50- Hindi Poems: रिश्ता (लेखक- शीतल दुबे)
  • 51- हर वक्त प्यार जताऊ जरूरी तो नहीं

1- Hindi Poems: मां

जब अकेला रहा तो उसे याद आई,

अंधेरे में था तो उसकी याद आई।

जब भूख लगी तो उसकी याद आई,

नींद नहीं आए तो उसकी याद आई।

सोचने में कितनी आसान लगती थी यह जिंदगी,

जब खुद से जीना सीखा तो उसकी याद आई।

तब भी लगा मां इतनी मतलबी कैसे हो सकती हैं,

हम से भी ज्यादा हमारे लिए कैसे सो सकते हैं।

सच तो यह है कि वह मां ही होती है जो हमारा पेट भर कर खुद भूखे रहती हैं।

Hindi Poem

व्याख्या 

इस Hindi Poems में कवि द्वारा बताया जा रहा है की हमें कदम कदम पर मां का साथ और सहारा चाहिए होता हैं चाहें वो सुख या दुख हो या फिर कोई परेशानी। केवल मां ही ऐसी हस्ती है जो हमारे चेहरे से अंदाजा लगा लेती है की हम कब किस हालत से गुजर रहे हैं। अपने बच्चो के लिए मां दुनिया का सबसे अनमोल तोहफ़ा हैं। मां एक ऐसी हस्ती जो खुद तो सब कुछ चुपचाप सह लेती हैं, लेकिन अपने बच्चों के लिए हर हद तक गुज़र जाती हैं। वो कहते हैं ना की ऐसे ही तो खुदा ने मां के पैरो तले जन्नत नहीं रखी।

2- प्रकृति संदेश (लेखक _ सोहनलाल द्विवेदी)

पर्वत कहता शीश उठाकर,

तुम भी ऊँचे बन जाओ।

सागर कहता है लहराकर,

मन में गहराई लाओ।

समझ रहे हो क्या कहती हैं

उठ उठ गिर गिर तरल तरंग

भर लो भर लो अपने दिल में

मीठी मीठी मृदुल उमंग!

पृथ्वी कहती धैर्य न छोड़ो

कितना ही हो सिर पर भार,

नभ कहता है फैलो इतना

ढक लो तुम सारा संसार!

व्याख्या 

इस कविता में सोहनलाल द्विवेदी जी द्वारा प्रकृति से संबंधित संदेश के जरिए हमें किस तरह से अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए उसकी प्रेरणा देता है। जैसे की पर्वत द्वारा हमें सर उठा कर जीने की प्रेरणा मिलती है। वही सागर की लहरों की तरह हम अपने मन में गहराई लाने की सिख मिलती है। पृथ्वी के भार से हमें यह सीख मिलती है कि सर पर कितना भी बोलो किसी भी हाल में धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए। आकाश द्वारा यह संदेश दिया जा रहा है जिस तरह नभ में पूरा संसार ढक जाता है उसी तरह हमें भी अपने आने वाले जीवन को इतना सफल बना पाए।

3- जिंदगी ( लेखक_ कृतिका वशिष्ठ)

यहां से बस आज ले जाए मुझे कोई,

जहां तू है सिर्फ तू है।

ना कोई दर्द देता वादा हो,

ना खेल खेलती किस्मत हो।

ना कोई समझ हो, ना कोई मजबूरी हो,

हो तो बस यह खामोशी ढलती हुई।

यहां से बस आज ले जाए मुझे कोई,

छोड़ने वाला भी तू था।

आज ले जाने वाला भी वो कोई तू हो,

सिर्फ तू हो।

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से लेखक कृतिका वशिष्ठ द्वारा बताया जा रहा है, अपनी जिंदगी में किस तरह आगे बढ़ना चाहिए। हमेशा हम दूसरों के प्यार में सब कुछ कर गुजर जाने की सोचते हैं, लेकिन अगर आप अपनी खुद से प्यार करते हैं तो वहा न कोई बहाना और नही कोई मजबूरी। अगर कुछ होता है तो जिंदगी में सुकून, खुशी और एक सफल भविष्य।

4- Hindi Poems: उमर ( लेखक – अटल बिहारी बाजपेई)

चाहे कैसा भी हो घर चाहे कैसा भी हूं,

उसके एक कोने में,

खुलकर हंसने की जगह रखना।

सूरत चाहे कितना भी दूर हो,

उसको घर आने का रास्ता देना।

कभी-कभी छत पर चढ़कर,

तारे अवश्य गिनना,

हो सके तो हाथ बढ़ाकर,

चांद को छूने की कोशिश करना।

अगर हो लोगों से मिलना जुलना,

तो घर के पास पड़ोस जरूर रखना।

भीगने देना बारिश में, उछल कूद भी करने देना,

हो सके तो बच्चों को एक कागज की कश्ती चलाने देना।

कभी हो फुर्सत, आसमान भी साफ हो।

तो एक पतंग आसमान में चढ़ाना, हो सके तो एक छोटा सा पेच भी लड़ाना।

घर के सामने रखना एक पेड़,

उस पर बैठे पक्षियों की बातें अवश्य सुनना।

घर चाहे कैसा भी हो,

घर के एक कोने में ,

खुलकर हंसने की जगह रखना।

चाहे जिधर से गुजरीए,

मीठी सी हलचल मचा दीजिए।

उम्र का हर एक दौर मजेदार है,

अपनी उम्र का मजा लीजिए।

जिंदादिल रहिए जनाब,

यह चेहरे पर उदासी कैसी,

वक्त तो बीत ही रहा है,

उम्र की ऐसी की तैसी।

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से लेखक अटल बिहारी वाजपेई द्वारा जिंदगी की हर एक पड़ाव को किस तरह से खुशी-खुशी जीना चाहिए बहुत ही खूबसूरत तरीके से दर्शाया गया है। घर चाहे बड़ा हो या छोटा उसमे छोटी छोटी खुशियां ढूढकर केसे खुश रहना चाहिए। इस कविता के माध्यम से आपको यही समझने की कोशिश की जा रही है की कभी भी किसी भी कारण उदास नही रहना चाहिए। चाहे वो तारे गिनना हो या घर के कोने में बैठ कर पक्षियों की चहकती आवाज़ सुनना हो। जिंदगी चाहे जितनी भी हो लेकिन जिंदादिली से जीना ही असल ज़िंदगी है। बारिश में भीगना हो या कागज़ की नाव चलाना असल मज़ा अपनी के साथ जीने में है। जिंदगी के हर पड़ाव में अपनी एक छाप आवश्य छोड़े ताकि लोग आपको हमेशा याद रखें। जिंदगी का क्या है वो उदास होने पर भी गुजर रही है और खुशी खुशी जीने पर भी । इससे बेहतर तो यही है की खुशी खुशी जिया जाए ।

5- दोस्ती (लेखक – ऋचा गर्ग)

एक दोस्त ऐसा भी हो,

जो सिर्फ मेरा हो।

मैं रोऊ तो मुझे हँसाए,

मैं रूठू तो मुझे मनाए,

मेरे हर एक दुख में मेरे साथ हो,

मेरी हर एक खुशी में मेरे साथ हो,

मेरे बिन बोले मेरी बात समझे,

मेरे बिन बोले मेरे दर्द को महसूस करें।

हां एक दोस्त ऐसा भी हो,

जो मेरी हंसी के पीछे छिपे दर्द को पहचान ले,

जो मेरे गिरने से पहले मेरा हाथ थाम ले,

मुझे संभाल ले।

हां एक दोस्त ऐसा भी हो,

जो जिंदगी की कठिन राह पर,

मेरा मार्गदर्शक बने।

जो दुनिया की भीड़ में, मुझे तन्हा न छोड़े।

जो अंधेरे में मेरी रोशनी बने,

हां एक दोस्त ऐसा भी हो।

हां एक दोस्त ऐसा भी हो,

जिसका साथ पाकर मैं हर गम भूल जाऊं,

जो मेरे साथ चले तो लगे, जैसे कि मेरी ही परछाई।

एक दोस्त ऐसा भी हो,

जो मुझे खोने से डरे,

जिसे मेरी कमी महसूस हो,

जब मैं उसके साथ ना हूँ तो,

हां एक दोस्त ऐसा भी हो,

जो मुझसे कभी नाराज ना हो।

हां एक दोस्त ऐसा भी हो,

जो सिर्फ मेरा हो, सिर्फ मेरा।

Hindi Poems

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से दोस्ती के रिश्ते को बड़े ही प्यारे अल्फाजों से पिरोया गया है। वेसो तो हर रिश्ते का अपना एक महत्व होता है लेकिन दोस्त हमारे हर सुख दुख का साथी होता है। जब भी हम किसी दुख या तकलीफ की घड़ी से गुजरते हैं तो सबसे पहले दोस्त आता है साथ देना अगर वो सच्चा हो तो वरना दुनिया में मतलब के यारो की कमी नही है। इस कविता के माध्यम से दोस्त ऐसा होना चाहिए जो बिन बोले आपकी बात को समझ जाए। आपकी आंखों में आए आंसूओ को खुशी में बदल दे। आप कभी लड़खड़ाए तो आपको सहारे देने के लिए हमेशा तैयार रहे। चोट आपको लगे तो दर्द उसके चेहरे से झलक जाए।ऐसा होता है सच्चा दोस्त । अगर दोस्ती का रिश्ता दोनो तरफ से पूरी ईमानदारी के साथ निभाया जाए तो ऐसी दोस्ती एक मिसाल कायम करती है आने वाले समय में।

6- Hindi Poems: मोटिवेशन (लेखक – राकेश चौहान)

खुद की काबिलियत पर भरोसा रख,

जो गलती आज की है उससे सीख,

मत मांग किसी के आगे,

अपनी सफलता के लिए भीख।

तू जलता हुआ रेगिस्तान है,

तेरे अंदर कुछ करने की ठान है,

तू रुक मत तुझे करना कुछ महान है।

तू अपने घर वालों की आस है,

उनकी उम्मीदों की सांस है,

इनको यूं ही नहीं जाया करना है,

तुझे अपनी सफलता के लिए लड़ना है..!!

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से कवि द्वारा कभी भी हार न मानने का संदेश दिया गया है। कभी भी खुद को जिंदगी की हर कठिन परिस्थितियो में हार नही माननी चाहिए, क्योंकि अगर आप एक बार उस कठिन समय में मेहनत करके सफल हो गए तो जिंदगी में आपको कभी कोई गिरा नही सकता। हमेशा खुद से दिल में यही बोलना चाहिए सब ठीक है और आगे भी ठीक होगा बस हार नही माननी है।

7- कड़वा सच ( लेखक -प्रेरणा मेहरोत्रा)

मजबूती की झंकार,

थिरकतीं जिसके मन में,

स्वस्थ रूपी पेड़,

उसके तन में।

पहनने वाले अलस का चोला जो आगे बढ़ता है।

दूसरों को देख विजय,

जो बस हाथ ही मलता है।

छोटा सा है जीवन,

इसमें कुछ काम बड़ा तू कर्जा।

पूजा से कहीं अधिक बड़ा है,

अच्छे कर्मो का स्तर।

Hindi Poems

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा जिंदगी के एक कड़वा सच को दर्शाया गया है की दूसरो की तरक्की से हर कोई जलता है, लेकिन मनुष्य खुद क्यों भूल जाता है की अगर वो एक बार अपने मन में कुछ करने की ठान ले तो उसे सफल होने से कोई भी नही रोक सकता है। अगर आप किसी के प्रति अच्छी भावना रखते हैं तो यह कर्म पूजा से बढ़ कर माना जाता हैं। इस कविता में भी दूसरों से जलन ईर्ष्या की भावना न रखकर उनके प्रति प्रेम और सम्मान रखना चाहिए।

8- Hindi Poems: मंजिल तुझे पाना है ( लेखक – राजीव राउत)

मंजिल तुम्हे पाना है, मंजिल तुम्हे पाना है,

सब आएंगे तुम्हे रोकने,

तुम्हे पथ पे ना ठहर जाना है।

मंजिल तुम्हे पाना है, मंजिल तुम्हे पाना है,

नजर न तुम्हे झुकाना है,

बस पथ पे चलते जाना है

मंजिल तुम्हे पाना है, मंजिल तुम्हे पाना है,

सफल ना तुम हो पाओगे,

अगर मंजिल को ना पा पाओगे,

सफल ना तुम हो पाओगे,

अगर मंजिल को ना पा पाओगे,

पथ पे कांटे आएंगे,

तुम्हे फिर भी चलते जाना है।

तुम्हे फिर भी चलते जाना है।

मंजिल तुम्हे पाना है, मंजिल तुम्हे पाना है,

सफल तुम खुद हो जाओगे,

अगर मंजिल को पाओगे।

तुम्हे पथ पे ना ठहर जाना है।

मंजिल तुम्हे पाना है, मंजिल तुम्हे पाना है।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक राजीव रावत द्वारा यही संदेश दिया जा रहा है कि आपको बिना रुके जीवन की कठिन परिस्थितियों को पार करके अपनी मंजिल को पाना है। रास्ते में जितने भी उतार-चढ़ाव आते हैं, उन सभी को सामना डट कर करना है और अपने लक्ष्य को पाना है। आपकी नज़रे केवल आपकी मंजिल पर होनी चाहिए। सफल होने के लिए हर कठिन परिस्थिति में का सामना करने के लिए खुद को हमेशा तैयार रखना हैं। यदि आपने एक बार मन में अपनी मंजिल को पाने की ठान ली और इरादा मजबूत कर लिया तो आपको कोई भी नही रोक सकता।

9- समय ( लेखक – अभय शर्मा )

समय तुम्हारे साथ साथ चलता हूं मैं,

तुम रुकते नहीं तुम थकते नहीं,

तुम कहां कभी भी थमते नहीं,

क्या बात तुम्हारी है न्यारी,

पीछे भी कभी तुम मुड़ते नहीं,

ना कोई बांध सका,

सब मरज़ो की तुम एक दवा।

जो चाल तुम्हारी समझ गया,

धरती पर उसने है राज किया,

हो समय तुम बड़े बलशाली,

वीरों को देते खुशहाली,

सब आस निराश के ज्ञाता तुम,

सुख और दुख के दाता तुम,

तुमसे ही जग में है वैभव,

हो अभय तुम ही तुम अमृत,

हे समय तुम्हें हम करें नमन,

पीड़ा जग की अब करो हरण,

यह समय तुम्हारे साथ हैं हम।

व्याख्या 

इस कविता में लेखक अभय शर्मा द्वारा समय के महत्व को बताया गया है। अभी आपके हाथ में है कि आपको अपने समय को सफलता की ओर ले कर जाना है या फिर उसकी विपरीत दिशा में। क्योंकि गुजरा हुआ समय कभी भी लौट कर नहीं आता। समय के बीत जाने पर सिर्फ पछतावा ही बाकी रहता है कि काश हमने अपने समय के महत्व को समझा होता तो आज हम भी एक सफल पद पर अपनी जिंदगी के मजे ले रहे होते। समय का सही इस्तेमाल करके अपने जीवन को सफल बनाना या उसे बिगड़ना आपके खुद के हाथ में है।

10- काश ज़िंदगी एक किताब होती

काश,जिंदगी सचमुच किताब होती

पढ़ सकता मैं कि आगे क्या होगा?

क्या पाऊँगा मैं और क्या दिल खोयेगा?

कब थोड़ी खुशी मिलेगी, कब दिल रोयेगा?

काश जिदंगी सचमुच किताब होती,

फाड़ सकता मैं उन लम्हों को

जिन्होने मुझे रुलाया है..

जोड़ता कुछ पन्ने जिनकी यादों ने मुझे हँसाया है…

खोया और कितना पाया है?

हिसाब तो लगा पाता कितना

काश जिदंगी सचमुच किताब होती,

वक्त से आँखें चुराकर पीछे चला जाता..

टूटे सपनों को फिर से अरमानों से सजाता

कुछ पल के लिये मैं भी मुस्कुराता,

काश, जिदंगी सचमुच किताब होती।

Hindi Poems

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से जिंदगी के उतार-चढ़ाव के बारे में दर्शाया गया है। कभी द्वारा कहा जा रहा है कि काश जिंदगी एक किताब की तरह होते हैं। क्योंकि आज के समय में लोग रोजमर्रा भागदौड़ के कारण असल जिंदगी का मजा ही भूल गए हैं। कविता में कवि द्वारा कहा जा रहा है कि काश मनुष्य को आने वाले समय के बारे में पहले से ही मालूम होता तो वह पहले से ही परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहता और खुशी से अपने जीवन को बिना किसी रूकावट और बांधा के जीता।

11- Hindi Poems: सुबह साथ लाई है (लेखक – अविनाश शाही)

हर सुबह एक मौका है,

अपने आप को साबित करने का,

चाहतों को पूरा करने का,

कुछ रिश्तो को थामने का,

अपने आप को सवारने का,

लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने का,

यह सुबह बहुत कुछ अपने साथ लाईं है!..

बहुत कुछ!

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक अविनाश शाही बताया जा रहा है कि कभी भी रात के अंधेरे से डरना नहीं चाहिए क्योंकि हर अंधेरे के बाद एक नई सुबह एक नई रोशनी लेकर आती हैं। दिन प्रतिदिन आपको एक नई सुबह मिलती हैं जो आपकी जिंदगी से बीते अंधेरे को हटाकर एक नई रोशनी की और आगे कदम बढ़ाने का मौका देती है।

12- ऐ जिंदगी तेरे लिए (लेखक- आलोक शर्मा )

क्या करना रह गया बाकी

बस इतना बता दे,

बहुत भटक लिया गुमनामी में

ऐ जिंदगी तेरे लिए।

जाना है कहां सपनों की खातिर

बस वो राहा दिखा दे,

दर-दर झुकाया सिर गैरों के आगे

ऐ जिंदगी तेरे लिए।

हिम्मत है अब भी अंदर

बस थोड़ी सी और बढ़ा दे,

बिना रुके निरंतर चलता रहा

ऐ जिंदगी तेरे लिए।

मिल जाए थोड़ी सी खुशी

बस उम्मीदों के दीप जला दे,

कांटे हैं दिन-रात आफत गर्दिश में

ऐ जिंदगी तेरे लिए।

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से लेखक आलोक शर्मा द्वारा जिंदगी के संघर्ष के बारे में बताने की कोशिश की जा रही है। अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिन रात जलना पड़ता है। लोगों की बातें सुननी पड़ती है। उम्मीदों के दीप मन में जलाकर रखने पड़ते हैं। उसके बाद कहीं जाकर सफलता का संघर्ष सफलता में बदलता है। जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए बहुत सारे कुर्बानियां देनी पड़ती है। कई बार दूसरों के आगे सर भी झुकाना पड़ता है, उसके बाद भी हिम्मत नहीं टूटने देनी है। बिना रुके अपनी मंजिल की ओर चलते जाना है।

13- रोज़ बेवजह मरते जा रहे हैं

लोग क्या कहते हैं इस बात पर हम

कुछ यूँ उलझते जा रहे हैं,

दिल कुछ और करना चाहता है

हम कुछ और ही करते जा रहे हैं।

आप बहुत सारे हैं हमारे पास

इतने भी क्या जल्दी में पड़े हैं,

अभी और के होश से चल लें

फंदे के लिए तो पूरी उम्र की जरूरत है।

दिल और दिमाग की यही कश्मकश में,

जिंदगी के पन्ने बड़े रफ़्तार से पलटते जा रहे हैं।

ज्यादा तो हम जी ही नहीं

जितना ज्यादा हम हर रोज बेवजह मरते जा रहे हैं।

Hindi Poems

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से कवि द्वारा बताया जा रहा है कि हम अपनी जिंदगी में कुछ भी करते हैं तो सबसे पहले मन में यह विचार आता है कि लोग क्या कहेंगे ? इसी कशमकश और सोच के कारण जिंदगी इतनी तेजी से हाथों से फिसलती है कि बाद में सिर्फ पछतावे के और कुछ हाथ नहीं लगता। कवि द्वारा बताया जा रहा है कि दूसरों की बातें सुनने से अच्छा आप अपनी जिंदगी की गाड़ी को अपने फैसलों पर आगे बढ़ाएं। लोगों का क्या है? वह तो ना कामयाबी पर भी सवाल उठाते हैं और कामयाबी पर भी। उस से बेहतर तो अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जिया जाए।

14- Hindi Poems: छांव भी जरूरी है

छांव भी जरूरी है

जीते जी सीधा साधे चलना ठीक नहीं

उबड़ खाबड़ पड़ाव भी जरूरी है,

तैरते तैरते बाजू पूछेंगे

एक पल के लिए नाव भी जरूरी है,

बदलाव भी जरूरी

ये घाव भी जरूरी है,

इतनी धूप नही

थोड़ी छांव भी जरूरी है..!

हद-ए-शहर से निकली तो,

गांव-गांव चले गए..

कुछ याद मेरे संग,

पांव-पांव चले गए..!

सफर जो धूप का किया तो,

तजुर्बा हुआ..

वो जिंदगी ही जो,

छांव-छांव चली..!!

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से कवि द्वारा जिंदगी के बदलाव के बारे में बड़े ही प्यारे अल्फाजों में बताया जा रहा है कि मंजिल की ओर चलने के लिए थोड़े कांटे होना भी जरूरी है और रास्ता का कठिन होना भी जरूरी है। थोड़ी दूर थोड़ी छांव भी जरूरी है। सफलता आसानी से मिलने का नाम नहीं खुद को पूरी तरह जलाकर निखरना पड़ता है तब कहीं जाकर जिंदगी के पड़ाव में कामयाबी मिलती है। मंजिल की ओर आने वाले हर रास्ते का अनुभव होना आवश्यक है। जिंदगी के संघर्ष की लड़ाई जिसने बिना रुके, बिना डरे पार कर ली आज के समय में वह इंसान कामयाब है।

15- बचपन (लेखक – अनुकेश जी )

वो बचपन आज याद आता है

वह स्कूल ना जाने का बहाना

और जाने पर घंटों आंसू बहाना

वो पेंसिल का खो जाना

और दूसरों का रबड़ चुराना

आज याद आता है……

जरा सी बात पर झगड़ा

और गलतियों पर बेलन पड़ना

धूप में साइकिल चलाना

और घर आकर बीमार पड़ जाना

आज याद आता है…..

वो शक्तिमान के लिए भाई से लड़ना

और खींचतान में रिमोट का टूटना

वो चाचा चौधरी की किताबें लाना

स्कूल छोड़ कॉमिक्स नहीं लग जाना

आज याद आता है…..

वो पैसे चुराकर वीडियो गेम जाना

वो दोस्तो संग मेला जाना

और कुल्हड़ की बरसों खाना

आज याद आता है….

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से लेखक मुकेश जी द्वारा बचपन से जुड़ी छोटी-छोटी यादों के बारे में बताया जा रहा है। खाली समय में बैठकर जब अपने बचपन की यादें अपने मन में आती है तो चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान बिखेर देती हैं। चाहे वह दोस्तों के साथ मस्ती हो, या फिर तपती धूप में साइकिल चलाना हो। स्कूल ना जाने के दस बहाने हो या फिर छुट्टी ना कराने पर घंटों आंसू बहाना हो। बीमार होने पर सर पर मां का ममता भरा आंचल हो या फिर गलती करने पर पिता की फटकार हो। अभी भी बचपन से जुड़ी आज भी अनगिनत यादें हमारे मन में इस तरह संभाल कर रखी है जो कभी धुंधली नहीं हो सकती और ना ही कभी हम भूल सकते हैं। आज भी मन में कई बार एक बार फिर से बचपन जीने का सपना बार-बार आता है।

16- Hindi Poems: हवा की खुशबू में

हवा की खुशबू में,

चलो घूम के आते हैं !

पानी की बूंदों के नीचे,

एक पल यही बिताते हैं !

है घनघोर घटा छायी आज,

टप-टप गिरता पानी हैं !

खेलो कूदो बारिश में तुम,

ये समय न फिर से आनी है ।

जब यूँ गांवों में बारिश के नीचे,

हम बच्चे भीग के आते थे !

यूँ गीली मिटटी में ही हम,

खेल कूद मचाते थे !

बचपन की वो बारिश की याद,

आज भी हमें जब आती है !

देख आज की शहरों की बारिश,

खूब हमें ललचाती है !!

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से कवि द्वारा बताया जा रहा है कि बचपन की बारिश कितनी मजेदार और यादगार होती थी। केवल बचपन में नहीं बल्कि आज भी बारिश की एक बूंद से खुशी की लहर दौड़ जाती है। जैसे ही बारिश का सुहाना मौसम आता है केवल लोग ही नहीं बल्कि पेड़ पौधे और पक्षी भी झूम उठता है। आज के समय में लो अपने रोजमर्रा की जिंदगी के कारण मानो जिंदगी को सही तरीके से जीना ही भूल गए। छोटी-छोटी खुशियों को जीना आना चाहिए चाहे वह बारिश में उछल कूद करना हो या फिर कागज़ की नाव चलाना हो। जिंदगी में जितनी खुशी होगी उतनी ही आसान जिंदगी लगने लगेगी ।

17- Hindi Poems: जानवरो पर संकट ( लेखक – वी सिंह )

जगल काटके इंसान अगर

वहा सीमेंट का शहर बसा देगा,

तो उस जगल के जानवर

जगल छोड कहाँ जायेगा।

ओर अगर वो खाने की तलाश मे

कभी शहर मे आ जायेगा,

तो ये निर्दयी इंसान

उसे मार गिराएगा।

लेकिन फिर भी जगलो को

काटना, जलाना नहीं छोड़ेगा

जानवरो के लिए तो इंसान

हैवान है बन गया,

अपने विकास के चक्कर मे

अनेक जनवरो की प्रजाति

खत्म ही कर गया ।

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से कवि वी सिंह द्वारा जानवरों पर मंडराते संकट के बारे में बताया जा रहा है। बढ़ते समय के साथ-साथ जैसे जंगलों को नष्ट किया जा रहा है और वहां पर शहर बसाए जा रहे हैं तो यह बेजुबा जानवर कहां जाएंगे। इन बेजुबान जानवरों का सबसे बड़ा दुश्मन खुद इंसान बनता जा रहा है। अपनी तरक्की और विकास के चक्कर में अनेक जानवरों की प्रजाति को धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है।

18- पेड़ लगाओ पेड़ लगाओ (लेखक- वैशाली गुप्ता)

पेड़ लगाओ, पेड़ लगाओ,

सारे मिलकर पेड़ लगाओ।

पेड़ों से हमें मिले ऑक्सीजन,

जिससे जिंदा रहते है हम।

पेड़ों से हमें मिलती छाया,

जिससे ठंडी हवा मिलती हमको।

पेड़ों से हमें मिलते कपड़े,

जिससे तन को हम ढकते।

पेड़ों से हमें मिलती औषधियां,

जिससे बीमारियों से हम छुटकारा पाते।

पेड़ों से हमें मिलती पुस्तक,

जिसको पढ़ हम ज्ञान बढ़ाते।

पेड़ों से हमें मिलती वर्षा,

जिससे अमृत सामान जल हम पाते।

अब हर दिल की यही पुकार है,

पेड़ लगाओ, पेड़ लगाओ।

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से लेखक वैशाली गुप्ता जी द्वारा पेड़ों पौधों के महत्व को बताया जा रहा है। इस कविता में बताया जा रहा है कि हमे अपने आसपास के वातावरण को शुद्ध और साफ रखने के लिए पौधे लगाने चाहिए। आपने कभी सोचा है यदि अगर पेड़ पौधे ना होते तो क्या हम जिंदा होते हैं। पेड़ पौधों से हमें जिंदा रहने के लिए ऑक्सीजन मिलती है और उसी के साथ-साथ बहुत सारी औषधियां भी बनाई जाती हैं जिससे कि हम स्वस्थ रहते हैं। जंगलों में कटते वनों पर भी रोक लगानी चाहिए।

19- Hindi Poems: सपना (लेखक – रमनदीप कौर)

खुली नज़रों का मेरा यह सपना

बना रहा हूँ मैं इक घरौंदा..

जहां सुना दे रहे हो ताने

कोई भी अपना मुझे न माने।

ज़रा तो थिंक हो कैसे हो

उन महलों में मेरे अहम की…

हैं तो बहुत घर मेरे भी जहा में,

बड़े जतन से ऐसे लोग…

पर ! किसी ने कहा तुम हो पराई,

तो किसी ने पूछा कहां से आई ?

इन ज़िल्लतों का बदहाली है मन पर,

कुछ कर रहा है अपने दम पर…

कब तक रहूँगी मैं बोझ बन कर,

मैं क्यों नहीं सोचती हूँ हटकर..

पिता, पति, पुत्र और भाई,

सभी के घर में हो रही पराई

कभी कहीं घर मेरा भी होगा,

जहां सर उठा कर मेरे सकूंगी..

खुली नजर का मेरा ये सपना,

बना रही हूँ मैं इक घरौंदा- इक घरौंदा…

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से लेखक रतनदीप कौर जी द्वारा सपनों के बारे में बताया जा रहा है। बंद आंखों से देखे गए सपने कई बार टूट जाते हैं लेकिन कुछ लोग अपने सपने खुली आंखों से देखते हैं और उनको पूरा करने की क्षमता भी रखते हैं। लेखिका द्वारा बताया जा रहा है कि अगर खुद पर विश्वास हो तो आप अपने सपनों को पूरा करने में सक्षम हो ही जाते हैं। माता-पिता का घर अपना होता है लेकिन कई बार अपने भी पराएपन का एहसास दिला देते हैं। अपने सपनों को पूरा करने के लिए रास्ते में बहुत बधाई आती हैं लेकिन उन बाधाओं को पार कर जो मंजिल तक पहुंचता है वही सच में अपने सपने हकीकत में बदलता है। सपना हकीकत में बदलने के बाद जब सर गर्व से ऊंचा होता है तो उस जिंदगी का मजा ही कुछ और होता हैं।

20- औरत (लेखक – शेखर खरंडी)

गृहणी बनी है औरत

चूल्हा चौका जलाती है औरत

रोटी पकाती है औरत

बच्चों को सवारती है औरत

जिम्मेदारी उठाती हैं औरत

सुख दुख झेलती है औरत

जीवनभर कहां रुकती है औरत

शीश झुकाते हैं औरत

कदमों की जूती है औरत

दलदल में डूबी हैं औरत

जंजीरों में लिपटी है औरत

दहलीज में रुकी है औरत

रिश्तो में बिकती है औरत

रोज हज़ार मौत मरती हैं औरत।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक शेखर जी द्वारा औरत की संघर्ष की कहानी को बहुत थी कम शब्दों में बताया गया है। एक औरत की जिंदगी किसी संघर्ष से कम नहीं होती हैं। घर की जिम्मेदारी हो किसी के आगे अपना आत्मसम्मान की रक्षा करना हो। अपने रिश्ते को बचाना हो या फिर दुख की घड़ी में घर्व के साथ खड़े होना हो। ऊपर वाले ने ओरत को हर सांचे में ढलने की सलाहियत दी है। इसलिए वो हर कठिन परिस्थिति में भी हस्ती हुई दिखती हैं और हर रिश्ते को बखूबी निभाना भी जानती है।

21- पिता

मेरा साहस, मेरी इज्जत, मेरा सम्मान है पिता,

मेरी ताकत, मेरी पूँजा, मेरा अहसास है पिता।

घर के एक-एक ईंट में शामिल उनका खून-पसीना,

सारे घर की रौनक, सारे घर की शान है पिता।

मेरी इज्जत, मेरी शोहरत, मेरा रूतबा, मेरा मान है पिता,

मुझको हिम्मत देने वाले मेरे अभिमान है पिता।

सारे रिश्ते उनके दम से, सारे नाते उनसे है,

सारे घर के दिल की धड़कन, सारे घर की जान पिता।

शायद रब ने देकर भेजा फल ये अच्छे कर्मों का,

उसकी रहमत, उसकी नेअमत, उसका वरदान है पिता।

Hindi Poems

व्याख्या 

इस कविता में कवि द्वारा पिता के बलिदान का वर्णन किया गया है। पिता ऐसी हंसती है जो खुद तो कड़ी धूप में खड़ा हो सकता है लेकिन अपनी संतान के लिए छाव भरा महल बना देता है। एक बाप अपनी संतान के लिए तपती धूप में कड़ी मेहनत करता है ताकि उसकी संतान सुकून से खाना खा पाए। पिता भगवान का दिया तोहफ़ा हैं जो अपने खून पसीने से घर बनाता है ताकि उसकी संतान गर्मी, सर्दी और बारिश में चैन से सो पाए। एक संतान के लिए गर्व, एहसास, नेमत, रहमत,रुतबा सब कुछ है एक पिता।

22- हिंदी कविताएं: अहमियत

वह अहमियत रखता है क्या, बताना भी जरूरी है,

है उससे इश्क़ अगर तो जताना भी जरूरी है ।

अब काम लफ़्ज़ी से तुम कब तक चलोगे ,

उसकी झील सी आंखों में डूब जाना भी जरूरी है ।

दिल के ज़ज़्बात तुम दिल मे दबा कर मत रखो ,

उसे देख कर प्यार से मुस्कुराना भी जरूरी है ।

उसे ये बार बार बताना भी जरूरी है 

कि वो कितना ख़ूबसूरत है ,

उसे नग्मे के प्यार के बारे में सुनाना भी जरूरी है।

किसी भी हाल में तुम हाथ छोड़ना उसका ,

किया है इश्क अगर, करना भी जरूरी है।

सहर अब रूठना तो इश्क़ में लाज़मी है लेकिन,

कभी महबूब अगर रूठे तो मनाना भी जरूरी है।

Hindi Poems

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि अगर आपके मन में किसी के लिए मान सम्मान और अहमियत है तो उस इंसान को बताना भी जरूरी है। किसी के लिए आप क्या महसूस करते हैं उस तक अपनी बात जरूर पहुंचानी चाहिए। अगर वह रूठ जाए तो उसे मनाना भी जरूरी है। आप किसी के लिए कुछ फीलिंग रखते हैं तो आपको उसका साथ हर कदम पर देना चाहिए और उसको यह बात जतानी चाहिए कि उस एक इंसान का साथ आपके लिए कितना जरूरी है।

23- जीना सिखाए जा रहा है

दिन-बदिन,

आपसी व्यवहार को माना जा रहा है।

लेन-देन अब तक नहीं मिला,

लेन-देन के डर से सताए जा रहा है।

मेरे हाथों से कंधा लगाकर,

होश से मेरी जान जा रही है।

तेरे आने से,

दिल मेरा, अब उसे देख रहा है।

कुछ हुआ अलग,

तेरे आने से, बता रहा है।

एक बार फिर से,

मुझको जीना, सिखाया जा रहा है।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि जैसे जैसे दिन गुजर रहे हैं वैसे जिंदगी जीना सिखा रही है। रास्ते में कई मुश्किलें, कई काटे आने वाले हैं जिन्हें पारकर आगे बढ़ना है। कवि कह रहा है कि हर दिन एक नई परीक्षा कुछ नया सिखा कर जा रही है। यही परीक्षा मुझे बार-बार जीना सिखा रही हैं।

24- तेरा साथ न मिला

हाथ थाम कर भी तेरा सहयोग न मिला,

में वो लहर हूँ जो न मिला।

मिला था मुझे जो कुछ भी चाहा मैंने,

मिला नहीं तो बस साथ दृष्टि न मिला।

वैसे तो सितारों से भरा हुआ आकाश मिला,

मगर जो हम ढूंढ रहे थे वो स्टार न मिला।

कुछ इस तरह से बदली पहर जीवन की हमारी,

गारंटी भी कहा वो दुबारा न मिला।

एहसास तो हुआ मगर देर बहुत हो गए,

उसके जाने से निशान भी हमारा न मिला।

Hindi Poems

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि साथ चलने पर भी यदि अगर किसी का सहयोग ना मिले तो ऐसे साथ का क्या फायदा। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि वैसे तो सितारों से भरा हुआ आसमान मुझे मिला है,लेकिन जिसे मैं ढूंढ रहा हूं वह तारा आज तक मुझे नहीं मिला। लोगों का जीवन पल भर में ऐसे बदल जाता है कि उनके सपने और उनके चाहत कई बार पीछे ही छूट जाती हैं।

25- Hindi Poems: थोड़ा सा थक सा जाता हूं अब में

थोड़ा हार सा जाता हूं अब मैं…

इसलिए, दूर छोड़ दिया है,

पर ऐसा भी नहीं हैं कि अब…

मैंने उठकर ही जाना छोड़ दिया है।

फासलें अक्सर रिश्तों में…

अजीब सी दूरियां बढ़ा देती हैं,

पर ऐसा भी नहीं हैं कि अब मैंने..

अपनों से संदेश ही छोड़ दिया है।

हाँ जरा सा अकेला महसूस करता हूँ…

खुद को अपनों की ही बंध में,

पर ऐसा भी नहीं है कि अब मैंने…

अपनापन ही छोड़ दिया है।

याद तो करता हूँ मैं सभी को…

और सावधान भी करता हूँ सब की,

पर कितना करता हूँ…

बस, बता देना छोड़ दिया है।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि जिंदगी की उलझनों से हार कर भी उस परिस्थिति में भी कभी जीना नहीं छोड़ना चाहिए। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि रिश्तो में चाहे कितने भी फासले क्यों ना आ जाए लेकिन कभी रिश्ता खत्म नहीं करना चाहिए। जिंदगी के रास्ते में यदि कोई अपना आपका साथ छोड़ दें लेकिन आपको कभी अपनापन नहीं छोड़ना चाहिए। किसी को कितना प्यार करते हैं और उसकी कितनी परवाह करते हैं यह सिर्फ आपका दिल जानता है इसलिए उसने अपनों को बताना ही छोड़ दिया।

26- Hindi Poems: बचपन

वो बचपन भी कितना सुहाना था, 

जिसका रोज एक नया फसाना था ।

कभी पापा के कंधो का, 

तो कभी मां के आँचल का सहारा था। 

कभी बेफिक्रे मिट्टी के खेल का, 

तो कभी दोस्तो का साथ मस्ताना था ।

कभी नंगे पाँव वो दोड का, 

तो कभी पतंग ना पकड़ पाने का पछतावा था ।

कभी बिन आँसू रोने का,

तो कभी बात मनवाने का बहाना था

सच कहूँ तो वो दिन ही हसीन थे, 

ना कुछ छिपाना और दिल मे जो आए बताना था ।

Hindi Poems

व्याख्या

कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि बचपन भी कितना यादगार होता है जिंदगी की भाग दौड़ में जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो मन करता है कि काश एक बार और अपने बचपन में चले जाएं। वह पापा के कंधों पर बैठना और वह मां की गोदी में लेट कर लोरी सुनना कितना सुकून देता था। घर के बाहर मिट्टी में खेलना और कई बार अपनी जिद्द मनवाने का बहाना ढूंढ ना यह सब कितना मजेदार था। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि जो भी मन में आता था बिना छुपाए मां पापा से बोल देते थे लेकिन बचपन खत्म होने के बाद कई बार मन की बात मन में ही रह जाती है।

27- Hindi Poems: ज़िंदगी

छोटी सी है ज़िन्दगी 

हर बात में खुश रहो…

जो चेहरा पास न हो, 

उसकी आवाज़ में खुश रहो…

कोई रूठा हो आपसे, 

उसके अंदाज़ में खुश रहो…

जो लौट के नहीं आने वाले, 

उनकी याद में खुश रहो…

कल किसने देखा है… 

अपने आज में खुश रहो।

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि ऊपर वाले ने एक छोटी सी जिंदगी दी है तू उसको खुश दिल से और उत्साह के साथ जिया करो। अगर कोई आपके साथ नहीं भी है तो उसकी परवाह ना करके उसको याद करके खुद में खुश रहा करो। जिंदगी को बचपन की तरह जिया करो जिसमें किसी से ना कोई आस हो और ना कोई उम्मीद हो बस जो भी हो खुद के लिए हूं और खुशी के साथ हो।

28- Hindi Poems: आग जलनी चाहिए

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए

इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,

शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में

हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,

सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही

हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक दुष्यंत कुमार जी द्वारा कहा जा रहा है कि हमेशा अपने सीने के अंदर एक आग जलाकर रखनी चाहिए। जीवन में सफलता हासिल करने के लिए हर सड़क हर दोराहे पर कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए खुद में साहस और आग जलाकर रखना बहुत आवश्यक है। सामने चाहे पहाड़ चढ़ना हो या फिर डूबते हुए नदी पार करना लेकिन जब तक अंदर से खुद आत्मविश्वास की भावना पैदा नहीं होगी तब तक मनुष्य जीवन में असफल ही रहेगा।

29- मकान ( लेखक – कैफ आजमी)

आज की रात बहुत गरम हवा चलती है

आज की रात न फुटपाथ पे नींद आयेगी।

सब उठो, मैं भी उठूँ, तुम भी उठो, तुम भी उठो

कोई खिड़की इसी दीवार में खुल जायेगी।

ये जमीन तब भी निगल लेने पे आमादा थी

पाँव जब टूटी शाखों से उतारे हम ने।

इन मकानों को खबर है ना मकीनों को खबर

उन दिनों की जो गुफाओ मे गुजारे हम ने।

हाथ ढलते गये सांचे में तो थकते कैसे

नक्श के बाद नये नक्श निखारे हम ने।

कि ये दीवार बुलंद, और बुलंद, और बुलंद,

बाम-ओ-दर और जरा, और सँवारा हम ने।

आँधियाँ तोड़ लिया करती थी शामों की लौं

जड़ दिये इस लिये बिजली के सितारे हम ने।

बन गया कसर तो पहरे पे कोई बैठ गया

सो रहे खाक पे हम शोरिश-ऐ-तामिर लिये।

अपनी नस-नस में लिये मेहनत-ऐ-पेयाम की थकान

बंद आंखों में इसी कसर की तसवीर लिये।

दिन पिघलाता है इसी तरह सारों पर अब तक

रात आंखों में खटकतीं है स्याह तीर लिये ।

आज की रात बहुत गरम हवा चलती है

आज की रात न फुटपाथ पे नींद आयेगी।

सब उठो, मैं भी उठूँ, तुम भी उठो, तुम भी उठो

कोई खिड़की इसी दीवार में खुल जायेगी। 

Hindi Poems

व्याख्या

इस Hindi Poems के माध्यम से लेखक कैफ आजमी द्वारा एक घर की अहमियत का वर्णन किया जा रहा है। मनुष्य के जीवन में परिवार को सुरक्षित रखने के लिए एक घर का होना बहुत आवश्यक है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि इस तरह हमें हमारा घर गर्मी मे धूप, सर्दी में ठंड और बारिश के दिनों में हमारी रक्षा करता है। सोने के लिए तो फुटपाथ पर भी जगह मिल जाती है लेकिन वहां पर कभी भी कोई भी विपदा या दुर्घटना का शिकार होने का भय रहता है। सबको अपने घर की चाहत होती है जहां पर हम अपनी मर्जी से सुरक्षित महसूस कर सके। जहां खुले आसमान में तारे गिन सके और अपने घर में बारिश का आनंद उठा सके। सर्दियों में अपने घर की छत पर जाकर धूप का लुफ्त उठा सकें।

30- Hindi Poems: एक भी आँसू न कर बेकार ( लेखक – रामावतार त्यागी)

एक भी आँसू न कर बेकार

जाने कब समंदर मांगने आ जाए।

पास प्यासे के कुआँ आता नहीं है

यह कहावत है, अमरवाणी नहीं है

और जिस के पास देने को न कुछ भी

एक भी ऐसा यहाँ प्राणी नहीं है

कर स्वयं हर गीत का श्रृंगार

जाने देवता को कौनसा भा जाय।

चोट खाकर टूटते हैं सिर्फ दर्पण

किन्तु आकृतियाँ कभी टूटी नहीं हैं

आदमी से रूठ जाता है सभी कुछ

पर समस्यायें कभी रूठी नहीं हैं

हर छलकते अश्रु को कर प्यार

जाने आत्मा को कौन सा नहला जाय।

व्यर्थ है करना खुशामद रास्तों की

काम अपने पाँव ही आते सफर में

वह न ईश्वर के उठाए भी उठेगा

जो स्वयं गिर जाय अपनी ही नज़र में

हर लहर का कर प्रणय स्वीकार

जाने कौन तट के पास पहुँचा जाए।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक राम अवतार त्यागी जी द्वारा कहा जा रहा है कि किसी के लिए या फिर किसी कठिन परिस्थिति में हमें अपने आंसुओं को व्यर्थ नहीं करना चाहिए। कवि कह रहा है की आपको नहीं पता आपको नहीं पता कब आपके आंसू की जरूरत समंदर में पड़ जाए। यह बात तो आपने सुनी होगी कि प्यासे को ही कुए के पास जाना पड़ता है, इसी तरह हमें भी अपनी अहमियत दूसरों को बतानी चाहिए। आंसू बहा कर समय व्यर्थ करने के बजाए उस मुश्किल परिस्थितियों में निकलने का रास्ता ढूंढना चाहिए। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि चोट खाने से केवल दर्पण ही टूटते हैं मजबूत मनुष्य नहीं। आपको खुद को दर्पण की तरह नही बल्कि चट्टान सा मजबूत बनाना है और अपनी जीत भी निश्चय करनी है।

31- Hindi Poems: प्यार

दर्द में हम उनके सामने रोये थे,

और वो तब भी अपने खयालों में दबा रहे थे,

उन पे शायद हम अपना रंग न चढ़ा सकते थे,

इसलिए हम गहरी नींद में गए और वो हमें न उठा सके,

उन्हें हमारी मौत की खबर भी किसी और ने दी,

क्रोधित हम थे और ऊपर वाले ने हमारी ही जान ले ली,

समय जब दोनों के पास था तो दुखी में बिताया,

ये जीवन शायद आपके पछतावे में विवाहित ली।

Hindi Poems

व्याख्या 

इस Hindi Poems के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि जिनसे हम प्रेम करते हैं उन्हीं के सामने अपने दर्द को बयान करते हैं लेकिन जिस मनुष्य के पास आपके लिए वक्त ही ना हो उसके सामने रोने से क्या फायदा। हो सकता है कि आप जिस व्यक्ति को अहमियत दे रहे हैं वह आपसे प्यार ही ना करता है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि जब दोनों साथ थे तो वह वक्त हमने दुख में बिताया और अलग होने के बाद पछतावे में।

32- हिंदी भाषा (लेखल-भारतेंदु हरिश्चंद्र)

दो वर्तमान का सत्य सरल,

सुंदर भविष्य के सपने दो

हिंदी है भारत की बोली

तो अपने आप पनपने दो

यह दुखड़ों का जंजाल नहीं,

लाखों मुखड़ों की भाषा है

थी अमर शहीदों की आशा,

अब जिंदों की अभिलाषा है

मेवा है इसकी सेवा में,

नयनों को कभी न झंपने दो

हिंदी है भारत की बोली

तो अपने आप पनपने दो।

Hindi poems

व्याख्या

कविता के माध्यम से लेखक भारतेंदु हरिश्चंद्र जी द्वारा कहा जा रहा है कि वर्तमान में सुंदर भविष्य को सजाने के लिए जिस तरह से आप सपने देखते हो वैसे ही भारत की भाषा हिंदी है तो उसे अपने मन में अपने सपनों की तरह ही पनपने देना चाहिए। कहां जा रहा है कि हिंदी भाषा में अमर शहीदों की आशा और अभिलाषा छुपी हुई है। हिंदी भाषा को बोलने में कभी भी झिझक नहीं बल्कि आत्मविश्वास के साथ उसके शब्दों की सुंदर माला की तरह पिरोना चाहिए।

33- प्रिय अंग्रेज़ी ( लेखक -गोपाल सिंह नेपाली)

उच्चवर्ग की प्रिय अंग्रेजी

हिंदी जन की बोली है

वर्ग भेद को खत्म करेगी

हिंदी वह हमजोली है,

सागर में मिलती धाराएँ

हिंदी सबकी संगम है

शब्द, नाद, लिपि से भी आगे

एक भरोसा अनुपम है

गंगा कावेरी की धारा

साथ मिलाती हिंदी है। 

कविता

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक गोपाल सिंह नेपाली जी द्वारा कहा जा रहा है कि आज के समय में लोग उच्च वर्ग की बोली अंग्रेजी भाषा को समझते हैं लेकिन वह भूल जाते हैं कि हिंदी हमारी मातृभाषा है। लोगों के दिलों में हिंदी और अंग्रेजी भाषा को लेकर जो अंतर है उसको मिटाना होगा। सभी द्वारा कहा जा रहा है कि हिंदी सभी भाषाओं का संगम है जो हमें अन्य और भाषाओं में देखने को नहीं मिलता।

34- Hindi Poems: मेरी आत्मा हिंदी (लेखक – गिरिजा कुमार माथुर)

जैसे चींटियाँ लौटती हैं

बिलों में

कठफोड़वा लौटता है

काठ के पास

वायुयान लौटते हैं एक के बाद एक

लाल आसमान में डैने पसारे हुए

हवाई-अड्डे की ओर

ओ मेरी भाषा

मैं लौटता हूँ तुम में

जब चुप रहते-रहते

अकड़ जाती है मेरी जीभ

दुखने लगती है

मेरी आत्मा।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखिका गिरिजाकुमार माथुर द्वारा कहा जा रहा है कि हिंदी भाषा उनकी आत्मा है। इस तरह से जिस तरह से चीटियां दिन भर मेहनत करने के बाद अपने दिल में वापस लौटती हैं उसी तरह वह भी अपनी हिंदी भाषा की और लौटती है।

35- हिंदी भाषा (लेखक- सावित्री नौटियाल काला)

आवो हिन्दी पखवाड़ा मनाएँ, अपनी भाषा को ऊँचाईयों तक पहुँचाएँ

हम सब करेंगे हिन्दी में ही राज काज, तभी मिल पायेगा सही सुराज

हिन्दी के सब गुण गावो, अपनी भाषा के प्रति आस्था दर्शाओ

जब करेंगे हम सब हिन्दी में बात, नहीं बढ़ेगा तब कोई विवाद।

हिन्दी तो है कवियों की बानी, इसमें पढ़ते नानी की कहानी

हम सबको है हिन्दी से प्यार, मत करो इस भाषा का तिरस्कार।

हम सब हिन्दी में ही बोलें, अपने मन की कुण्ठा खोजें

जब बोलेंगे हम हिन्दी में शुद्ध, हमारी भाषा बनेगी समृद्ध।

हिन्दी की लिपि है अत्यंत सरल, मत घोलो इसकी तरलता में गरल

सबके कण्ठ से सस्वर गान कराती, हमारी भारत भारती को चमकाती।

यही हमारी राजभाषा कहलाती, सब भाषाओँ का मान बढाती

हम राष्ट्रगान हिन्दी में गाते, पूरे विश्व में तिरंगे की शान बढ़ाते।

हमारी भाषा ही है हमारे देश की स्वतंत्रता की प्रतीक

यह है संवैधानिक व्यवस्था में सटीक

हम सब भावनात्मकता में है एक रखते है हम सब इसमे टेक

यह विकास की ओर ले जाती सबका है ज्ञान बढ़ाती।

हिन्दी दिवस पर करें हम हिन्दी का अभिनंदन

इसका वंदन ही है माँ भारती का चरण वंदन।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक सवित्री नौटियाल काला द्वारा हिंदी भाषा की अहमियत का वर्णन किया जा रहा है। आप सभी लोग जानते हैं कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और हमारी स्वतंत्रता का प्रतीक भी मानी जाती है। लेकिन तेजी से आगे बढ़ता समाज हिंदी भाषा को पीछे छोड़ रहा है। हिंदी भाषा से हमारा ज्ञान बढ़ता है और हमें विकास की ओर ले जाती है लेकिन कुछ लोग इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं। कविताएं दोहे ज्यादातर हिंदी भाषा में ही प्रकाशित किए जाते हैं क्योंकि ज्यादातर कविताओं का सार हिंदी भाषा में ही लोगों को दिलचस्प लगता है और पसंद भी आता है। आज के समय में कुछ लोग ऐसे हैं जो दूसरों के सामने हिंदी भाषा बोलने पर झिझक महसूस करते हैं लेकिन आप कहीं भी किसी भी देश में चले जाएं लेकिन सबसे ज्यादा बोलने वाली भाषा हिंदी ही होती है। हिंदी ही एक मात्र भाषा है जो हर व्यक्ति आसानी से बोल सकता है और अपनी बात को आसानी से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचा सकता है।

36- गूंजी हिंदी विश्व में (लेखक- अटल बिहारी वाजपई)

गूंजी हिन्दी विश्व में,

गूंजी हिन्दी विश्व में,

स्वप्न हुआ साकार,

राष्ट्र संघ के मंच से,

हिन्दी का जयकार।

हिन्दी का जयकार,

हिन्दी हिन्दी में बोला,

देख स्वभाषा-प्रेम,

विश्व अचरज से डोला।

कह कैदी कविराय,

मेम की माया टूटी,

भारत माता धन्य,

स्नेह की सरिता फूटी।

कविता

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक अटल बिहारी वाजपेई द्वारा कहा जा रहा है कि हिंदी भाषा की गूंज विश्व भर में सुनाई देगी और जल्द ही यह सपना साकार होगा राष्ट्र संघ के मंच पर। कवि रहा है कि एक दिन हिंदी भाषा का बोलबाला भी होगा और हिंदी की जय जयकार भी लोगों को सुनाई देगी।

37- Hindi Poems: हम सबकी प्यारी (लेखक- संजय जोशी

हम सबकी प्यारी,

लगती सबसे न्यारी।

कश्मीर से कन्याकुमारी,

राष्ट्रभाषा हमारी।।

साहित्य की फुलवारी,

सरल-सुबोध पर है भारी।

अंग्रेजी से जंग जारी,

सम्मान की है अधिकारी।

जन-जन की हो दुलारी,

हिन्दी ही पहचान हमारी।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक संजय जोशी द्वारा कहा जा रहा है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी सबको प्यारी और सबको न्यारी लगती है। अभी कह रहा है कि कवि कह रहा है कि जहां एक ओर अंग्रेजी भाषा से जंग जारी है वही हमारी हिंदी भाषा हमें सम्मान के साथ साथ हमारे देशभक्त होने का भी सबूत देती है।

38- हिंदी मेरे रोम रोम में (लेखक- सुधा गोयल)

हिन्दी मेरे रोम-रोम में,

हिन्दी में मैं समाई हूँ,

हिन्दी की मैं पूजा करती,

हिन्दोस्तान की जान हूँ।

सबसे सुन्दर भाषा हिन्दी,

ज्यों दुल्हन के माथे बिन्दी,

सूर, जायसी, तुलसी कवियों की,

सरित-लेखनी से बही हिन्दी।

हिन्दी से पहचान हमारी,

बढ़ती इससे शान हमारी,

माँ की कोख से जाना जिसको,

माँ,बहना, सखि-सहेली हिन्दी।

निज भाषा पर गर्व जो करते,

छू लेते आसमाँ न डरते,

शत-शत प्रणाम सब उनको करते,

स्वाभिमान…..अभिमान है हिन्दी।

हिन्दी मेरे रोम-रोम में,

हिन्दी में मैं समाई हूँ,

हिन्दी की मैं पूजा करती,

हिन्दोस्तान की जान हूँ।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखिका सुधा गोयल जी द्वारा बताया जा रहा है कि किस तरह से हिंदी भाषा उनके रोम-रोम में बसी हुई हैं। लेखिका द्वारा कहा जा रहा है कि हिंदी भाषा सब सब कवियों की जान है और हिंदुस्तान की शान भी है। जिस तरह एक नई दुल्हन के माथे पर बिंदी सजती है उसी तरह हमारे लिए हिंदी भाषा सम्मान का तिलक है। हिंदी भाषा की पूजा करनी चाहिए। एक भारतीय का मान सम्मान,अभिमान, गर्व आदि हिंदी भाषा ही है।

39- Hindi Poems: जन जन की भाषा हैं हिंदी

जन-जन की भाषा है हिंदी

भारत की आशा है हिंदी

जिसने पूरे देश को जोड़े रखा है

वो मजबूत धागा है हिंद

हिन्दुस्तान की गौरवगाथा है हिंदी

एकता की अनुपम परम्परा है हिंदी

जिसके बिना हिन्द थम जाए

ऐसी जीवनरेखा है हिंदी

जिसने काल को जीत लिया है

ऐसी कालजयी भाषा है हिंदी

सरल शब्दों में कहा जाए तो

जीवन की परिभाषा है हिंदी।

कविता

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि जिस एक मज़बूत धागे ने पूरे संसार को जोड़ कर रखा है वह हिंदी भाषा है। अगर आप हिंदी बोलना ही छोड़ दे तो आपकी जीवन रेखा एकदम से थम जाएगी क्योंकि एकमात्र हिंदी भाषा ही दूसरों को आसानी से समझ आ जाती है। हमारे जीवन में हिंदी भाषा एक मजबूत स्तंभ की तरह है।

40- हिंदी से यह हिन्द बना है

हिंदी से यह हिन्द बना है,

हिंदी से यह हिन्दुस्तान।

हिंदी से तुम प्यार करो तो,

बढ़ जाएगी इसकी शान।

हिंदी भाषा सबसे न्यारी,

हिंदी भाषा सबसे प्यारी।

सह ली बहुत उपेक्षा इसने,

अब तो रख लो इसका मान।

हिंदी से यह हिन्द बना है,

हिंदी से यह हिन्दुस्तान।

आजाद हुए थे इसके बल पर,

शान मिली थी इसके बल पर।

बहुत हो गया बहुत सुन लिया,

अब ना हो इसका अपमान।।

हिंदी से यह हिन्द बना है,

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि हिंदी के प्रारंभ शब्द से हिंदू और हिंदुस्तान बना है तो ऐसे हिंदी भाषा से कोई क्यों ना प्यार करें। आजादी से पहले के समय में हिंदी भाषा ने जितनी अपेक्षाएं सही हैं उसके बाद सभी देशवासियों को उसका मान रखना चाहिए क्योंकि हिंदी ही सबसे प्यारी और न्यारी भाषा हैं। आजादी भी इसी के बल पर मिली थी और देश की शान भी इसी भाषा के कारण बढ़ी थी।

41- Hindi Poems: हिंदी को नमन

हिंदी है मेरी जुबान

हिंदी है मेरी पहचान

हिंदी है मेरा अभिमान

हिंदी है मेरा सम्मान

मेरी वाणी को दिया प्राण

दूर किया मेरा अज्ञान

आई समझ कर इसका पान

इसके ज्ञान दान से विद्वान

यह भारतीय काव्य सुगन्ध

इसके रस रस में परमानंद

सींचे प्रेम से मुक्तक छन्द

दूर कर मन की दुर्गन्ध

हैं बड़े धनी इसके संस्कार

भरपूर समाया इसमें प्यार

देखा मैंने इसमें संसार

यह बनी मेरा जीवन आधार

हिंदी को है अर्पण जीवन

रची बसी यह मेरे तन मन

सींचे जवानी सींचा बचपन

हिंदी को कोटि कोटि नमन

कविता

व्याख्या

कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कोटि-कोटि प्रणाम कर हिंदी भाषा को नमन किया जा रहा है। लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि हिंदी भाषा हमारी जुबान ही नहीं बल्कि हमारी पहचान भी है। हिंदी भाषा में हमारा अभिमान ही नहीं बल्कि हमारा सम्मान भी है। हिंदी भाषा के कारण कई विद्वानों ने अपने हुनर को दिखाते हुए कई सारी कविताओं का खूबसूरती के साथ वर्णन किया गया है। हिंदी भाषा हमारे लिए एक दर्पण की तरह है जो हमारा अस्तित्व हमें दिखाती हैं।

42- नीला रंग (लेखक- अंकुर मिश्र)

अगर कभी मैं खोज पाया नीला रंग 

तो वह आसमानी छतों और सागर की 

दरियों में नहीं होगा 

होगा वह क़लम से लहूलुहान काग़ज़ 

की रेखाओं में 

अगर यह भी न हुआ, 

मैं खोज निकालूँगा उसे अंतरात्मा की 

परछाइयों में। 

मैंने नील से कपड़े धोती 

माँ के हाथों में नीला रंग देखा है। 

मैंने देखी है नीली पतंगे, नीले पहाड़, 

नीले जंगल, 

और नीला कमल, नीला रक्त भी। 

काश! यही नीला रंग होता मेरी 

ज़िंदगी का।

Hindi Poems

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक अंकुर मिश्रा आसमान में फ़ैला हुआ नीले रंग के महत्व को बता रहे हैं कवि द्वारा कहा जा रहा है कि काश यह नीला रंग समुंदर के पानी कलम की स्याही और आसमान के बादलों में नहीं बल्कि मेरे हाथों की लकीरों में होता है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि हम सभी ने अपनी मां को नींद से कपड़े धोते हुए हमेशा देखा है काश इसी तरह यह नीला रंग हमारी जिंदगी में होता और खुशियां बिखेर देता।

43- उड़ान (लेखक- अंकुर मिश्र)

वीरान ख़्वाबों की नदी में छलाँग लगाओ 

तो पता चले काला किसको कहते हैं 

और किसको सफ़ेद 

पेड़ की छत पर देश बनाकर 

सूरज की पहली खिलखिलाती, तितली-सी 

किरण में 

चिड़िया की तरह चहचहाओ 

इमारतों के चारों ओर बेड़ियाँ डालकर 

दफ़ा 302 के तहत सज़ा-ए-मौत 

उड़ने की चाह सबसे सच्ची चाह है।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक अंकुर मिश्रा जी द्वारा कहा जा रहा है कि उड़ान भरने के बाद जब नीचे छलांग लगाई जाती है तो मनुष्य को पता चलता है कि काला किसे कहते हैं और सफेद किसे कहते हैं। हर मनुष्य अपनी जिंदगी में एक सफल उड़ान भरना चाहता है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि सच्ची उड़ान 302 लगने के बाद और सजा-ए-मौत का ऐलान होने के बाद भी जो चाह मन में होती है उड़ान भरने की सच्ची उड़ान उसे कहते हैं। सारे रास्ते बंद होने के बाद भी उड़ान भरने की उम्मीद ना छोड़ना ही सबसे बड़ी जीत है।

44- चाय पर चर्चा (लेखक- अंकिता आनंद)

बच्चे 

एक स्तब्ध चुप्पी में 

मेज़ पर चाय रख चले जाते हैं। 

उनके नेता कहते हैं 

बच्चों को ‘घर’ के कामों में 

हाथ बँटाना चाहिए 

चाय बेचने वाले बच्चे बड़े बन सकते हैं 

पर पहले ‘चाय-चाय’ 

चिल्लाना पड़ता है।

HIndi Poems

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक अंकिता आनंद द्वारा कहा जा रहा है कि कैसे एक चाय के होटल पर एक छोटा सा बच्चा चुप्पी साध कर मिस कर चाहे रख कर चला जाता है क्योंकि घर में सिखाया जाता है कि घर के कामों में बच्चों को हाथ बटाना चाहिए। चाय बेचने वाला बच्चा भी एक दिन तरक्की कर बड़ा बन सकता है लेकिन उस को सफल बनाने के लिए पहले उसको हिम्मत देखकर आगे बढ़ाया जाता है।

45- सिगरेट समीक्षा (लेखक- काका हाथरसी)

मिस्टर भैंसानंद का फूल रहा था पेट,

पीते थे दिन-रात में, दस पैकिट सिगरेट।

दस पैकिट सिगरेट डाक्टर गोयल आए

दिया लैक्चर तंबाकू के दोष बताए।

‘कैंसर हो जाता ज्यादा सिगरेट पीने से,

फिर तो मरना ही अच्छा लगता, जीने से।’

बोले भैंसानंद जी, लेकर एक डकार,

आप व्यर्थ ही हो रहे, परेशान सरकार।

परेशान सरकार, तर्क है रीता-थोता,

सिगरेटों में तंबाकू दस प्रतिशत होता।

बाकी नव्वै प्रतिशत लीद भरी जाती है,

इसीलिए तो जल्दी मौत नहीं आती है।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक काका हाथरसी द्वारा बताया जा रहा है कि सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि आधे से ज्यादा युवा आज के समय में धूम्रपान हद से ज्यादा करते हैं और उसके नुकसान बताने के बाद भी वह इस शौक को बड़े मजे ले लेकर पूरा करते हैं। कई बार टीवी में भी ऐड द्वारा लोगो को चेतावनी दी जाती है की सिगरेट पीने से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है।

46- Hindi Poems: त्याग और बलिदान

खोया था जिन सुहगिनो ने अपनी सुहागो को

वो सुहागन कितनी रोती होगी । 

खोया था जिन माँ ने अपने लालो को 

न जाने वो माँ कैसे सोती होगी।

खोया था जिन जनक ने अपने नंदन को, 

वो जनक का सहारा कौन होगा। 

खोया था जिन नंदन ने अपने जनक को, 

उस नंदन का सहारा कौन होगा। 

कैसे भूल सकते है उन सपूतों को, 

जिन्होंने अद्भुत शौर्य दिखलाई थी

माँ भारती के रक्षा खातिर 

पुलवामा में जान गवाई थी। 

कौन भुला सकता है उस दिन को, 

जब कायरो ने छुप कर वार किया

दिखायी थी अपनी ओछी हरकत

और मानवता को शर्मसार किया । 

चंचल मन थम जाता और आँखें नम हो जाती हैं, 

हादसा पुलवामा की जब याद आती है। 

आओ मिलकर नमन करे उन्हें, 

जो हमेशा के लिए सो गए

कल्पनिक प्रेम दिवस के दिन हमे, 

प्रेम की सच्ची परिभाषा दे गए।

HIndi Poems

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि कैसे देश की रक्षा करने वाले वीर सैनिक अपने जीवन का त्याग कर देश की रक्षा करने के लिए अपने प्राणों का बलिदान हंसते-हंसते दे देते हैं। नई नवेली सुहागन गर्व महसूस करते हुए अपनी मांग का सिंदूर रोते रोते पोछ देती है। देश की रक्षा करते करते शहीद हुए कई जवानों के परिवार वाले किस तरह से खुद को संभालते होंगे कैसे उनकी मां बाप ,भाई बहन और बच्चे हिम्मत जुटाते होंगे। अगर सच्चे प्रेम की मिसाल दी जाए तो सबसे पहले देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए वीर जवानों का ही नाम जुबां पर आता है, क्योंकि बिना स्वार्थ और अपना फायदा सोचे हमारे देश के युवा जवान अपने प्राणों को हंसते-हंसते त्याग देते हैं। लेकिन देश की शान और मान सम्मान को झुकने नहीं देते।

47- Hindi Poems: मैं मोबाइल हू

में मोबाइल हूं।

टेक्नोलॉजी ने मुझे बनाया है।।

अब चाहकर भी मुझे तुम खत्म नहीं कर सकते।

आखिर दीवाना जो बना दिया मैने तुम्हे ऐसे।।

लोगो के दिलो में मेने राज किया हैं।

मेरे बिना तुम अधूरे हो।।

यह मेने विश्वास दिलाया है।

अब दूर नहीं रह सकता कोई मुझसे।।

में काम ही करता हु ऐसे।

टाइम पास मैं करता।

लोगों के दिल को बहलाता।।

अपनो से बातें में करवाता।

दूर करने में भी हाथ हैं अपना।।

किसी ने मेरा सही उपयोग किया।

कोई मुझे समझ ही नहीं पाया।।

बस लोग करते रह गए अपना समय बर्बाद।

तो किसी ने लाखों कमाया।।

बिन मेरे अब इंसान रह नहीं सकता।

कुछ पल भी अब बीता नही सकता।।

दिन रात पड़े रहते जो मेरे अंदर।

रोशनी उनकी में छीन लेता।।

अच्छी अच्छी फ़ोटो खींचता।

वीडियो भी खूब बनाता।।

फिर हर किसी का अपना।

डाटा चुराने में कोई कसर नहीं छोड़ता।।

अच्छाइयां कूट कूट के भरी।

बुराइयों की भी नहीं, कोई कमी।।

उपयोग मेरा करके।

जिंदगी सवर भी सकती है।।

तो मेरे सैकड़ों नुकसान से।

बर्बाद भी हो सकती हैं।।

चार्जर के बिन में अधुरा हूं।

शाम सुबह मुझे फ्यूल चाहिए।।

हा मुझे बनाया ही ऐसा गया है।

चाहकर भी पीछा नहीं छुड़ाया जा सकता हैं।।

में मोबाइल हूं।

टेक्नोलॉजी ने मुझे बनाया है।।

अब चाहकर भी मुझे तुम खत्म नहीं कर सकते।

आखिर दीवाना जो बना दिया मैने तुम्हे ऐसे।।

में तुम्हारा अपना मोबाइल हूं,

मोबाइल हूं।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि किस तरह मोबाइल ने आज के समय में लोगों का अपना दीवाना कर दिया है। इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि लोग खाने के बिना रह सकते हैं लेकिन मोबाइल के बिना नहीं क्योंकि इसकी लव लाख लोगों को बुरी तरह लग चुकी है। मोबाइल का क्रेज़ केवल जवान या बूढ़ों में ही नहीं बच्चों में भी एक एडिक्शन की तरह फैल चुका है। बिना मोबाइल के बच्चे खाना तक खाना पसंद नहीं करते। जिस तरह से मोबाइल टाइमपास करने और घंटों समय बर्बाद करने में काम आता है लेकिन कुछ समझदार व्यक्ति इसी मोबाइल के माध्यम से अपने समय का सही इस्तेमाल करके लाखों रुपए भी कमाते हैं। आने वाले समय में लोग चाह कर भी मोबाइल से पीछा नहीं छुड़ा सकते हैं। बढ़ते समय के साथ लोगों में इसकी चाह भी बढ़ती ही जा रही हैं। मोबाइल के कारण आज अपने अपनों अपनों से दूर हैं लेकिन इसी मोबाइल के कारण जो अपने विदेश में बैठे हैं उनसे हम रोज बात कर सकते हैं और उन्हें देख सकते हैं। जिस तरह से मोबाइल का सही यूज़ करके हम अपनी जिंदगी बना सकते हैं उसी तरह हम उस मोबाइल का गलत यूज़ करके अपनी जिंदगी बिगाड़ दे सकते हैं। यह यह आपके हाथ में हैं कि आपको अपनी जिंदगी सफल बनानी है या फिर अपना टाइम मोबाइल में बर्बाद करना है।

48- वो बातें मेरे ही जेहन में सब दबी निकली

वो बता रही है एक बात ना नई निकली,

जो उसने कहा वो सब बात ही कही निकली।

सुनाता सुना अगर मैं कहीं गलत होता हूं,

मानो क्यों में कोई कमी निकली!

जो शक था मेरा मेरे वो भी सामने आया,

खुशी हुई कि मेरी उलझने सही निकली।

मुझे तलाश थी जिस चीज की जमाने में,

वो चीज मेरे ही बेली में तब छुपी निकली।

झुकना चाहा तो वो याद फिर बहुत आयीं,

वो बातें मेरे ही जेहन में सब दबी निकली।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि उनके साथी के मुंह से कोई भी बात नई नहीं निकली बल्कि पुरानी बातें उनके जहन में आज भी दबी हुई निकली। साथी द्वारा कहा जा रहा है कि बात करते-करते अगर मुझसे कोई बात गलत निकल जाए तो उसे तुरंत ही मान लेना चाहिए ना कि उस पर बहस करनी चाहिए। साथी द्वारा कहा जा रहा है कि मन में जो उलझन थी वह सारी उलझन है बात करके दूर हो गई। कई बार रिश्ता बचाने के लिए अगर आपको झुकना पड़ जाए तो वहां झुक जाना चाहिए क्योंकि वहां आप जिंदगी की पहली जंग जीत जाते हैं।

49- किसान (लेखक- प्रीति शर्मा )

किसानों की बातें क्या कहूँ

तुम बिना कहे ही समझो कभी।

मैं ही हमेशा क्यों कहूं

बातें तुम भी कहदो कभी।

हमेशा मैं ही क्यों मनाऊ

तुम भी मुझे मनाओ कभी।

जो रूठ जाउ आशंका तो

तुम भी हक़ जाताओ कभी।

जो गलत करू मैं तो

तुम भी मुझे समझाओ कभी।

तेज -झोके तो चलते

पर रहने के लिए ना जाएँ कभी।

Hindi Poems

व्याख्या

कविता के माध्यम से लेखक प्रीति शर्मा जी द्वारा कहा जा रहा है कि किसानों की दुर्दशा देखकर उनकी बातें बिना कहे ही समझ लेनी चाहिए। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि गलत होने पर समझाना चाहिए और किसी की मजबूरी बिना उसके कहे समझ लेनी चाहिए और उसकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

50- Hindi Poems: रिश्ता (लेखक- शीतल दुबे)

जरूरी नहीं हर रिश्ता प्यार का ही हो

कुछ रिश्ते अपनेपन और एहसास के भी होते हैं।

जरूरी नहीं हर रिश्ते में जीत या हार हो

कुछ रिश्ते समर्पण के भी होते हैं।

जरूरी नहीं हर रिश्ते में कुछ पाना या खोना ही हो

कुछ रिश्ते त्याग के भी होते हैं।

जरुरी नहीं हर रिश्ता पास रहकर ही निभाना हो

कुछ रिश्ते दूर रहकर भी निभाने होते हैं।

जरूरी सहीं हर रिश्ते का आधार आपस में एक दूसरे से कुछ लेना देना ही हो

कुछ रिश्ते बिना स्वार्थ, बिना लेन देन के भी होते हैं

हर रिश्ते की अपनी खूबसूरती और जज्बात है।

बस ये जानकर ही उन्हें निभाने होते हैं।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक शीतल दुबे द्वारा कहा जा रहा है कि रिश्ता केवल प्यार पर ही नहीं बल्कि अपने पर और एहसास का भी होता है। किसी भी रिश्ते में हार-जीत मायने नहीं रखती कुछ रिश्ते समर्पण की नीव पर भी टिके रहते हैं। द्वारा कहा जा रहा है कि रिश्ते केवल एक दूसरे के साथ और पास रहकर नहीं बल्कि दूर रहकर भी निभाए जा सकते हैं। रिश्ता हमेशा बिना स्वार्थ बिना लेनदेन के निभाना चाहिए क्योंकि ऐसे रिश्ते खूबसूरती और जज्बात के साथ पूरे मन से निभाए जाते हैं। रिश्ता कोई भी हो उन्हें प्यार के साथ सीखना चाहिए जोर जबरदस्ती से नहीं।

51- हर वक्त प्यार जताऊ जरूरी तो नहीं

लिख देता हूं अपने जज्बातों को कविता में,

हर बात बोल के बताऊं जरूरी तो नहीं।

माना मुझसे भी होती है गलतियां,

पर तुम्हारी गलतियों पर भी मै ही मनाऊ जरूरी तो नहीं।

बहुत वक्त हो गया है तुमसे बात किए शायद भूल चुके हो अब मुझे,

पर मै भी तुम्हे भूल जाऊ जरूरी तो नहीं।

तुम क्यों नहीं समझते बेइंतहा मोहब्बत है तुमसे,

पर हर वक्त प्यार जताऊ जरूरी तो नहीं।

बहुत किया था तुमने भी मोहब्बत हमसे,

पर हमारी इश्क़ की कहानियां सबको सुनाऊ जरूरी तो नहीं।

मै जानता हूं अब खुश हो किसी और के साथ,

पर मै भी तुम्हारी जगह किसी और को लाऊ जरूरी तो नहीं।

Hindi Poems

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि हर वक्त प्यार जताना जरूरी नहीं बल्कि जज्बात और एहसास से भी प्यार जताया जा सकता है। बिना बोले एक दूसरे की बात समझ लेना भी प्यार जताने का खूबसूरत तरीका है। गलतियां सबसे होती है लेकिन तुम्हारी गलतियों के लिए भी मैं ही तुम्हें मनाऊं यह जरूरी नहीं। कभी द्वारा कहा जा रहा है कि कभी-कभी बिना बोले भी अपने साथी के प्रेम को समझ लेना चाहिए जरूरी नहीं कि सबके सामने अपना प्रेम और अपनी भावना जताई जाए। अगर आपका साथी किसी दूसरे के साथ कुछ है तो जरूरी नहीं कि आप उसकी जगह दूसरे को ले आए।

आज हम आपके लिए हिंदी भाषा पर प्रसारित कुछ दिलचस्प और मजेदार कविताएं लेकर आए हैं उम्मीद करते हैं कि आपको इन कविताओं को पढ़कर हिंदी भाषा की अहमियत का एहसास अवश्य ही हुआ होगा। हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी कुछ चुनिंदा कविताएं अवश्य ही पसंद आई होंगी। आगे भी हम आपके लिए इसी तरह आपकी मनपसंद कविताएं लेकर आते रहेंगे।

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