हिंदी दिवस कविताएं: हिंदी भाषा एक ऐसी भाषा है जिसे हम निसंकोच बोल सकते हैं और अपनी बात अन्य लोगों तक पहुंचा सकते हैं। हिंदी भाषा देश की ही नहीं बल्कि हमारा अभिमान, हमारी शान और गर्व का पात्र है। इसे बोलने में प्रत्येक नागरिक को गर्व महसूस करना चाहिए ना की हिचकिचाहट कि दूसरा क्या सोचेगा। हिंदी दिवस 14 सितंबर को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। दोस्तों आज का हमारा यह लेख हिंदी दिवस कविताओं पर आधारित है। हम आशा करते हैं कि आपको यह अवश्य ही पसंद आएगा। हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़े।
1- हिंदी की कहानी
मैं भारत माँ के मस्तक पर सबसे चमकीली बिंदी हूँ,
मैं सब की जानी पहचानी भारत की भाषा हिंदी हूँ।
मेरी बोली में मीरा ने मनमोहक काव्य सुनाया है,
कवि सूरदास के गीतों में मैंने कम मान न पाया है।
तुलसीकृत रामचरितमानस मेरे मुख में चरितार्थ हुई,
विद्वानों संतों की वाणी गुंजित हुई, साकार हुई।
भारत की जितनी भाषाएँ सब मेरी सखी सहेली हैं,
हम आपस में क्यों टकराए हम बहने भोली भाली हैं।
सब भाषाओं के शब्दों को मैंने गले लगाया है,
इसलिए भारत के जन-जन ने मुझे अपनाया है।
मैंने अनगिनत फिल्मों में खूब धूम मचाई है,
इसलिए विदेशियों ने ने भी अपनी प्रीति दिखाई है।
सीधा – साधा रूप हीं मेरा सबके मन को भाता है,
भारत के जनमानस से मेरा सदियों पुराना नाता है।
मैं भारत माँ के मस्तक पर सबसे चमकीली बिंदी हूँ,
मैं सब की जानी पहचानी भारत की भाषा हिंदी हूँ।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि हिंदी भारत माता के माथे पर चंदन के तिलक के समान है। प्रत्येक भारतीय हिंदी भाषा को अपने कंफर्ट जोन के हिसाब से अच्छे से बोल पाता है। प्रसिद्ध लेखकों की महान कविताएं उपन्यास गीत आदि हिंदी भाषा द्वारा ही लिखे गए है और यह केवल प्रसिद्ध ही नहीं बल्कि करोड़ों भारतीयों का मन भी मोह लिया है। एकमात्र हिंदी भाषा ही एक ऐसी भाषा है जिसे हर देश का नागरिक बोल सकता है और अपनी बात दूसरे तक आसानी से समझा सकता है। हिंदी भाषा सारी भाषाओं का मिलन है और सबसे सीधी-सादी और सरल भाषा हिंदी ही है।
2- हिंदी दिवस कविताएं: हिंदुस्तान की ताकत
जन – जन की भाषा है हिंदी,
भारत की आशा है हिंदी।
जिसमें पूरे देश को जोड़ रखा,
वह मजबूत धागा है हिंदी।
हिंदुस्तान की गौरव गाथा है हिंदी,
एकता की अनुपम परंपरा है हिंदी।
जिसके बिना हिन्द थम जाए,
ऐसी जीवन रेखा है हिंदी।
जिसने काल को जीत लिया है,
ऐसी कालजयी भाषा है हिंदी।
सरल शब्दों में कहा जाए तो,
जीवन की परिभाषा है हिंदी।
बच्चों का पहला शब्द है हिंदी,
माँ के प्रेम की छाया है हिंदी।
पिता का प्यार है हिंदी,
ममता का आँचल है हिंदी।
हिंदुस्तान की आवाज है हिंदी,
हर दिल की धड़कन है हिंदी।
शहीदों की भूमि है हिंदी,
हिंदुस्तान की ताकत है हिंदी।
ज्ञान का सागर है हिंदी,
हिंदुस्तान का सम्मान है हिंदी।
हिंदुस्तान की संस्कृति का प्रतिबिंब है हिंदी,
हर भारतीय नागरिक की पहचान है हिंदी।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक कहा जा रहा है कि हिंदुस्तान का मान सम्मान प्रत्येक नागरिक के दिल की धड़कन हिंदी भाषा है। हमारे भारत में संस्कृति का प्रतिबंध हिंदी भाषा है और हर भारतीय नागरिक की पहचान हिंदी भाषा है। एक पिता का प्यार और ममता के आंचल से हमें दुलार मिलता है वैसे ही हिंदी भाषा हमारे लिए हमारे दिल की धड़कन है। कवि द्वारा कहा जा रहा है केवल हिंदी भाषा ने ही प्रत्येक नागरिक को एक दूसरे से जोड़ रखा है एक मजबूत धागे की तरह। शहीदों की भूमि हिंदी और हिंदुस्तान की ताकत हिंदी भाषा में है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि हिंदी लोगों के लिए जीवन रेखा है जिसके बिना आपकी जिंदगी अधूरी है।
3- हिंदी का अपमान
भाषण देते हैं हमारे नेता महान,
क्यों बाद में समझते है अपना,
हिन्दी बोलने में अपमान।
क्यों समझते हैं सब,
अंग्रेजी बोलने में खुद को महान।
भूल गए हम क्यों इसी अंग्रेजी ने,
बनाया था हमें वर्षों पहले गुलाम।
आज उन्हीं की भाषा को क्यों करते है,
हम शत् – शत् प्रणाम।
अरे ओ खोए हुए भारतीय इंसान,
अब तो जगाओ अपना सोया हुआ स्वाभिमान।
उठे खड़े हो करें मिलकर प्रयास हम,
दिलाए अपनी मातृभाषा को अंतर्राष्ट्रीय पहचान हम।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि देश के कुछ नेता भाषण देते समय अपना अपमान समझते हैं। क्योंकि उनको लगता है कि अंग्रेजी भाषा महान है और उसी में ज्यादातर अपना भाषण देते हैं। लेकिन नेता यह बात क्यों भूल जाते हैं कि जो बात आप कहना चाह रहे हैं अगर वह जनता की समझ में ही नहीं आएगी तो कैसे उन नेताओं का उद्धार होगा। इन नेताओं का सोया हुआ स्वाभिमान कब जागेगा और हिंदी को अंतरराष्ट्रीय पहचान कब मिलेगी। प्रत्येक नागरिक को गर्व है कि हम हिंदुस्तान के निवासी हैं और हम दिल से कोटि कोटि प्रणाम करते हैं।
4- हिंदी दिवस कविताएं: प्यारी हिंदी
हम सबकी प्यारी,
लगती सबसे न्यारी।
कश्मीर से कन्याकुमारी,
राष्ट्रभाषा हमारी।
साहित्य की फुलवारी,
सरल-सुबोध पर है भारी।
अंग्रेजी से जंग जारी,
सम्मान की है अधिकारी।
जन-जन की हो दुलारी,
हिन्दी हीं पहचान हमारी।
व्याख्या
कविता के माध्यम से लेखक द्वारा हिंदी को सबसे प्यारी और सबसे न्यारी भाषा बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी है। हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी हिंदी सब पर भारी है और अंग्रेजी से जंग जारी है कि हिंदी भाषा अंग्रेजी भाषा के मुकाबले सम्मान का अधिकार रखती है। आने वाले समय में हर भारतीय नागरिक यही चाहता है कि हिंदी हमारी पहचान बने जिसे प्रत्येक नागरिक बोलने में हिचकिचाहट महसूस ना करें बल्कि गर्व से बोल कर अपना गौरव बढ़ाएं।
5- विश्व भाषा
बनने चली विश्व भाषा जो,
अपने घर में दासी,
सिंहासन पर अंग्रेजी है।
लखकर दुनिया हांसी,
लखकर दुनिया हांसी,
हिन्दी दां बनते चपरासी।
अफसर सारे अंग्रेजी मय,
अवधी या मद्रासी,
कह कैदी कविराय।
विश्व की चिंता छोड़ो,
पहले घर में,
अंग्रेजी के गढ़ को तोड़ो।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहां जा रहा है कि अंग्रेजी भाषा को तो लोगों ने सिहासन पर बिठा दिया और हिंदी को विश्व भाषा होने के बाद भी उदासी का दर्जा क्यों दिया जा रहा है। लोग हिंदी बोलने में महसूस करते हैं और लोग क्यों मजाक उड़ाते हैं हिंदी भाषा का। उपन्यास कविताएं निबंध ज्यादातर लोगों को हिंदी भाषा में ही पसंद है लेकिन फिर भी अंग्रेजी भाषा को इतना महान क्यों बनाया जा रहा है।
6- हिंदी दिवस कविताएं: होठ खामोश
होठ खामोश थे सिसकियाँ कह गयी,
द्वार बंद थे खिड़कियाँ कह गयी,
कुछ हमने कहा कुछ हिंदी कह गयी,
जो न कह पायें वो हिचकियाँ कह गयी।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है हिंदी भाषा बोलने में कभी भी हिचकिचाना नहीं चाहिए क्योंकि हिंदी भाषा हमारा अभिमान, शान और गर्व है। केवल हिंदी ही एक ऐसी भाषा है,जहां आप बिना संकोच के अपनी बात आसानी से दूसरों को समझा सकते हो।
7- हिन्दी जनता की भाषा (लेखक – देवमणि पांडेय)
हिन्दी इस देश का गौरव है, हिन्दी भविष्य की आशा है
हिन्दी हर दिल की धड़कन है, हिन्दी जनता की भाषा है
इसको कबीर ने अपनाया
मीराबाई ने मान दिया
आज़ादी के दीवानों ने
इस हिन्दी को सम्मान दिया
जन जन ने अपनी वाणी से हिन्दी का रूप तराशा है
हिन्दी हर क्षेत्र में आगे है
इसको अपनाकर नाम करें
हम देशभक्त कहलाएंगे
जब हिन्दी मे सब काम करें
हिन्दी चरित्र है भारत का, नैतिकता की परिभाषा है
हिन्दी हम सब की ख़ुशहाली
हिन्दी विकास की रेखा है
हिन्दी में ही इस धरती ने
हर ख़्वाब सुनहरा देखा है
हिन्दी हम सबका स्वाभिमान, यह जनता की अभिलाषा है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक देवमणि पांडेय जी द्वारा कहा जा रहा है हिंदी हमारे देश का गौरव और लोगों में दिल की धड़कन है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि भविष्य की एक आशा हिंदी है जहा एक दिन अवश्य ही उसे विश्वा भाषा के साथ सिहासन पर विराजमान किया जाएगा। जहा कबीर दास और मीराबाई ने अपने दोहों से बढ़ाया वहीं आजादी के शूरवीरो ने हिंदी भाषा को सम्मान दिया। हिंदी भारत का चरित्र है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि सभी भारतीयों को हिंदी भाषा का अधिक से अधिक विकास कर उसका गौरव बढ़ाने की बात कही जा रही हैं।
8- लगा रहे प्रेम हिन्दी में (लेखक – राम प्रसाद बिस्मिल)
लगा रहे प्रेम हिन्दी में, पढूँ हिन्दी लिखूँ हिन्दी
चलन हिन्दी चलूँ, हिन्दी पहरना, ओढना खाना।
भवन में रोशनी मेरे रहे हिन्दी चिरागों की
स्वदेशी ही रहे बाजा, बजाना, राग का गाना।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक राम प्रसाद बिस्मिल जी द्वारा कहा जा रहा है कि प्रेम से बोलने वाली भाषा हिंदी है और हमें हिंदी भाषा को शान और गर्व से लिखना और पढ़ना चाहिए। अपने घर में हमें सबको हिंदी बोलकर एक उज्जवल रौशनी चिरागों की तरह करनी चाहिए।
9- हिंदी दिवस कविताएं: हिंदी भाषा हमारी ताकत
वक्ताओं की ताकत भाषा,
लेखक का अभिमान हैं भाषा,
भाषाओं के शीर्ष पर बैठी,
मेरी प्यारी हिंदी भाषा।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि एक लेखक की ताकत और अभिमान है हिंदी भाषा। हिंदी भाषा में लिखे गए उपन्यास निबंध और कविताएं पढ़ने के बाद लोगों का मन मोह लेती हैं।
10- बिछड़ जायेंगे
बिछड़ जाएंगे अपने हमसे,
अगर अंग्रेजी टिक जाएगी,
मिट जाएगा वजूद हमारा,
अगर हिंदी मिट जाएगी।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से कवि द्वारा कहा जा रहा है कि यदि अगर हमने अंग्रेजी भाषा को ज्यादा महत्व दे दिया तो हमसे हमारे अपने बिछड़ जाएंगे क्योंकि जरूरी नहीं अंग्रेजी भाषा में कहीं जाने वाली बात सामने वाला ठीक से समझ पाए। अगर आपने हिंदी भाषा को महत्व नहीं दिया तो हो सकता है कि आपका वजूद भी मिट जाए।
11- हिंदी हमारी आन है हिंदी हमारी शान है (लेखक-सुनील जोगी जी)
हिंदी हमारी आन है हिंदी हमारी शान है
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
हिंदी हमारी वर्तनी हिंदी हमारा व्याकरण
हिंदी हमारी संस्कृति हिंदी हमारा आचरण।
हिंदी हमारी वेदना हिंदी हमारा गान है
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
हिंदी हमारी आत्मा है भावना का साज़ है
हिंदी हमारे देश की हर तोतली आवाज़ है।
हिंदी हमारी अस्मिता हिंदी हमारा मान है
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
हिंदी निराला, प्रेमचंद की लेखनी का गान है
हिंदी में बच्चन, पंत, दिनकर का मधुर संगीत है।
हिंदी में तुलसी, सूर, मीरा जायसी की तान है
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
जब तक गगन में चांद, सूरज की लगी बिंदी रहे
तब तक वतन की राष्ट्रभाषा ये अमर हिंदी रहे।
हिंदी हमारा शब्द, स्वर व्यंजन अमिट पहचान है
हिंदी हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक सुनील जोगी जी द्वारा बताया जा रहा है कि हिंदी हमारी आन और शान ही नहीं बल्कि हमारी चेतना वाणी का शुभ वरदान है। हमारे देश की राष्ट्रभाषा और हमारी संस्कृति हिंदी भाषा है जिसका हमें सम्मान करना चाहिए। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि जब तक आसमान में चांद सितारे हैं तब तक हमारे वतन की राष्ट्रभाषा हिंदी अमर रहेगी। हमारे शब्द, हमारा स्वर व्यंजन हमारी व्याकरण यहां तक कि हमारा अस्तित्व भी हिंदी ही है। एक छोटा बच्चा जब अपनी जुबान से पहला शब्द बोलता है तो वह हिंदी ही होता है। हमारे रोम रोम में हिंदी भाषा बस्ती है। हिंदी भाषा बोलने में बड़ी मीठी लगती है और यदि आप उसे किसी के साथ प्यार से बोलते हैं तो हिंदी भाषा में चार चांद लग जाते हैं। आज के समय में बहुत से लोग हिंदी नहीं बल्कि अंग्रेजी भाषा का उपयोग करना पसंद करते हैं।
12- करो अपनी भाषा पर प्यार (लेखक- मैथिली शरण गुप्त जी)
करो अपनी भाषा पर प्यार
जिसके बिना मूक रहते तुम, रुकते सब व्यवहार।
जिसमें पुत्र पिता कहता है, पतनी प्राणाधार,
और प्रकट करते हो जिसमें तुम निज निखिल विचार।
बढ़ायो बस उसका विस्तार
करो अपनी भाषा पर प्यार।
भाषा विना व्यर्थ ही जाता ईश्वरीय भी ज्ञान,
सब दानों से बहुत बड़ा है ईश्वर का यह दान ।
असंख्यक हैं इसके उपकार
करो अपनी भाषा पर प्यार।
यही पूर्वजों का देती है तुमको ज्ञान-प्रसाद,
और तुमहारा भी भविष्य को देगी शुभ संवाद।
बनाओ इसे गले का हार
करो अपनी भाषा पर प्यार।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक मैथिलीशरण गुप्त जी द्वारा कहा जा रहा है कि हमें अपनी हिंदी भाषा से प्रेम करना चाहिए। हमें अपनी हिंदी भाषा का अधिक से अधिक प्रचार और प्रसार करना चाहिए ताकि लोगों को हिंदी भाषा बोलने में हिचकिचाहट नहीं बल्कि गर्व महसूस हो। लोगों ने अंग्रेजी भाषा को इतनी अहमियत दे दी है कि वह यह भूल जाते हैं कि हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी है और उसका सम्मान करना हमारा पहला कर्तव्य है। देश को आजाद कराने के लिए जितने शूरवीर होने अपने प्राण त्यागे हैं और शहीद हुए हैं उन्हे अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं थी लेकिन आज कहीं ना कहीं देश आजाद होने के बाद भी अंग्रेजों की गिरफ्त में है। तभी लोग हिंदी भाषा का उपयोग करते नजर आ रहे हैं।
13- हिन्दी मेरे रोम-रोम में (लेखक- सुधा गोयल जी)
हिन्दी मेरे रोम-रोम में,
हिन्दी में मैं समाई हूँ,
हिन्दी की मैं पूजा करती,
हिन्दोस्तान की जाई हूँ।
सबसे सुन्दर भाषा हिन्दी,
ज्यों दुल्हन के माथे बिन्दी,
सूर, जायसी, तुलसी कवियों की,
सरित-लेखनी से बही हिन्दी।
हिन्दी से पहचान हमारी,
बढ़ती इससे शान हमारी,
माँ की कोख से जाना जिसको,
माँ,बहना, सखि-सहेली हिन्दी।
निज भाषा पर गर्व जो करते,
छू लेते आसमाँ न डरते,
शत-शत प्रणाम सब उनको करते,
स्वाभिमान…..अभिमान है हिन्दी।
हिन्दी मेरे रोम-रोम में,
हिन्दी में मैं समाई हूँ,
हिन्दी की मैं पूजा करती,
हिन्दोस्तान की जाई हूँ।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक सुधा गोयल जी द्वारा कहा जा रहा है कि मनुष्य के रोम रोम में हिंदी भाषा निवास करती है लेकिन लोग मानने से इंकार कर देते हैं। हमारे मुंह से हमेशा निकलने वाला पहला शब्द हिंदी भाषा में ही होता है। कवि द्वारा हिंदी भाषा को शत-शत प्रणाम करते हुए उसे हमारा स्वाभिमान और अभिमान माना जाता है। हमारे माथे पर चंदन का तिलक है हमारी हिंदी भाषा। जिस तरह जिस्म से रूह अलग नहीं की जा सकती उसी तरह हिंदी भाषा का अस्तित्व खत्म नहीं किया जा सकता। जरूरी नहीं कि जो लोग अंग्रेजी भाषा बोलते हैं केवल वही कामयाब होते हैं, हिंदी भाषा बोलने वाला साधारण मनुष्य भी सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंच सकता है।
14- हिंदी दिवस कविताएं: मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे
मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे,
राष्ट्रभाषा हूं मैं अभिलाषा हूं मैं,
एक विद्या का घर पाठशाला हूं मैं,
मेरा घर एक मंदिर बचा लो मुझे,
मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे,
देख इस भीड़ में कहां खो गई,
ऐसा लगता है अब नींद से सो गई,
प्यार की एक थपक से जगा लो मुझे,
मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे,
मैं ही गद्य भी बनी और पद्य भी बनी,
दोहे, किससे बनी और छंद भी बनी,
तुमने क्या-क्या ना सीखा बता दो मुझे,
मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे,
मैं हूं भूखी तेरे प्यार की ऐ तू सुन,
दूंगी तुझको मैं हर चीज तू मुझको चुन,
अपने सीने से एक पल लगा लो मुझे,
मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे,
मैं कहां से शुरू में कहां आ गयी,
सर जमी से चली आसमां पा गयी,
वह हंसी पल मेरा फिर लौटा दो मुझे,
मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे,
तेरी कविता हूं मैं हूं कलम तेरी,
मां तो बनके रहूं हर जन्म में तेरी,
अपना ए दोस्त आप बना लो मुझे,
मैं हूं हिंदी वतन की बचा लो मुझे।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी का अस्तित्व मिटने से बचाना होगा क्योंकि हिंदी भाषा हमारी अभिलाषा है, मान सम्मान है, अस्तित्व है और हमारी प्रेरणा है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि हिंदी भाषण विद्या का मंदिर है और हमारा घर पाठशाला है। भाषाओं के मेले में कहीं खो रही हिंदी भाषा उसे हमें बचाना होगा और आने वाली पीढ़ियों को हिंदी भाषा के महत्व को समझाना होगा। हिंदी भाषा के बिना हमारा भविष्य और हमारा अस्तित्व दोनों ही अधूरे हैं। कवि द्वारा बताया जा रहा है कि गद्य,पद्य,दोहे, कविताएं और छंद आदि हिंदी भाषा में लिखे जाते हैं और लोग उसे बहुत मान देते हुए पढ़ना भी पसंद करते हैं लेकिन हिंदी बोलने को अपना अपमान क्यो समझते हैं। हिंदी भाषा से हमने अपने बचपन से लेकर बहुत कुछ सीखा है तो आज हिंदी भाषा के महत्व को लोगों तक क्यों नहीं पहुंचा सकते। हिंदी भाषा को हम अपना दोस्त बना कर अपने साथ परछाई की तरह क्यों नहीं लेकर चल सकते हैं।
15- हिंदी दिवस कविताएं: राष्ट्रभाषा की व्यथा
राष्ट्रभाषा की व्यथा,
दु:खभरी इसकी गाथा।
क्षेत्रीयता से ग्रस्त है,
राजनीति से त्रस्त है।
हिन्दी का होता अपमान,
घटता है भारत का मान।
हिन्दी दिवस पर्व है,
इस पर हमें गर्व है।
सम्मानित हो राष्ट्रभाषा,
सबकी यही अभिलाषा।
सदा मने हिन्दी दिवस,
शपथ लें मने पूरे बरस।
स्वार्थ को छोड़ना होगा,
हिन्दी से नाता जोड़ना होगा।
हिन्दी का करे कोई अपमान,
कड़ी सजा का हो प्रावधान।
हम सबकी यह पुकार,
सजग हो हिन्दी के लिए सरकार।
व्याख्या
इस के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि की राष्ट्रभाषा हिंदी की एक दुख भरी गाथा क्योंकि लोग इसको बोलने में गर्व नहीं बल्कि इसको बोलने में हिचकिचाहट महसूस करते हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि शत्रुओं से चारों और से ग्रसित होकर नेताओ के हाथों हो चुकी है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि जो लोग इसे बोलने में अपना अपमान समझते हैं सही मायनों में वह स्वयं ही अपना मान होते जा रहे हैं। हिंदी दिवस मनाने में आपको गर्व महसूस करना चाहिए ना कि अधूरे मन से उसमें शामिल होना चाहिए। एक सच्चे देशभक्त की यही अभिलाषा रहती है कि हिंदी भाषा को हर पल हर क्षण सम्मानित किया जाए। हिंदी का हाथ थाम कर पूरे मन से एक नागरिक को कोटि-कोटि प्रणाम करना चाहिए कि हम एक आजाद भारत के निवासी हैं।
16- वैसे तो हर वर्ष बजता है नगाड़ा
वैसे तो हर वर्ष बजता है नगाड़ा,
नाम लूँ तो नाम है हिंदी पखवाड़ा।
हिंदी हैं हम, वतन है हिन्दुस्तान हमारा,
कितना अच्छा व कितना प्यारा है ये नारा।
हिंदी में बात करें तो मूर्ख समझे जाते हैं।
अंग्रेजी में बात करें तो जैंटलमेल हो जाते।
अंग्रेजी का हम पर असर हो गया।
हिंदी का मुश्किल सफ़र हो गया।
देसी घी आजकल बटर हो गया,
चाकू भी आजकल कटर हो गया।
अब मैं आपसे इज़ाज़त चाहती हूँ,
हिंदी की सबसे हिफाज़त चाहती हूँ।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि प्रतिवर्ष हिंदी भाषा हिंदी पखवाड़ा के नाम से मनाया जाता है। हम एक आजाद भारत देश के निवासी हैं और हमारा वतन हिंदुस्तान है जो अपने आप में ही हमें सबसे अलग बताता है। हमारे देश में अलग-अलग कोनों से हमारी संस्कृति और ऐतिहासिक इमारतों को देखने के लिए हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं जिसका हम सम्मान करते हैं। कवि कहां जा रहा है कि अंग्रेजी में बात करना लोग अपना मान समझते हैं और हिंदी में बात करने वाले को मूर्ख समझते हैं लेकिन ऐसा बोलना और सोचना गलत है क्योंकि अंग्रेजी भाषा के ज्यादातर शब्द हिंदी भाषा से मिलाकर ही बनते हैं। हम सभी देशवासियों से अनुरोध करते हैं कि हिंदी भाषा की हिफाजत करें और उसे बोलने में अपना मान बढ़ाएं।
17- भाल का शृंगार (लेखक- डॉ. जगदीश व्योम)
माँ भारती के भाल का शृंगार है हिंदी
हिंदोस्ताँ के बाग़ की बहार है हिंदी।
घुट्टी के साथ घोल के माँ ने पिलाई थी
स्वर फूट पड़ रहा, वही मल्हार है हिंदी।
तुलसी, कबीर, सूरदास,रसखान के लिए
ब्रह्मा के कमंडल से बही धार है हिंदी।
सिद्धांतों की बात से न होगा भला
अपनाएँगे न रोज़ के व्यवहार में हिंदी।
कश्ती फँसेगी जब कभी तूफ़ानी भँवर में
उस दिन करेगी पार, वो पतवार है हिंदी।
माना कि रख दिया है संविधान में मगर
पन्नों के बीच आज तार-तार है हिंदी।
सुन कर के तेरी आह ‘व्योम’ थरथरा रहा
वक्त आने पर बन जाएगी तलवार ये हिंदी।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक डॉक्टर जगदीश श्री वयोम जी द्वारा बताया जा रहा है कि हमारे देश की हिंदी भाषा मां भारती का श्रंगार है और हमारे हिंदुस्तान के बागो की बहार है। हम अपनी कविताओं के माध्यम से जितने भी हिंदी भाषा के गुणों का बखान कर ले हम लिखते लिखते थक जाएंगे लेकिन हिंदी भाषा के महत्व को पूरा नहीं उतार पाएंगे। रसखान, तुलसीदास,कबीर दास और सूरदास आदि जाने कितने लेखकों द्वारा अपनी कविताएं रचनाएं दोहे हिंदी भाषा में उतारे गए हैं उसके बाद भी लोग हिंदी भाषा को बोलने में अपना मान नहीं अपमान समझते हैं। अभी द्वारा कहा जा रहा है कि ब्रह्मांड के कमंडल से बही धार जैसी हिंदी भाषा है।
18- मन के भावों को जो ब्यक्त करा दे (लेखक- गौपुत्र श्याम नरेश दीक्षित)
मन के भावों को जो ब्यक्त करा दे
ऐसी साहित्यिक रसधार है ‘हिंदी’
छोटे बड़े अक्षरों का जो भेद मिटा दे
ऐसा समानता का अधिकार है ‘हिंदी’
टूटे अक्षरों को सहारा जो दिला दे
ऐसी भाषाओ का हार है ‘हिंदी’
सभी नदियों को सागर में मिला दे
ऐसा शब्दो का समाहार है ‘हिंदी’
कवियों को जो गौरवान्वित कर दे
साहित्यिक ज्ञान का वो भंडार है ‘हिन्दी’
प्रकृति का जो विस्तार बता दे
ऐसी सुंदरता का सार है ‘हिंदी’
शास्त्रो का जो ज्ञान दिला दे
संस्कृत का नव अवतार है ‘हिंदी’
परमात्मा का जो दरश दिखा दे
ऐसी वात्सल्यता अपरम्पार है ‘हिंदी’
लोगो को जो नैतिकता सिखा दे
मर्यादाओ सी सुविचार है ‘हिंदी’
आप-तुम में जो भेद बता दे
ऐसे संस्कारो का ब्यवहार है ‘हिंदी’
मानव को जो मानवता सिखा दे
उन संवेदनाओ का द्वार है ‘हिंदी’
बिछड़े हुए को जो स्वयं से मिला दे
ऐसा सुखद प्यार है ‘हिंदी’
नरेशो को जो गौरव महसूस कर दे
सोने चांदी सा उपहार है ‘हिंदी’
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक गोपुत्र श्याम नरेश दीक्षित जी द्वारा बताया जा रहा है कि आपके मन की बात को जो आसानी से दूसरों तक पहुंचा दे वो साहित्यिक भाषा हिंदी है। हिंदी के सरल शब्द आपकी बात को बाखूबी समझा देते हैं। हिंदी भाषा के शब्द नदियों के पानी की तरह बहते चले जाते हैं।आपको किसी और भाषा में देखने को नहीं मिल सकता। हिंदी भाषा छोटे बड़े शब्दों के अंतर को मिटाते हुए अक्षरों को सहारा देते हुए अपनी बात पूरी कर देती है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि हिंदी भाषा साहित्य कवियों का भंडार है जहां आपको एक से एक बढ़कर कविताएं पढ़ने और सुनने को मिलती हैं। एक भारतीय नागरिक के लिए सोने चांदी के उपहार से बढ़कर उसकी हिंदी भाषा है। आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं लेकिन हिंदी भाषा कहीं भी आपके सम्मान को नीचे गिरने नहीं देती। हमें हमारी मर्यादाओं में रहना हिंदी भाषा ही सिखाती हैं तू और आप में अंतर बताने वाली हिंदी भाषा अपने अनेक गुणों से परिपूर्ण है।
19- जिसमें है मैंने ख्वाब बुने
जिसमें है मैंने ख्वाब बुने,
जिस से जुड़ी मेरी हर आशा,
जिससे मुझे पहचान मिली,
वो है मेरी हिंदी भाषा।
व्याख्या
इस छोटी सी कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि हिंदी भाषा से हर मनुष्य की आशा जुड़ी हुई है और उस उस आशा से कुछ ख्वाब बुने गए हैं। इन सपनों को पूरा करने से जो पहचान आपको मिलती है वह है हमारी हिंदी भाषा।
20- हिंदी मेरा मान हिंदी मेरी पहचान
हिंदी मेरा मान है,
हिंदी मेरी पहचान है।
हिंदी हूं मैं वतन भी मेरा,
प्यारा हिंदुस्तान है।
बढ़ते चलो हिंदी की डगर,
हां अकेले फिर भी मगर।
मार्ग के कांटे भी देखना,
फूल बन जाएंगे पथ पर।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि एक भारतीय की पहचान और महान उसकी हिंदी भाषा के कारण ही होता है। एक प्यारे हिंदुस्तान के निवासी हैं जहां हिंदुस्तान की रक्षा के लिए देश का आम नागरिक भी मर मिटने को तैयार हो जाता है। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि हमें हिंदी की डगर पर आगे बढ़ते रहना चाहिए चाहे फिर कोई हमारे साथ हो या ना हो। रास्ते में कांटे बिछाने वाले लोग भी आने वाले समय में किस तरह फूलों के रास्ते बना देंगे आपको पता भी नहीं चलेगा।
21- हिंदी थी
हिंदी थी वो जो लोगो के दिलों में उमंग भरा करती थी
हिंदी थी वह भाषा जो लोगों के दिलों मे बसा करती थी।
हिंदी को ना जाने क्या हुआ, रहने लगी हैरान परेशान
पूछा तो कहती है, अब कहां है मेरा पहले सा सम्मान।
व्याख्या
कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि केवल एक हिंदी ही भाषा है जो लोगों के दिलों में उमंग बढ़ती है। हिंदी ही केवल एकमात्र भाषा है जो आज भी लोगों के दिलों में बसती है लेकिन बढ़ते समय के साथ-साथ लोग इसे पीछे छोड़ने जा रहे हैं। आजकल लोग हिंदी भाषा सुनकर ऐसे हैरान परेशान होते हैं जैसे कि भारत में पैदा ही नहीं हुए और अपना खोता सम्मान देखकर हिंदी भाषा को भी अफसोस होता है कि जहां अंग्रेजों की गुलामी ना करने के कारण भारत देश को हिंदुस्तानियों ने आजाद कराया आज वही लोग अपनी मातृभाषा को भूल रहे हैं।
22- हिंदी हिंदू हिंदुस्तान
हिंदी-हिंदू हिन्दुस्तान,
कहते हैं, सब सीना तान।
पल भर के लिये जरा सोंचे इन्सान
रख पाते हैं हम इसका कितना ध्यान।
सिर्फ 14 सितम्बर को ही करते है
अपनी हिंदी भाषा का सम्मान।
व्याख्या
कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि हिंदी हिंदू हिंदुस्तान यह शब्द हिंद से ही मिलकर बने हैं और लोग बड़ा सीना तानकर गर्व से कहते हैं कि हम हिंदुस्तानी हैं। पल भर के लिए जरा बैठकर सोचिए अपने भारतवासी होने का पूरा कर्तव्य निभा रहे हैं या केवल फॉर्मेलिटी पूरी कर रहे हैं। सिर्फ 14 सितंबर को ही हिंदी दिवस मनाया जाता है साल के 365 दिन और भी होते हैं तब हम क्यों हिंदी भाषा का सम्मान नहीं करते।
23- हिंदी की मिठास
हिन्दी की मिठास, हिन्दी की बात,
हिन्दी के बिना, अधूरा है सब कुछ।
शब्दों का जादू, भाषा की शान,
हिन्दी हमारी प्यारी, बढ़ाती मान।
हिन्दी के सौंदर्य, है अद्वितीय,
हर शब्द में छुपा है अमूल्य रत्न।
हिन्दी दिवस पर, हम सब मिलकर,
इसे बढ़ावा दें, बनाएं महान।
हिन्दी को जन्म दिन की शुभकामनाएं,
सबको मिले इसके संग अच्छे सपने।
व्याख्या
कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि हिंदी के बिना सब कुछ अधूरा है हिंदी में बात करना कानों में मिठास घोलने के बराबर है। हिंदी भाषा की शान और उसके बोलने में ऐसा जादू होता है कि वह हिंदुस्तान की सौंदर्य में चार चांद लगा देता है। केवल साल में एक बार ही नहीं बल्कि हमें प्रति महीने हिंदी दिवस पर वेबीनार और लोगों से मिलना चाहिए जहां हम हिंदी भाषा की और आने वाली जनरेशन को प्रेरणा दें और हिंदी की और अट्रैक्ट करें क्योंकि हमें हिंदी भाषा की सभ्यता कभी नहीं भूलनी चाहिए। जो आदर्श सत्कार हम दूसरों को अपनी हिंदी भाषा से देते हैं वह किसी और भाषा में कभी नहीं दिया जा सकता। देश की सभ्यता है कि दुश्मन को भी हाथ जोड़कर प्रणाम किया जाए जो किसी और देश में नहीं देखा जाता तो हिंदी बोलने में कैसी झिजक। जीस तरह आप गर्व से कहते हैं कि हम हिंदुस्तानी हैं, इसी तरह गर्व के साथ हिंदी बोलो।
24-जब बचपन आया, हिंदी बोलना सीखा
जब बचपन आया, हिंदी बोलना सीखा,
खेलना, हँसना, और अपने दोस्तों के साथ झूमना सीखा। वर्णमाला सीखा, वाक्य बनाया, और
हिंदी के रंग-रूप में, बोलना सीखा। माँ की गोदी में बैठकर सुनता था कहानियों को,
हर रोज जीवन को समझना सीखा। हिंदी भाषा मे है अनंत मधुरता
आज भी इससे बहुत कुछ सीखा। बचपन का मिसाल भी देखा
और खेल-खेल में हिंदी भी सीखा, वर्णमाला सीखा, वाक्य बनाया, और
हिंदी के रंग-रूप में, बोलना सीखा । जब बचपन आया, हिंदी बोलना सीखा,
खेलना, हँसना, और अपने दोस्तों के साथ झूमना सीखा।
व्याख्या
कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि बचपन में हम हिंदी बोलना सीखते हैं छोटे-छोटे शब्दों को पिरोकर बड़े-बड़े शब्दों को बोलना हमें हमारे माता-पिता सीखते हैं और उसी भाषा को सिखाते सिखाते अपने बड़ों का आदर सम्मान करना भी हमें सिखाया जाता है। सब हमें हिंदी सीखते सीखते बताया जाता है जहां वर्णमाला और शब्दो को बनाना सिखाया जाता है। बचपन में ही नहीं बल्कि बड़े होकर भी हम बहुत कुछ अपनी भाषा से सीखते हैं। जो जिस देश का निवासी होता है वह वहां के कल्चर, रीति रिवाज और संस्कृति को बड़े ही गर्व के साथ फॉलो करता है, लेकिन समय के बदलाव के कारण हमारे ही देशवासी अपने कल्चर अपनी संस्कृति अपनी भाषा को पीछे छोड़ रहे हैं। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि आने वाली पीढ़ी को हमें हिंदी भाषा का ज्ञान अवश्य देना चाहिए और उन्हें हिंदी बोलने की और जागृति करना चाहिए।
दोस्तों हम आशा करते हैं कि आज का हमारा यह आर्टिकल आपको अवश्य ही पसंद आया होगा। आज का हमारा यह लेख हिंदी भाषा के महत्व को समझाने और आगे बढ़ाने के उद्देश्य से ही लिखा गया है। आगे भी हम आपके लिए इसी तरह प्रसिद्ध और दिलचस्प कविताएं अपने आर्टिकल के माध्यम से लेकर आते रहेंगे। आप इसी तरह हमारे आर्टिकल्स को पढ़ते रहें और अपना प्यार बनाए रखें।