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Shayari Of Ghalib: Check Latest Ghalib Shayari, ग़ालिब की शायरी

Posted on September 4, 2023September 5, 2023 by ANDREW

Shayari Of Ghalib: हेलो दोस्तों आज हम अपने इस आर्टिकल के माध्यम से आपके लिए मिर्जा गालिब की बेहतरीन शायरी लेकर आए हैं जिन्हें पढ़कर अवश्य ही आपका दिन बन जाएगा। मिर्जा ग़ालिब अपने समय के उर्दू और फारसी भाषा के एक बेहतरीन शायर थे जिनका नाम हर किसी की जुबान पर आज भी रहता है क्योंकि इनकी शायरी इतनी बेहतरीन होती है कि आजकल के नौजवान जी उसे पढ़ना बेहद पसंद करते हैं। मिर्जा गालिब का जन्म 27 दिसंबर 1797 को हुआ था। अपने समय के यह मशहूर शायर थे। यदि अगर आपको भी शायर मिर्जा गालिब की शायरी पढ़ना अच्छा लगता है तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।

Also read: Shayari of Parveen Shakir

Table of Contents

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  • 1-Shayari Of Ghalib: मुसाफिर (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 2- रास्ता(लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 3-Shayari Of Ghalib: इश्क (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 4- मिले नहीं (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 5-Shayari Of Ghalib: बेवफ़ा (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 6– इंतजार (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 7– Shayari Of Ghalib: वफा (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 8– वक्त (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 9-Shayari Of Ghalib: तन्हाई (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 10– जिंदगी  (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 11-Shayari Of Ghalib: दिल में दर्द (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 12– गुफ्तगू (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 13– Shayari Of Ghalib: बेवफा (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 14-Shayari Of Ghalib : जिक्र (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 15– Shayari Of Ghalib: गुफ्तगू (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 16– कुदरत  (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 17-Shayari Of Ghalib: दवा (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 18– दर्द ए दिल (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 19– Shayari Of Ghalib : सैलाब ए बला (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 20– दुख देकर दवा करते हैं (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 21-Shayari Of Ghalib : फना (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 22- हाथो की लकीरें (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 23-Shayari Of Ghalib : जुनून (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 24-जन्नत की हकीकत (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 25-Shayari Of Ghalib : शोहरत (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 26-इरादा (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 27-Shayari Of Ghalib : किरदार (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 28- सुकून (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 29-Shayari Of Ghalib : अजनबी (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 30-Shayari Of Ghalib : अजनबी (लेखक – मिर्जा गालिब)
  • 31- बाग ए बहिशत
  • 32-Shayari Of Ghalib : आशिक
  • 33-Shayari Of Ghalib : नशेमन 
  • 34- पाबंदी
  • 35-Shayari Of Ghalib : गुलामी 
  • 36- बेदाग जवानी
  • 37-Shayari Of Ghalib : इंतिहा 
  • 38- अक्ल अययार 
  • 39-Shayari Of Ghalib : हुकूमत ए इश्क 
  • 40- जन्नत 
  • 41-Shayari Of Ghalib : नजारों 
  • 42- मुमकिन 
  • 43-Shayari Of Ghalib : रिवायत 
  • 44- मोहब्बत 
  • 45-Shayari Of Ghalib : दाग़ 

1-Shayari Of Ghalib: मुसाफिर (लेखक – मिर्जा गालिब)

Shayari Of Ghalib

हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो

हमारा शहर तो बस यूँ ही रास्ते में आया था।

व्याख्या

इस शायरी शायर मिर्जा गालिब जी द्वारा यह बताया जा रहा है कि जिंदगी में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमारी जिंदगी में मुसाफिरों की तरह आते हैं क्योंकि उनकी मंदिर और रास्ता कहीं और होता है।

2- रास्ता(लेखक – मिर्जा गालिब)

वो रास्ते जिन पे कोई सिलवट ना पड़ सकी,

उन रास्तों को मोड़ के सिरहाने रख लिया।

व्याख्या

इस शायरी में शायर मिर्जा गालिब जी द्वारा यह कहा जा रहा है कि हमारी जिंदगी में कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो बिना किसी आज उम्मीद के बहुत प्यार से गुजरते हैं ऐसे रिश्तो को हमेशा एक खूबसूरत याद बनाकर अपने पास रखना चाहिए।

3-Shayari Of Ghalib: इश्क (लेखक – मिर्जा गालिब)

इश्क़ ने गालिब निकम्मा कर दिया,
वर्ना हम भी आदमी थे काम के।

व्याख्या

इस शायरी ने शायर मिर्जा गालिब जी द्वारा यह बताया जा रहा है कि जब तक दिल में किसी के लिए मोहब्बत नहीं होती तब तक वह इंसान अपने काम पर पूरी तरह फोकस करता है लेकिन इसके रास्ते पर चलने के बाद कुछ ना कुछ लापरवाही अवश्य बरतने लगता है।

4- मिले नहीं (लेखक – मिर्जा गालिब)

कुछ लम्हे हमने खर्च किए थे मिले नही,
सारा हिसाब जोड़ के सिरहाने रख लिया।

व्याख्या

इस शायरी में शायर द्वारा यह बताया जा रहा है कि हर किसी की जिंदगी में कोई ना कोई शक ऐसा होता है जिन पर हम अपने खूबसूरत लमहे निछावर कर देते हैं लेकिन बदले में हमें उन लोगों से वह खूबसूरत लमहे नहीं मिल पाते। कभी कभी यही खूबसूरत यादें जिंदगी में आगे बढ़ने का हौसला देती है।

5-Shayari Of Ghalib: बेवफ़ा (लेखक – मिर्जा गालिब)

Shayari Of Ghalib

फिर उसी बेवफा पे मरते हैं,
फिर वही जिंदगी हमारी है।

व्याख्या

इस शायरी में शायर द्वारा यह बताया जा रहा है कि जब कोई इंसान किसी से सच्चे दिल से मोहब्बत कर बैठा है तो सामने वाला शख्स कितना ही बेवफा क्यों ना हो लेकिन दिल से उसकी मोहब्बत कभी नहीं मिटती।

6– इंतजार (लेखक – मिर्जा गालिब)

मौत पे भी मुझे यकीन है,
तुम पर भी ऐतबार है,
देखना है पहले कौन आता है,
हमें दोनों का इंतजार है।

व्याख्या

इस शायरी में शायर मिर्जा गालिब जी द्वारा बताया जा रहा है कि मौत तो सबको आनी है और जिससे हम सच्चे दिल से मोहब्बत करते हैं उसके आने का भी इंतजार है। एतबार दोनों पर हैं क्योंकि मौत और किसी के वापस लौटने का इंतजार दोनों एक बराबर है।

7– Shayari Of Ghalib: वफा (लेखक – मिर्जा गालिब)

हम को उन से वफा की है उम्मीद,
जो नहीं जानते वफा क्या है।

व्याख्या

इस शायरी में शायर द्वारा यह बताया जा रहा है कि कई बार हम उन लोगों से वफा की उम्मीद कर बैठते हैं जिन्हें असल में वफा क्या होती है पता ही नहीं होता।

8– वक्त (लेखक – मिर्जा गालिब)

गुजर रहा हूँ यहाँ से भी गुजर जाउँगा,
मैं वक्त हूँ कहीं ठहरा तो मर जाउँगा।

व्याख्या

इस शायरी में शायर मिर्जा गालिब जी द्वारा यह कहा जा रहा है कि वक्त कभी किसी के लिए नहीं रुकता वह तो बस गुजरता जाता है क्योंकि वक्त का काम गुजारना है ठहरना नहीं।

9-Shayari Of Ghalib: तन्हाई (लेखक – मिर्जा गालिब)

कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता,
तुम ना होते ना सही ज़िक्र तुम्हारा होता।

व्याख्या

शायरी में शायर मिर्जा गालिब जी द्वारा यह बताया जा रहा है कि जब कोई किसी से सच्चे दिल से मोहब्बत करता है और वह इंसान छोड़कर चला जाता है तब उसके ना होते हुए भी उसकी यादों का सहारा साथ होता है।

10– जिंदगी  (लेखक – मिर्जा गालिब)

Shayari Of Ghalib

जिंदगी से हम अपनी कुछ उधार नही लेते,
कफन भी लेते है तो अपनी जिंदगी देकर।

व्याख्या

इस शायरी में शायर मिर्जा गालिब जी द्वारा यह बताया जा रहा है कि हर कोई अपनी जिंदगी में किसी से कुछ भी उधार नहीं लेना चाहता क्योंकि यहां तो कफन भी जिंदगी हार कर लेना पड़ता है।

11-Shayari Of Ghalib: दिल में दर्द (लेखक – मिर्जा गालिब)

लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में,

और हम थक गए मुस्कुराते मुस्कुराते।

व्याख्या

इस शायरी में शायर मिर्जा गालिब द्वारा यह बताया जा रहा है कि कुछ लोग हमारे चेहरे से और हमारी मुस्कुराहट से हमारे दिल का दर्द पहचान लेते हैं लेकिन कई बार इंसान मुस्कुराते मुस्कुराते थक जाता है।

12– गुफ्तगू (लेखक – मिर्जा गालिब)

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है,
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज-ए-गुफ़्तगू क्या है।

व्याख्या

इस शायरी में शायर मिर्जा गालिब द्वारा यह कहा जा रहा है कि कई बार कुछ लोग गुस्से में आकर दूसरों से बहुत बुरे लहजे में बात कर लेते हैं लेकिन वह गुफ्तगू करने का यह अंदाज सही नहीं होता क्योंकि इंसान को गुस्से में अपनी तकदीर नहीं भूलनी चाहिए।

13– Shayari Of Ghalib: बेवफा (लेखक – मिर्जा गालिब)

मैं नादान था जो वफा को तलाश करता रहा ग़ालिब,
यह न सोचा की, एक दिन अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी।

व्याख्या

शायरी में शायर मिर्ज़ा ग़ालिब जी द्वारा यह बताया जा रहा है कि आज के समय में कभी भी किसी के साथ वफा नहीं करनी चाहिए क्योंकि इंसान की सांस भी वफा है तो इंसान कैसे वफादार हो सकता है।

14-Shayari Of Ghalib : जिक्र (लेखक – मिर्जा गालिब)

इसलिए कम करते हैं जिक्र तुम्हारा,
कहीं तुम खास से आम ना हो जाओ।

व्याख्या

इस शायरी में शायर मिर्जा गालिब द्वारा यह कहा जा रहा है कि जो लोग सच्चे दिल से किसी से मोहब्बत करते हैं वह अपने एहसास और जज्बात को अपने दिल में ही सजाकर रखते हैं क्योंकि जो लोग हमारी जिंदगी में पास होते हैं उनका ज़िक्र हर किसी से नहीं किया जा सकता।

15– Shayari Of Ghalib: गुफ्तगू (लेखक – मिर्जा गालिब)

Shayari Of Ghalib

इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘गालिब’
कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे।

व्याख्या

इस शायर मिर्जा गालिब द्वारा यह बताया जा रहा है कि इश्क एक ऐसी आतिश है जो दिल में लगने के बाद ना लगाए बुझती है और ना भुजाए से बुझती है।

16– कुदरत  (लेखक – मिर्जा गालिब)

वो आए घर में हमारे खुदा की कुदरत है,

कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं।

व्याख्या

इस शायर मिर्जा गालिब जी द्वारा यह बताया जा रहा है कि जब हम किसी से सच्चे दिल से इश्क करते हैं और वह इंसान हमारे घर पर हमारी आंखों के सामने आ जाता है तो उनका आना हमारे लिए खुदा की कुदरत से कम नहीं होता।

17-Shayari Of Ghalib: दवा (लेखक – मिर्जा गालिब)

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है,

आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।

व्याख्या

इस शायरी शायर मिर्जा गालिब द्वारा कहा जा रहा है कि जब किसी से मोहब्बत हो जाती है तो दिल में एक अजीब सी हलचल होने लगते हैं जिसमें इंसान को खुद नहीं पता होता कि उसके साथ क्या हो रहा है और उस दर्द की दवा भी किसी के पास नहीं मिलती।

18– दर्द ए दिल (लेखक – मिर्जा गालिब)

दर्द हो दिल में तो दवा कीजे,

दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजे।

व्याख्या

इस शायरी में शायर मिर्जा गालिब द्वारा बताया जा रहा है कि जब दिल में दर्द होता है तो दवा दी जाती है लेकिन जब दर्द ही दिल हो तो उसकी क्या ही दवा की जाए।

19– Shayari Of Ghalib : सैलाब ए बला (लेखक – मिर्जा गालिब)

आया है बेकसी-ए-इश्क पे रोना ग़ालिब,

किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद।

व्याख्या

इस शायरी मे शायर मिर्जा गालिब द्वारा यह कहा जा रहा है कि कई बार हम जिस इंसान से सच्ची मोहब्बत करते हैं वह हमें रोता हुआ छोड़ कर चला जाता है लेकिन जिस तरह उसने हमें छोड़ा है इंसान कभी किसी का सगा नहीं हो सकता क्योंकि जो आपको रुला सकता है वह किसी को भी रुला सकता है।

20– दुख देकर दवा करते हैं (लेखक – मिर्जा गालिब)

दुःख दे कर सवाल करते हो,
तुम भी ग़ालिब कमाल करते हो।

व्याख्या

इस शायरी में शायर मिर्जा गालिब द्वारा बताया जा रहा है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो खुद ही हमें दुख देते हैं और खुद ही हमारे दुखों की वजह पूछते हैं।

21-Shayari Of Ghalib : फना (लेखक – मिर्जा गालिब)

हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब,
न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे।

व्याख्या

शायर मिर्जा गालिब द्वारा बताया जा रहा है कि जिन लोगों से हम प्यार करते हैं जब हम उनकी आंखों में देते हैं तो आंखें देखकर फना हो जाते हैं। 

22- हाथो की लकीरें (लेखक – मिर्जा गालिब)

हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब,
नसीब उनके भी होते है जिनके हाथ नहीं होते।

व्याख्या

शायरी में शायर मिर्जा गालिब द्वारा एक बहुत ही अहम बात बताते हैं कहा जा रहे हैं कि कुछ लोग हाथों की लकीरों के हिसाब से अपना आने वाला कल सोचते हैं लेकिन नसीब उनके भी होते हैं खुदा ने जिनको हाथ नहीं दिए।

23-Shayari Of Ghalib : जुनून (लेखक – मिर्जा गालिब)

बक रहा हूँ जूनून में क्या क्या कुछ
कुछ ना समझे खुदा करे कोई।

व्याख्या

इस शायरी में शायर मिर्जा गालिब द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग अपने जुनून और गुस्से में बहुत कुछ उल्टा सीधा बक जाते हैं लेकिन ऐसे लोगों की बातों पर ध्यान ना देना ही समझदारी होता है क्योंकि मुझे बोलना पागल इंसान को नहीं पता होता कि वह क्या कुछ बोल रहा है।

24-जन्नत की हकीकत (लेखक – मिर्जा गालिब)

हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन,दिल को खुश रखने को ‘गालिब’ ये ख्याल अच्छा है।

व्याख्या

शायरी में शायर मिर्जा गालिब द्वारा बताया जा रहा है कि लोगों को मालूम होता है कि जन्नत में जगह बनाना आसान नहीं है लेकिन फिर भी दिल को खुश करने के लिए यह खयाल भी अच्छा होता है।

25-Shayari Of Ghalib : शोहरत (लेखक – मिर्जा गालिब)

इश्क मुझको नहीं, वहशत ही सही,
मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही।

व्याख्या

शायरी शायर मिर्जा गालिब द्वारा बताया जा रहा है कि कुछ लोग किसी के इश्क हो वह सब समझते हैं लेकिन उनकी वहशत कभी-कभी उनके साथी की शोहरत बन जाती है।

26-इरादा (लेखक – मिर्जा गालिब)

ऐसा कोई जिंदगी से वादा तो नही था,

तेरे बिना जीने का इरादा तो नही था।

व्याख्या

इस शायरी में शायर मिर्जा गालिब द्वारा कहा जा रहा है कि जब हम किसी से प्यार करते हैं तो उस इंसान के साथ अपनी जिंदगी का सफर तय करने का इरादा रखते हैं।

27-Shayari Of Ghalib : किरदार (लेखक – मिर्जा गालिब)

बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का,

अधूरी हो सकती है मगर खत्म नहीं।

व्याख्या

इस शायरी शायर मिर्जा गालिब द्वारा बताया जा रहा है कि मोहब्बत का किरदार भी बड़ा ही अजीब होता है अधूरी तो रह सकती है लेकिन कभी किसी के दिल से खत्म नहीं हो सकती।

28- सुकून (लेखक – मिर्जा गालिब)

जागना भी काबुल है तेरी यादों में रातभर,
तेरे अहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ।

व्याख्या

इस शायरी में शायर मिर्जा गालिब द्वारा कहा जा रहा है कि किसी की यादों में रात भर जागना भी कबूल होता है क्योंकि किसी को सोचकर उसके एहसास में जो सुकून मिलता है ना वह नींद में नहीं मिलता।

29-Shayari Of Ghalib : अजनबी (लेखक – मिर्जा गालिब)

एक बीते हुए रिश्ते की,
एक बीती घड़ी से लगते हो,
तुम भी अब अजनबी से लगते हो।

व्याख्या

इस शायरी में शायर मिर्जा गालिब द्वारा कहा जा रहा है कि कई बार कुछ रिश्ते हैं हमारी जिंदगी में ऐसे भी जाते हैं की आने वाले समय में एक दूसरे को देखने के बाद अजनबी जैसा एहसास होता है।

30-Shayari Of Ghalib : अजनबी (लेखक – मिर्जा गालिब)

तेरी मुस्कुराहट भी इस कदर कमाल करती है,
बेजार मन को भी गुलजार करती है।

व्याख्या

इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि जब कोई इंसान आपकी जिंदगी में खास होता है तो उसकी एक मुस्कान से आपका बेजार मन खिल उठता है।

31- बाग ए बहिशत

बाग़-ए-बहिश्त से 

मुझे हुक्म-ए-सफ़र दिया था क्यूँ

कार-ए-जहाँ दराज़ है अब मेरा इंतिज़ार कर।

व्याख्या

इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि जब कोई आप से मोहब्बत करता है तो यह सफर दो लोग साथ तय करते हैं ना कि साथ छोड़ कर इंतजार की राह पकड़ते हैं।

32-Shayari Of Ghalib : आशिक

अनोखी वजा हैं, सारे ज़माने से निराले हैं ये 

आशिक़ कौन सी बस्ती के या रब रहने वाला हैं। 

व्याख्या

इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि जो लोग सच्चे दिल से किसी से इश्क कर बैठे हैं वह दुनिया जमाने से बिल्कुल अलग और निराले होते हैं। ऐसे लोगों का दिल बिल्कुल साफ होता है जिसमें खुदा बसता है।

33-Shayari Of Ghalib : नशेमन 

नहीं तेरा नशेमनं कसर्-ए-शुलतानी के गुम्बद पर,

तू शाहीन बसेरा कर पहाडों की चट्टानो में।

व्याख्या

इस शायरी में शायरी अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि जो लोग चट्टानों की तरह मजबूत होते हैं उन्हें किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती।

34- पाबंदी

तेरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया न वो दुनिया

यहाँ मरने की पाबंदी वहाँ जीने की पाबंदी।

व्याख्या

इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल ने द्वारा कहा जा रहा है कि जो लोग आज़ाद ख्याल होते हैं और आजादी की जिंदगी जीना पसंद करते हैं। वह दुनिया में कहीं भी रहे उनके लिए कोई पाबंदी नहीं होती।

35-Shayari Of Ghalib : गुलामी 

गुलामी में ना काम आती है शमशीरें ना तकबीरे

जो हो ज़ौक-ऐ-यक़ीं पैदा तो कट जाती है जंजीरें।

व्याख्या

इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि जो लोग किसी की गिरफ्त में होते हैं, तकबीरे और तलवार इनके काम नहीं आती है।अगर उनमें हौसला और जज्बा होता है आजादी का तो मैं अभी जंजीरे खुद ही काट लेते हैं।

36- बेदाग जवानी

हया नहीं है ज़माने की आंख में बाक़ी

ख़ुदा करे की जवानी तेरी रहे बे-दाग़।

व्याख्या

इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि आज के इस जमाने में लोगों की आंखों में हया बिल्कुल नहीं है इसीलिए इंसान को अपनी हिफाजत खुद करनी पड़ती है। किसी भी रिश्ते को बनाने से पहले जरूरी है कि वह इंसान आप ही की तरह भरोसे के लायक हो क्योंकि कई बार जो लोग भरोसे के लायक होते हैं वही भरोसा तोड़ देते हैं।

37-Shayari Of Ghalib : इंतिहा 

बातिल से दबने वाले ऐ आसमां नहीं हम

सौ बार कर चुका है तू इम्तिहां हमारा।

व्याख्या

शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है की कुछ लोग जिंदादिली से जिंदगी जीते हैं और आने वाले इम्तिहान उसे कभी नहीं घबराते हैं। जिंदगी में चाहे इंतेहा एक बार हो या सौ बार उन पर खरे उतरते हैं।

38- अक्ल अययार 

अक्ल अय्यार है सौ भेस बदल लेती है

इश्क बेचारा न ज़ाहिद है न मुल्ला ना हकीम।

व्याख्या

इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग अपनी अक्ल का इस्तेमाल कर चाहे कितने भी भेस बदल ले लेकिन एक वाहिद इश्क ही है जो ना मु ल्ला है और ना हकीम और ना ही ज़ाहिद।

39-Shayari Of Ghalib : हुकूमत ए इश्क 

हुई ना आम जहां में कभी हुकूमत-ए-इश्क़

सबब ये है कि मोहब्बत ज़माना साज नहीं।

व्याख्या

इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि पहले और आज के जमाने में आज भी इसकी हुकूमत को आसान और आम नहीं किया गया क्योंकि आज भी मोहब्बत का जमाना साज़ नहीं है।

40- जन्नत 

ये जन्नत मुबारक रहे जाहिदों को

कि मैं आपका सामना चाहता हूं।

व्याख्या

इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि जिन लोगों के दिलों में खुदा बसता है उन लोगों को जन्नत मुबारक हो और ऐसे लोगों के साथ रहना और उनका सामना करना एक व्यक्ति के लिए बहुत ही सम्मान की बात है।

41-Shayari Of Ghalib : नजारों 

मजनूं ने शहर छोड़ा तो सहरा भी छोड़ दे

नजारों की हवस हो तो लैला भी छोड़ दे।

व्याख्या

इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि सच में अगर किसी से मोहब्बत करनी है तो लैला मजनू की तरह करो वरना अगर नजारों की हवस हो तो मोहब्बत जैसी पाक चीज को गंदा नहीं करना चाहिए।

42- मुमकिन 

हम तो जीते हैं के तेरा नाम रहे ,

कहीं मुमकीन है कि साक़ी न रहे और जाम रहे। 

व्याख्या

इस शायरी में शायर द्वारा यह बताया जा रहा है कि जो लोग सच्चे दिल से किसी का साथ देते हैं वह हमेशा यह दुआ करते हैं कि उनके साथी का नाम रहे। जिस तरह साकी और जान को अलग करना मुमकिन नहीं उसी तरह दो लोगों को अलग करना भी मुमकिन नहीं।

43-Shayari Of Ghalib : रिवायत 

हक़ीक़त खुराफात में खो गई ,

ये उम्मत रिवायत में खो गई। 

व्याख्या

इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि आज के जमाने में हकीकत तो जैसे खुराफातो को बढ़ावा देने में खो गई है और यह उम्मत रिवायत में कहीं खो गई।

44- मोहब्बत 

हो मेरा काम ग़रीबो की हिमायत करना 

दर्दमंदों से ज़मीन से मोहब्बत करना। 

व्याख्या

इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि आज के जमाने में लोग मोहब्बत भी अपने स्टेटस के हिसाब से करते हैं लेकिन सच्ची मोहब्बत किसी का स्टेटस या अमीरी गरीबी देखकर नहीं की जाती। जो लोग ग़रीबों की हिमायत और दर्द मंदो से मोहब्बत करते हैं वही सच्ची मोहब्बत करने वाले होते हैं।

45-Shayari Of Ghalib : दाग़ 

इस दौर की ज़ुल्मत में हर क़ल्ब ए परेशान को,

वो दाग़ ए मुहब्बत दे जो चाँद को शर्मा दे।

व्याख्या 

इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा महा बताया जा रहा है कि आज के दौर में बेदाग मोहब्बत करने वाले लोग बहुत कम है। जिस तरह चांद की खूबसूरती में एक दाग है और वह दाग होने के बाद भी चांदनी रात में चांद की रोशनी बेहद खूबसूरत लगती है इसी तरह मोहब्बत भी ऐसी होनी चाहिए जो चांद को भी शर्मा दे।

 

हम आशा करते हैं दोस्तों की आपको आज का हमारा यह आर्टिकल अवश्य ही पसंद आया होगा क्योंकि आज भी बहुत से लोग ऐसे हैं जो शायर मिर्जा गालिब की शायरी सुनना और पढ़ना बहुत ज्यादा पसंद करते हैं। आगे भी हम आपके लिए इसी तरह के आर्टिकल्स लेकर आते रहेंगे और आप इसी तरह अपना प्यार और सपोर्ट बनाए रखें।

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