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Rabindranath Tagore Poems In Hindi: रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं

Posted on May 6, 2023 by ANDREW

गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कविताएं: रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई सन् 1861 को कोलकाता में हुआ था। इनकी कविताओं को पढ़कर मन जोश और उत्साह की उमंग से भर जाता हैं। रविंद्र जो को अपनी कविताओं के लिए कई अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया है। वर्ष 1903 में गीतांजलि के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था और यह एशिया के प्रथम व्यक्ति थे जिन्हे इस सम्मान से सम्मानित किया गया था। रविंद्र जी की 2 रचनाओं को भारत और बांग्लादेश ने अपने राष्ट्रगान के लिए चुना था। 1915 को, कलकत्ता विश्वविद्यालय ने रवींद्रनाथ जी को साहित्य के लिए डॉक्टर की उपाधि,1915 को, रवींद्रनाथ टैगोर जी को ब्रिटेन ने नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया गया था। तो दोस्तो हम आपको रविंद्र जी की कुछ प्रसिद्ध कविताओ से रूबरू कराने वाले हैं तो हमारे इस लेख में अंत तक बने रहे। Check the latest Rabindranath Tagore Poems In Hindi here:

Table of Contents

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  • 1- हम होंगे कामयाब (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)
  • 2- अनसुनी करके तेरी बात (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)
  • 3- पिंजरे की चिड़िया थी (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)
  • 4- मन जहा डर से परे (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)
  • 5- रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं: अरे भीरु, कुछ तेरे ऊपर, नहीं भुवन का भार
  • 6- विपदाओं से रक्षा करो (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)
  • 7- रोना बेकार है (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)
  • 8- रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं: मेरे प्यार की ख़ुशबू
  • 9- गर्मी की रातों में (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)
  • 10- प्‍यार में और कुछ नहीं (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)

1- हम होंगे कामयाब (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)

होंगे कामयाब,

हम होंगे कामयाब एक दिन

मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

हम होंगे कामयाब एक दिन।

हम चलेंगे साथ-साथ

डाल हाथों में हाथ

हम चलेंगे साथ-साथ, एक दिन

मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास

हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन।

रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से लेखक रविंद्र नाथ टैगोर जी द्वारा कहा जा रहा है कि अगर मन में पूरा विश्वास हो और कुछ करने की इच्छा हो तो आप एक दिन अवश्य ही कामयाब होंगे। अगर मंजिल में चलने के लिए आपको अपनों का साथ मिल जाए तो आपको कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता।

2- अनसुनी करके तेरी बात (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)

अनसुनी करके तेरी बात

अनसुनी करके तेरी बात

न दे जो कोई तेरा साथ

तो तुही कसकर अपनी कमर

अकेला बढ़ चल आगे रे

अरे ओ पथिक अभागे रे ।

देखकर तुझे मिलन की बेर

सभी जो लें अपने मुख फेर

न दो बातें भी कोई क्या रे

सभय हो तेरे आगे रे

अरे ओ पथिक अभागे रे ।

तो अकेला ही तू जी खोल

सुरीले मन मुरली के बोल

अकेला गा, अकेला सुन ।

अरे ओ पथिक अभागे रे

अकेला ही चल आगे रे ।

जायँ जो तुझे अकेला छोड़

न देखें मुड़कर तेरी ओर

बोझ ले अपना जब बढ़ चले

गहन पथ में तू आगे रे–

अरे ओ पथिक अभागे रे ।

व्याख्या

इस Hindi कविता के माध्यम से लेखक रविंद्र नाथ टैगोर जी द्वारा कहा जा रहा है कि अगर कोई तुम्हारा साथ ना दे तो उसकी बात को अनदेखा अनसुना करके अकेले ही अपनी मंजिल की ओर चल पड़ो। मंजिल के रास्ते में चलते समय पीछे मुड़कर ना देखना बस चलते चले जाना। अगर अपने आपसे मुंह भी मोड़ ले तो भी बिना चिंता के पूरे जोश और उत्साह के साथ अपनी मंजिल के पड़ाव को अकेले ही पार करो। आपका यही दृढ़ निश्चय एक ना एक दिन आपको आसमान की बुलंदियों पर पहुंच जाएगा और आपकी कामयाबी के जश्न में आपको अपनों का साथ भी अवश्य ही मिलेगा।

3- पिंजरे की चिड़िया थी (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)

पिंजरे की चिड़िया थी सोने के पिंजरे में

वन कि चिड़िया थी वन में

एक दिन हुआ दोनों का सामना

क्या था विधाता के मन में

वन की चिड़िया कहे सुन पिंजरे की चिड़िया रे

वन में उड़ें दोनों मिलकर

पिंजरे की चिड़िया कहे वन की चिड़िया रे

पिंजरे में रहना बड़ा सुखकर

वन की चिड़िया कहे ना…

मैं पिंजरे में क़ैद रहूँ क्यों 

पिंजरे की चिड़िया कहे हाय

निकलूँ मैं कैसे पिंजरा तोड़कर

वन की चिड़िया गाए पिंजरे के बाहर बैठे

वन के मनोहर गीत

पिंजरे की चिड़िया गाए रटाए हुए जितने

दोहा और कविता के रीत

वन की चिड़िया कहे पिंजरे की चिड़िया से

गाओ तुम भी वनगीत

पिंजरे की चिड़िया कहे सुन वन की चिड़िया रे

कुछ दोहे तुम भी लो सीख

वन की चिड़िया कहे ना ….

तेरे सिखाए गीत मैं ना गाऊँ

पिंजरे की चिड़िया कहे हाय!

मैं कैसे वनगीत गाऊँ

वन की चिड़िया कहे नभ का रंग है नीला

उड़ने में कहीं नहीं है बाधा

पिंजरे की चिड़िया कहे पिंजरा है सुरक्षित

रहना है सुखकर ज़्यादा

वन की चिड़िया कहे अपने को खोल दो

बादल के बीच, फिर देखो

पिंजरे की चिड़िया कहे अपने को बाँधकर

कोने में बैठो, फिर देखो

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से रविंद्र नाथ टैगोर जी द्वारा खुले आसमान में उड़ने वाले परिंदे और पिंजरे में कैद परिंदो में क्या अंतर होता है उस सच से रूबरू करा रहे हैं। यदि इसी उदाहरण को हम अपने जीवन में सोच कर देखें तो हमें खुले आसमान में जीना और दूसरे के बनाए नियम और शर्तों में कैद हो के जीने में कितना फर्क है बड़ी आसानी से समझ आ सकता है। आपके सपने आपके खुद के हैं।लेकिन बार कई बार हम अपने सपनों का त्याग कर अपने परिवार के सपनों को पूरा करने में लग जाते हैं। वह भी एक तरह की कैद ही है जिस में रहकर हम खुश रहकर जीना ही भूल जाते हैं। खुलकर जीने का मजा ही कुछ और है। बिना रोक-टोक अपने सपनों को पूरा करना अगर रास्ते में मुश्किलें भी आए तो हंसते-हंसते पार करना। उन मुश्किलों से लड़ने के बाद जब अपना सपना अपनी लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल करने के बाद एक अलग ही शांति और सुख मिलता है।

4- मन जहा डर से परे (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)

मन जहां डर से परे है

मन जहां डर से परे है

और सिर जहां ऊंचा है;

ज्ञान जहां मुक्त है;

और जहां दुनिया को

संकीर्ण घरेलू दीवारों से

छोटे छोटे टुकड़ों में बांटा नहीं गया है;

जहां शब्द सच की गहराइयों से निकलते हैं;

जहां थकी हुई प्रयासरत बांहें

त्रुटि हीनता की तलाश में हैं;

जहां कारण की स्पतष्टह धारा है

जो सुनसान रेतीले मृत आदत के

वीराने में अपना रास्ताद खो नहीं चुकी है;

जहां मन हमेशा व्यासपक होते विचार और सक्रियता में

तुम्हानरे जरिए आगे चलता है

और आजादी के स्वेर्ग में पहुंच जाता है

ओपिता मेरे देश को जागृत बनाओ।

रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं

व्याख्या 

इस रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं के माध्यम से लेखक रविंद्र नाथ टैगोर जी द्वारा कहा जा रहा है कि मन में कोई डर नहीं होना चाहिए किसी भी परिस्थिति या किसी भी कठिन परीक्षा के समय। हमेशा सर गर्व से ऊंचा रखना। यह दुनिया यह संसार आपके लिए कितनी ही ऊंची दीवारें क्यों ना खड़ी कर दें लेकिन आपको बिना डरे उन दीवारों से छलांग लगाकर अपनी मंजिल को पाना है। अगर आप सत्य पर विश्वास रखते हैं और ईमानदारी के साथ अपने मंजिल की सीढ़ियों को छोटे-छोटे कदमों से पार करते हैं तो एक दिन अवश्य ही आप कामयाब होंगे।

5- रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं: अरे भीरु, कुछ तेरे ऊपर, नहीं भुवन का भार

अरे भीरु, कुछ तेरे ऊपर, नहीं भुवन का भार

अरे भीरु, कुछ तेरे ऊपर, नहीं भुवन का भार

इस नैया का और खिवैया, वही करेगा पार ।

आया है तूफ़ान अगर तो भला तुझे क्या आर

चिन्ता का क्या काम चैन से देख तरंग-विहार ।

गहन रात आई, आने दे, होने दे अंधियार–

इस नैया का और खिवैया वही करेगा पार ।

पश्चिम में तू देख रहा है मेघावृत आकाश

अरे पूर्व में देख न उज्ज्वल ताराओं का हास ।

साथी ये रे, हैं सब “तेरे”, इसी लिए, अनजान

समझ रहा क्या पायेंगे ये तेरे ही बल त्राण ।

वह प्रचण्ड अंधड़ आयेगा,

काँपेगा दिल, मच जायेगा भीषण हाहाकार

इस नैया का और खिवैया यही करेगा पार ।

रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से लेखक रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा कहा जा रहा है कि अरे भीरू तेरे कंधों पर जिम्मेदारी का कितना ही भार क्यों ना हो बिना डरे उस नैय्या को वही पार लगाएगा जिसने विपदाओं में डाला है। अगर जिंदगी में तूफान आया है तो डरने की क्या बात है जिंदगी के उस तूफान से वही निकालेगा जिसने तेरे कंधों पर इस भार को डाला है। खुले आसमान में ठंडी हवाओं को महसूस करना और अपनी जिम्मेदारियों को शांति के साथ मुस्कुराते हुए पूरा करना ही एक सफल मनुष्य की निशानी है। जो मनुष्य जिंदगी के हर परिस्थिति का सामना हंसते-हंसते करता है वही असल जिंदगी को जीता है।

6- विपदाओं से रक्षा करो (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)

विपदाओं से रक्षा करो

विपदाओं से रक्षा करो

यह न मेरी प्रार्थना,

यह करो : विपद् में न हो भय।

दुख से व्यथित मन को मेरे

भले न हो सांत्वना,

यह करो : दुख पर मिले विजय।

मिल सके न यदि सहारा,

अपना बल न करे किनारा;

क्षति ही क्षति मिले जगत् में

मिले केवल वंचना,

मन में जगत् में न लगे क्षय।

करो तुम्हीं त्राण मेरा-

यह न मेरी प्रार्थना,

तरण शक्ति रहे अनामय।

भार भले कम न करो,

भले न दो सांत्वना,

यह करो : ढो सकूँ भार-वय।

सिर नवाकर झेलूँगा सुख,

पहचानूँगा तुम्हारा मुख,

मगर दुख-निशा में सारा

जग करे जब वंचना,

यह करो : तुममें न हो संशय।

व्याख्या

इस रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं के माध्यम से लेखक रविंद्र नाथ टैगोर जी द्वारा कहा जा रहा है कि भगवान से कभी भी विपदाओं से मेरी रक्षा करना यह नहीं बल्कि कठिन परिस्थितियों में बिना डर के उनका सामना करने की शक्ति यह प्रार्थना करनी चाहिए। दुख और परेशानी पर विजय की प्रार्थना करनी चाहिए। कठिन परिस्थितियों का भार उठाने की प्रार्थना करनी चाहिए। कभी भी किसी का सहारा ढूंढने की नहीं बल्कि अपना सहारा खुद बनने की प्रार्थना करनी चाहिए। कितना ही बड़ा तूफान क्यों ना हो उस तूफान में अपनी नौका को पार लगाना यह सबसे बड़ा संघर्ष है जिसे हर हाल में पार करना है।

7- रोना बेकार है (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)

व्यर्थ है यह जलती अग्नि इच्छाओं की

सूर्य अपनी विश्रामगाह में जा चुका है

जंगल में धुंधलका है और आकाश मोहक है।

उदास आँखों से देखते आहिस्ता क़दमों से

दिन की विदाई के साथ

तारे उगे जा रहे हैं।

तुम्हारे दोनों हाथों को अपने हाथों में लेते हुए

और अपनी भूखी आँखों में तुम्हारी आँखों को

कैद करते हुए,

ढूँढते और रोते हुए, कि कहाँ हो तुम,

कहाँ हो, कहाँ हो…

तुम्हारे भीतर छिपी

वह अनंत अग्नि कहाँ है।

रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से लेखक रविंद्र नाथ टैगोर जी द्वारा बड़े ही साफ शब्दों में कहा जा रहा है कि जिंदगी के किसी भी मोड़ पर रोना बेकार है। कवि कह रहा है कि रोने से किसी भी परेशानी का हल नहीं है। बैठ कर रोने से बेहतर है कि अपने दिमाग का इस्तेमाल कर उस मुश्किल घड़ी से निकलने का रास्ता सोचा जाए। समय गुजर जाने के बाद वह वक्त वापस नहीं आता सिर्फ पछतावा छोड़ जाता है, इसलिए कभी भी परेशानियों से डरकर हार मान कर रोना व्यर्थ है व्यर्थ है।

8- रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं: मेरे प्यार की ख़ुशबू

मेरे प्यार की ख़ुशबू,

मेरे प्यार की ख़ुशबू,

वसंत के फूलों-सी,

चारों ओर उठ रही है।

यह पुरानी धुनों की,

याद दिला रही है,

अचानक मेरे हृदय में,

इच्छाओं की हरी पत्तियाँ,

उगने लगी हैं।

मेरा प्यार पास नहीं है,

पर उसके स्पर्श मेरे केशों पर हैं।

और उसकी आवाज़ अप्रैल के

सुहावने मैदानों से फुसफुसाती आ रही है।

उसकी एकटक निगाह यहाँ के,

आसमानों से मुझे देख रही है,

पर उसकी आँखें कहाँ हैं।

उसके चुंबन हवाओं में हैं,

पर उसके होंठ कहाँ है।

व्याख्या 

इस रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं के माध्यम से लेखक रविंद्र नाथ टैगोर जी द्वारा प्यार की खुशबू के बारे में बताया जा रहा है कि हमें अपने प्यार की खुशबू फूलों की तरह चारों तरफ बिखेर नहीं चाहिए। कवि कह रहा है कि अपने मन में पुरानी यादों को ताजा कर एक बार फिर से खुशी से जी उठो। बहुत सारी इच्छा है मेरे मन में दबी हुई है मेरे प्यार के लिए। भले ही वो पास नहीं लेकिन उसका स्पर्श उसकी यादें हमारे मन में रहते हैं।

9- गर्मी की रातों में (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)

गर्मी की रातों में

गर्मी की रातों में

जैसे रहता है पूर्णिमा का चांद

तुम मेरे हृदय की शांति में निवास करोगी

आश्चर्य में डूबे मुझ पर

तुम्हारी उदास आंखें

निगाह रखेंगी

तुम्हारे घूंघट की छाया

मेरे हृदय पर टिकी रहेगी

गर्मी की रातों में पूरे चांद की तरह खिलती

तुम्हारी सांसें, उन्हें सुगंधित बनातीं

मरे स्वप्नों का पीछा करेंगी

रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक रविंद्र नाथ टैगोर जी द्वारा गर्मी की खूबसूरत रातों का वर्णन किया जा रहा है। कवि द्वारा बताया जा रहा है कि गर्मी की रातों में किस तरह पूर्णिमा का चांद हमारे मन में शांति का निवास करता है और ठंडी ठंडी हवाएं हमें तरोताजा करती है। गर्मी की रातों में छत पर खुले आसमान के नीचे लेटना और आसमान में अनगिनत तारे और पूर्णिमा के चांद की रोशनी का एहसास हमें भी हमारे जीवन में इसी तरह चमकने का संकेत देता है।

10- प्‍यार में और कुछ नहीं (लेखक- रविंद्र नाथ टैगोर)

अगर प्‍यार में और कुछ नहीं

केवल दर्द है फिर क्‍यों है यह प्‍यार ?

कैसी मूर्खता है यह

कि चूँकि हमने उसे अपना दिल दे दिया

इसलिए उसके दिल पर

दावा बनता है,हमारा भी

रक्‍त में जलती इच्‍छाओं और आँखों में

चमकते पागलपन के साथ

मरूथलों का यह बारंबार चक्‍कर क्‍यों ?

दुनिया में और कोई आकर्षण नहीं उसके लिए

उसकी तरह मन का मालिक कौन है;

वसंत की मीठी हवाएँ उसके लिए हैं;

फूल, पंक्षियों का कलरव सब कुछ

उसके लिए है

पर प्‍यार आता है

अपनी सर्वगासी छायाओं के साथ

पूरी दुनिया का सर्वनाश करता

जीवन और यौवन पर ग्रहण लगाता

फिर भी न जाने क्‍यों हमें

अस्तित्‍व को निगलते इस कोहरे की

तलाश रहती है ?

व्याख्या

इस रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं के माध्यम से लेखक रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा बताया जा रहा है कि अगर आप किसी से प्यार करते हैं और उस प्यार में खुशी और सुख नहीं है केवल दुख है तो आपकी मूर्खता है कि आप उसके साथ हैं। आपका उस इंसान पर पूरा हक है तो जो प्यार और सम्मान आप उन्हें देते हैं बदले में आपको भी वही प्यार और सम्मान पूरा मिलना चाहिए। प्यार फूलों की तरह खुशबू फैलाने का नाम है। आपको किसी से सच्चा प्यार होता है तो उसके प्रति इच्छाएं समय के साथ साथ बढ़ती जाती हैं।

आज के हमारे इस लेख में लेखक रवींद्रनाथ टैगोर की कविताएं आपके लिए हम लेकर आए हैं। उम्मीद करते हैं कि आप इन मशहूर लेखक की प्रसिद्ध कविताएं पढ़कर अपने जीवन में पॉजिटिविटी के साथ आगे कदम बढ़ाने में सक्षम होंगे। हम आपके लिए ऐसे ही प्रसिद्ध कवियों की प्रसिद्ध कविताएं लेकर आते रहेंगे।

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