Skip to content

Poems For All Things

There is a poem for all things!

Menu
  • TECHNOLOGY
  • EDUCATION
  • BUSINESS
  • FINANCE
  • ENTERTAINMENT
  • MORE
    • Health
    • LIFE STYLE
    • TRAVEL
    • HOME IMPROVEMENT
    • DIGITAL MARKETING
  • Contact Us
  • About Us
Menu

Desh Bhakti Kavita in Hindi: देश-भक्ति कविताएँ

Posted on June 6, 2023October 9, 2023 by ANDREW

Desh Bhakti Kavita in Hindi: हेलो दोस्तों आज हम आपके लिए अपने इस लेख के माध्यम से बहुत ही प्रसिद्ध और दिलचस्प देशभक्ति कविताएं लेकर आए हैं। जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि देश की आजादी और मातृभूमि की रक्षा के लिए ना जाने कितने जवानों और बहादुर आत्माओं ने अपने प्राण त्याग दिए। ना जाने कितने माओ ने अपनी संतानों को इस देश के लिए समर्पित कर दिया। आज का लेख हम उन वीर जवानो को समर्पित करते हैं जिन्होंने देश की रक्षा करते करते अपना बलिदान दे दिया। कृपया हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।

Table of Contents

Toggle
  • 1- न चाहूँ मान दुनिया में (लेखक – राम प्रसाद बिस्मिल)
  • 2- घायल हिन्दुस्तान (लेखक – हरिवंशराय बच्चन)
  • 3- Desh Bhakti Kavita in Hindi: हे मातृभूमि (लेखक-रामप्रसाद बिस्मिल)
  • 4- कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे (लेखक -अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ)
  • 5- Desh Bhakti Kavita in Hindi: इस देश से ही मेरी पहचान है
  • 6- यूं तो एक चिंगारी
  • 7- Desh Bhakti Kavita in Hindi: देश की रक्षा
  • 8-जय जय प्यारा, जग से न्यारा (लेखक – श्रीधर पाठक)
  • 9- भारत तुझ से मेरा नाम
  • 10- सोने की चिड़िया भारत (लेखक – राजेंद्र किशन)
  • 11- Desh Bhakti Kavita in Hindi: यह उन दिनों की बात थी
  • 12- Desh Bhakti Kavita in Hindi: जमीन को अपनी मां
  • 13- Desh Bhakti Kavita in Hindi: किसी गजरे की खुशबू को महकता छोड़ आया हूँ
  • 14-भारत देश हमारा है यह हमको जान से प्यारा है।
  • 15- भारत मां की लाज ना बिकने देंगे
  • 16- Desh Bhakti Kavita in Hindi: काश मेरी जिंदगी मे सरहद की कोइ शाम आए
  • 17- Desh Bhakti Kavita in Hindi: तीन रंग का नही वस्त्र ये ध्वज देश की शान
  • 18- लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा
  • 19- जय हिन्दुस्तान जय जवान
  • 20- Desh Bhakti Kavita in Hindi: भारत भूमि हमारी
  • 21- लड़े जंग वीरों की तरह
  • 22- बस इतनी बात हवाओ को बताये रखना
  • 23- Desh Bhakti Kavita in Hindi: खुशनसीब है वो लोग
  • 24- Desh Bhakti Kavita in Hindi: देश प्रेमी
  • 25- Desh Bhakti Kavita in Hindi: जय हिन्द
  • 26- Desh Bhakti Kavita in Hindi: मेरी पहचान
  • 27- जिसका ताज हिमालय
  • 28- यही ख्वाहिश खुदा हर जन्म हिन्दुस्तान वतन देना
  • 29- न मस्जिद को जानते हैं, न शिवालों को जानते हैं
  • 30- वतन हमारा मिसाल मोहब्बत की
  • 31- मेरा वतन वही है 
  • 32-धरती है बलिदान की
  • 33- सरफरोशी की तमन्ना (लेखक बिस्मिल अजीमाबादी)

1- न चाहूँ मान दुनिया में (लेखक – राम प्रसाद बिस्मिल)

न चाहूँ मान दुनिया में, न चाहूँ स्वर्ग को जाना

मुझे वर दे यही माता रहूँ भारत पे दीवाना

करुँ मैं कौम की सेवा पडे़ चाहे करोड़ों दुख

अगर फ़िर जन्म लूँ आकर तो भारत में ही हो आना

लगा रहे प्रेम हिन्दी में, पढूँ हिन्दी लिखुँ हिन्दी

चलन हिन्दी चलूँ, हिन्दी पहरना, ओढना खाना

भवन में रोशनी मेरे रहे हिन्दी चिरागों की

स्वदेशी ही रहे बाजा, बजाना, राग का गाना

लगें इस देश के ही अर्थ मेरे धर्म, विद्या, धन

करुँ मैं प्राण तक अर्पण यही प्रण सत्य है ठाना

नहीं कुछ गैर-मुमकिन है जो चाहो दिल से “बिस्मिल” तुम

उठा लो देश हाथों पर न समझो अपना बेगाना।

Desh Bhakti Kavita in Hindi

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक राम प्रसाद बिस्मिल जी द्वारा कहा जा रहा है कि यदि अगर भगवान एक बार और जीवन दान देता है तो वह अपना जीवन देश की सेवा और रक्षा में अर्पित करना चाहते हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि उसे भगवान से किसी प्रकार की चाह नहीं है मैं सिर्फ इतना चाहते हैं कि जीवन में अगर करोड़ों दुख भी आ जाए तब भी वह अपने देश की रक्षा करेंगे। कवि द्वारा यह प्रण लिया गया है कि देश की रक्षा के लिए अपने प्राण तक अर्पण करने को तैयार है। यदि आप भारत के निवासी हैं तो हमें भी इसी तरह देश की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। देश पर आने वाली विपत्तियों का सामना करना चाहिए।

2- घायल हिन्दुस्तान (लेखक – हरिवंशराय बच्चन)

मुझको है विश्वास किसी दिन

घायल हिंदुस्तान उठेगा।

दबी हुई दुबकी बैठी हैं

कलरवकारी चार दिशाएँ,

ठगी हुई, ठिठकी-सी लगतीं

नभ की चिर गतिमान हवाएँ,

अंबर के आनन के ऊपर

एक मुर्दनी-सी छाई है,

एक उदासी में डूबी हैं

तृण-तरुवर-पल्लव-लतिकाएँ;

आंधी के पहले देखा है

कभी प्रकृति का निश्चल चेहरा?

इस निश्चलता के अंदर से

ही भीषण तूफान उठेगा।

मुझको है विश्वास किसी दिन

घायल हिंदुस्तान उठेगा।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा बताया जा रहा है कि देशभर चाहे कितनी भी विपत्ति क्यों ना हो जाए लेकिन घायल होने के बाद भी देश के जवान देश की रक्षा के लिए पीछे नहीं हटेंगे। भले ही देश की रक्षा करते करते हैं शक्ति कम पड़ जाए लेकिन आत्मविश्वास कम नहीं होना चाहिए। अगर खुद पर कुछ कर जाने का आत्मविश्वास हो तो बड़ी बड़ी विपत्तियों का सामना पल भर में कर लिया जाता है।

3- Desh Bhakti Kavita in Hindi: हे मातृभूमि (लेखक-रामप्रसाद बिस्मिल)

हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में सिर नवाऊँ

मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ ।

माथे पे तू हो चन्दन, छाती पे तू हो माला

जिह्वा पे गीत तू हो, तेरा ही नाम गाऊँ ।

जिससे सपूत उपजें, श्रीराम-कृष्ण जैसे

उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ ।

माई समुद्र जिसकी पदरज को नित्य धोकर

करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊँ ।

सेवा में तेरी माता ! मैं भेदभाव तजकर

वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनूँ सुनाऊँ ।

तेरे ही काम आऊँ, तेरा ही मन्त्र गाऊँ

मन और देह तुझ पर बलिदान मैं चढ़ाऊँ।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक राम प्रसाद बिस्मिल जी द्वारा बताया जा रहा है कि भगवान की बाद वह अपना जीवन देश की रक्षा करते करते हैं अर्पण करना चाहते हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि एक हिंदुस्तानी के लिए देश की रक्षा करते करते अपने प्राण त्याग देना बड़े ही सम्मान की और गौरव की बात है। माथे पर देश के नाम का चंदन और गले में गर्व की माला पहनना और जुबां पर देशभक्ति गीत किसी खूबसूरत एहसास से कम नही है। किसी भी देशभक्त के लिए मातृभूमि की रक्षा करते करते मर मिट जाना आसान नहीं होता लेकिन देश के प्रति फर्ज भी निभाना पड़ता है।

4- कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे (लेखक -अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ)

कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,

आज़ाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे।

हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से,

तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे।

बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,

चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे।

परवा नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की,

है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे।

उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे,

तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे।

सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका,

चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे।

दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं,

ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे।

मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम,

आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे।

व्याख्या

कविता के माध्यम से लेखक अशफाक उल्ला खान जी द्वारा कहा जा रहा है कि देश को आजाद कराने के लिए अब सर कटाने के लिए अपनी कमर कस लो क्योंकि देश के प्रति अपना फर्ज निभाने की बारी अब हमारी हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि किसी भी हाल में पीछे नहीं हटना है। शस्त्र ना होते हुए भी अपने कदम पीछे नहीं खींचने बल्कि साहस के साथ आगे बढ़ना है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि हमारे एक कदम आगे बढ़ाने से हजारों कदम आगे बढ़ जायेंगे बस हमें डरना नहीं है। कवि द्वारा बड़े ही आत्मविश्वास के साथ कहा जा रहा है कि दुश्मन अगर तलवार उठाए तो तुम सर झुका दो और अगर गोली मारे तो सीना अड़ा दो बस दुश्मन के सामने किसी भी हाल में झुकना नहीं है।

5- Desh Bhakti Kavita in Hindi: इस देश से ही मेरी पहचान है

इस देश से ही मेरी पहचान है

यही मेरा दिल यही मेरी जान है

है यह मेरा भारत जो कि महान है

यहां रहती हर कौम रहते पठान हैं

हां यह मेरा हिंदुस्तान है

लड़ते हैं सुबह एक होते हर शाम हैं

उगती हर फसल उगते यहां धान है

तभी तो मेरा भारत देश महान है

हां यह मेरा हिंदुस्तान है

कोई आंख उठा कर देखे भी तो कैसे

इसकी रक्षा में खड़े हर नौजवान है

हां यह मेरा हिंदुस्तान है।

Desh Bhakti Kavita in Hindi

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि हमें गर्व होना चाहिए कि हम भारत देश के निवासी हैं। यह भारत देश हमारी जान और शान है। हमारे भारत में आपको हर तरह के कौम के लोग मिलते हैं जो एक दूसरे को गले लगाकर भाईचारे की मिसाल कायम करते हैं। देश बुरी नजर डालने वाले लोगों से रक्षा करने के लिए हमारे देश के नौजवान 24 घंटे बिना अपनी जान की परवाह किए तत्पर रहते हैं। हम अपने घरों में चैन से रहते हैं क्योंकि देश के नौजवान सरहद पार हमारे देश की रक्षा करते हैं।

6- यूं तो एक चिंगारी

यूं तो एक चिंगारी

मंगल पांडे ने सुनवाई थी

यह अलग बात है

उन्होंने सफलता नहीं पाई थी

पर हां अन्याय के खिलाफ

आवाज तो उठाई थी

झांसी की रानी भी

रण क्षेत्र में उतर आई थी

माना दामोदर को इंसाफ

नहीं दिला पाई थी

ना जाने कितने शहीदों ने

जान अपनी गवाही थी

माना हमें 1857 में

आजादी नहीं मिल पाई थी

पर हां एक शमा तो

उम्मीद की उन्होंने जलाई थी

यह अलग बात है कि

कुछ गद्दारों ने ही छुरी चलाई थी

पर आज हम आजाद हैं

यह उस शमा से ही रोशनी आई थी।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि आजादी की लड़ाई मंगल पांडे ने शुरू की थी वो वह अलग बात है कि उन्हें सफलता नहीं मिल पाई थी। देश को आजाद कराने की चिंगारी लोगों में उन्होंने ही मर गई थी। इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि बस 1857 में ही आजादी मिल जाती अगर कुछ गद्दार पीठ पीछे वार ना करते तो। लेकिन देर से ही सही पर देश को आजादी मिली और देश आजाद हुआ। एक छोटी सी भड़काई गई चिंगारी के कारण आज देश में रोशनी है और हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी के चुंगल से आजाद हैं।

7- Desh Bhakti Kavita in Hindi: देश की रक्षा

देश की रक्षा करने में

जो न सोते हैं दिन रात

वह सरहद के पहरेदार

न मानते हैं कभी हार

देश के लिए अपना घर छोड़

वीरान जगह पर रहते हैं

कड़ी धूप हो या ठंड

हर मुश्किल को सहते हैं

दुश्मनों से लड़कर

आगे हमेशा बढ़ते हैं

तूफानों से हार मान कर

कभी नहीं हटते हैं

देश के लिए अपनी जान

तक की परवाह ना करते हैं

सरहद पर देश की रक्षा करके

गोली सीने पर खाकर मरते हैं

भारत माता की रक्षा करना

हमेशा उनका अभिमान है

भारत माता के लाडलो को

दिल से हमारा सलाम है।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा उन वीर जवानों को कोटि-कोटि प्रणाम किया जा रहा है जो अपनी जान की परवाह किए बिना सरहद पार देश की रक्षा करने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं। देश के नौजवान अपना घर छोड़कर वीरान जंगलों में देश की रक्षा करते हैं और कभी हारना मानकर बिना स्वार्थ के देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाते हैं। बारिश में, कड़कती सर्दी में और तपती धूप में बिना हार माने देश की रक्षा करते करते हैं अपने प्राण त्याग देते हैं और अपनी मातृभूमि के लिए अपनी जान की आहुति हंसते-हंसते दे देते हैं। यह बहादुर नौजवान हमारे देश के अभिमान, गौरव सम्मान और गर्व का तिलक है और दिल से शुक्रगुजार हैं और सलाम करते हैं ऐसे नौजवानों को।

8-जय जय प्यारा, जग से न्यारा (लेखक – श्रीधर पाठक)

जय जय प्यारा, जग से न्यारा,

शोभित सारा, देश हमारा,

जगत-मुकुट, जगदीश दुलारा

जग-सौभाग्य सुदेश!

जय जय प्यारा भारत देश।

प्यारा देश, जय देशेश,

जय अशेष, सदस्य विशेष,

जहाँ न संभव अध का लेश,

केवल पुण्य प्रवेश।

जय जय प्यारा भारत देश।

स्वर्गिक शीश-फूल पृथ्वी का,

प्रेम मूल, प्रिय लोकत्रयी का,

सुललित प्रकृति नटी का टीका

ज्यों निशि का राकेश।

जय जय प्यारा भारत देश।

जय जय शुभ्र हिमाचल शृंगा

कलरव-निरत कलोलिनी गंगा

भानु प्रताप-चमत्कृत अंगा,

तेज पुंज तपवेश।

जय जय प्यारा भारत देश।

जगमें कोटि-कोटि जुग जीवें,

जीवन-सुलभ अमी-रस पीवे,

सुखद वितान सुकृत का सीवे,

रहे स्वतंत्र हमेश

जय जय प्यारा भारत देश।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक श्रीधर पाठक जी द्वारा देश की प्रशंसा की जा रही है और कहां जा रहा है कि हमें गर्व है कि हम भारत में जन्मे हैं। सबसे प्यारा और सबसे न्यारा हमारा भारत देश है। जहां हर त्यौहार हिंदू,मुस्लिम, सिख और ईसाई एक साथ बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। जहां किसी को किसी के धर्म से किसी की कौन से फर्क नहीं पड़ता फर्क पड़ता है तो सिर्फ एक होने से। इस भारत देश में हमने कई बहादुर और शुरवीरो को मातृभूमि की रक्षा करते हुए देखा है। आज भी देश के जवान केवल देश की ही नहीं बल्कि हमारी भी रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

9- भारत तुझ से मेरा नाम

भारत तुझसे मेरा नाम है

भारत तुझसे मेरा नाम है,

भारत तू ही मेरा धाम है।

भारत मेरी शोभा शान है,

भारत मेरा तीर्थ स्थान है।

भारत तू मेरा सम्मान है,

भारत तू मेरा अभिमान है।

भारत तू धर्मो का ताज है,

भारत तू सबका समाज है।

भारत तुझमें गीता सार है,

भारत तू अमृत की धार है।

भारत तू गुरुओं का देश है,

भारत तुझमें सुख सन्देश है।

भारत जबतक ये जीवन है,

भारत तुझको ही अर्पण है।

भारत तू मेरा आधार है,

भारत मुझको तुझसे प्यार है।

भारत तुझपे जा निसार है,

भारत तुझको नमस्कार है।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से द्वारा बताया जा रहा है कि हमारे लिए बड़े ही गर्व की बात है कि हम भारत के निवासी हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि भारत धर्मों का ताज, सबका समाज, गीता का सार, अमृत की धार, गुरुओं का देश, एक मनुष्य की पहचान, गर्व का सम्मान यह सब आपको केवल भारत में ही मिलेगा और किसी देश में नहीं। कवि द्वारा भारत देश को कोटि-कोटि प्रणाम किया जा रहा है और देश पर अपनी जान निसार करने की बात कही जा रही है।

10- सोने की चिड़िया भारत (लेखक – राजेंद्र किशन)

जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा।

वो भारत देश है मेरा।

जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा।

वो भारत देश है मेरा।

ये धरती वो जहाँ ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम की माला।

जहाँ हर बालक एक मोहन है और राधा हर एक बाला।

जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा।

वो भारत देश है मेरा।

अलबेलों की इस धरती के त्योहार भी हैं अलबेले।

कहीं दीवाली की जगमग है कहीं हैं होली के मेले।

जहाँ राग रंग और हँसी खुशी का चारों ओर है घेरा।

वो भारत देश है मेरा।

जब आसमान से बातें करते मंदिर और शिवाले।

जहाँ किसी नगर में किसी द्वार पर कोई न ताला डाले।

प्रेम की बंसी जहाँ बजाता है ये शाम सवेरा।

वो भारत देश है मेरा।

Desh Bhakti Kavita in Hindi

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक राजेंद्र किशन जी द्वारा कहा जा रहा है कि भारत को सोने की चिड़िया के खिताब से नवाजा गया है। आपने आप ने यह बहुत बड़ा सम्मान है। देश हमेशा सत्य का साथ देकर अहिंसा के विरुद्ध खड़ा होता है ऐसा भारत देश है मेरा। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि भारत देश में मनाए जाने वाले त्योहार भी बड़े ही अलबेले होते हैं जहां एक और दिवाली की जगमग वहीं दूसरी ओर ईद का मेला लोगों को एक दूसरे के करीब ले आता है। अपने भगवान के प्रति लोगों की अटूट निष्ठा और समर्पण की भावना केवल भारत देश में ही देखने को मिलती है।

11- Desh Bhakti Kavita in Hindi: यह उन दिनों की बात थी

यह उन दिनों की बात थी,

चुनौतियों से भरी हर रात थी।

जब वीर जवानों ने हमारे

यह संदेश भिजवाया था।

शहीद होकर अमर हो गए

और देश आजाद करवाया था।

हां, यह देश गुलजार है,

हवा में इसके प्यार है।

छोटे बड़े सब अपने हैं,

खुली आंखों में भी सपने हैं।

हर परिंदा आजाद है,

सभी भाषाओं का अनुवाद है।

हर बूंद में प्यास है,

हर रस्मे मिठास है।

रंगमंच है खुशियों का,

और भविष्य का भी अंजाम है।

ज्यादा या थोड़ा ही सहीपर

हर दिल में मौजूद कलाम है।

व्याख्या

कविता के माध्यम से लेखक द्वारा देश आजाद होने से पहले के बारे में बताया जा रहा है। जब देश की रक्षा करते करते हैं हमारे जवान शहीद हो गए थे और हमारी रातें चुनौतियों से परिपूर्ण होती थी। आज उन शुरवीरों के बलिदान के कारण ही हम आजाद देश के निवासी हैं। आज हमारा देश इसलिए गुलजार और प्यारा है क्योंकि सब खुलकर जीते हैं और यह सब हमारे शहीदों के ही देन है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि आज हमारे देश की मिट्टी मिट्टी में मिठास है और छोटा बड़ा खुलकर अपनी जिंदगी को जीता है यह सब हमें एक सौगात के रूप में दिया गया है कि आज हम आजाद देश में निवास करते हैं और अपने पंख फैला कर जीते हैं।

12- Desh Bhakti Kavita in Hindi: जमीन को अपनी मां

जमीन को अपनी मां और

पिता को गगन कहते हैं।

देश की खातिर

हर मुश्किल को सहते हैं।

सीमाओं की सुरक्षा करके

हिफाजत की है हमारी।

त्याग समर्पण साहस

उनके संस्कारों में बहते हैं।

परिस्थितियां हो कैसी भी

कर्तव्य का पालन करते हैं।

दुश्मनों को धूल चटाने

तान के सीना खड़े रहते हैं।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि सरहद पार देश की रक्षा करने वाला एक सिपाही हमारी धरती को अपनी मां और गगन को अपना पिता मानता है। देश के खातिर हमारे बहादुर सिपाही सर्दी, गर्मी और बारिश हर मुश्किल सहते हैं और हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं। त्याग, समर्पण और साहस जिन लोगों में होता है केवल वही हमारे देश की रक्षा करने के लिए आगे आते हैं यह हर किसी के बस की बात नहीं। हर परिस्थिति में अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए दुश्मनों के सामने सीना तान कर खड़े रहते हैं और हमारी और धरती मां की चौबीस घंटे रक्षा करते हैं।

13- Desh Bhakti Kavita in Hindi: किसी गजरे की खुशबू को महकता छोड़ आया हूँ

किसी गजरे की खुशबू को महकता छोड़ आया हूँ,

मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ,

मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ,

मे अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से जब एक सिपाही देश की रक्षा करने के लिए अपने घर से निकलता है, तो वह अपनी छोटी सी नन्ही सी चिड़िया को रोता हुआ छोड़ कर जाता है। अपनी मां को तरसता छोड़कर भारत मां की रक्षा करने का प्रण लेता है और यही उसका परम कर्तव्य होता है।

14-भारत देश हमारा है यह हमको जान से प्यारा है।

भारत देश हमारा है यह हमको जान से प्यारा है

दुनिया में सबसे प्यारा यह आखो का तारा हमारा।

मोती है इसके कण कण में बूंद बूंद में सागर है

प्रहरी बना हिमालय बैठा धरा सोने की घागर है।

भूमि ये वीर जवानो की है वीरो की बलिदानो की

रत्नो के भंडार भरे है गाथा स्वामीण खानो की ।

सत्य अहिंसा शांति बाटना इसकी शान तिरंगा है

कोटि कोटि भारत वालो को सुन्दर सा यह नंदन।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि यह भारत देश हमारा है और हमें जान से भी प्यारा और अज़ीज़ है। हमारा भारत हमारी आंखों का तारा है और हम कामना करते हैं की ऐसे ही यह देश जगमगाता रहे। हमारा आजाद भारत हमारे वीर जवानों की देन है और उनके बलिदान के कारण ही हम पंख खोल कर अपना जीवन जीते हैं। हमारा भारत अपने की खान से कम नही है क्योंकि इसके कण कण में मोती और बूंद बूंद सागर है।

15- भारत मां की लाज ना बिकने देंगे

भारत मां की लाज ना बिकने देंगे

गद्दारों को अपने देश में ना रुकने देंगे।

सर कटा देंगे देश की खातिर मगर

देश के तिरंगे को कभी ना झुकने देंगे।

Desh Bhakti Kavita in Hindi

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि भारत के प्रत्येक नागरिक का परम कर्तव्य है कि तारों से अपने देश की रक्षा करें और अपनी भारत मां की लाज को बनाए रखें। जवानों की तरह देश के लिए सर कटाना बड़े ही सम्मान की बात है और यह सम्मान नसीब वालों को मिलता है।

16- Desh Bhakti Kavita in Hindi: काश मेरी जिंदगी मे सरहद की कोइ शाम आए

काश मेरी जिंदगी मे सरहद की कोइ शाम आए

मेरी जिंदगी मेरे वतन के काम आए ना खौफ है।

मौत का ना आरजु है जन्नत की लेकीन जब कभी

जीक्र हो शहीदी का काश मेरा भी नाम आए।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि हमारी जिंदगी हमारे वतन के काम आना बड़े ही गर्व की बात है और हम कामना करते हैं कि हमारी जिंदगी में इस गर्व की कोई शाम अवश्य आएगी। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि न मौत का डर है और न जन्नत की ख्वाहिश बस शहीदों में नाम आने की ख्वाहिश है वहीं सबसे बड़ी जन्नत है।

17- Desh Bhakti Kavita in Hindi: तीन रंग का नही वस्त्र ये ध्वज देश की शान

तीन रंग का नही वस्त्र ये ध्वज देश की शान है,

हर भारतीय के दिलो का स्वाभिमान है।

यही है गंगा यही है हिमालय यही हिन्द की जान है,

और तीन रंगों में रंगा हुआ ये अपना हिन्दुस्तान है।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि तीन रंग का देश का झंडा केवल एक झंडा नहीं बल्कि हमारे देश की शान है, और हर भारतीय के दिल का स्वाभिमान है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि गंगा और हिमालय यही है,इसलिए यह हिंद की जान है।

18- लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा

लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा

मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लाऐगा।

मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे मेरा कि

मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा।

व्याख्या

इस के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि देश की पी के समय बहाए गए लहू के एक एक कतरे से ना जाने कितने बहादुर नौजवानों का सैलाब आया था। आज हमारा आजाद भारत उन बहादुर वीरों के बलिदान से ही है।

19- जय हिन्दुस्तान जय जवान

आओ देश का सम्मान करे,

शहीदो की शहादत याद करे।

जो कुर्वान हो गए मेरे देश पर,

उन्हें सर झुका कर सलाम करे,

जय हिन्दुस्तान जय जवान।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि आओ एक बार अपने आजाद देश का सम्मान करें और अपने उन शहीदों की शहादत को याद करें और उनकी याद में दो आंसू बहाए। देश के लिए कुर्बान हुए वीरो को अपना सर झुका कर सलाम और सम्मान करें। जय जवान और जय हिंदुस्तान करें।

20- Desh Bhakti Kavita in Hindi: भारत भूमि हमारी

मिटटी की खुशबू आषा़ढ में

यहां प्रकृति का प्रेम दिखती,

फस़ले फिर आह्ला़दित होकर

प्रकृति प्रेम का गी़त सुनाती।

ऩदियों की क़ल क़ल धाराये

कितने नांद यहां बिख़राये

और संस्कृति के मूल्यो ने

कितने भाव यहां सुलझा़ये।

यहां भाव़ विस्तार अनो़खे

कि़तने लोग यहां चल आये..

सद्भा़व यहाँ समभा़व यहा ,

करु़णा ,शांति मिलाप़ यहा

भारत भूमि हमारी

भारत भू़मि हमारी।

Desh Bhakti Kavita in Hindi

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहां जा रहा है कि हमारे देश की मिट्टी की खुशबू आषाढ़ में है जहां प्रकृति का प्रेम दिखता है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि हमारे देश की फसलें प्रकृति गीत सुनाती हैं और लहलाहाती आती हैं। हमारे देश में नदियां की धाराएं बह कर एक जगह मिलती हैं और संस्कृति के मूल्यों का उदाहरण बनती हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि करुणा और शांति का मिलन आपको हमारे भारत देश में देखने को मिलेगा क्योंकि भारत हमारी भूमि है।

21- लड़े जंग वीरों की तरह

लड़े जंग वीरों की तरह,

जब खून खौल फौलाद हुआ।

मरते दम तक डटे रहे वो,

तब ही तो देश आजाद हुआ।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि जब किसी मां के लाल का खून खोलकर फौलाद बना और वह वीरों की तरह मरते दम तक जंग लड़ा तब कहीं जाकर हमारे देश को आजादी मिली।

22- बस इतनी बात हवाओ को बताये रखना

बस इतनी बात हवाओ को बताये रखना

होगी रौशनी चिरागों को जलाये रखना।

लहूँ देकर खरीदी है ये आजादी हम ने

मेरे प्यारे तिरंगे को सीने से लगाये रखना।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि जब तेज आंधी और तूफान आते हैं तो अपने हौसलों की रोशनी के चिरागों को इस तरह जलाए रखना कि वह क्षण भर के लिए फड़फड़ाए तो लेकिन भुज ना पाए। अभी द्वारा कहा जा रहा है कि देश के बहादुर जवानों ने अपना लहू देकर इस आजादी को खरीदा है इसलिए हमें हमारे देश का और प्यारे तिरंगे का सम्मान और रक्षा आखिर तक बनाए रखनी है।

23- Desh Bhakti Kavita in Hindi: खुशनसीब है वो लोग

खुशनसीब है वो लोग जो वतन के काम आते हैं,

वतन पर मरकर भी ये लोग अमर हो जाते हैं।

सलाम करते हैं हम वतन पर मिटने वालों को,

उनकी वजह से ही हम चैन की सांस ले पाते हैं।

व्याख्या

के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि वह माय और उनके लाल खुशनसीब होते हैं जो अपने देश की मिट्टी के लिए अपनी जान कुर्बान कर देते हैं। देश यहां के लिए मर मिटने कोई साधारण मौत नहीं बल्कि अमर हो जाने वाली सौगात है। हमारे देश के जवान देश की रक्षा करते हैं तभी हम चैन की सांस लेकर अपने घरों में सुकून की नींद सोते हैं।

24- Desh Bhakti Kavita in Hindi: देश प्रेमी

देश प्रेमी हमेशा अपने देश के लिए

मरने की बात करते हैं।

पर कभी अपने देश के लिए

मारने की बात नहीं करते।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि जो लोग अपने देश से प्रेम करते हैं वह हमेशा उसकी रक्षा के लिए मरने के लिए तैयार रहते हैं। जो सच्चे देश प्रेमी होते हैं वह देश के में मरने की बात करते हैं लेकिन मारने की बात नहीं करते।

25- Desh Bhakti Kavita in Hindi: जय हिन्द

सीने में जूनून और आँखों में

देशभक्ति की चमक रखता हूँ

दुश्मन की सांसे थम जायें,

आवाज में इतनी धमक रखता हूँ

जय हिन्द।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि देश की रक्षा करने वाले जवान अपने सीने में जुनून और आंखों में देशभक्ति की चमक रखते हैं। उनकी आवाज में इतनी धमक और हौसला होता है कि दुश्मन की सांसे थम ने लगती हैं।

26- Desh Bhakti Kavita in Hindi: मेरी पहचान

रूठी थी किस्मत मेरी अब

मेहरबान हो गयी

भारतीय फौजी के नाम से

ही मेरी पहचान हो गयी

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि जब एक साधारण व्यक्ति भारतीय फौज में भर्ती होता है तू उसकी किस्मत उस पर मेहरबान हो जाती है और यह उसकी खुशनसीबी होती है कि वह मातृभूमि की रक्षा के लिए चुना गया है। देखा तो असल हीरो वह नहीं होते जो सिनेमा में काम करते हैं बल्कि असल हीरो देश की रक्षा करने वाले जवान होते हैं, जो सच में हमारे प्राणों की रक्षा करते हैं।

27- जिसका ताज हिमालय

जिसका ताज हिमालय है,

जहाँ बहती गंगा है,

जहाँ अनेकता में एकता है।

‘सत्यमेव जयते’ जहाँ का नारा है,

जहाँ मजहब भाईचारा है,

वो भारत वतन हमारा है।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि भारत देश में हिमालय का ताज और गंगा बहती है, जहां पर एकता में अनेकता की मिसाल दी जाती है ऐसा भारत देश है हमारा। हमारे देश में धर्म का ना मानकर भाईचारे की प्रेरणा दी जाती है ऐसी मिसाल केवल भारत में ही देखने को मिलती हैं।

28- यही ख्वाहिश खुदा हर जन्म हिन्दुस्तान वतन देना

यही ख्वाहिश खुदा हर जन्म हिन्दुस्तान वतन देना

अगर देना तो दिल में देशभक्ति का चलन देना।

न दे दौलत न दे शोहरत, कोई शिकवा नही हमको,

झुका दूँ सर मै दुश्मन का यही हिम्मत का घन देना,

अगर देना तो दिल में देशभक्ति का चलन देना।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि एक भारतीय नागरिक की एक ही ख्वाहिश होती है कि उसे हर जन्म में हिंदुस्तान जैसा वतन मिले और देश के प्रति उसके हृदय में देशभक्ति की भावना हमेशा रहे। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि ना दौलत की इच्छा है और ना ही शोहरत की बस इतनी ख्वाइश है कि अपनी हिम्मत से दुश्मन के सर को झुका सके।

29- न मस्जिद को जानते हैं, न शिवालों को जानते हैं

न मस्जिद को जानते हैं, न शिवालों को जानते हैं,

जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं,

मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है।

की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है,

में अमन पसंद हूँ, मेरे शहर में दंगा रहने दो,

लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर तिरंगा रहने दो

Desh Bhakti Kavita in Hindi

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि देशभक्त को ना मस्जिद से फर्क पड़ता है और ना ही मंदिर से क्योंकि जो लोग भूखे पेट होते हैं वह सिर्फ अपनी वालों को जानते हैं और यही अंदाज लोगों को खलता है। एक सच्चा देशभक्त अमन पसंद करता है और देश में होने वाले दंगों को रोकने का प्रयास करता देश को लाल और हरे रंग में बैठने के बजाय तिरंगे से प्रेरणा लेनी चाहिए जो केसरिया और हर आरंभ होने के बावजूद शान से लहराता है।

30- वतन हमारा मिसाल मोहब्बत की

वतन हमारा मिसाल मोहब्बत की,

तोड़ता है दीवार नफरत की,

मेरी खुशनसीबी है जो मिली जिंदगी इस चमन में,

भुला ना सकेंगे इसकी खुशबू सातों जन्म में।

व्याख्या

इस Hindi कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि हमारा वतन मोहब्बत की मिसाल कायम करता है और नफरत की दीवारों को तोड़ता है। खुशनसीब होते हैं वह लोग जो हिंदुस्तान में जन्म लेते हैं जिस की खुशबू हम सातों जन्म तक नहीं भूल सकते।

31- मेरा वतन वही है 

चिश्ती ने जिस ज़मीं पे पैग़ामे हक़ सुनाया
नानक ने जिस चमन में बदहत का गीत गाया
तातारियों ने जिसको अपना वतन बनाया
जिसने हेजाजियों से दश्ते अरब छुड़ाया
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।

सारे जहाँ को जिसने इल्मो-हुनर दिया था
यूनानियों को जिसने हैरान कर दिया था
मिट्टी को जिसकी हक़ ने ज़र का असर दिया था
तुर्कों का जिसने दामन हीरों से भर दिया था
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।

टूटे थे जो सितारे फ़ारस के आसमां से
फिर ताब दे के जिसने चमकाए कहकशां से
बदहत की लय सुनी थी दुनिया ने जिस मकां से
मीरे-अरब को आई ठण्डी हवा जहाँ से
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।

बंदे किलीम जिसके, परबत जहाँ के सीना
नूहे-नबी का ठहरा, आकर जहाँ सफ़ीना
रफ़अत है जिस ज़मीं को, बामे-फलक़ का ज़ीना
जन्नत की ज़िन्दगी है, जिसकी फ़िज़ा में जीना
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।

गौतम का जो वतन है, जापान का हरम है
ईसा के आशिक़ों को मिस्ले-यरूशलम है
मदफ़ून जिस ज़मीं में इस्लाम का हरम है
हर फूल जिस चमन का, फिरदौस है, इरम है
मेरा वतन वही है, मेरा वतन वही है।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि मेरा वतन वही है जहां पर चिश्ती ने जमीन पर पैगाम ए हक सुनाया था और नानक ने चमन में बदहत गीत गाया था। मेरा वतन वही है जिसने हेजाजियो से दस्ते अरब छुड़ाया और तातारियो ने जिसको अपना वतन बनाया। हमारा वतन वही है जिसने सारे जहां को इल्म दिया और यूनानियों को हैरान करते हुए तुर्कों का दामन हीरो से भर दिया। हम अपने देश के गुना का क्या ही गुणगान करें हमारे देश के जितने भी गुणगान किया जाएं वह कम है।

देश को बचाने के लिए ना जाने कितनी महान आत्माओं ने अपना रक्त इस मिट्टी में मिलाया है और मिलाते आ रहे हैं। हमारे देश की मिट्टी भी रक्त की कर्जदार हो चुकी है और लाल हो चुकी है लेकिन भारत माता का फर्ज निभाने के लिए यह त्याग भी बहुत कम है। हमारे देश की खूबसूरती अन्य मुल्कों से काम नहीं यहां लोग बाहर मुल्कों से आते हैं यहां की संस्कृति और सभ्यता को देखने के लिए।

सारी दुनिया के लोग हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता की मिसाल देते हैं जहां जिस तरह से बड़ों का सम्मान और आदर किया जाता है वही छोटों को प्यार दिया जाता है और मेहमानों का आदर सत्कार किया जाता है। बहुत सारी छोटी-छोटी चीज हमारे देश में इतने प्यार से की जाती है जो अन्य मुल्क में कभी भी ना किसी ने सुनी होंगे और ना देखी होगी। हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे वतन जैसा कोई अन्य वतन नहीं।

32-धरती है बलिदान की

Desh Bhakti Kavita in Hindi

आओ बच्चो तुम्हें दिखाएं झाँकी हिंदुस्तान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।
वंदे मातरम …

उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है
दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है
जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है
बाट-बाट पे हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है
देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की।
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।

ये है अपना राजपूताना नाज़ इसे तलवारों पे
इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कटारों पे
ये प्रताप का वतन पला है आज़ादी के नारों पे
कूद पड़ी थी यहाँ हज़ारों पद्मि नियाँ अंगारों पे
बोल रही है कण कण से कुरबानी राजस्थान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।

देखो मुल्क मराठों का ये यहाँ शिवाजी डोला था
मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था
हर पावत पे आग लगी थी हर पत्थर एक शोला था
बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था
यहाँ शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।

जलियाँ वाला बाग ये देखो यहाँ चली थी गोलियाँ
ये मत पूछो किसने खेली यहाँ खून की होलियाँ
एक तरफ़ बंदूकें दन दन एक तरफ़ थी टोलियाँ
मरनेवाले बोल रहे थे इनक़लाब की बोलियाँ
यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाजी अपनी जान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।

ये देखो बंगाल यहाँ का हर चप्पा हरियाला है
यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरनेवाला है
ढाला है इसको बिजली ने भूचालों ने पाला है
मुट्ठी में तूफ़ान बंधा है और प्राण में ज्वाला है
जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि छोटे बच्चों को हिंदुस्तान के बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है जहां उन्हें बताया जाता है कि हमें हमारे देश की मिट्टी को भी तिलक करना चाहिए क्योंकि यह हमारी धरती बलिदान की प्रतीक है हमारी धरती को पता है कि कितना रक्त इस मिट्टी में मिला हुआ है। बच्चों को बताया जा रहा है कि पर्वत राज उत्तर में रखवाली करता है तो वही दक्षिण के चरणों को सागर सम्राट धोता है।

जमुना के तट पर गंगा की घाट निकलती है और हमारे गौरव का अभिमान है हमारे देश की धरती। हमारे देश के बारे में जितना ही बताया जाए वह काम होगा। राजपूताना को नाज है अपनी तलवारों पर क्योंकि उन्होंने सारा जीवन बरछी और कटारों पर काटा है। यह वतन आजादी के नारों पर प्रताप का वतन है। यहां पर हजारों स्त्रियां अपनी रक्षा के खातिर अंगारों पर कूद पड़ी थी जिस कुर्बानी को राजस्थान का कड़कड़ याद रखता है। हमें हमेशा अपने देश की मिट्टी के बलिदानों को याद रखना चाहिए और तिलक करना चाहिए क्योंकि बहुत सारी कुर्बानियां हमारे देश के खातिर दी गई है।

इस कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि आज के समय में छोटे बच्चों को देश का इतिहास इतना नहीं पता बस इस कविता के माध्यम से उन्हें इस देश के बलिदानों को गिनाया जा रहा है। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि कभी भी हमारे सामने देश के सम्मान के लिए कोई चुनौती सामने आ खड़ी हो तो हमें पीछे नहीं हटना चाहिए बल्कि उसे चुनौती का सामना करना चाहिए और अगर बात हमारे प्राण देने की आ जाए तो उस से भी पीछे नहीं हटना चाहिए।

33- सरफरोशी की तमन्ना (लेखक बिस्मिल अजीमाबादी)

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है। करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है। ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है। वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है। खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है। यूँ खड़ा मक़तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है। वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून
तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है। हाथ जिन में हो जुनूँ कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है। है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है। हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,
जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम
जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है। दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको ना आज
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि हमारे दिलों में सरफरोशी की तमन्ना आज भी जिंदा है और जो सच्चा देशभक्त होता है उसमें इतना हौसला होता है कि सामने वाले दुश्मन का जोर देख सके। हालांकि यह बहुत ही प्रसिद्ध कविता है और इसकी लाइन बच्चे बच्चे की जबान पर रटी हुई है। इस कविता के माध्यम से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है की सामने वाला दुश्मन चाहे कितना भी ताकतवर क्यों ना हो यदि अगर बात हमारे देश की आ जाए तो हमें बिना अपनी ताकत का अंदाजा किए बिना उससे भीड़ जाना चाहिए।

एक बार देश की गुलामी हमारा देश कर चुका है और बहुत मुश्किल से उस चंगुल से आजाद हुआ था बहुत सारी कुर्बानियां दी गई थी तब कहीं जाकर अंग्रेजों ने भारत छोड़ने का फैसला किया था। हम नहीं चाहते कि हम दोबारा उस गिरफ्त में पहुंचे। किसी की भी खामोशी को उसकी कमजोरी नहीं समझना चाहिए। हमारे देश की चर्चा अन्य मुल्कों में होती है क्योंकि हमारे देश में बहुत सारे वीरों ने अपना रक्त बहाया है जो कोई अन्य मुल्क का निवासी नहीं कर सकता। और आगे भी वक्त आने पर हमारे दिल में कितनी मोहब्बत है अपने वतन को लेकर यह भी हम साबित कर सकते हैं।

जिस तरह हम अपनों के लिए सीना तान खड़े हो जाते हैं और अपनी जान के परवाह नहीं करते इस तरह आज भी हमारे दिल में इतना जुनून और जोश है कि अपने देश के लिए भी हम सीना तान गोली खा सकते हैं और गोली मार भी सकते हैं। कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि जब बात देश के मान सम्मान की आ जाए तो देश कभी भी झुकना नहीं देना चाहिए चाहे अपने सर काटने पड़ जाए। एक सच्चे देशभक्त का फरज यही है कि देश के खातिर जान दे दो या ले लो लेकिन खुद को झुकने मत दो।

हम आशा करते हैं कि आज का हमारा यह लेख को अवश्य ही पसंद आया होगा और हम उम्मीद करते हैं कि आप भी इसी तरह अपने जीवन में देश की रक्षा के लिए, देश के मान सम्मान के लिए ऐसे ही शुरवीरों की तरह निडर होकर सामना करेंगे। हम आपके लिए ऐसे ही आर्टिकल लिखते रहेंगे और आप अपना प्यार हमेशा इसी तरह बनाए रखें।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

  • Hardwood Floor Refinishing Revives Worn Surfaces with a Fresh Look
  • NBA Streams Let You Watch Every Game Live in HD Without Subscriptions
  • Alcance Novos Públicos com Compra de Seguidores
  • Sakti77 Offers Seamless Access to Exciting Casino Games Anytime
  • Improve Jobsite Efficiency Through Easy Construction Management Tools
©2025 Poems For All Things | Design: Newspaperly WordPress Theme