Shayari Of Parveen Shakir
हेलो फ्रेंड्स! आज हम आपके लिए पाकिस्तान और हिंदुस्तान में सराह जाने वाली मशहूर शायर परवीन शाकिर जी की शायरी लेकर आए हैं जिनका जन्म 24 नवंबर 1952 को कराची में हुआ था। आज भी इन मशहूर शायरा की शायरी सुनने को मिलती है और कुछ लोग इनके द्वारा लिखे गए शेयर पढ़ना पसंद करते हैं। आपको भी परवीन शाकिर की शायरी पढ़ना अच्छी लगती है तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य करें।
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1- Shayari Of Parveen Shakir : दुश्मन (लेखक- परवीन शाकिर)
दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं
देखना ये है खेंचता है मुझपे पहला तीर कौन।
व्याख्या
इस शायरी में शायर परवीन शाकिर जी द्वारा यह कहा जा रहा है कि आज के समय में दोस्त और दुश्मन दोनों पर ही भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि कौन कब दगा दे जाए कुछ नहीं कहा जा सकता।
2- जुदाई (लेखक- परवीन शाकिर)
तेरी ख़ुशबू का पता करती है
मुझपे एहसान हवा करती है
दिल को उस राह पे चलना ही नहीं
जो मुझे तुझसे जुदा करती है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर परवीन शाकिर जी द्वारा कहा जा रहा है कि जब कोई किसी से सच्चा प्यार करता है तो वह कभी भी उस इंसान से अपना रास्ता जुदा नहीं कर सकता क्योंकि उस इंसान को अपने साथी के साथ ही अपनी मंजिल का सफर तय करना होता है।
3-Shayari Of Parveen Shakir : याद (लेखक- परवीन शाकिर)
शाम पड़ते ही किसी शख्स की याद
कूचा ए जां में सदा करती हैं
वह को भी गया लौटा तो मेरे पास आया
बस यही बात है अच्छी मेरी रजाई की।
व्याख्या
इस शायरी में शायर परवीन शाकिर जी द्वारा यह बताया जा रहा है कि जब कोई इंसान आपको छोड़कर चला जाता है तो केवल उसकी याद ही आपके जीने का सहारा बन जाती हैं। जिंदगी के हर सफर में उस शख्स की याद आपको कई बार मजबूत भी करती है और कई बार बिखेर भी सकती हैं।
4- बिछड़ना (लेखक- परवीन शाकिर)
यूँ बिछड़ना भी बहुत आसाँ न था उस से मगर
जाते जाते उस का वो मुड़ कर दोबारा देखना
आइने की आँख ही कुछ कम न थी मेरे लिए
जाने अब क्या क्या दिखाएगा तुम्हारा देखना।
व्याख्या
शायरी में शायर परवीन शाकिर जी द्वारा बताया जा रहा है कि किसी से दूर जाना कभी भी आसान नहीं होता लेकिन दूर जाते समय जब वह शक्स दोबारा मुड़कर देखता है तो उसकी आंखों में देखने से भी डर लगता है कि अब क्या क्या दिखाएगा तुम्हारा यूं मुड़कर देखना।
5-Shayari Of Parveen Shakir : फैसला (लेखक- परवीन शाकिर)
कुछ फैसला तो हो कि किधर जाना चाहिए
पानी को अब तो सर से गुज़र जाना चाहिए।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा यह बताया जा रहा है कि कभी-कभी जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए कुछ फैसले लेना बहुत जरूरी होता है जब हालात कुछ ऐसे होकर पानी सर से ऊपर गुजर जाए।
6- हौसला (लेखक- परवीन शाकिर)
चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया
इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा यह बताया जा रहा है कि जब तक इंसान अकेला होता है तब तक उसमें उसके सपनों को पाने का हौसला और उड़ान रहती है लेकिन अगर कोई इश्क के सफर पर चल रहा हो तो उसके लिए हौसला टूटना और रुकना मुहाल हो जाता है क्योंकि यह सफर ही ऐसा होता है जो इंसान को तोड़ कर रख देता है।
7- Shayari Of Parveen Shakir : रुसवाई (लेखक- परवीन शाकिर)
कैसे कह दूं कि मुझे छोड़ दिया है उसने
बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की।
व्याख्या
इस शायरी में शायर परवीन शाकिर द्वारा कहा जा रहा है कि जब कोई आपको छोड़कर चला जाता है तो सच कड़वा ही सही पर सच होता है लेकिन अपने लिए यह रुसवाई की बात होती है।
8- लड़किया (लेखक- परवीन शाकिर)
हुस्न को समझने के लिए उम्र चाहिए जनाब
दो घड़ी की चाहत में लड़कियां नहीं खुलतीं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर परवीन शाकिर जी द्वारा बताया जा रहा है कि किसी को समझने के लिए उम्र चाहिए दो घड़ी की चाहत और तारीफ में कभी भी कोई लड़की खुलकर नहीं बोलती।
9- Shayari Of Parveen Shakir : उम्मीद (लेखक- परवीन शाकिर)
अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहीं
अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झांके कोई।
व्याख्या
इस शायरी में शायर परवीन शाकिर द्वारा कहा जा रहा है कि उस रास्ते या दरवाजे पर झांकने से क्या फायदा जब वह शक्स ही उन गलियों या उन रास्तों से नहीं गुजरता।
10- बंद किताब (लेखक- परवीन शाकिर)
याद तो होंगी वो बातें तुझे अब भी लेकिन
शेल्फ़ में रक्खी हुई बंद किताबों की तरह।
व्याख्या
इस शायरी में शायर परवीन शाकिर जी द्वारा बताया जा रहा है कि कभी भी किसी के साथ की यादें हमारा पीछा नहीं छोड़ सकते वह हमारे लिए एक बंद किताबों की तरह होते हैं जो हमेशा उस बंद किताब के पन्नों में रहती हैं।
11- Shayari Of Parveen Shakir : जख्म भर जाएगा (लेखक- परवीन शाकिर)
हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगा
क्या ख़बर थी कि रग-ए-जाँ में उतर जाएगा।
व्याख्या
इस शायरी में शायर परवीन शाकिर के द्वारा कहा जा रहा है जब किसी के द्वारा एक ज़ख्म दिया जाता है तो हमें लगता है कि जल्द ही भर जाएगा, लेकिन कई बार वह ज़ख्म इतना गहरा होता है कि वह हमारी रूह तक जख्मी कर देता है।
12- कमाल ए जब्त (लेखक- परवीन शाकिर)
कमाल-ए-ज़ब्त को ख़ुद भी तो आज़माऊंगी
मैं अपने हाथ से उस की दुल्हन सजाऊंगी।
व्याख्या
इस शायरी में शायर परवीन शाकिर के द्वारा बताया जा रहा है कि कई बार एक लड़की को अपने सब्र को भी आजमाना चाहिए। और एक लड़की में इतना सब्र होना चाहिए कि जिस इंसान ने उसे जिसके लिए छोड़ा है उसके सामने सर उठा कर खड़ी हो सके।
13-Shayari Of Parveen Shakir: तकल्लुफ (लेखक- परवीन शाकिर)
बस ये हुआ कि उस ने तकल्लुफ़ से बात की
और हम ने रोते रोते दुपट्टे भिगो लिए।
व्याख्या
इस शायरी में शायर परवीन शाकिर के द्वारा बताया जा रहा है कि कई बार इंसान का सख्त लहजा और बेमतलब कड़वे बोल आपको रुला सकते हैं इसलिए खुद को इतना मजबूत बनाना चाहिए कि कभी भी कोई भी इंसान आपकी आंखों में आंसू ना ला पाए।
14- गैर मुमकिन (लेखक- परवीन शाकिर)
ग़ैर मुमकिन है तेरे घर के गुलाबों का शुमार
मेरे रिसते हुए ज़ख़्मों के हिसाबों की तरह।
व्याख्या
शायरी में शायर परवीन शाकिर के द्वारा कहा जा रहा है कि कई बार आपके साथ ही द्वारा दिए गए ज़ख्मो का हिसाब गैर मुमकिन होता है उसके घर के गुलाबों की तरह।
15-Shayari Of Parveen Shakir : ला जवाब झूठ (लेखक- परवीन शाकिर)
मैं सच कहूंगी मगर फिर भी हार जाऊंगी
वो झूठ बोलेगा और ला-जवाब कर देगा।
व्याख्या
इस शायरी में शायर परवीन शाकिर जी द्वारा बताया जा रहा है कि कुछ लोग हमारी जिंदगी में ऐसे होते हैं कि झूठ भी इतना लाजवाब बोलते हैं कि हमारा सच भी उनके आगे फीका पड़ जाता है और हम हार जाते हैं।
हम उम्मीद करते हैं दोस्तों के आपको हमारा आज का यह आर्टिकल अवश्य ही पसंद आया होगा। इस शायरी से आपको कुछ ना कुछ सीखने की प्रेरणा अवश्य ही मिली होगी। आगे भी हम आपके लिए इसी तरह के मशहूर शायरों की शायरी लेकर आते रहेंगे और आप इसी तरह अपना प्यार बनाए रखें।