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Mahadevi Verma Poems In Hindi: हिंदी कविताएं

Posted on May 10, 2023 by ANDREW

Mahadevi Verma Poems In Hindi: जैसे कि आप सब लोग जानते हैं कि आज भी बहुत सारे लोगों को हिंदी कविताएं पढ़ने का बहुत शौक होता है। हिंदी की कुछ प्रसिद्ध कविताएं ऐसी भी है जो बच्चे बच्चे की जबान पर रटी हुई है। आज हम आपके लिए अपने इस आर्टिकल के माध्यम से प्रसिद्ध लेखिका महादेवी वर्मा जी की कुछ मशहूर कविताएं लेकर आए हैं। इस मशहूर कवित्री का जन्म 26 मार्च 1907 में फर्रुखाबाद में हुआ था। बचपन से ही इनका रुझान संगीत कला, चित्रकला और काव्य कला की और रहा था। इस प्रसिद्ध लेखिका को आधुनिक युग की मीरा भी कहा जाता था।इनकी पहली रचना निहार थी जो लोगो को बेहद पसंद आई थी। Check the list of Mahadevi Verma Poems In Hindi here:

Table of Contents

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  • 1- मिटने का अधिकार (लेखक-महादेवी वर्मा)
  • 2- Mahadevi Verma Poems In Hindi: कहाँ रहेगी चिड़िया
  • 3- मैं अनंत पथ में लिखती (लेखक-महादेवी वर्मा)
  • 4- Mahadevi Verma Poems In Hindi: कोयल
  • 5- जो तुम आ जाते हैं एक बार (लेखक-महादेवी वर्मा)
  • 6- जब यह दीप थके तब आना (लेखक-महादेवी वर्मा)
  • 7- Mahadevi Verma Poems In Hindi: स्वप्न से किसने जगाया
  • 8- धूप सा तन दीप सी मैं (लेखक-महादेवी वर्मा)
  • 9- तुममें प्रिय, फिर परिचय क्या (लेखक-महादेवी वर्मा)
  • 10- उत्तर (लेखक-महादेवी वर्मा)

1- मिटने का अधिकार (लेखक-महादेवी वर्मा)

वे मुस्काते फूल, नहीं

जिनको आता है मुरझाना,

वे तारों के दीप, नहीं

जिनको भाता है बुझ जाना।

वे सूने से नयन, नहीं

जिनमें बनते आँसू मोती,

वह प्राणों की सेज, नही

जिसमें बेसुध पीड़ा, सोती।

वे नीलम के मेघ, नहीं

जिनको है घुल जाने की चाह

वह अनन्त ऋतुराज, नहीं

जिसने देखी जाने की राह।

ऐसा तेरा लोक, वेदना

नहीं,नहीं जिसमें अवसाद,

जलना जाना नहीं, नहीं

जिसने जाना मिटने का स्वाद।

क्या अमरों का लोक मिलेगा

तेरी करुणा का उपहार

रहने दो हे देव! अरे

यह मेरे मिटने का अधिकार।

Mahadevi Verma Poems In Hindi

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से लेखिका देवी वर्मा जी द्वारा मर मिटने के अधिकार का वर्णन किया जा रहा है। लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि जो मुरझा जाए वह फूल कैसे, जो बुझ जाए वह तारे कैसे, जो आंसू मोती ना बने वह आसू कैसे हैं। जीवन में कदम कदम पर मिटने के लिए तैयार रहना पड़ता है तभी लोहा तब कर सोना बनता है। हमें भी अपने जीवन में हमेशा हर परिस्थिति में मिटने के लिए तैयार रहना चाहिए। जीवन में बिना पीड़ा कुछ भी हासिल नहीं होता लेकिन उस पीड़ा को सहकर अपनी और निरंतर चलना ही मिटने का अधिकार है।

2- Mahadevi Verma Poems In Hindi: कहाँ रहेगी चिड़िया

कहाँ रहेगी चिड़िया?

आंधी आई जोर-शोर से,

डाली टूटी है झकोर से,

उड़ा घोंसला बेचारी का,

किससे अपनी बात कहेगी?

अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी ?

घर में पेड़ कहाँ से लाएँ?

कैसे यह घोंसला बनाएँ?

कैसे फूटे अंडे जोड़ें?

किससे यह सब बात कहेगी,

अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी ?

Mahadevi Verma Poems In Hindi

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से कवित्री महादेवी वर्मा जी कैसे आंधी आने के बाद एक चिड़िया का घोंसला उजड़ जाता है, बारे में बात कर रही है। आंधी आने के बाद एक नन्हीं चिड़िया की डाल टूट कर उसका घोसला नीचे गिर जाता है। अंडे फूट जाते हैं लेकिन यह बेचारी किससे अपने मन की बात कहेंगी और कहा जाएगी। लेकिन यह परिंदे कहां हार मानते हैं एक बार फिर से उठेगी और अपना घोंसला बनाएगी और अपना संसार दोबारा बसाएगी।

3- मैं अनंत पथ में लिखती (लेखक-महादेवी वर्मा)

मै अनंत पथ में लिखती जो

सस्मित सपनों की बाते

उनको कभी न धो पायेंगी

अपने आँसू से रातें।

उड़उड़ कर जो धूल करेगी

मेघों का नभ में अभिषेक

अमिट रहेगी उसके अंचल-

में मेरी पीड़ा की रेख।

तारों में प्रतिबिम्बित हो

मुस्कायेंगी अनंत आँखें,

हो कर सीमाहीन, शून्य में

मँडरायेगी अभिलाषें।

वीणा होगी मूक बजाने-

वाला होगा अंतर्धान,

विस्मृति के चरणों पर आ कर

लौटेंगे सौ सौ निर्वाण।

जब असीम से हो जायेगा

मेरी लघु सीमा का मेल,

देखोगे तुम देव! अमरता

खेलेगी मिटने का खेल।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से कवित्री महादेवी वर्मा जी द्वारा अनंतपथ पर चलते समय अपने सपनों को किस तरह से सजाया जाता है उसका वर्णन किया जा रहा है। इस कविता के माध्यम से पथ पर चलते हुए कवित्री अपने सपनों का वर्णन कर रही हैं जिन्हें उनके आंसू या उनकी पीड़ा कभी टूटने नहीं देगी और ना ही उन आंखों में बहने देगी। जीवन में कितना ही आंधी तूफान क्यों ना आ जाए, लेकिन आपके सपनों को पूरा करने से कोई नहीं रोक सकता। शून्य से शुरू कर आखिर तक डटे रहना है और मेरी सफलतावला बिगुल मेरे भगवान भी बजाएंगे और अमरता का खेल भी देखेंगे।

4- Mahadevi Verma Poems In Hindi: कोयल

डाल हिलाकर आम बुलाता

तब कोयल आती है।

नहीं चाहिए इसको तबला,

नहीं चाहिए हारमोनियम,

छिप-छिपकर पत्तों में यह तो

गीत नया गाती है!

चिक्-चिक् मत करना रे निक्की,

भौंक न रोजी रानी,

गाना एक, सुना करते हैं

सब तो उसकी बानी।

आम लगेंगे इसीलिए यह

गाती मंगल गाना,

आम मिलेंगे सबको, 

इसको नहीं एक भी खाना।

सबके सुख के लिए बेचारी

उड़-उड़कर आती है,

आम बुलाता है, तब कोयल

काम छोड़ आती है।

व्याख्या

कविता के माध्यम से लेखिका महादेवी वर्मा जी द्वारा कोयल के गुणों का बखान किया जा रहा है। लेखिका बताया जा रहा है कि कोयल का मीठा गाना सुनने के लिए आम उसे बुलाता है और वह बेचारी दौड़ी चली आती है और अपनी सुरीली आवाज में गाना सुनाती है। कोयल अपना सारा काम छोड़कर आम के बाग में आती है बिना स्वार्थ के। कोयल की सुरीली आवाज का गुण पशु पक्षियों को ही नहीं बल्कि इंसानों को भी बहुत पसंद है। जब सुबह सवेरे जंगलों में अपनी सुरीली आवाज से सबका ध्यान अपनी ओर खींचती है।

5- जो तुम आ जाते हैं एक बार (लेखक-महादेवी वर्मा)

जो तुम आ जाते हो एक बार

कितना करूणा संदेश

पथ में बिछ जाता है बन पराग

गाता प्राणों का तार तार

अनुराग राग राग राग

आँसू लेते वे पथ पखार

जो तुम आ जाते हो एक बार

हँसिया पल में कच्चे नयन

धुल से होठों से विषाद जैसा

जीवन में बस

लुट जाना चिर प्राप्त विराग

आग लगीं सर्वस्व युद्ध

जो तुम आ जाता है एक बार

Mahadevi Verma Poems In Hindi

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से माध्यम से लेखिका महादेवी वर्मा जी द्वारा बताया जा रहा है कि जब हम किसी को याद कर उसको बुलाने का संदेश देते हैं तो हमारे आंखे उसके इंतजार में भीग जाते हैं। किसी के आने का इंतजार में पलके बिज जाती है और मन में केवल यही उमंग रहती है कि बस एक बार वह आ जाए।

6- जब यह दीप थके तब आना (लेखक-महादेवी वर्मा)

जब यह दीप थके तब आना

यह चंचल सपने भोले है,

दृग-जल पर पाले मैने,

मृदु पलकों पर तोले हैं,

दे सौरभ के पंख इन्हें सब नयनों में पहुँचाना!

जब यह दीप थके तब आना।

साधें करुणा-अंक ढली है,

सान्ध्य गगन-सी रंगमयी पर,

पावस की सजला बदली है,

विद्युत के दे चरण इन्हें उर-उर की राह बताना!

जब यह दीप थके तब आना।

यह उड़ते क्षण पलक-भरे है,

सुधि से सुरभित स्नेह-धुले,

ज्वाला के चुम्बन से निखरे है,

दे तारो के प्राण इन्ही से सूने श्वास बसाना!

जब यह दीप थके तब आना।

यह स्पन्दन है अंक-व्यथा के,

चिर उज्ज्वल अक्षर जीवन की,

बिखरी विस्मृत क्षार-कथा के,

कण का चल इतिहास इन्हीं से लिख-लिख अजर बनाना!

जब यह दीप थके तब आना।

लौ ने वर्ती को जाना है,

वर्ती ने यह स्नेह, स्नेह ने,

रज का अंचल पहचाना है,

चिर बन्धन में बाँध इन्हें धुलने का वर दे जाना!

जब यह दीप थके तब आना। 

व्याख्या 

इस Mahadevi Verma Poems In Hindi के माध्यम से लेखिका महादेवी वर्मा जी द्वारा जब दीप थक जाए तब सपनों को आने की बात कही जा रही है। सपने बहुत भोले होते हैं इसीलिए लेखिका द्वारा कहा जा रहा है कि रात के अंधेरे में मेरी पलकों में आना और मीठे सपने सजा जाना। रात के पहर में जब हम थक हार कर अपने बिस्तर भी और आगे बढ़ते हैं तो चंचल सपने हमारी आंखों में आते हैं। खुली आंखों से देखे गए सपने हमेशा पुरे होते हैं लेकिन कई बार नींद में आए सपने हमारी सीमा से बाहर होते हैं जिन्हें हम पूरा नहीं कर सकते हैं। जो सपने हम पूरा नहीं कर सकते उन्हें सिर्फ हमारे ख्याल और आंखों में रहना ही ठीक है।

7- Mahadevi Verma Poems In Hindi: स्वप्न से किसने जगाया

स्वप्न से किसने जगाया?

मैं सुरभि हूं।

छोड कोमल फूल का घर,

ढूंढती हूं निर्झर।

पूछती हूं नभ धरा से क्या नहीं र्त्रतुराज आया?

स्वप्न से किसने जगाया?

मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत,

मैं अग-जग का प्यारा वसंत।

मेरी पगध्वनी सुन जग जागा,

कण-कण ने छवि मधुरस मांगा।

नव जीवन का संगीत बहा,

पुलकों से भर आया दिगंत।

मेरी स्वप्नों की निधि अनंत,

मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत।

Mahadevi Verma Poems In Hindi

व्याख्या 

इस Hindi कविता के माध्यम से महादेवी वर्मा जी द्वारा बताया जा रहा है कि कभी भी किसी को सपने से नहीं जगाना चाहिए। लेखिका कह रही है कि मुझे कोमल फूलों के घर से किसने जगाया। मैं अपने सपनों में बहता पानी, खुला आसमां, पशु पक्षियों का चहचहाना और प्यारा वसंत इन प्यारे सपनों से मुझे किसने जगाया। सपने हमारे जीवन का आधार है मनुष्य कभी भी सपने देखना नहीं छोड़ सकता।

8- धूप सा तन दीप सी मैं (लेखक-महादेवी वर्मा)

धूप सा तन दीप सी मैं

उड़ रहा नित एक सौरभ

धूम-लेखा में बिखर तन,

खो रहा निज को अथक

आलोक सांसों में पिघल मन,

अश्रु से गीला सृजन-पल

औ विसर्जन पुलक-उज्ज्वल,

आ रही अविराम मिट मिट

स्वजन ओर समीप सी मैं।

धूप सा तन दीप सी मैं।

सघन घन का चल तुरंगम

चक्र झंझा के बनाये,

रश्मि विद्युत ले प्रलय-रथ

पर भले तुम श्रान्त आये,

पंथ में मृदु स्वेद-कण चुन

छांह से भर प्राण उन्मन,

तम-जलधि में नेह का मोती

रचूंगी सीप सी मैं।

धूप-सा तन दीप सी मैं।

व्याख्या 

इस कविता के माध्यम से लेखिका महादेवी वर्मा जी द्वारा बताया जा रहा है कि धूप की तरह मनुष्य का मन जलता है और दीप की ज्वाला की तरह वह खुद उज्जवल रहता है। कंधो पर जिम्मेदारी का बोझ लिए जलता मेरा मन अपनी मंजिल की ओर बढ़ा चलता है।संसार के स्वार्थी लोग के स्वार्थी लोग मुझे पीछे की ओर घसीटते हैं लेकिन मुझे अपने मुख पर मुस्कान सजाए दीप की तरह आगे बढ़ते जाना है। जो मनुष्य धूप में तप कर अपनी जिम्मेदारियों का एहसास मन में लिए जीवन में आगे बढ़ता है वह अवश्य ही 1 दिन दीप की तरह प्रकाशित होता है।

9- तुममें प्रिय, फिर परिचय क्या (लेखक-महादेवी वर्मा)

तुममें प्रिय, फिर परिचय क्या!

तारक में छवि, प्राणों में स्मृति

पलकों में नीरव पद की गति

लघु उर में पुलकों की संस्कृति

भरती हूं तेरी चंच

और करूँ जग में संग्रहण क्या?

तेरह सहास अरूणबुध्द

परछाई रजनी विषादमय

वह जाग्रत स्वप्नदृष्टिमय,

खेल-खेल, थक-थक सोने दे

मैं समझूँगी सृष्टि प्रलय क्या?

तेर अष्ट विचुंबित प्याला

तेरी विस्मत मिश्रित हाला

तेर ही मानस मधुशाला

फिर कहो क्या मेरे साकी

दें होम मधुमय विषमय क्या?

चित्र तू मैं रेखा क्रम,

मधुर राग तू मैं स्वर संगम

तू मैं सीमा का भ्रम

काया-छाया में रहस्यमय

प्रेयसी प्रियतम का अभिनय किया क्या?

व्याख्या

इस Mahadevi Verma Poems In Hindi के माध्यम से लेखिका अपना परिचय देते हुए कह रहे हैं कि तुमसे प्रिय परिचय क्या? लेखिका लेखिका खुद का ही परिचय देने की भावना प्रकट कर रही हैं। महादेवी वर्मा जी का कहना है कि तारों की छवि, स्मृति प्राणों की स्मृति, पलकों का नीरव और पद की गति मनुष्य खुद ही है। अपने बारे में अच्छे विचार हर कोई रखता है लेकिन हमें अपने अंदर की आदमियों को भी किसी से छुपाना नहीं चाहिए। असली परिचय वह नहीं जिसमें प्रशंसा की जाए सही मायनों में परिचय वह होता है जहां आप जैसे होते हैं वैसा ही खुद को दूसरों के सामने दर्शाए।

10- उत्तर (लेखक-महादेवी वर्मा)

इस एक बूँद आँसू में,

चाहे साम्राज्य बहा दो,

वरदानों की वर्षा से,

यह सूनापन बिखरा दो।

इच्छा‌ओं की कम्पन से,

सोता एकान्त जगा दो,

आशा की मुस्काहट पर,

मेरा नैराश्य लुटा दो ।

चाहे जर्जर तारों में,

अपना मानस उलझा दो,

इन पलकों के प्यालो में,

सुख का आसव छलका दो।

मेरे बिखरे प्राणों में,

सारी करुणा ढुलका दो,

मेरी छोटी सीमा में,

अपना अस्तित्व मिटा दो।

पर शेष नहीं होगी यह,

मेरे प्राणों की क्रीड़ा,

तुमको पीड़ा में ढूँढा,

तुम में ढूँढूँगी पीड़ा।

प्रसिद्ध कविताएं

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखिका महादेवी वर्मा जी बता रही है कि किसी के एक बूंद आंसू से पूरा साम्राज्य बह सकता है। कवि रहा है कि हे प्रभु अपने वरदानों की वर्षा से मेरे जीवन का सूनापन मिटा दो। हिंदी में इच्छाओं का इतना शोर जगा दो कि सोया हुआ एकांत मन जाग उठे और मंजिल की ओर कदम बढ़ाने पर मजबूर हो उठे। मेरी पलकों को सुख की बारिश से भीगा दो। कवि कह रहा है कि बिखरी हुई जिंदगी में उजाला भरकर प्रकाशित कर दो कि मुझमें कोई भी नजर ही ना आए।

दोस्तो आज हम आपके लिए लेखिका महादेवी वर्मा जी की कुछ चुनिंदा कविताएं लेकर आए हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको यह कविताएं बेहद पसंद आयेंगी। आगे भी हम आपके लिए इसी तरह प्रसिद्ध कविताएं अपने लेख के माध्यम से लेकर आते रहेंगे। Download the pictures for Mahadevi Verma Poems In Hindi here!

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