Hindi Kavitaye: आज हम आपके लिए इस आर्टिकल के माध्यम से प्रकृति पर आधारित कुछ बहुत ही प्रसिद्ध और दिलचस्प कविताएं लेकर आए हैं। कविताएं पढ़ने से हमारे मन को शांति और एक पॉजिटिव एनर्जी मिलती है। कभी भी आपके दिमाग में काम का प्रेशर या फिर स्ट्रेस होता है तो उसे दूर करने के लिए कविताएं अवश्य पढ़नी चाहिए। उम्मीद करते हैं कि आपको यह कविताएं अवश्य ही पसंद आएंगी। कृपया हमारे इस लेख को अंत तक पढ़े और हमारे द्वारा लिखी गई इन कविताओं को इसी तरह पढ़ते रहे।
1- Hindi Kavitaye: क्या होता है सूरज
कब से पूछ रहा है
रुका नहीं भोला
अम्माँ क्या होता है सूरज
बड़ी आग का गोला
बड़े सवेरे के रूप में है
लाल लाल चादर ओढ़े
दोपहर में यह धरती पर
रंग अजीब पीला छोड़ दें
अपने रंग रखता है
पास नहीं झोला
दोपहर में यह धरती पर
रंग अजब पीला छोड़ें
अपने रंग रखता है
पास नहीं झोला
इतनी जल्दी बता दो
अम्माँको बतलाओ
गुल्लक या संदूक बड़ा सा
हो इस पर तो दिखाओ
मुझसे पूछ रहा है कब से
मगर नहीं मुझसे बोला
जब बादल आते हैं अम्मा
तब यह देखा गया
और मैं भी बतलाना
दिन में कब खाना खाता
खाना खाकर पानी पीता
या पीता कोका कोला
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि एक छोटा सा मासूम बच्चा अपनी मां से सूर्य की बारे में पूछ रहा है। नन्हा मासूम अपनी मां से पूछता है कि मां सुबह सवेरे यह निकलने वाला बड़ा सा आग का गोला सुबह में लाल लाल चादर ओढ़ कर दोपहर में किस तरह अपना रंग बदलता है। मां मुझे बताओ क्या इसके पास कोई झूला होता है जो यह समय समय पर अपना रंग बदलता रहता है। नन्हा मासूम अपनी मां से पूछता है कि मुझे सूरज के बारे में सब कुछ बताओ तो किस वक्त खाना खाता है और किस वक्त पानी पीता है और किस तरह से अपने रंगों को बदलता है।
2- परी और किताब
रात मेरे सपनों में आई
परी सुनहरे पंखों वाली
हाथ प्यार से फेरा सिर पर
दी किताब फिर एक निराली
कथा कहानी गीत थे उसमें
सुंदर सुंदर थे संदेश
रंग बिरंगे चित्र बने थे
इन्द्रधनुष जैसा परिवेश
प्यार लुटाते रहना सब पर
कुछ ऐसी थी प्यारी सीख
पेड़ नदी पर्वत पशु पक्षी
इन्हें समझना अपना मीत
ध्यान पढ़ाई पर तुम देना
बड़ों का करना आदर खूब
टीचर जी की बात मानना
साफ़ सफाई रखना खूब
अगला पन्ना खुलता जब तक
टूट गये सपने मेरे
जितने पन्ने पढ़ पाए थे
काम बहुत आए मेरे
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि एक दिन एक छोटी बच्ची के सपने में एक देहाती खूबसूरत और सुनहरे पंखों वाली परी आती है और उस मासूम के सर पर हाथ फेरते हुए एक प्यारी सी किताब देकर जाती है जिसमें कई सारे संदेश गीत और कहानियां होते हैं। इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा संसार में सबसे प्यार से बात करने की बात कही जा रही है। इस कविता में परी उस मासूम को बहुत अच्छी सीख देकर जाती है जिसमें कहा जाता है कि हमें सबसे बहुत अच्छे से बात करनी चाहिए और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए और अपने बड़ों का कहना मानना चाहिए। स्वप्न में जितने भी पढ़ने उस किताब में मैंने पड़े थे वह सभी मेरे फ्यूचर में बहुत काम आने वाले हैं।
3- मेरी किताब (लेखक- रमेश तैलंग)
रात हो गई तू भी सो जा
मेरे साथ, किताब मेरी
सपनो की दुनिया में खो जा
मेरे साथ किताब मेरी
नियर व्यूइंग टेर
बस्ते के अंदर देखें
लगा दिया है कलर बॉक्स का
फ्रिज भी सुंदर देखें
मुखफुली, अब तो खुश हो जा
मेरे साथ, किताब मेरी
सुबह सुबह पता चलता है
फिर जगना है हम दोनों को
भागीदाई स्कूल में
प्रदर्शन कर रहा है हम दोनों को
फड़फड़ न कर, अब चुप हो जा
मेरे साथ किताब मेरी
व्याख्या
इस Hindi Kavitaye के माध्यम से कवि द्वारा कहा जा रहा है कि बहुत से लोगों को खाली समय में किताबें पढ़ना अच्छा लगता है और बहुत से लोगों को आदत होती है कि रात को सोने से पहले थोड़ी देर किताबें पढ़कर सोते हैं। इन्हीं किताबों से हमें जीवन में आगे बढ़ने और सफल होने की सीख मिलती है। अपने जीवन में अपने जीवन में पॉजिटिव रहने के लिए किताबें पढ़नी चाहिए। किताबें एक तरह से हमारे जीवन का आधार है जो हमारे साथ हमेशा रहती हैं।
4- Hindi Kavitaye: आंधी
मुखिया का गमछा उड़ करके
जा बबूल पर लटका
सुखिया की उड़ गई टीन
आँधी ने मारा झटका
पेड़ उखड़कर गिरे सड़क पर
लगा सब जगह जाम
आसमान में धूल छा गई
काली आँधी नाम
आम टूट कर गिरे पेड़ से
बिना पके ही भईया
चलते चलते गिरे मुसाफिर
भगी रंभाती गइया
बाराती गुस्से में बैठे
इसने काम बिगाड़ा
आँधी ने आकर शादी का
भईया किया कबाड़ा
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि जब आंधी तूफान आता है तो लोगों के कपड़े उड़कर दूर चले जाते हैं और कई बार तेज आंधी तूफान के कारण पेड़ उखड़ कर सड़कों पर गिर जाते हैं जिसकी वजह से जाम लग जाता है। आंधी आने के कारण चारों ओर धूल मिट्टी का गुबार सा बन जाता है। आंधी आने के कारण कई लोगों के काम रुक जाते हैं और आने जाने वाले मुसाफिरों को भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
5- मिट्टी कितने काम की
मिट्टी कितने काम की
बिन पैसे बिन दाम की
बड़े सजीले पंछी बनते
उड़ते गिरते और सम्भलते
रंग बिरंगे खेल खिलौने
चक्की चूल्हा घड़े सलोने
जीवित सी मूरत बन जाती
जोड़ी सीता राम की
मिट्टी कितने काम की
कहीं ईंट बन महल बनाती
कहीं खेत में फसल उगाती
सुंदर सुंदर फूल खिलाती
कभी धूल कीचड़ बन जाती
तरह तरह की होती है यह
कई रूप कई नाम की
मिट्टी कितने काम की
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा मिट्टी की हमें को बताया जा रहा है। मिट्टी बिना पैसों के कहीं से भी मिल जाती है लेकिन क्या आपको मालूम है कि यही मिट्टी कितने काम में आने वाली चीज है। मिट्टी से बच्चों के लिए कई प्रकार के रंग बिरंगे खेल खिलौने बनाए जाते हैं। इसी मिट्टी से एक छोटा सा पौधा वृक्ष बन कर फल देने योग्य बन जाता है। मिट्टी कई प्रकार की होती है। यही मिट्टी लोगों के बड़े-बड़े महल बनाने के काम आती हैं।
6- जल की मछली
बहुत सारे रंग बिरंगे कपड़े
पहनने को निकली हो
तुम तो मछली रानी लगती है
मानो जल की मछली हो
जरा बताते हैं तो ये कपड़े
किस दर्ज से सिलवाए
किस कलाकार से ये आपका
प्यारे से लगवाए?
कारण बनना
किससे खुशी हुई?
पानी में यह गेम शो
किस्से खुश हैं?
कभी हमें भी न्यौता देकर
घर अपने तुम ले जाओ
और सभी मित्रों से अपने
हमें भी तो मिलवाओं
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि मछली जल की रानी होती है। मछलियां आपको कई प्रकार की और कई अलग-अलग रंगों में देखने को मिलती हैं। बहुत से लोग अपने घरों में बड़े-बड़े एक्वेरियम लगाकर मछली पालन करते हैं और उसमें रंग बिरंगी मछलियां लाकर घर की शोभा बढ़ाते हैं। कई देशों में तो मछली बड़ी बड़ी मछलियों के शोज़ भी होते है जिन्हें देखने लोग बहुत दूर-दूर से आते हैं।
7- Hindi Kavitaye: तारों का विद्यालय (लेखक- सुनैना अवस्थी)
आसमान में चंदा मामा
सांझ ढले आ जाते
नन्हें तारों का विद्यालय
नभ में रोज लगाते
जगमग आसमान में होती
सारी रात पढ़ाई
सब मिलजुलकर शिक्षा पाते
करते नहीं लड़ाई
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक सुनाना अवस्थी जी द्वारा कहा जा रहा है कि रात्रि में आसमान में चंद्रमा का प्रकाश जगमगाता है, तब लाखों करोड़ों तारे शिक्षा पाने के लिए नभ मे रोज आ जाते हैं। आसमान में चमकते तारों से हमें मिलजुल कर रहने की सीख मिलती है।
8- कभी नही घबराते (लेखक- मैथलीशरण गुप्त)
नहीं विघ्न-बाधाओं को हम, स्वयं बुलाने जाते हैं,
फिर भी यदि वे आ जायें तो, कभी नहीं घबड़ाते हैं।
मेरे मत में तो विपदाएँ, हैं प्राकृतिक परीक्षाएँ,
उनसे वही डरें, कच्ची हों, जिनकी शिक्षा-दीक्षाएँ।
व्याख्या
इस के माध्यम से लेखक मैथिलीशरण गुप्त जी द्वारा कहा जा रहा है कि कभी भी किसी भी प्रकार की विपत्ति आ जाने पर घबराना नहीं चाहिए बल्कि निडर होकर उसका सामना करना चाहिए। परीक्षाओं से केवल वही लोग घबराते हैं जिन्होंने अपने जीवन को सफल बनाने की तैयारी नहीं की हो।
9- Hindi Kavitaye: कितनी परियाँ
मुन्नी से बोलीं मम्मी
सपने में मैंने तो कल
तरह तरह की परियों का
देखा रंग बिरंगा दल!
सुनकर नन्हीं मुन्नी ने
खुश हो मारी किलकारी
पूछा मम्मी, बतलाओं
कितनी थीं परियाँ सारी?
मम्मी कुछ कहतीं उससे
पहले ही नन्हा मुन्ना
तुतलाकर यों बोल उठा
मुन्नी का भाई चुन्ना
मम्मी ने चछ्मा लख देतीं
छोने छे पहले हल दिन
उछ्को पहने बिना भला
वो कैसे छ्कती थीं गिन?
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि एक छोटी बच्ची अपने स्वप्न में परियों को देखती है और अपनी मां को सुबह होते ही अपना स्वप्न सुनाती है। परियों की कहानी सुनना और सुनाना सभी को बहुत पसंद होता है। हम सभी ने अपने बचपन में अपनी दादी और मां से बहुत सारी परियों की कहानियां सुनी होंगी। आज भी मन करता है कि दादी और मां की गोद में लेट कर फिर से एक बार बच्चे बन जाए और वही परियों की कहानियां एक बार फिर से सुने।
10- छुट्टी नहीं मनाते
सूरज जी, तुम इतनी जल्दी क्यों आ जाते हो?
आपको नींद नहीं आती है
और कोई काम का नहीं
जरा नहीं भाता क्या मेरा
देखने पर आराम करें
खुद तो जल्दी ही हो, तेजी से हो
कब सोते हो, कब जागते हो
कहां नहाते धोते हो
तुम तैयार बताओ हमको
कैसे झटपट हों हो
टिफिन नहीं लाते
क्या खाना खा रहे हो?
रविवार ऑफिस बंद रहता है
मंगल को भी
कभी-कभी छुट्टी करता है
पापा का अखबार भी
ये क्या बात है
तुम बस छुट्टी नहीं मनाओगे?
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि है सूर्य तुम सुबह सवेरे इतनी जल्दी कैसे अपनी किरणों से पूरे संसार को रोशनी प्रदान करते हो। क्या तुम्हे नींद नहीं आती है। खुद तो जल्दी उठकर सारे संसार में रोशनी कर देते हो और हमें भी जल्दी उठने की सीख दे जाते हो। सूरज क्या तुम हमें बता सकते हो कि तुम कब खाना खाते हो कब सोते हो कब जाते हो। क्या तुम कभी थकते नहीं हो? क्या तुम कभी छुट्टी नहीं लेते।
11- बेटी (लेखक – कल्पना गौतम)
बेटियां खूब़सूरती क़ी पहचान है
इन्हे मत तोडो यहीं हमारी शान हैं
ब़ेटी की रक्षा सुरक्षा सभीं का मान हैं
ब़ेटी से ही हमारा घ़र परिवार हैं
ब़ेटियां खूब़सूरती क़ी पहचान हैं
इन्हे मत तोडो यहीं हमारी शान है
सदियो से ब़ेटी क़ो क़मतर आकां हैं
पर याद क़रो बेटी ही तो सीतामाता हैं
अपनी मां क़ी हर ब़ात पर द़ेती ध्यान है
पिता क़ी जिम्मेदारी मे भ़ी देती साथ़ हैं
बेटिया खूब़सूरती क़ी पहचान है
इन्हे मत तोडो यहीं हमारी शान हैं
अब ज़हाज भी उडाती है बेटिया
जरू़रत पडे तो हर ग़म सह ज़ाती है बेटिया
सब़्र का ज़ीता जाग़ता नाम हैं
बेटी सें ही मिलतीं खुशिया तमाम़ हैं
बेटिया खूब़सूरती क़ी पहचान हैं
इन्हे मत तोडो यहीं हमारी शान है।
व्याख्या
कविता के माध्यम से लेखक कल्पना गौतम जी द्वारा बेटियों के गुणों का बखान किया जा रहा है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि बेटी घर की शान मान सम्मान और इज्जत होती है लेकिन बाहर की दुनिया के लोग उन्हीं बेटियों की रक्षा करने से कतराते हैं। आज के समय में बेटियां बेटों से कम नहीं है बल्कि बेटों से और आगे बढ़ कर अपने परिवार की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि खूबसूरती की पहचान है बेटियां, सब्र का जीता जागता नाम है बेटियां, इसलिए बेटियो को मां के गर्भ में मरना बंद कर और उन्हें मान सम्मान के साथ जीने का हक दे। एक पिता के साथ कदम से कदम मिलाने के लिए बेटियां बेटों से ज्यादा तैयार रहती है।
12- वीर जवान (लेखक – श्रेय खोशला)
आओ बच्चों तुम्हें सुनाऊं,
गाथा वीर जवानों की l
हंसते-हंसते आजादी के लिए सीने पर गोली खाई,
एक मां के बेटे ने देश के लिए अपनी जान गवाई l
दिलाई आजादी देश को शान से ,
वीर शहीदों ने अपने बलिदान से l
तैनात है वह हर जगह लेने दुश्मन के और देने अपने प्राण,
गुलामी की जंजीरों से दिलाई आजादी हो कुर्बान ll
इस आजादी की बेला में हम तिरंगा लहराते हैं,
आओ सब मिलकर देश के वीरों के लिए भारत मां को शीश झुकाते हैं l
स्वतंत्रता दिवस देश की शान है,
वीर जवान मेरे देश का अभिमान है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक श्रेया घोसला द्वारा बताया जा रहा है कि देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते हमारे देश के वीर जवान सीने पर गोली खाकर शहीद हो जाते हैं। लाइफ के रियल हीरो होते हैं यह वीर जवान। ना जाने कितनी माओ ने अपने बेटो का बलिदान देश की रक्षा के लिए दे दिया। देश को आजादी दिलाने के लिए लाखों सुर वीरों ने अपनी जान की परवा ना करते हुए अपने प्राण त्याग दिया। आज हम 26 जनवरी और 15 अगस्त पर जो झंडा लहराते हैं वह केवल देश के उन वीर जवानों की बदौलत है, जिन्होंने देश को ही नहीं बल्कि कई जिंदगी यों को नया जीवन दे दिया और खुद हंसते-हंसते चल बसे।
13- Hindi Kavitaye: चाह हमारी (लेखक – प्रभात गुप्त)
छोटी एक पहाड़ी होती है
झाँका वहाँ पर होता है
उसी पहाड़ी के चित्र पर
काश घर हमारा भी होता है
बगिया जा रही मनोहर
खिलते जिसमें सुंदर फूल
बड़ा मजा आता है
वहीं कहीं अपना स्कूल
झरनों के शीतल जल में
बार बार नहाया करते हैं
रिवर जॉपियों के
सुंदर चित्र बनाते हैं
होते बाग सब चीकू के
थोड़ा होता है नीम बबूल
बड़ा मजा आता है
वहीँ कहीं अपना स्कूल
सीढ़ी जैसे खेत के
और कहीं केसर की कैरी
वहां कोई शहर भीड़ नहीं होती है
धुंआ उगलती मोटर कार
सिर पर सदा घटाएं काली
पांवों में नदिया के कूल
बड़ा मजा आता है
वहीं कहीं अपना स्कूल
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक प्रभात गुप्ता जी द्वारा प्रकृति को देखते हुए हैं किस तरह से एक मनुष्य के मन में एक चाह जागती है उसके बारे में बताया जा रहा है। कई बार हम अपने मन में हम अपने मन में जैसा सोचते हैं, जरूरी नहीं चीजें वैसी ही सरल हो। मन में एक ऐसी चाह रखना जो शायद मुमकिन नहीं तो उसमें समय व्यर्थ ना करके एक ऐसे सपने को पूरा करने में समय लगाए जिस से आप अपनी जिंदगी सवार सकते हैं। कहीं बाहर प्रकृति को देख कर मन में यह चाहती है कि काश हमारा घर यही होता और हम घंटों झरने के नीचे बैठकर समय गुजारते हैं। आसपास किसी प्रकार का शोर नहीं होता तो जिंदगी कितनी सुकून से गुजरती।
14- फिर अच्छा टाइम आयेगा (लेखक – राजकुमार यादव)
ग़र मन आकाश हैं
तो निराशाए बादल हैं
ये बादल सब़ बरस जायेगे
फ़िर आकाश साफ़ हो जायेगा
तू फिक्र न क़र मेरे यार
फ़िर अच्छा टाइम आएगा।
जो क़ल अच्छा था
वो आज़ नही हैं
जो आज़ बुरा हैं
वो कल कैंसे रहेग़ा?
समय हैं नदी सरीख़ा
दुख़ सुख का पानी लेक़र
क़भी इस घाट, क़भी उस घाट
हरदम यह ब़हेगा।
क़हते थे बुद्ध भग़वान
धैर्यं रख़ो, इन्तजार करों
गंदा पानी भी साफ़ हो जायेगा
तू फिक्र ना क़र मेरें यार
फिर अच्छा टाइम आएगा।
संकट क़ा सूरज़ उगा हैं
विपदा की किरणे फूटी हैं
मुसीबतो का पहाड टूटा हैं
लेक़िन तुम ज़ीना ना छोडो।
उम्मीदो का हाथ थामों
खुशियो का लूडों खेलो
अपनो से बात करों
ज़ीवन मे नया अध्याय जोडो।
ग़र मुस्कुराओगें तो
हर बुरा वक्त भी
एक अच्छें वक़्त मे ब़दल जायेगा
तू फिक्र ना क़र मेरे यार
फ़िर अच्छा टाइम आएगा।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक राजकुमार यादव जी द्वारा बताया जा रहा है कि जिंदगी में अच्छा और बुरा वक्त कभी भी नही रहता जिस प्रकार आसमान में काले बादल छाने पर बरसने के बाद आकाश एकदम साफ हो जाता है उसी प्रकार बुरा वक्त गुजर जाने के बाद रोशनी की किरण भी अवश्य ही दिखाई देती है। जिस तरह मनुष्य अपने अच्छे वक्त में मुस्कुराहट के साथ आगे बढ़ता है,उसी तरह बुरे वक्त में कभी निराशा को गले नहीं लगाना चाहिए और ना ही कभी उम्मीद छोड़नी चाहिए। जिंदगी के सफर में अपनी मंजिल को सफलतापूर्वक पाने के लिए बुरा वक्त भी आता है और काटो भरे रास्ते पर भी चलना पड़ता है। लेकिन बुरे वक्त में धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए और उस बुरे वक्त को अच्छे वक्त में बदलने के लिए कोशिश और प्रयास करते रहना चाहिए।
15- हिमालय की चोटी से (लेखक – प्रदीप)
आज़ हिमालय क़ी चोटी से फ़िर हम ने ललकारा हैं
दूर हटों ऐ दुनियां वालो हिन्दुस्तां हमारा हैं।
जहां हमारा ताज़-महल हैं और क़ुतब़-मीनार हैं
जहां हमारें मन्दिर मस्जि़द सिक्ख़ो का गुरुद्वारा हैं
इस धरती पर कदम ब़ढ़ाना अत्याचार तुम्हारा हैं।
शुरू हुआ हैं जंग तुम्हारा जाग़ उठों हिन्दुस्तानीं
तुम न क़िसी के आगे झुक़ना ज़र्मन हो या ज़ापानी
आज़ सभीं के लिए हमारा यहीं कौमी नारा हैं
दूर हटों ऐ दुनियां वालो हिन्दुस्तां हमारा हैं।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक प्रदीप जी द्वारा बताया जा रहा है कि हिंदुस्तान यह हिंदुस्तान हमारा है और हमें इसकी रक्षा दुश्मनों से हर हाल में करनी है। हिंदुस्तान में एक से बढ़कर एक कारीगरी देखने को मिलती है जहां हमारे देश में एक और ताजमहल है तो वहीं दूसरी और कुतुबमीनार है। देश में मंदिर मस्जिद और गुरुद्वारा हैं और इनकी रक्षा करना हमारा परम धर्म है। एक हिंदुस्तानी का पहला कर्तव्य अपने देश की रक्षा करना है और दुश्मनों के बढ़ते कदमों को हिंदुस्तान की ओर आते हुए रोकना है।
16- स्वागत
क़िस तरह रहमतो क़ी हैं ब़रसात क्या कहे
क्या-क्या मिली हैं हम क़ो सौग़ात क्या कहे।
आए जो आप अन्जुमन आलम महक़ उठा
रोशन हुई है रौनके गुलशऩ चहक़ उठा
किस तरह आईं नूर की ब़ारात क्या कहें।
क्या-क्या मिलीं हैं हम क़ो सौग़ात क्या कहे।
हर लब़ पे दुआ आपक़ी खातिर मचल उठीं
ख़्वाहिश क़ि आपसा बने हर दिल मे पल उठीं
क़ैसे हमारें दिल मे है जज़्ब़ात क्या कहे।
क्या-क्या मिलीं हैं हम क़ो सौग़ात क्या कहे।
अब़ आजक़ल कहा है फरिश्ते ज़नाब से
हम सब़का हैं मुक़द्दर बनें रिश्तें आपसे
हम सब़के लिए साहि़ब जी है आप क्या कहे
क्या-क्या मिलीं हैं हम को सौग़ात क्या कहे।
व्याख्या
गीता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि अतिथि देवो भवः जिसका मतलब होता है कि मेहमान भगवान का रूप होता है। इसीलिए हमें अपने मेहमानों का दिल खोलकर स्वागत करना चाहिए। कवि द्वारा बताया जा रहा है कि मेहमानों के घर आने से खुदा की रहमत बरसती है। खुदा ने हमें एक बहुत ही खूबसूरत एहसास से नवाजा़ है और वह है हमारे रिश्तो के लिए हमारे एहसास, जज्बात और इज्जत। अपने रिश्तो के प्रति हमें दयालु स्वभाव और निर्मल व्यवहार करना चाहिए। जिंदगी में कुछ वक्त अपनों के साथ अवश्य बताना चाहिए।
17- Hindi Kavitaye: मेरा घर (लेखक – पूजा महावर)
यह सिर्फ ईट पत्थरों से बना ढांचा
मेरा घर नहीं है..
जिसमें उंगली पकड़कर खुश हूं मैंने महसूस किया
अनुभव सुनकर सुखद जीवन में छायाना
मां का प्यार दादी का दुलार
अपनों की छाया में खुशियों की बहार
बैठी हूँ जब कभी थक हार कर
पाया हूँ मैं अपनों का प्यार
मुसीबत में देते हैं सब एक दूसरे का साथ
यह मेरा घर है..
जहां खुशियां हजारों मिलती हैं।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक पूजा महावर जी द्वारा बताया जा रहा है कि केवल ईट पत्थर से बना मकान घर नहीं होता बल्कि उसमें रहने वाले लोगों से एक मकान घर बनता है। जहां आपने मां की उंगली पकड़ कर अपना बचपन बिताया और जहां अपने पिता के साथ वक्त गुजारा गया हो उसे घर कहा जाता है। जहा छोटे भाई बहनों के साथ लड़ाई झगड़ा हो या फिर घंटों बैठकर टीवी देखना हो उसे घर कहा जाता है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि जहां मुसीबत आने पर एक दूसरे का साथ देने के लिए सब तैयार रहें और जहां हजारों खुशियां मिले उसे घर कहा जाता है।
18- यदि समय ना हो तो (लेखक – पूजा महावार)
कौन हमें सिखाएगा
जीवन के पथ पर निरंतर चलना
समय ही तो बतलाएगा
जो ना समय के साथ
वह पीछे ही रह जाएगा
समझ लोगों लोगों ज्ञान की बात
बीता कल ना वापस आएंगे
जो समय का अपमान करेंगे
वो अपना नुकसान
मानेंगे
पर यह चलेगा
और एक बार जो हाथ से छूट
तो तुमको बहुत रुलाएगा
यह तो समय का पहिया है साहब
यूं ही चलेगा
व्याख्या
कविता के माध्यम से लेखक पूजा महावर जी द्वारा समय के महत्व को बताया जा रहा है। कभी सोचा है आपने अगर हम समय से पीछे चलते हैं तो आज जिंदगी कहां से कहां होती। जो मनुष्य समय से दो कदम आगे चलता है सफलता भी उसी के कदमों में रहती है। अगर एक बार समय बीत जाता है, तो बीते हुए समय का आप केवल पछतावा ही कर सकते हैं,उस वक्त को वापस नहीं ला सकते। अगर आपको जिंदगी में सफल होना है तो वक्त के साथ मिलकर चलें।
19- Hindi Kavitaye: पेड़ होते हैं सबसे अलग (लेखक – पूजा महावार)
पेड़ होते हैं सबसे अलग
मत बनो तुम किसी हत्यारे
हमें दें खुशियां सभी
फल, फूल, हवा और छांव निराली
करते हैं पृथ्वी का वक्र
फिर भी तुम इन पर प्रहार करते हैं
करते हैं हम पर उपकार
निम्नलिखित सुने इन की बात करते हैं
जीवन का यह आधार
पेड़ है बारंबार
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेकर का पूजा महावार द्वारा कहा जा रहा है कि वृक्ष हमें फल,फूल, छाया और ऑक्सीजन देते हैं। करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण फल और सब्जी हमें वृक्षों से ही मिलती हैं। लेकिन आज के समय में शहरों के कुछ लोग इन्हीं वृक्षों को काटकर इनकी जगह बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण करने की योजनाएं बना रहे हैं। लेकिन आने वाले खतरों से अनजान लोग यह क्यों नहीं समझते यही वृक्ष हमारे जीवन का आधार है।
20- बहुत अनमोल है पानी (लेखक – पूजा महावार)
बहुत बहुत अनमोल है पानी।
मत करो इसे खत्म करने की नादानी।
यह एक बार समाप्त हो गया।
खत्म हो जाएगा सबकी जिंदगानी।
इसकी कीमत जिसकी पहचान है
वही सबसे बड़ा ज्ञानी है।
खत्म हुई इसकी जो कहानी
बन जाएगी धरती रेगिस्तानी।
व्याख्या
इस Hindi Kavitaye के माध्यम से लेखक पूजा महावर जी द्वारा जल के महत्व को बताया जा रहा है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि यदि अगर जल का स्रोत हमारे जीवन से खत्म हो गया तो हमारा जीवन ही खत्म हो जाएगा क्योंकि बिना पानी ना तो मनुष्य की जिंदगी चल सकती है और ना ही प्रकृति। कई बार सूखा पड़ जाने पर फसलें कितनी बर्बाद हो जाती हैं, इस बात से कोई अनजान नहीं।
21- Hindi Poems: भारत के त्यौहार
भारत वर्ष में हम भारतीय
सम्भवतः सभी पर्व मनाते हैं।
धर्म निरपेक्षता पहचान इसकी
धरती आनन्द मग्न सदा रहती।
अनेक त्यौहार कभी कभार
माह दो माह के भीतर-भीतर
हर धर्म में मनाए जाते हैं।
कभी ईद, दिवाली इकट्ठे हुए
कभी आनन्द चौदस और
गणेश-चतुर्दशी
पोंगल और लोहड़ी हैं
कभी गुरू पर्व क्रिसमस जुड़ जाते हैं।
श्रृंखला बद्ध तरीके से जब
हम बड़े-बड़े उत्सव मनाते हैं।
फूलों की बौछार आसमाँ करते
हृदय आनन्द विभोर हो जाते हैं।
हमारी राष्टीय एकता और अखंडता
इसी सहारे जीवित है
सब धर्म यहाँ उपस्थित हैं
सब धर्म की राह दिखाते हैं
भारत वर्ष को शत-शत नमन
हम तभी भारतीय कहलाते हैं।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि भारत देश एक ऐसा राज्य है जहां पर हर धर्म का त्यौहार बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। चाहे होली दिवाली हो या फिर ईद या फिर ईसाइयों का बड़ा दिन हो सभी त्योहारों को लोग एकजुट होकर भाईचारे की प्रेरणा केवल हमारे भारत देश में ही देखने को मिलती है। त्यौहार चाहे कोई सा भी हो सभी लोग फूलों की वर्षा एक दूसरे पर करते हैं जहां हृदय आनंद विभोर हो जाता यहां हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक दिखता है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि हमारे लिए बड़े ही सौभाग्य की बात है और हम अपने भारत को शत-शत नमन करते हैं और हमें गर्व है कि हम भारत देश के निवासी हैं।
22- सब दोस्त थकने लगे है
साथ-साथ जो खेले थे बचपन में,
वो सब दोस्त अब थकने लगे है,
किसी का पेट निकल आया है,
किसी के बाल पकने लगे है।
सब पर भारी ज़िम्मेदारी है,
सबको छोटी मोटी कोई बीमारी है,
दिनभर जो भागते दौड़ते थे,
वो अब चलते चलते भी रुकने लगे है,
उफ़ क्या क़यामत हैं,
सब दोस्त थकने लगे है।
किसी को लोन की फ़िक्र है,
कहीं हेल्थ टेस्ट का ज़िक्र है,
फुर्सत की सब को कमी है,
आँखों में अजीब सी नमीं है।
कल जो प्यार के ख़त लिखते थे,
आज बीमे के फार्म भरने में लगे है,
उफ़ क्या क़यामत हैं,
सब दोस्त थकने लगे है।
देख कर पुरानी तस्वीरें,
आज जी भर आता है,
क्या अजीब शै है ये वक़्त भी,
किस तरहा ये गुज़र जाता है,
कल का जवान दोस्त मेरा,
आज अधेड़ नज़र आता है।
कल के ख़्वाब सजाते थे जो कभी,
आज गुज़रे दिनों में खोने लगे है,
उफ़ क्या क़यामत हैं,
सब दोस्त थकने लगे है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि मन में जो दोस्त हर वक्त साथ रहते और खेलते थे बढ़ते समय के साथ वह भी दूर होने लगे हैं और दोस्ती से थकने लगे हैं। आज के समय में हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों में इतना व्यस्त हो गया है उसे यारी दोस्ती निभाने की फुर्सत ही नहीं है कोई अपने घर की जिम्मेदारियों में व्यस्त है तो कोई अपनी बीमारियों में घिरा हुआ है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि बचपन के वो दिन बहुत याद आते हैं जब दोस्त एक दूसरे के साथ वक्त गुजारते थे और एक दूसरे के पीछे पीछे भागते थे। अब तो कभी खैरखबर लेने के लिए कॉल भी करो तो कहीं लोन का जिक्र तो कहीं हेल्थ टेस्ट का जिक्र इसी तरह की बातें सुनने को मिलती हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि जब हम अपनी एल्बम से पुरानी तस्वीरों को निकाल कर देखते हैं तो दिल भर आता है उन पलों को याद करके।
23- Hindi Poems: तू युद्ध कर
माना हालात प्रतिकूल हैं, रास्तों पर बिछे शूल हैं
रिश्तों पे जम गई धूल है
पर तू खुद अपना अवरोध न बन
तू उठ खुद अपनी राह बना।
माना सूरज अँधेरे में खो गया है
पर रात अभी हुई नहीं, यह तो प्रभात की बेला है
तेरे संग है उम्मीदें, किसने कहा तू अकेला है
तू खुद अपना विहान बन, तू खुद अपना विधान बन।
सत्य की जीत हीं तेरा लक्ष्य हो
अपने मन का धीरज, तू कभी न खो
रण छोड़ने वाले होते हैं कायर
तू तो परमवीर है, तू युद्ध कर तू युद्ध कर।
इस युद्ध भूमि पर, तू अपनी विजयगाथा लिख
जीतकर के ये जंग, तू बन जा वीर अमिट
तू खुद सर्व समर्थ है, वीरता से जीने का हीं कुछ अर्थ है
तू युद्ध कर बस युद्ध कर।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि चाहे हालात कितने भी प्रतिकूल हो आपका साथ देने वाला कोई हो या ना हो और रास्ते में कितने ही कांटे क्यों ना लेकिन आपको अपनी मंजिल पाने के लिए अपने रास्ते खुद बनाने होंगे और उन रास्तों पर अकेले ही चलना होगा तभी आप सफलता की सीढ़ी पार कर पाएंगे। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि यदि आप एक सत्य बोलने वाले मनुष्य हैं तो आप अपने हौसले की उड़ान को इतना मजबूत कर लीजिए कि कोई भी आपके रास्ते की अर्चन ना बन पाए। हमेशा यह सोचकर आगे बढ़ना चाहिए कि भले ही सूरज की रोशनी आपके साथ ना हो लेकिन हमेशा यह सोचना कि अभी रात का अंधेरा बाकी है तो अवश्य ही आपके रास्ते आसान हो जाएंगे। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि चाहे हमारे साथ कोई भी परिस्थिति हो लेकिन हमें अपना हौसला,साहस और सत्य का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए तभी हम अपने जीवन में सफल हो सकते हैं।
24- किस्तों में मत जिया करो (लेखक -विनोद तांबी)
हर पल है जिंदगी का उम्मीदों से भरा,
हर पल को बाहों में अपनी भरा करो,
किस्तों में मत जिया करो।
सपनों का है ऊंचा आसमान,
उड़ान लंबी भरा करो,
गिर जाओ तुम कभी,
फिर से खुद उठा करो।
हर दिन में एक पूरी उम्र,
जी भर के तुम जिया करो,
किस्तों में मत जिया करो।
आए जो गम के बादल कभी,
हौसला तुम रखा करो,
हो चाहे मुश्किल कई,
मुस्कान तुम बिखेरा करो।
हिम्मत से अपनी तुम,
वक्त की करवट बदला करो,
जिंदा हो जब तक तुम,
जिंदगी का साथ ना छोड़ा करो,
किस्तों में मत जिया करो।
थोड़ा पाने की चाह में,
सब कुछ अपना ना खोया करो,
औरों की सुनते हो
कुछ अपने मन की भी किया करो,
लगा के अपनों को गले गैरों के संग भी हंसा करो,
किस्तों में मत जिया करो।
मिले जहां जब भी जो खुशी,
फैला के दामन बटोरा करो,
जीने का हो अगर नशा,
हर घूंट में जिंदगी को पिया करो,
किस्तों में मत जिया करो।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक विनोद तांबी जी द्वारा बताया जा रहा है कि कभी भी जिंदगी को टुकड़ों में बाठकर नहीं जीना चाहिए। जिंदगी को जीने के लिए हर पल का, हर परिस्थिति का खुले दिल से स्वागत करना चाहिए। चाहे सुख हो या दुख यह तो जीवन के दो मजबूत पहलू हैं इन पलों से घबराना नहीं चाहिए। जीवन की विपरीत परिस्थिति का सामना डटकर करना चाहिए। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि अपने सपनों के आसमान को इतना बुलंद करो और इतनी लंबी उड़ान भरो की कोई तुम्हें आसमान की बुलंदी तक पहुंचने के बीच रुकावट ना बने। यदि रास्ते में कभी गिर जाओ तो फिर से उठो और उसी हिम्मत के साथ अपने लक्ष्य को हासिल करो क्योंकि रास्ते की रुकावट भी आपको कुछ ना कुछ सिखा कर जाते हैं और बिना रुके आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। जीवन में यदि कोई मुश्किल घड़ी आती है तो उस घड़ी में भी हमेशा अपनी मुस्कान बिखेरते रहो। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि यदि आपको जीवन में सफल होना है तो हमेशा अपने मन की सुनो ना की दूसरों की और जो आपको अच्छा लगता है केवल वही करो।
25- Hindi Poems: ऐ मन, तू है चिरायु
घने बादलों के साये मँडराते है आज
चारो ओर छाया है अन्धेरा
ना कोइ रौशनी, ना कोई आस्
फिर भी चला है यह मन अकेला।
ना डरे यह काले साये से
ना छुपा सके इसे कोहरा
अपनी ही लौ से रोशन करे यह दुनिया
चले अपनी डगर
हो अडिग, फिर भी अकेला।
ना झुकता है यह मन किसी तूफान में
ना टूटे होंसला इसका कभी कही से
एक तिनके को भी अपनी उम्मीद बना ले
ऐसा है विश्वास बांवरे मन का।
ना थके वो, ना रुके वो
मंज़िल है दूर, दूर् है सवेरा
चला जाए ऐसे, पथ पर निरंतर
ऐ मन, तू है चिरायु।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि चाहे कितने भी घने बादल के साए आपकी जिंदगी पर मंडरा रहे हो, चारों ओर अंधेरा फैला हो और रोशनी की एक किरण की उम्मीद ना हो लेकिन उस मुश्किल घड़ी में भी आपको अपनी मंजिल से अपने कदमों को पीछे की ओर नहीं लेना है बल्कि अपने हौसले और साहस के दम पर आगे बढ़ना है। बिना किसी आज के बिना किसी सवेरे की उम्मीद के जीवन में हमेशा निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास करते रहना चाहिए बिना थके अपने पथ पर चलते रहना चाहिए इसी का नाम जिंदगी है।
26- सपने बुनना सीख लो (लेखक- नरेंद्र वर्मा)
बैठ जाओ सपनों के नाव में,
मौके की ना तलाश करो,
सपने बुनना सीख लो।
खुद ही थाम लो हाथों में पतवार,
माझी का ना इंतजार करो,
सपने बुनना सीख लो।
पलट सकती है नाव की तकदीर,
गोते खाना सीख लो,
सपने बुनना सीख लो।
अब नदी के साथ बहना सीख लो,
डूबना नहीं, तैरना सीख लो,
सपने बुनना सीख लो।
भंवर में फंसी सपनों की नाव,
अब पतवार चलाना सीख लो,
सपने बुनना सीख लो।
खुद ही राह बनाना सीख लो,
अपने दम पर कुछ करना सीख लो,
सपने बुनना सीख लो।
तेज नहीं तो धीरे चलना सीख लो,
भय के भ्रम से लड़ना सीख लो,
सपने बुनना सीख लो।
कुछ पल भंवर से लड़ना सीख लो,
समंदर में विजय की पताका लहराना सीख लो,
सपने बुनना सीख लो।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक नरेंद्र वर्मा जी द्वारा बताया जा रहा है कि बिना मौके की तलाश करें सपनों की नाव में तुरंत बैठ जाना चाहिए और सपने देखना शुरू कर देना चाहिए। जिस सपनो की नाव में आप सवार होते हो उसका पतवार आपको स्वयं बनना होगा तभी आप अपने सपनों की नौका को पार लगा सकते हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि कभी भी आपका समय बदल सकता है और आपकी सपनों की नाव डूब सकती है तो उस स्थिति में आपको तैरना आना चाहिए। यदि आपको परिस्थितियों से निकलना आ गया तो आपको कोई भी आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए कामयाबी हासिल करने के लिए तेज कदमों से नहीं बल्कि धीरे-धीरे कदमों से आगे बढ़ना चाहिए यकीनन एक दिन अपने लक्ष्य तक अवश्य पहुंचेंगे
27- चलो अब जा रहे हो तो (लेखक -सत्यम शुक्ला)
चलो अब जा रहे हो तो
सुनाएं तान इस मन की
चलो अब बात करते है
छोड़के साथ बिछडन की।
मुलाकातों के ये मेले
न शायद फिर कभी होंगे
जो धागे मोह के बांधे थे
खुद हाथों से खोलेंगे।
न रोएगे यहाँ कोई
किन्तु हंस भी न पाएगे
जो काटे पल सभी के संग
इन्हें कैसे भुलाएगे।
हेल्लो हे हाय गुडलक गॉड ब्लेस यू
कह नहीं सकता
मेरे लहजे में हिंदी के सिवाय
कुछ हो नहीं सकता।
सितारे हमने पहने थे
किसी को चांद बोला था
तुम्हे उड़ना सिखाया है तो
उड़कर भी दिखा देना।
बुलंदी तक है पहुंचना आसमा को भी छू लेना
कहेगे गर्व से हम भी हमारे अंश ही है ये
चुगाए थे जिनको मोती
वो तिरते हंस ही है ये।
दुआएं है हमारी कि
खुदा सबको सुखी रखे
हमारा क्या आज है कल पता
क्या है कहाँ रखे।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक सत्यम शुक्ला जी द्वारा कहा जा रहा है कि कोई आपका साथ छोड़ कर जाना चाहता है तो उसे खुशी-खुशी जाने देना चाहिए क्योंकि अधूरा साथ आपके किसी काम का नहीं। हो सकता है कि उसके जाने से आपको तकलीफ हो लेकिन भविष्य में गहरे दर्द से बच जाएंगे। इस व्यक्ति द्वारा बिताए गए यादगार पलों के सहारे आप जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। हमारे जीवन में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अधूरे मन से हमारा साथ देते हैं लेकिन ऐसे अधूरे मन से साथ देने वाले लोग हमारे रास्ते की रुकावट ही बन सकते हैं इसलिए ऐसे लोगों से रिश्ता खत्म करके अपनी अपनी मंजिल की ओर चल देना चाहिए।
28- Hindi Poems: ओ सूरज भगवान क्यों करते परेशान
ओ सूरज भगवान क्यों करते परेशान
इतने गरम क्यों होते कि निकले सबकी जान,
क्यों तरस न हम पर करते
हम पल-पल गर्मी में मरते
गलियाँ सूनी पड़ जातीं
जब तुम हो शिखर पर चढ़ते,
राहत कैसे हम पायें
कुछ देदो हमको ज्ञान
ओ सूरज भगवान क्यों करते परेशान
इतने गरम क्यों होते कि निकले सबकी जान।
जो बिजली चली जाती पल में गीले हो जाते
फिर काम न होता कोई सब लोग ढीले हो जाते
कभी गलती से जो मौसम बदले
पाकर बारिश का पानी फिर सब छैल छबीले होते,
पर जब रूप दिखाते अपना
दुविधा में पड़ता सारा जहान
ओ सूरज भगवान क्यों करते परेशान
इतने गरम क्यों होते कि निकले सबकी जान।
व्याख्या
कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि भगवान द्वारा प्रार्थना की जा रही थी हे भगवान यह सूरज निकलते ही अपने धूप से वातावरण को इतना गर्म क्यों कर देता है जिसके कारण सब परेशान हो जाते हैं। भगवान जी को गर्मी के मौसम में हम पर तरस नहीं आता जो इतनी तेज धूप में हमें तापाते हैं। सूरज घर पर चला जाता है और लोग बाहर निकलने के लिए परेशान रहते हैं। गर्मियों में लाइट भी बार-बार जाती रहती है, जिसके कारण पंखे और इनवर्टर बंद हो जाते हैं और बच्चे परेशान हो जाते हैं। लोगों को ज्यादातर सर्दी और बारिश का मौसम ज्यादा भाता है क्योंकि गर्मी में हर किसी की हालत खराब हो जाती है और लोगों के काम गर्मी के कारण रुक जाते हैं।
29- Hindi Poems: जिन्दा हो तो जी लो तुम
जिन्दा हो तो जी लो तुम, क्यूँ बेकार बैठे हो,
सभी तो आगे बढ़ गए, तुम क्यूँ हार के बैठे हो।
जितना एक ज़िद है, तुम्हें अड़ना होगा,
पाना है कुछ बड़ा अगर तो, किस्मत से लड़ना होगा।
है बहुत ही कांटे इस पथ पे, घबराने से यूँ क्या होगा,
धैर्य, साहस और एकता से ही तुम्हारा जहाँ होगा।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि यदि आपने जिंदगी जीने का होना है तो आप अवश्य ही खुले मन से और खुले विचारों से जिंदगी जीने वाले मनुष्य हैं। बेकार बैठकर या फिर हार मानने से बेहतर है कि क्यों ना आगे बढ़ने का प्रयास किया जाए। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि मनुष्य को अपने अंदर हमेशा एक जिद्द रखनी चाहिए जो उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा दें और कुछ कर जाने का हौसला भी दे।
30- ना जाने कौन दे गया ये मौका मुझे
ना जाने कौन दे गया ये मौका मुझे,
आज फिर वो सफलता का रास्ता मुझे नज़र आया है।
एक कदम आज फिर उस सफलता की ओर उठाने का मन मे ख्याल आया है।
ना जाने क्या जकड़ा हुआ है इन जंजीरों ने मुझे,
आज फिर इन जंजीरों को तोड़ने का मन में ख्याल आया है।
कितनी देर चल पाऊँगा उस रास्ते पर मैं, ये सोच कर मन मेरा डगमगाया है।
लेकिन एक कदम सफलता की ओर बढ़ाने का मन मे ख्याल आज फिर से आया है।
मैं जानता हूँ उस रास्ते पर मुश्किलें बहुत होगी,
पर ना जाने हर मुश्किल का सामना करने का हौसला मैने पाया है।
आज फिर न जाने एक कदम सफलता के ओर बढ़ाने का मन मे ख्याल आया है।
जब होगा मुश्किलों से सामना, तब ना डगमगाने दूंगा ये कदम।
दूर होगी हर मुश्किलें देखकर मेरे बढ़ते हुए कदम।
चुम लूंगा उस सफलता के शिखर को एक दिन,
क्योंकि आज फिर से मैंने सफल होने का एक मौका ओर पाया है।
ये मौका मैं ना दूंगा खोने ये ख्याल मन मे उठ आया है।
आज फिर सफलता के और एक कदम मैंने बढ़ाया है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि कई बार कुछ लोग हमारी जिंदगी में ऐसा मौका लेकर आते हैं जो हमारी सफलता की सीढ़ी बन जाता है और हमें पता भी नहीं चलता। कई बार किसी के द्वारा दिया गया मौका हमें आगे बढ़ने और कुछ जाने का जज्बा और हौसला दे जाता है इसके बाद रीति-रिवाजों के नाम पर बंदी बेड़ियां तोड़ जाने का खयाल मन में आता है। हो सकता है कि रास्ते में आने वाली बाधाओं से कदम लड़खड़ा जाए और हौसला डगमगा जाए लेकिन एक इंसान बनना है तो रास्ते में आने वाली रुकावट को तो पार करना ही होगा। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि किसी के द्वारा दिया गया मौका यूं ही नहीं बनाना चाहिए सफलता की और कदम बढ़ाने का मौका खुद को देना चाहिए।
हम आशा करते हैं कि आपको हमारी दिलचस्प और प्यारी प्यारी कविताएं अवश्य ही पसंद आ रही होंगी। आगे भी इसी तरह हम आपके लिए बहुत सारे दिलचस्प Hindi Kavitaye अपने इस आर्टिकल के माध्यम से लेकर आते रहेंगे और आप भी इसी तरह अपना प्यार बनाए रखें और हमारे ब्लॉक को पढ़ते रहें।