Tulsidas Poems In Hindi: प्रसिद्ध कवि तुलसीदास जी का असली नाम रामबोला दुबे था और इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के राजपुर में 13 अगस्त 1532 को हुआ था। आश्चर्य की बात यह है कि तुलसीदास का जन्म 12 महीनों में हुआ था और जन्म से ही उनके 32 दात थे। इनकी पहली शिक्षा आयोधा में हुई थी। वाराणसी में पहुंच कर अपने गुरु से संस्कृत व्याकरण, हिंदू साहित्य और दर्शन, चार वेद, छह वेदांग, ज्योतिष का ज्ञान की शिक्षा लेना आरंभ कर दिया। वर्ष 1631 में रामचरितमानस लिखना शुरू किया और इसे उन्होंने 2 साल 7 महीने और 26 दिन में पूर्ण किया। इस प्रसिद्ध कवि ने बहुत सारी अलग अलग भाषाओ में दोहे ,रचनाएं और कृतियां का वर्णन किया। इन्हे वाल्मीकि का रूप भी कहा जाता था। Check here the latest Tulsidas Poems In Hindi:
1- प्रिय वचन (लेखक – तुलसीदास)
सचिव बैद गुरु तीनि जौं, प्रिय बोलहिं भय आस।
राज धर्म तन तीनि कर, होइ बेगिहीं नास।
व्याख्या
इस दोहे के माध्यम से तुलसीदास जी कह रहे हैं कि लालच, वश और लाभ की लालसा में प्रिय वचन कहने वाले मंत्री, वेद और गुरु उनके राज्य, धर्म और शरीर तीनों का नाश आवश्य होता है।
2- एक सही दिशा (लेखक – तुलसीदास)
तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक।
व्याख्या
इस दोहे के माध्यम से तुलसीदास जी द्वारा कहा जा रहा है कि जो व्यक्ति शिक्षा साहस सत्य बोलने वाला और विवेक से काम करने वाला और जिसकी भगवान पर अटूट निष्ठा होती है तो वह अपने जीवन में बड़े-बड़े संकटों को पल भर में पार कर लेता है। आने वाली विपत्ति उसके ऊपर से खुद ही टल जाती है।
3- Tulsidas Poems In Hindi: दिखावा
सूर समर करनी करहिं, कहि न जनावहिं आपु।
बिद्यमान रन पाइ रिपु, कायर कथहिं प्रतापु।
व्याख्या
तुलसीदास जी का कहना है कि अच्छा व्यक्ति बिना किसी को अपने कार्य का दिखावा किए अपने जीवन में सफलता के पथ पर चलता है। अच्छा व्यक्ति अपने कार्य और सफलता का दिखावा नहीं करते बल्कि अपनी मंजिल को पा कर अपनी वीरता का सबूत देते हैं।
4- आत्मसम्मान (लेखक – तुलसीदास)
आवत ही हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह।
तुलसी तहां न जाइये, कंचन बरसे मेह।
व्याख्या
इस दोहे के माध्यम से तुलसीदास जी कह रहे हैं कि यदि किसी महफिल में जाने के बाद आपको देखकर लोगों में खुशी का आभास नहीं है तो ऐसी जगह पर आपकी उपस्थिति की आवश्यकता नहीं चाहे कितना ही आवश्यक काम क्यों ना हो।
5- मीठे बोल (लेखक – तुलसीदास)
तुलसी मीठे बचन ते, सुख उपजत चहुं ओ।
बसीकरन इक मंत्र है, परिहरू बचन कठोर।
व्याख्या
इस दोहे के माध्यम से लेखक तुलसीदास जी कह रहे हैं कि हमेशा अपनी जुबान से मीठे बोल बोलने चाहिए जिससे कि आपके आसपास के लोगों को आपकी मीठी भाषा से सुख प्रदान हो। तुलसीदास जी कहते हैं कि आप के कड़वे बोल सामने वाले पर किसी ज़हर से कम प्रभाव नहीं डालते।
6- Tulsidas Poems In Hindi: दया भावना
“दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान ।
तुलसी दया न छोडिये जब तक घट में प्राण ।”
व्याख्या
इस दोहे के माध्यम से तुलसीदास जी बताना चाह रहे हैं कि मनुष्य को अपने अंदर कभी भी दया भावना को नहीं त्यागना चाहिए क्योंकि अभिमान तो केवल गलत कामों को ही बढ़ावा देता है लेकिन दया भावना आपके धर्म से उत्पन्न होकर आपको एक अच्छा इंसान बनाती है।
7- क्रोध (लेखक – तुलसीदास)
“काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान ।
तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान ।”
व्याख्या
इस पंक्ति के माध्यम से तुलसीदास जी कह रहे हैं कि एक अज्ञानी और मूर्ख व्यक्ति की पहचान गुस्सा, अहंकार और लालच से होती है। जब तक आपके मन में क्रोध और अहंकार है तब तक आपको सफलता हासिल नही हो सकती।
8- विश्वास (लेखक – तुलसीदास)
“तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए ।
अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए।”
व्याख्या
तुलसीदास जी द्वारा कहा जा रहा है कि जब तक आपके मन में भगवान के प्रति अटूट निष्ठा और विश्वास है तब तक आप समाज में निर्भय होकर रह सकते हैं। आपके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं हो सकता। इसलिए आपको खुशी से अपना जीवन बिना चिंता के व्यतीत करना चाहिए।
9- Tulsidas Poems In Hindi: समझदार व्यक्ति
“तुलसी पावस के समय, धरी कोकिलन मौन ।
अब तो दादुर बोलिहं, हमें पूछिह कौन ।
व्याख्या
दोहे के माध्यम से तुलसीदास द्वारा कहा जा रहा है यदि जहां पर कपट पूर्ण लोगों का बोलबाला होता है वहां पर एक समझदार व्यक्ति को अपनी ऊर्जा नष्ट नहीं करनी चाहिए। और चुप रहना चाहिए। जिस तरह से बारिश के मौसम में मेंढकों के टर्राने की आवाज इतनी ज्यादा होती है कि उसमें कोयल की मीठी बोली दब जाती है और वे खामोश हो जाती हैं।
10- सच्चा दोस्त (लेखक – तुलसीदास)
“आगें कह मृदु वचनबनाई। पाछे अनहित मन कुटिलाई ।
जाकर चित अहिगत सम भाई, अस कुमित्र परिहरेहि भलाई।”
व्याख्या
इस भक्ति के माध्यम से तुलसीदास जी द्वारा कहा जा रहा है कि जो मित्रों मन ही मन आपके प्रति मिल सकता हो और आपके सामने आपका सच्चा दोस्त होने का दिखावा करें ऐसे दोस्त की मित्रता को त्याग देना ही उचित है।
तुलसीदास जी अपने समय के बहुत ही मशहूर और महान लेखक थे। अपने समय में उन्होंने कई सारी प्रमुख रचनाएं और दोहे से लोगों के मन में एक अलग ही छाप छोड़ी है। उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे यह प्रसिद्ध दोहे अवश्य ही पसंद आयेंगे। आगे भी हम आपके लिए ऐसे ही प्रसिद्ध लेखकों की प्रसिद्ध कविताएं और रचनाएं अपने लेख के माध्यम से लाते रहेंगे।