Hindi Mein Poem: आज आज हम आपके लिए बहुत ही दिलचस्प और दिल को छू लेने वाले हिंदी कविताएं अपने इस आर्टिकल के माध्यम से लेकर आए हैं। यह कविताएं आपको अवश्य ही पसंद आएंगी क्योंकि इन कविताओं से हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए कोई ना कोई सीख मिलती है जो हमें जीवन के संघर्ष का सामना करते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। बहुत से लोगों को कविताएं पढ़ने से मन की शांति और सुकून मिलता है। एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात की गई है कि हमें अपना वक्त उन्हीं चीजों को देना चाहिए जो हमारे लिए लाभदायक होती है जैसे की किताबें पढ़ना और कविताएं पढ़ना इससे समय बर्बाद होने से बचता है और हमें कुछ ना कुछ नया सीखने को मिलता है। यदि आप भी हिंदी कविताओं में रुचि रखते हैं तो हमारे इस पोस्ट को अवश्य पढ़ें।
1- उठो लाल अब आँखें खोलो ( लेखक – अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध)
उठो लाल अब आँखें खोलो,
पानी लायी हूँ मुंह धो लो।
बीती रात कमल दल फूले,
उसके ऊपर भँवरे झूले,
चिड़िया चहक उठी पेड़ों पे,
बहने लगी हवा अति सुंदर,
नभ में प्यारी लाली छाई,
धरती ने प्यारी छवि पाई।
भोर हुई सूरज उग आया,
जल में पड़ी सुनहरी छाया,
नन्ही नन्ही किरणें आई,
फूल खिले कलियाँ मुस्काई,
इतना सुंदर समय मत खोओ,
मेरे प्यारे अब मत सोओ।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जी द्वारा बताया जा रहा है कि जब सुबह सवेरे एक मां अपनी संतान को बड़े ही प्यार से उठाती है और कहती है कि उठो मेरे प्यारे बच्चों मैं तुम्हारे लिए पानी लाई हूं,जल्दी-जल्दी मुंह धो कर तैयार हो जाओ। एक मां अपने बच्चों से कहती है कि प्रातः काल उठ कर देखो कितने प्यारे प्यारे फूल खिले हुए हैं सूरज की नन्ही नन्ही किरणें अपने प्रकाश से संसार से अंधेरा मिटा रही है। इस समय को सोने में ना गवा कर बल्कि जल्दी उठकर इस समय का आनंद लो और व्यायाम करो।
2- Hindi Mein Poem: चल रे मटके टम्मक टूँ
हुए बहुत दिन बुढ़िया एक
चलती थी लाठी को टेक,
उसके पास बहुत था माल
जाना था उसको ससुराल,
मगर राह में चीते शेर
लेते थे राही को घेर,
बुढ़िया ने सोची तदबीर
जिससे चमक उठी तक़दीर,
मटका एक मंगाया मोल
लंबा लंबा गोल मटोल,
उसमे बैठी बुढ़िया आप
वह ससुराल चली चुपचाप,
बुढ़िया गाती जाती यूँ
चल रे मटके टम्मक टूँ।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बच्चों के एक बड़े ही मजेदार कविता का वर्णन किया जा रहा है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि एक बुढ़िया लाठी देखकर चलती थी जिसके पास बहुत सारा माल था, मगर रास्ते में शेर और चीता के डर के कारण वे अपने ससुराल नहीं पहुंच पा रही थी। एक दिन उसने अपना दिमाग लगाकर एक बड़ा सा गोल मटका मंगाया और उसमे बैठकर अपनी ससुराल की राह पकड़ कर एक बड़ा ही मजेदार गीत गाते हुए चलती है चल रे मटके टम्मक टू।
3- चन्दन है इस देश की माटी
चन्दन है इस देश की माटी
तपोभूमि हर ग्राम है,
हर बाला देवी की प्रतिमा
बच्चा बच्चा राम है,
जहां के सैनिक समरभूमि में
गाया करते गीता है,
जहां खेत में हल के नीचे
खेला करती सीता है,
ज्ञान जहां का गंगाजल सा
निर्मल हर अभिराम है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से द्वारा देश की मिट्टी के गुणों का बखान किया जा रहा है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि इस देश की जितने शूरवीर और जवानों का रक्त बहा है इसलिए हमारे देश की चंदन का तिलक है हमारे माथे पर। इस इस देश की रक्षा करते करते हैं बहुत से बहादुर नौजवानों ने अपना रक्त बहाया है। हमारे देश की मिट्टी गंगाजल के समान पवित्र है।
4- Hindi Mein Poem: ये ज़बाँ हम से सी नहीं जाती (लेखक- दुष्यंत कुमार)
ये ज़बाँ हम से सी नहीं जाती
ज़िंदगी है कि जी नहीं जाती।
इन फ़सीलों में वो दरारे हैं
जिन में बस कर नमी नहीं जाती।
देखिए उस तरफ़ उजाला है
जिस तरफ़ रौशनी नहीं जाती।
शाम कुछ पेड़ गिर गए वर्ना
बाम तक चाँदनी नहीं जाती।
एक आदत सी बन गई है तू
और आदत कभी नहीं जाती।
मय कशो मय ज़रूरी है लेकिन
इतनी कड़वी कि पी नहीं जाती।
मुझ को ऐसा बना दिया तुम ने
अब शिकायत भी की नहीं जाती।
व्याख्या
कविता के माध्यम से लेखक दुष्यंत कुमार जी द्वारा कहा जा रहा है कि मनुष्य की जुबान से ही उसके व्यवहार का पता चलता है। आपकी जुबान से ही ने सामने वाला मनुष्य अच्छे और बुरे व्यवहार को परखता है। जुबान हम सी तो नहीं सकते लेकिन कंट्रोल अवश्य कर सकते हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि कभी भी अपनी जुबान से कड़वे शब्द नहीं बोलना चाहिए जिससे कि सामने वाले पर आप की छाया गलत पढ़े। छोटी बातों को बढ़ावा देना और शिकायत करना यह सही चीज नहीं होती है आपके साथ कोई कैसा भी व्यवहार करें लेकिन आप अपनी जबान हमेशा चाशनी की तरह मीठी रखें।
5- इस ‘नदी’ की धार में ठंडी हवा आती तो है (लेखक- दुष्यंत कुमार)
इस ‘नदी’ की धार में ठंडी हवा आती तो है
‘नावं’ जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है।
एक चिन्गारी कही से ढूँढ लाओ दोस्तों
इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है।
एक खंडहर के हृदय सी,एक जंगली फूल सी,
आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है।
एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी,
ये अंधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है।
निर्वचन मैदान में लेटी हुई है जो नदी,
पत्थरों से, ओट में जा-जा के बतियाती तो है।
दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर,
और कुछ हो या न हो आकाश सी छाती तो है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक दुष्यंत कुमार जी द्वारा कहा जा रहा है कि नदियों की धार से बरसता पानी हमेशा शुद्ध और ठंडा होता है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि नाव कितनी ही हालत में क्यों ना हो लेकिन लहरों से टकराकर किनारे तक पहुंची जाती हैं। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि असफलता को सफलता में बदलने के लिए व्यक्ति को सौ बार गिरकर भी उठना पड़ता है और अपनी मंजिल को पाने का प्रयास बार-बार करना पड़ता है। एक सफल व्यक्ति असफलता की चुनौतियों से होकर ही कामयाब बनता है। जीवन में अगर आसमान की बुलंदियों को छू ना है तो कठिन परिश्रम हमेशा करते रहे।
6- Hindi Mein Poem: हर उभरी नस मलने का अभ्यास (लेखक- दुष्यंत कुमार)
हर उभरी नस मलने का अभ्यास
रुक-रुक कर चलने का अभ्यास
छाया में थमने की आदत
यह क्यों ?
जब देखो दिल में एक जलन
उल्टे उल्टे से चाल-चलन
सिर से पाँवों तक क्षत विक्षत
यह क्यों ?
जीवन के दर्शन पर दिन-रात
पण्डित विद्वानो जैसी बात
लेकिन मूर्खों जैसी हरकत
यह क्यों ?
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक दुष्यंत कुमार जी द्वारा कहा जा रहा है कि यदि एक कामयाब इंसान बनना है तो रास्ते में रुक रुक कर चलना और हल्की सी छांव में थमने की आदत को छोड़ना होगा। कामयाब बनने के लिए तपती धूप में भी चलना पड़ता है और काटो भरे रास्तों को भी पार करना होता है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि दूसरों को ज्ञानी बनकर ज्ञान देना और अपनी जिंदगी के फैसले में मूर्खता दिखाना यह सब एक मनुष्य को त्याग कर केवल अपनी मंजिल की ओर कठिन परिश्रम के साथ चलना चाहिए।
7- मुझे सर पे उठा ले आसमां (लेखक- प्रमोद तिवारी)
मुझे सर पे उठा ले आसमां ऐसा करो यारों,
मेरी आवाज में थोडा़ असर पैदा करो यारो।
यूं सबके सामने दिल खोलकर बातें नही करते,
बड़ी चालाक दुनिया है जरा समझा करो यारो।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक प्रमोद तिवारी जी द्वारा कहा जा रहा है कि मनुष्य को अपनी आवाज में इतना असर पैदा करना चाहिए कि केवल लोग ही नहीं बल्कि आसमान की बुलंदियों तक पहुंचने के लिए उसे किसी के सहारे की जरूरत ना पड़े। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि यह दुनिया बहुत चालाक लोगों से भरी हुई है इसीलिए हर किसी के सामने अपने दिल की बात नहीं करनी चाहिए।
8- शहर में बियाबान को सह रहा हूं (लेखक- प्रमोद तिवारी)
शहर में बियाबान को सह रहा हूँ
ये मैं ही हूँ जो इस तरह रह रहा हूँ।
भरोसे के काबिल नहीं है ये दुनिया
भरोसा किया है तभी कह रहा हूँ।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक प्रमोद तिवारी जी द्वारा कहा जा रहा है कि आज के समय में मनुष्य अपनी जिंदगी वीरान जंगलों की तरह जी रहा है और उसको सह भी रहा है। क्योंकि यह दुनिया भरोसे के काबिल नहीं है लेकिन फिर भी कई बार भरोसा करके धोखा खाना पड़ता है।
9-एक भरोसा था जो वो भी धीरे धीरे टूट गया (लेखक- प्रमोद तिवारी)
एक भरोसा था जो वो भी धीरे धीरे टूट गया
हाथों में हो हाथ भले पर रिश्ता था जो छूट गया।
हम दोनों ने कभी कहा था हमको तुमसे प्यार है
अपने हिस्से सच आया है उसके हिस्से झूठ गया।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक प्रमोद तिवारी जी द्वारा कहा जा रहा है कभी भी किसी पर अशोक विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि जब किसी का अटूट विश्वास टूटता है तो रिश्ते बिखर जाते हैं। कोई भी अटूट रिश्ता सत्य की बुनियाद पर बनता है और कई बार झूठ का सहारा लेकर वही विश्वास टूट जाता है। हमेशा सोच समझकर लोगों पर विश्वास करना चाहिए।
10- जो कहना है कहूँगा भी, जो करना है करूँगा भी (लेखक- प्रमोद तिवारी)
जो कहना है कहूँगा भी, जो करना है करूँगा भी
अंधेरो को खलूँगा भी, हवाओं से लडूंगा भी
न सोचा है मिला क्या है, न सोचूंगा मिलेगा क्या
दिया हूं तो जलूँगा भी, जलूँगा तो बुझूंगा भी।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक प्रमोद तिवारी जी द्वारा कहां जा रहा है कि मनुष्य की अपनी जिंदगी है इसलिए आपको अपनी मर्जी के हिसाब से करना चाहिए। किसी से सलाह मशवरे से कार्य नहीं करना चाहिए। यदि आपने साहस है अपनी जिंदगी को कामयाब बनाने की और आप अंधेरों में रोशनी की किरण ढूंढ सकते हैं तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
11- Hindi Mein Poem: दोस्ती
कभी दोस्ती के सितम देखते हैं
कभी दुश्मनी के करम देखते हैं।
कोई चहरा नूरे-मसर्रत से रोशन
किसी पर हज़ारों अलम देखते हैं।
अगर सच कहा हम ने तुम रो पडोगे
न पूछों कि हम कितने गम देखते हैं।
गरज़ उउ की देखी, मदद करना देखा
और अब टूटता हर भरम देखते हैं।
ज़ुबाँ खोलता है यहां कौन देखें
हक़ीक़त में कितना है दम देखते हैं।
उन्हें हर सफ़र में भटकना पडा है
जो नक्शा न नक्शे-क़दम देखते हैं।
यूँ ही ताका-झाँकी तो आदत नहीं है
मगर इक नज़र कम से कम देखते हैं।
थी ज़िंदादिली जिन की फ़ितरत में यारों
‘यक़ीन’ उन की आँखों को नम देखते हैं।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि जो सच्ची दोस्ती होती है किसी की मोहताज नहीं होती उस दोस्ती में आपको कई दुश्मनों के कारण भी परेशानियां उठानी पड़ सकती है,जो लोग सच्ची दोस्ती दिल से निभाते हैं वह दूसरों की बातो पर नही बल्कि अपने रिश्ते पर यकीन रखते हैं। सच्ची दोस्ती वह होती है जहां पर सुख दुख, हंसी खुशी सब कुछ साथ मिलकर किया जाता है। अभी द्वारा कवि द्वारा कहा जा रहा है कि दोस्ती केवल नाम से नहीं बल्कि काम से निभाई जाती है। अपनी दोस्ती इस तरह बनाओ के लोग आपके दोस्ती की मिसाल दे ना की आपकी दोस्ती से घृणा करें।
12- सिलसिला ये दोस्ती का
सिलसिला ये दोस्ती का हादसा जैसा लगे
फिर तेरा हर लफ़्ज़ मुझको क्यों दुआ जैसा लगे।
बस्तियाँ जिसने जलाई मज़हबों के नाम पर
मज़हबों से शख़्स वो इकदम जुदा जैसा लगे।
इक परिंदा भूल से क्या आ गया था एक दिन
अब परिंदों को मेरा घर घोंसला जैसा लगे
घंटियों की भाँति जब बजने लगें ख़ामोशियाँ
घंटियों का शोर क्यों न ज़लज़ला जैसा लगे।
बंद कमरे की उमस में छिपकली को देखकर
ज़िंदगी का ये सफ़र इक हौसला जैसा लगे।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि दोस्ती का सिलसिला कुछ ऐसा होना चाहिए दोस्त के लिए हर लफ्ज़ में दुआ निकले। दोस्ती किसी का धर्म और इमान देखकर नहीं की जाती बल्कि इंसानियत देखकर की जाती है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि दोस्ती के पहले पड़ाव में हम एक अजनबी से मिलते हैं और वह अजनबी कैसे हैं पल भर में अपना बन जाता है उसे दोस्ती कहा जाता है। दोस्ती, साहस, हौसला, सुख दुख का साथी और प्रत्येक परिस्थिति में साथ ना छोड़ने का एहसास है।
13- उम्र भर साथ निभाने वाले (लेखक- सुजीत आनंद)
उम्रभर साथ निभाने वाले
ना जानें कहां खो गए।
जो कहते थे साथ चलेंगें
हमसफर बन।
वो हमसफर ना जानें क्यों
बेखबर हो गए ।
जब से तुमने बदल लिया है
घर शहर अपना।
हम शहर दर शहर हो गए।
तेरी यादों में ऐ मेरी हमदम
हम हमेशा के लिए खो गए।
अब हम क्या बताएं
हम क्या थे और क्या हो गए।
दो कदम साथ चलने की
कोशिश तो तुम करते
मुझपे भरोसा तो करते
मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं
तेरी नाज़ो नखड़ों को कितना
मानता हूं।
तुझे दिलों जान से मोहब्बत करता हूं।
थोड़ा वक्त तो देते
थोड़ा आजमाते तो जानते
की हम तुझे कितना मानते
की हम तुझे कितना मानते।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक सुजीत आनंद जी द्वारा बताया जा रहा है कि जो लोग उम्र भर साथ निभाने का वादा करते हैं ना जाने क्यों साथ छोड़कर बीच रास्ते में ही छोड़ जाते हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है जो लोग हमसफर बनने का वादा करते हैं वही बीच में अधूरा छोड़ जाते हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि साथ चलने के लिए सबसे पहला पड़ाव भरोसा होता है, यदि आपके साथी पर भरोसा ही नहीं तो ऐसे साथ का कोई फायदा नहीं। दोस्ती की परीक्षा लेने के लिए जिंदगी में सारी ऐसी परिस्थितियां आती हैं, जो जहां आप अपनी दोस्ती परख सकते हैं।
14- Hindi Mein Poem: कभी-कभी अपनी हंसी पर गुस्सा आता है
कभी-कभी अपनी हंसी पर गुस्सा आता है,
कभी-कभी जहां हंसाने का दिल करता है।
गम दिल के किसी कोने में छिप जाता हूं,
कभी किसी को सब कुछ सुनाता है।
कभी रोते नहीं लाख आने पर दुःख पर भी,
और कभी यूँ ही आँसू को फाड़ देता है।
कभी-कभी अच्छा सा लगता है घूमने वाला, लेकिन
कभी-कभी किसी की बाहिं में सिमट जाने को दिल करता है।
कभी-कभी लगता है जीवन में नया हो कुछ,
और कभी बस ऐसे ही जाने को दिल करता है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लोगों द्वारा बताया जा रहा है कभी कभी लाइफ में ऐसी सिचुएशन आती है, जहां दूसरों को हंसाने का दिल तो करता है लेकिन अपनी हंसी पर बहुत गुस्सा आता है। हो सकता है ऐसा लाइफ की परेशानी और स्ट्रेस के कारण होता है। हर किसी की जिंदगी में कोई ऐसा इंसान होता है जिसे हम अपनी लाइफ की हर एक बात शेयर करते हैं। कभी कभी अपने दुखों को अपने हंसी में छुपाने की कोशिश करते हैं, तो कभी कभी आंखों से खुद ही आंसू बहने लगते हैं। कभी भी किसी भी परिस्थिति में जिंदगी से उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि किस वक्त आपका वक्त बदल जाए कुछ नहीं पता।
15- लगता है यह संसार बस संसार है
कभी लगता है इस ज़िंदगी में खुशियां बेशुमार है,
तो कभी-कभी लगता है ज़िंदगी अधूरी है।
कभी लगता है कि लोगो में बहुत प्यार है,
तो कभी रिश्ते में रिश्ता सिर्फ दरार है।
कभी-कभी लगता है हम भी जीने के लिए बेकरार हैं,
तो कभी-कभी लगता है सिर्फ हमें मरने का इंतज़ार है।
कभी-कभी लगता है हमको भी उनसे प्यार है,
तो कभी-कभी लगता है सिर्फ प्यार का बुखार है।
कभी लगता है शायद उनसे भी हमसे इजहार है,
फिर लगता है हम दोनों में तो सिर्फ तकरार है।
कभी-कभी सब अपने ही यार है,
फिर दिखते हैं इनमें से भी अलग गद्दार हैं।
कभी ऐसा लगता है कि राशि संसार है,
तो कभी लगता है ये संसार बस संसार है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि बढ़ते समय के साथ लोगों की जिंदगी में इतने उतार-चढ़ाव आते हैं कभी लगता है कि जिंदगी में खुशियां बेशुमार हैं तो कभी ऐसा लगता है कि जिंदगी अधूरी सी है। कभी लगता है कि जिंदगी में बहुत प्यार है तो कभी लगता है कि जिंदगी में किसी अपने का साथ ही नहीं है। लोगों की जिंदगी में इतनी उथल-पुथल मची हुई है कि कभी लगता है कि जीने के लिए हम बेकरार हैं तो कभी ऐसा लगता है कि शायद मरने का इंतजार है। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी पल में हिम्मत नहीं हारना चाहिए हालात चाहे जैसे भी हो खुशी और हौसलों के साथ आगे बढ़ना चाहिए और अपनी सफलता को हासिल करना चाहिए।
16- Hindi Mein Poem: बेनाम सा दर्द
बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुजर क्यूँ नहीं जाता।
सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें
क्या बात है मैं वक्त पे घर क्यूँ नहीं जाता।
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता।
मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा
जाते हैं जिधर सब मैं उधर क्यूँ नहीं जाता।
वो ख़्वाब जो बरसों से न चेहरा न बदन है
वो ख़्वाब हवाओं में बिखर क्यूँ नहीं जाता।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि कई बार लोगों को अपनी तकलीफ का नहीं पता चलता कि वह क्यों उदास है। बीते समय के साथ उन यादों को भी दफन कर देना चाहिए क्योंकि बढ़ते समय के साथ यादें और ज्यादा तकलीफ देती रहती है। कई बार जो हमारे साथ नहीं होता हम केवल उसी को ढूंढते रहते हैं और उसी के बारे में सोचते रहते हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि अगर आपके साथ कोई गलत करता है तो उसका साथ छोड़ कर उन बुरी वक्त की यादों को साथ लेकर नहीं जाना चाहिए बल्कि अपने आने वाले भविष्य के बारे में सोच कर आगे बढ़ना चाहिए।
17- इंसान गुज़रा हुआ कल ढूंढता है (लेखक- भुवनेश्वर)
हर इंसान गुज़रा हुआ कल ढूंढता है,
खुशियों से भरा वो पल ढूंढता है।
परेशानियां तो आयेंगी ही जीवन में
फिर भी गमों से लड़ने के लिए वो हल ढूंढता है।
हर इंसान परेशान क्यों है,
दिल में ग़म और लबो पर लाखों सवाल क्यों है।
ये खुदा एक इंसान भी नहीं जो दिल कि
बातों को समझे,
पर दिल तोड़ने वाला हजार क्यों है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक भुवनेश्वर जी द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपना पास्ट भूल नहीं पाते और उन यादों को साथ लेकर चलते हैं। कई बार लोग बीते हुए कल मैं इतना खुश रहते हैं कि वह उन्हीं यादों को हमेशा अपने साथ सजाकर रखते हैं क्योंकि यही यादें उन्हें आगे बढ़ने और अन्य परिस्थितियो में लड़ने का हौसला देती हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है आज के समय में लोगों के लिए दिल तोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन दिल जोड़ने वाले लोग बहुत कम है।
18- Hindi Mein Poem: जीवन की सच्चाई
किन साँसों का मैं एतबार करू जो अंत में मेरा
साथ छोड जाएगी।
किन रिश्तों का मैं यहाँ आज अभिमान
करूं जो रिश्ते शमशान में पहुँचकर सारे टूट
जाएँगे।
किस धन का मैं अंहकार करू जो अंत में मेरे
प्राणों को बचा ही नहीं पाएगा।
किस तन पे मैं अंहकार करू जो अंत में मेरी
आत्मा का बोझ भी नहीं उठा पाएगा।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि लोगों पर एतबार करना तो बहुत दूर की बात है यहां तो सांसे तक अपनी नहीं कि कब साथ छोड़ जाए। हमें हमारे जिन अपनों और रिश्तो पर अभिमान होता है वह भी कब्र तक पहुंचा कर वापस नहीं पलटते। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि अहंकार और घमंड किस बात पर मरने के बाद जाना तो दो गज जमीन में ही है। जीवन की सच्चाई यही है कि जब तक आप है लोग आपके साथ हैं और जब आप इस दुनिया से विदा होंगे तो कुछ दिन लोग आपको याद करेंगे और फिर भूल जाएंगे।
19- बस अब डूबता ही समझ लो मुझे भी (लेखक-आलोक मिश्रा)
बस अब डूबता ही समझ लो मुझे भी
की लहरों से टकराने का अब बस मन नहीं।
बहुत खुशनसीब था मैं की ज़िन्दगी मिली
की अब मर जाने का भी खास गम नहीं।
हँस लिये, रो लिये
दो-चार पुष्प हिस्से के पलों में पिरो लिये,
बस हो तो गयी ज़िन्दगी, और
खुद से मिलने अब चल दिए।
जो टालते आया वर्षों से मैं
हाँ वही तो सच्चाई है,
ये पल दो पल का मिलन विरह
केवल एक परछाई है।
अब यकीन होता है,
अब एहसास होता है,
क्यूंकि कभी था ही नहीं मैं
और हमेशा से रहा हूँ मै।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक मिश्रा जी द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग जीवन की परिस्थितियों का सामना करते करते इतना थक जाते हैं कि कि वह बार-बार लहरों से टकराने के बाद हिम्मत हार देते हैं और खुद को पानी में डूबा देते हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि जब आपकी जिंदगी में सब कुछ अच्छा अच्छा होता है तो लोग बहुत खुश होते हैं। लेकिन जरा सी विपदा आने पर लोग हिम्मत हार कर कायरों की तरह जिंदगी हार देते हैं। जिंदगी हारने का नाम नहीं बल्कि हार कर जीतने का नाम है। मनुष्य को खुद पर यकीन,हौसला और विश्वास हो तो आप कुछ भी कर सकते है।
20- Hindi Mein Poem: समय बड़ा बलवान
समय बड़ा बलवान है भाई,
समय बड़ा बलवान,
इसके आगे टिक नहीं पातें बड़े बड़े विद्वान।
समय के मर्म की जिसने जाना,
समझो जीवन गति पहचाना।
जीवन मैं कुछ पाना है तो,
समय के साथ कदम मिलाना।
समय का पहिया घूमता जाता,
टिक टिक कर के हमें जगाता।
यान हो विमान हो या कोई पैगाम हो,
समय सुनिश्चित होता है तो,
मंज़िल पे हमको पहुंचाता।
सही समय पर काम करो,
उन्नत जीवन का नाम करों,
समय की जिनको है पहचान,
बनते वे व्यक्ति महान,
जीवन उनका सुखमय होता,
पाते सदा मान सम्मान।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा समय के महत्व को बताया जा रहा है। समय का चक्र ऐसा है कि यदि वे बिगड़ जाए तो उसके आगे बड़े-बड़े विद्वान, ऋषि और मुनि सब पराजय हो जाते हैं। यदि जीवन में सफलता और कुछ पाने की इच्छा हो तो सबसे पहले आपको समय के महत्व को समझना होगा और उसके साथ चलना होगा। वो कहते हैं ना कि मंजिल का रास्ता तय करने के लिए समय का साथ रहना बहुत आवश्यक है। लोगों को समय की पहचान और महत्व का ज्ञान होता है वह निश्चित ही महान व्यक्ति होते हैं और भविष्य में सुख में जीवन गुजारते हैं।
21- Hindi Mein Poem: दर्द माँ-बाप का
वे बच्चे जो करते हैं माँ-बाप का तिरस्कार,
अक्ल आती है उन्हें जब पड़ती है बुरे वक़्त की मार।
क्या करे दुनिया ही ऐसी है,
बेटे तो बेटे बेटियां भी ऐसी हैं।
माँ-बाप का खून करते हैं बच्चे,
जब बारी आती है अपनी तो रो पड़ते हैं बेचारे बच्चे।
माँ-बाप के सहारे जीते थे कभी बच्चे,
अब बच्चों के सहारे जीते हैं माँ-बाप।
बच्चों के द्वारा गाली मिलती है उन्हें बेशुमार,
पर क्या करें उम्र ही इतनी लम्बी है कि खानी पड़ेगी ही मार।
सौ में से एक लाल निकलता है आज्ञाकारी,
वह भी बिगड़ जाता है पाकर बुरी सांगत और यारी।
बच्चे ने अपने ही माँ-बाप को त्यागा है,
पर वह नहीं जानता की वह कितना अभागा है।
खराब करते हैं इज़्ज़त माँ-बाप की बच्चे,
पर क्या सोचा है कि कभी उनकी इज़्ज़त खराब करेंगे उनके बच्चे।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि जो बच्चे अपने मां-बाप का तिरस्कार करते हैं वह कभी खुश नहीं रह सकते। जब उन पर वक्त की मार पड़ती है तब उनको मां-बाप की अहमियत का एहसास होता है। आजकल के बिगड़ते माहौल के कारण अपने मां बाप का खून कर देती है क्योंकि आजकल के बच्चों को रोक-टोक पसंद नहीं। लेकिन बच्चे यह क्यों भूल जाते हैं कि आज वह जिन मां-बाप का तिरस्कार कर रहे हैं कल वह भी तो माता पिता बनेंगे और जब उनके साथ यही तिरस्कार और दुर्व्यवहार किया जाएगा तब उनको अपने किए गए दुष्कर्म का एहसास होगा। सौ में कोई एक बच्चा अपनी मां बाप का आज्ञाकारी निकलता है जिसमें अपने मां-बाप के दिए गए संस्कार आते हैं और वे अपने माता-पिता की दी गई सीख के कारण आगे बढ़ता है और सफलता को हासिल करता है।
22- वे राहें ही इंसान की असल मंजिल होती हैं (लेखक – आदित्यराज)
जिन राहों पर दुश्मनों की निगाह होती है,
वो राहें ही हमारे लिए सर्वोपरि होती हैं।
मुश्किलों के राह मे चलने के कारण,
वे राहें ही इंसान की असल मंजिल होती हैं।
लोगों को कुछ पाने की तड़प होती है,
पर उनकी ये ख्वाब पूरी नहीं होती है।
चूंकि उनके जीवन में आलस्य होती हैं,
वे राहें ही इंसान की असल मंजिल होती हैं।
बीते हुए समय कभी नहीं लौटते हैं,
उन राहों में अपने भी खो जाते हैं।
फूलों और कांटों के ऊपर बनी,
वे राहें ही इंसान की असल मंजिल होती हैं।
काबिलियत से ही लोगों की पहचान होती है,
कर्मों से ही सपने स्वीकार होती हैं
उन सब कर्मों को आज का अभी करें क्योंकि,
वे राहें ही इंसान की असल मंजिल होती हैं।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक आदित्य राज द्वारा बताया जा रहा है कि जीवन में सफल होने के लिए आप जिन रास्तों का चुनाव करते हो उन रास्तों पर दुश्मनों की निगाहें अवश्य रहती है। और जो मनुष्य दुश्मनों की निगाह होने के बाद भी उन रास्तों पर चलता है तो वह हमेशा कामयाब भी होता है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि बीता हुआ समय कभी लौटकर नहीं आता कई बार उन रास्तों में हमारे अपने भी साथ छोड़ कर चले जाते हैं यदि अगर आप अकेले भी आगे बढ़ते हैं तो तो यकीनन आप असल मंजिल तक अवश्य पहुंचेंगे। इस कविता के माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि हमेशा समय को महत्व देते हुए जल्द ही अपनी मंजिल का चुनाव करें और उस राह पर बिना समय गवाएं निकल पड़े।
23- Hindi Mein Poem: नीत लड़ो नित जीतो
नीत लड़ो नित जीतो
साहस मात्र सहारा है
संघर्ष करके आगे बढो
ये जीवन सिर्फ तुम्हारा है
लड़ना सीखो भिड़ना सीखो
बाधाओं से टलना सीखो
औरों को तुम कहने दो
जहाँ कद्र न्हिन्न वहां रहने दो
गैर छोडो अपने छोडो
ओने से कुछ पाना सीखो
कोई नहीं जब तेरे साथ
रख इश्वर में तू विश्वास
सफल होना कुछ दूर नही
वो सफलता है कोई नूर नही
तू कर प्रयत्न हो जा पार
दिन लगेगे दो या चार
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि मनुष्य को हमेशा हर काम जल्दी करना चाहिए। साहस का सहारा लेकर संघर्ष करते हुए इतने आगे बढ़ो की चाहे लोगों का आपको पीछे खींचने में लग जाए उसमें उन्हीं की पराजय हो आपकी नहीं। जीवन सिर्फ आपका है आपको अपने दुश्मनों से लड़ना और भिड़ना दोनों आना चाहिए। लोगों का काम है कहना उनकी बातों का बिना ध्यान दिए अपना फोकस अपने लक्ष्य पर रखो अपने कामयाबी हासिल करने में बार-बार प्रयास करते रहो। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि भले ही दो-चार दिन लगेंगे लेकिन कामयाबी निश्चय ही आपके प्रयास से आपके कदमों में होगी।
24- जल मलिन करोगे तो
जल मलिन करोगे तो
प्यास कैसे बुझाओगे।
हवा दूषित करोगे तो
श्वास नहीं ले पाओगे।
बिस्तर गंदे करोगे तो
सोने कहा पर जाओगे।
क्लास साफ़ नहीं करोगे तो
कैसे पढ़ पाओगे।
मन अपवित्र करोगे तो
मानव नही कहलाओगे।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि यदि जल की बर्बादी करोगे तो आने वाले समय में अपनी प्यास कैसे भूजाओगे। भरते समय के साथ-साथ जिस तरह से हवाओं को दूषित किया जा रहा है तो मनुष्य सांस कैसे ले पाएंगे। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि इसी तरह से बच्चे अपना बिस्तर गंदा करोगे तो सोने कहां जाएंगे और अपनी कक्षा को साफ नहीं करोगे तो शुद्ध वातावरण में अच्छी शिक्षा कैसे हासिल कर पाओगे। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि मानव को हमेशा अपने मन को पवित्र रखना चाहिए क्योंकि अपवित्र मन से तो इच्छाएं और प्रार्थनाएं भी कुबूल नही होती हैं।
25- देशवासियों की यही है इच्छा
देशवासियों की यही है इच्छा,
गंदगी से हो भारत की रक्षा।
शपथ लो अपना कर्तव्य निभाओगे,
इधर-उधर कूड़ा ना फैलाओगे।।
स्वच्छ भारत होगा गौरवशाली,
सबके लिए लायेगा खुशियां निराली।
देश का गौरव तभी बढ़ेगा,
जब देश स्वच्छता की राह पर बढ़ेगा।।
इसी स्वच्छता के लिए शुरु हुआ एक अभियान,
जो लोगों में जगा रहा नया स्वाभिमान।
आओ सब साथ मिलकर ले संकल्प,
स्वच्छता अपनाकर करेंगे देश का कायाकल्प।।
हर भारतवासी का बस यही अभिमान,
पूर्ण हो अपना स्वच्छ भारत अभियान।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा देश की रक्षा करने की बात कही जा रही है। देशवासियों का परम कर्तव्य यही है कि गंदगी और भ्रष्टाचार से भारत की रक्षा की जाए। देश के प्रति हमें अपना कर्तव्य निभाने के लिए शपथ ग्रहण करनी चाहिए कि हमें कूड़ा कचरा इधर-उधर नहीं बल्कि डस्टबिन में फेंकना चाहिए और भारत को स्वच्छ रखना चाहिए। जैसे-जैसे देश स्वच्छ भारत बनेगा वैसे-वैसे देश का गौरव और भी ज्यादा बढ़ेगा। हम सब देशवासियों को संकल्प लेकर स्वच्छ भारत अभियान चलाना चाहिए और देश का मान और स्वाभिमान बढ़ाना चाहिए।
26- Hindi Mein Poem: सोने के हिरन
आधा जीवन जब
प्रमाण बनवासी सागाते रोते
तब पता चला इस दुनिया में
सोने के हिरन नहीं होते।
सभी संबंध टूट गए,
चिंता ने कभी नहीं छोड़ा
सब हाथ जोड़ कर चले गए
दर्द ने हाथ नहीं जोड़े।
सूनी घाटी में अपनी ही
प्रतिध्वनि ने यों छला हम
समझ गए पाषाणों की
वाणी मन नयन नहीं होते।
मंदिर मंदिर गए लेकर
खंडित विश्वासों के टुकड़े
उसने ही हाथ जलाये जिस
छवि के चरण खींचे।
जग जो कहता है चाहे कह ले
अविरल जलधारा बह ले
पर जले हुए इन हाथों से
अब हमसे हवन नहीं होते।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा महत्वपूर्ण बड़ी ही महत्वपूर्ण बात बताई जा रही है कि जब मनुष्य का आधा जीवन गुजर जाता है तो तब उसको यह एहसास होता है कि जिंदगी सोने के हिरण के समान नहीं होती। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि चिंताओं का हल ढूंढते ढूंढते सभी संबंध टूट गए लेकिन चिंताएं पीछा नहीं छोड़ती। कई बार लोग हमारे आगे हाथ जोड़ कर चले जाते हैं लेकिन वह कहते हैं ना कि दर्द कभी ना साथ छोड़ना और ना हाथ जोड़ता।
कवि द्वारा कहा जा रहा है कि किसी का साथ ना होते हुए भी लोगों ने ऐसा छला की रोने तक का मौका नहीं दिया। विश्वास वही तोड़ते हैं जो भरोसे का विश्वास दिलाते हैं। हमें यह सीख मिलती है कि किसी पर डिपेंड ना रहकर खुद को समय दो और इतने कामयाब बनो की लोग आपकी कामयाबी देखकर आप जैसा बनने की कामना करें।
27- जन्म दिन मुबारक हो
जन्म दिन मुबारक हो, मुबारक हो जन्मदिन
आपके जीवन में, बार – बार आये यह दिन।
दुनिया का मालिक, आपको बख्शे अच्छी सेहत
खुशियाँ ही खुशियाँ, बरसाती रहे उसकी नेमत।
माना आइना नहीं जाता मेघ मल्हार, बुजुर्गों के किये
फिर भी बहुत कुछ हो सकता है बुजुर्गों के लिए।
शारीरिक शक्ति, अगर कुछ कम हो भी गयी तो क्या है?
तजुर्बे का खज़ाना बुजुर्गों ने जमा किया है।
आपका वक़्त था, नौजवान थे, पहनाई थी जीवन साथी ने जयमाला
अब भी वक्क्त है, बुद्धिमानी, परोपकार, सेवा पर नहीं लगा ताला।
परिवर्तन है नियम कुदरत का, सिर झुकाकर आपने कबुल किया
जो भी चाहा जिंदगी में, इज़्ज़त, ईमानदारी से वसूल किया।
बदलते वक़्त ने नहीं छोड़ा इस लायक, दिखाए नजाकत
बता कर रास्ता नौजवान पीढ़ी को, दिखाएं अपनी लियाकत।
सुखा गुलाब, जवान लोगों को नहीं देता आनंद
सुखी पंखुड़ियां, बन सकती औषधि, बनती गुलकंद।
जन्म दिन मुबारक हो, मुबारक हो जन्मदिन।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि अपने जन्मदिन की खुशी हर व्यक्ति को होती है और हर कोई ख्वाहिश रखता है कि अपना जन्मदिन बड़े ही धूमधाम से और अपनों के साथ मनाये। हमे अपनो से और बुजुर्गो से जन्मदिन पर सारी दुआएं जैसे कामयाबी इज्जत खुशियां ही खुशियां आदि। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि जो इंसान दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार और दूसरों की खुशियों में शामिल होता है तो वैसे ही कोई हमारी खुशियों में शामिल होकर हमारे साथ अपनी खुशियां बैठता है।
हमारे जन्मदिन पर हमारे बुजुर्गों से बहुत सारी सीख और बहुत सारे तजुर्बे वाली बातें सीखने को मिलती हैं जो हमारे आने वाले भविष्य में एक प्रेरणा एक तोहफे के रूप में काम आती हैं। अपने बड़ों का साथ और हाथ अपने सर पर बनाए रखें क्योंकि बड़ों की दुआएं परेशानियों में बहुत काम आती है।
28- Hindi Mein Poem: पानी है सफलता जो तुमको
पानी है सफलता जो तुमको
तो खुद को तुम आजाद करो,
मत डरो किसी मुसीबत से
अपने हौंसले को फौलाद करो,
पानी है सफलता जो तुमको
तो खुद को तुम आजाद करो।
आजाद करो उन ख्यालों से
जो आगे न तुम्हें बढ़ने देते
जो कहीं बढाते कदम हो तुम
तो हर पल ही तुमको रोकें,
मत डरो विचार नया है जो
उसी विचार को अपनी बुनियाद करो
पानी है सफलता जो तुमको
तो खुद को तुम आजाद करो।
आजाद करो उन रिवाजों से
जो बेड़ियाँ पाँव में हैं डाले
तोड़ दो उन दीवारों को
जो रोकते हैं सूरज के उजाले,
जिसे देखा न हो दुनिया ने
तुम ऐसा कुछ इजाद करो
पानी है सफलता जो तुमको
तो खुद को तुम आजाद करो।
आजाद करो उन लोगों से
जो तुम्हें गिराने पर हैं तुले
ऐसे लोगों की संगती से
कहाँ है किसी के भाग्य खुले,
जो करना है वो खुद ही करो
न किसी से तुम फ़रियाद करो
पानी है सफलता जो तुमको
तो खुद को तुम आजाद करो।
आजाद करो उन राहों से
किसी मंजिल पर जो न पहुंचे
वहां पहुँच कर क्या करना
जहाँ लगते न हो हम ऊँचें,
यूँ ही व्यर्थ की बातों में तुम
न अपना समय बर्बाद करो
पानी है सफलता जो तुमको
तो खुद को तुम आजाद करो।
पानी है सफलता जो तुमको
तो खुद को तुम आजाद करो,
मत डरो किसी मुसीबत से
अपने हौंसले को फौलाद करो,
पानी है सफलता जो तुमको
तो खुद को तुम आजाद करो।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि यदि मनुष्य को अपने जीवन में सफलता पाने हेतु बिना डरे बिना मुसीबत की चिंता करें आगे बढ़ो और लोगों की नेगेटिव सोच से खुद को आजाद करो और आगे बढ़ो। जो खयाल और बातें आपको आगे बढ़ने से रोकती है उन्हें अपने मस्तिष्क में ना आने दे। यदि आपके रास्ते में कुछ लोग रुकावट बन कर आते हैं तो उन दुकानों को ईट पत्थर समझ कर अपने रास्ते से हटा कर आगे बढ़ते रहें यदि सफलता पानी है तो।
कवि द्वारा कहा जा रहा है कि उन रीति-रिवाजों को मत फॉलो करो जो आपकी कामयाबी के बीच रुकावट बनकर आए उन बाधाओं को ना मानने में ही समझदारी है। कामयाबी पाने के लिए अच्छे और कामयाब लोगों की संगति में बैठना आपके लिए लाभदायक हो सकता है क्योंकि बुरे लोगों की संगति में बैठने से आप अपने भाग्य बिगाड़ सकते हैं। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि फालतू बातों में बिना समय गवाएं और कार्यों को करना चाहिए जो आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।
29- Hindi Mein Poem: हारा हूँ मैं, लेकिन लडूंगा
हारा हूँ मैं, लेकिन लडूंगा,
जीत के लिए मैं खड़ा रहूँगा।
हो सकता है मैं तैयार नहीं,
पर कमज़ोर मेरा भी वार नहीं।
एक-एक लक्ष्य को पाउँगा मैं,
जीतकर ही जाऊंगा मैं।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि भले ही आप किसी भी क्षेत्र में हार जाए लेकिन कभी भी लड़ना नहीं छोड़ना चाहिए अपनी जीत के लिए हमेशा सर उठाकर खड़े रहना चाहिए। कवि द्वारा कहां जा रहा है कि हो सकता है आप उस लड़ाई के लिए तैयार होना है लेकिन आपको कमजोर नहीं बनना है।
30- गर्मी आई गर्मी आई
गर्मी आई गर्मी आई,
धूप पसीना लेकर आई।
सूरज सिर पर चढ़ आता है,
अग्नि के बम बरसाता है।
मुझे नहीं यह बिलकुल भाई।
गर्मी आई गर्मी आई।
चलो बरफ के गोले खाएं,
ठेले से अंगूर ले आएं।
मम्मी दूध मलाई लाई।
गर्मी आई गर्मी आई।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि जैसे ही मई-जून की गरमी आती है तो मन में धूप और पसीने को लेकर बड़ी ही घबराहट सी हो जाती है। गर्मी के दिनों में सर पर चढ़ता सूरज और आग के बम के समान बरसती धूप दिमाग तपा देती है। गर्मियों में बस एक चीज राहत देती है बर्फ के गोले और पानी वाले फल जो कि गर्मी से होने वाली कमजोरी से हमें बचाते हैं।
31- देश का गौरव हिंदी (लेखक देवमणि पांडेय)
हिन्दी इस देश का गौरव है,
हिन्दी भविष्य की आशा है।
हिन्दी हर दिल की धड़कन है
हिन्दी जनता की भाषा है।
इसको कबीर ने अपनाया
मीराबाई ने मान दिया।
आज़ादी के दीवानों ने
इस हिन्दी को सम्मान दिया।
जन जन ने अपनी वाणी से
हिन्दी का रूप तराशा है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि हिंदी भाषा को कबीर दास और मीराबाई ने अपने दोहों में इस प्रयोग किया आज वही हिंदी भाषा को लोग सम्मान नहीं दे रहे हैं। हम भारत में रहते हैं और हमें भारत की संस्कृति और रीति-रिवाज को कभी नहीं भूलना चाहिए हमें अपनी हिंदी भाषा का सम्मान करना चाहिए क्योंकि हिंदी देश का गौरव है और हमारे भविष्य की आशा है। हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जो आप किसी भी देश में बोल सकते हैं और लोग आपकी भाषा को समझ ही सते हैं।
32- हिंदी को बिंदी हम लगा रहे
आजादी के बाद से ही हम हिंदी दिवस मना रहे
हर साल करके गुणगान हिंदी को बिंदी लगा रहे। हिंदी की बिंदी तो भारत माँ के भाल का अभिमान
प्रेम से सींचे पर नहीं राष्ट्रभाषा का इसको सम्मान। सम्मान के साथ जबकि हिंदी सींचे हमारे संस्कार
फिर भी ना दे पाए हमको उसको उसका अधिकार। अधिकार तो अंग्रेजी ले गई हम से छीन
हम तो हिंदी गाने देखते हुए बजाते रहे बीन। बीन की जगह जबकि हिंदी विश्व में अपना डंका बजवाये
ज्ञानी 2021 से इंटरनेट पर हिंदी भाषा का ही राज बताये। राज हिंदी का छोड़ देगी संख्या में अंग्रेजी यूजर्स को भी पीछे
आखिर हिंदी है इतनी प्यारी रह सकती है कैसे और से नीचे। नीचे से ऊपर जाये जो हो अपने आप में विनीत
सुन लो सारी भाषा ना मिलेगी हिंदी से ज्यादा प्रीत। प्रीत की यह भाषा फिर भी हम रखे क्यों है दूरी
क्या अंग्रेजीपन की गुलामी ने ला दी है मजबूरी। मजबूरी नहीं हिंदी राष्ट्र का है ज्ञान संसार
हिन्द के लेखन ने बोया इसमें अपना प्यार। प्यार हिंदी के हर वर्ण में भोले भालेपन के संग
मिल जाते इसमें दुनिया की हर भाषा के रंग। फिर इस रंग को क्यों ना दे राष्ट्रभाषा का मान
ताकि बढे हमारे हिंदुस्तानी होने का स्वाभिमान।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि जबसे हमारा देश आजाद हुआ है हम हिंदी के गुणगान करते हैं और प्रतिवर्ष बड़े ही धूमधाम से हिंदी दिवस मनाते हैं। दोस्तों केवल हिंदी दिवस मनाना जरूरी नहीं है बल्कि लोगों को हिंदी बोलने के लिए जागृत करना ज्यादा आवश्यक है। हिंदी हमारा अभिमान है जिसे हमारे महान लोगों ने बड़े बलिदानों से सींचा है लेकिन आज के लोग हिंदी भाषा को सम्मान नहीं दे रहे हैं।
हिंदी भाषा के कारण ही हम अपने बड़ों का मान सम्मान करते हैं लेकिन जिस भाषा के कारण हमने प्यार करना मान सम्मान देना सीखा आज उसी भाषा को हम पीछे छोड़ रहे हैं। कविता के माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि जमाना चाहे कितनी भी तरक्की क्यों न कर ले लोग चाहे आसमां तक क्यों न पहुंच जाए लेकिन हमें हिंदी गर्व से बोली भी चाहिए और उसको मान सम्मान और अधिकार भी पूरा देना चाहिए। जिस तरह अंग्रेजी भाषा का राज अन्य मुल्कों में है इस तरह हमारी भाषा का भी बोलबाला हर मुल्क में है।
33- मेरी मां हिंदी
हिंदी मेरी लिए माँ समान
अब और नहीं सह सकते
हम इसका अपमान। इसने उंगली पकड़ के मेरी
पकड़ाया मुझको ज्ञान चिराग।
भर भर के प्रीत को मुझ में
डाले मुझ में सुगन्धित पराग। ताकि मैं इसकी सुगंध से
महकाऊँ सारा जहान।
जो दी इसने मुझको पहचान
बदले में दिलाऊं इसको मान। लेकिन मैं अकेला नहीं
मेरे साथ तो मेला है।
मेरे जैसे अनेक हिंदुस्तानी
हिंदी की गोदी में खेला है। वो भी मांगे हिंदी अधिकार
हे हिंद की यह पुकार।
यह मां हमारी सो करें पुकार
ना करो और अब अत्याचार। हर हिंदी भाषा हिंदी बोले
देश दुनिया के राज खोले। हिंदी बोले फ़िल्मी सितारे
हिंदी में करे साक्षात्कार।
हिंदी में बोले क्रिकेटर
हिंदी बने उनकी पुकार। हिंदी में दे नेता भाषण
हिंदी में मिले सर्वोच्च न्याय।
हिंदी में ही चले प्रशासन
हिंदी में जग अपना समाय।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि हमारा देश और हमारी हिंदी भाषा हमारी माता के जिसका अब हम और अपमान नहीं देख सकते। हमारी हिंदी भाषा के कारण ही आज हमने बहुत कुछ सीखा है ज्ञानी बने हैं। जिस भाषा के कारण हम ज्ञानी बने हमारा परम कर्तव्य है कि हम इस ज्ञान को आगे बढ़ाकर लोगों को अपनी सुगंध से महकाए। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि हर एक क्षेत्र में हिंदी भाषा सबसे आगे है चाहे वह बॉलीवुड हो या फिर प्रशासन या फिर सर्वोच्च न्यायालय तो हमारा भी फर्ज है कि हम भी अपनी हिंदी भाषा को और आगे बढ़ाए और लोगों को इसकी और जागृत करें।
35- मैं वह भाषा हूं
मैं वह भाषा हूं,जिसमें तुम गाते हंसते हो
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम अपने सुख दुख रचते हो। मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम सपनाते हो,अलसाते हो
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम अपनी कथा सुनाते हो। मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम जीवन साज पे संगत देते।
मैं वह भाषा हूं, जिसमें तुम, भाव नदी का अमृत पीते।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि हिंदी ही वह भाषा है जिसमें हम गाते हैं हंसते हैं अपने सुख-दुख रचते हैं। भाषा से ही हम अपने सपने देखते हैं दूसरों से कहानी सुनते और सुनते हैं। हमारी हिंदी भाषा हमारे लिए परछाई के समान है हम जितने भी कोशिश कर ले अपनी जुबान बदलने की लेकिन कुछ ना कुछ बातें हमारे मुख से हिंदी में निकल जाती हैं क्योंकि हमारी जुबान पर हिंदी भाषा नदी के अमृत की तरह बहती है। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि बचपन में इंसान जो भी सीखना है वह कभी बुढ़ापे तक उसका साथ नहीं छोड़ता और ठीक वैसे ही हमारे लिए हमारी जुबान है हम चाहे कितनी ही तरक्की क्यों न कर ले कितने ही आगे क्यों ना पड़ जाए लेकिन हमारी भाषा हमारा साथ छोड़ने वाली नहीं है।
36- हिंदी पर ध्यान
पढ़ा था विद्यालय में विषय गणित और विज्ञान
पर कभी ना दिया मैंने हिंदी पर ध्यान।
हिंदी है मेरी सबसे बड़ी पहचान
उसके बिना सब पूछते क्या है तेरा मान? हिंदी को दिलाना है विश्व में सम्मान
कभी न देख सकूंगा हिंदी का अपमान।
हिंदी को हमें दिलाना है उसकी खोई हुई पद
हिंदी के सम्मान से बड़ा नहीं किसी का कद। हिंदी को हमने माना अपनी राष्ट्रभाषा
विश्व में बोली जाए यह है हमारी आशा।
आज समय ऐसा है सबको भाता अंग्रेजी
पर हिंदी की मिठास को सब समझते पहेली। हिंदी हमारी आशा है हिंदी हमारी भाषा है
हिंदी की उन्नति हो यह हमारी अभिलाषा है।
हिंदी को रुकने ना देंगे हिंदी को झुकने ना देगे।
हिंदी से सब कुछ सीखा है इसको कभी मिटने न देंगे। क्यों समझते हैं सब अंग्रेजी बोलने को महान
भूल गए हम क्यों अंग्रेजी ने बनाया था हमें वर्षों पहले गुलाम।
सारी भाषाएं लेती हिंदी का सहारा
जय हिंद जय भारत यह नारा हमारा । आज उसी भाषा को हम क्यों करते प्रणाम
क्यों? केवल 14 सितम्बर को ही होता हिंदी का सम्मान।
जागो भारतीयों कहां गया हमारा स्वाभिमान।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो स्कूल में जाकर गणित, इंग्लिश और विज्ञान सभी विषय पर ध्यान देते हैं लेकिन हिंदी पर नहीं दे पाते। आप की जानकारी के लिए हम आपको बताना चाहेंगे कि हिंदी हमारी पहचान है जो हमारे साथ हमेशा रहेगी। जीवन के रास्ते में बहुत सी जगह ऐसे पड़ाव भी आते हैं जिन्हें हम अपनी भाषा के कारण ही पार करते हैं। इस भारत में रहते हैं और हमें गर्व है कि हम भारतीय है और हमारा फर्ज है
कि हम हिंदी का अपमान ना होने दे बल्कि हिंदी को विश्व में सम्मान दिलाए। हमारे राष्ट्रभाषा है लेकिन लोग हमारी ही राष्ट्रभाषा को बोलने में झिजकते हैं। इस कविता से हमें यह सीख मिलती हैं सारी भाषाएं हिंदी का सहारा लेकर आगे बढ़ती हैं तो क्यों ना हम अपनी राष्ट्रभाषा को अपनी पहचान बनाएं और गर्व से हिंदी बोले।
हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल अवश्य ही पसंद आया होगा। आगे भी हम आपके लिए इसी तरह मन को लुभाने वाली और दिलचस्प कविताएं लिखते रहेंगे और आप इसी तरह हमारी कविताओं को पढ़ते रहें और अपना प्यार बनाए रखें।