Dosti Shayari: जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि माता-पिता भाई-बहन और रिश्तेदार जैसे रिश्ते हमें भगवान की ओर से एक अनमोल तोहफे के रुप में दिए गए हैं लेकिन इस दुनिया में आने के बाद कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिन्हें हम अपनी मर्जी से खुद बनाते हैं। ऐसे ही एक बहुत अहम रिश्ता है और वह है दोस्ती का। वैसे तो आज के समय में सिर्फ और सिर्फ मतलब की दोस्ती रह गई है लेकिन आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो सच्चे दिल से दोस्ती निभाते हैं और एक दूसरे के सुख के साथ-साथ दुख में भी बराबर के शरीक होते हैं। दोस्तों आज हम आपके लिए अपने इस आर्टिकल में दोस्ती जैसे अनमोल और पाक रिश्ते पर अनमोल शायरी लेकर आए हैं। हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़े और दोस्ती की अहमियत को ना केवल समझे बल्कि सच्चे दिल से निभाने के लिए तैयार भी रहे।
1- दिखावे की दोस्ती (लेखक-बशीर बद्र)
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला।
व्याखा
इस शायरी में शायर बशीर बद्र जी द्वारा कहा जा रहा है कि यदि अगर कोई आपके साथ दिखावे की दोस्ती निभा रहा है तो ऐसे लोगों से दूर ही रहे क्योंकि ऐसे लोगों से ना दोस्ती अच्छी और ना दुश्मनी।
2- डर (लेखक-हबीब जालिब)
लोग डरते हैं दुश्मनी से तेरी
हम तेरी दोस्ती से डरते हैं।
इस शायरी में शायर हबीब जालिम जी द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग इतने संजीदा होते हैं कि लोग उनके दुश्मनी से डरते हैं लेकिन अगर दोस्ती सच्ची हो तो कभी कभी दोस्ती खोने के ख्याल से भी डर लगने लगता है।
3- Dosti Shayari: पत्थर (लेखक-ख़ुमार बाराबंकवी)
हटाए थे जो राह से दोस्तों की
वो पत्थर मेरे घर में आने लगे हैं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर खुमार बाराबंकवि जी द्वारा बताया जा रहा है कि कभी-कभी हम सच्ची दोस्ती निभाने के लिए अपने दोस्त के रास्ते से पत्थरों को हटाने में लग जाते हैं लेकिन हमारी की गई हमदर्दी कई बार हम पर ही भारी पड़ जाती हैं।
4- यारों के यार (लेखक-जौन एलिया)
हम को यारों ने याद भी न रखा
‘जौन’ यारों के यार थे हम तो।
व्याख्या
इस शायरी में शायर जॉन एलिया जी द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग वक्त के साथ-साथ दोस्तों को भूल जाते हैं लेकिन अगर दोस्त सच्चा हो तो दोस्त को भूल जाना अच्छी बात नहीं होती।
5- Dosti Shayari: तुझे कौन जानता था (लेखक-कैफ़ भोपाली)
तुझे कौन जानता था मेरी दोस्ती से पहले
तेरा हुस्न कुछ नहीं था मेरी शाइरी से पहले।
व्याख्या
इस शायरी में शायर कैफ भोपाली जी द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग हमारे जीवन में ऐसे होते हैं कि लोग उन्हें नहीं जानते लेकिन हमारी कामयाबी और साथ उन्हें लोगों की नजरों में रूबरू करा देते हैं। अगर आपके साथ भी आपकी पहचान कराने वाला दोस्त है तो यकीन मानिए उससे सच्चा दोस्त और कोई नहीं हो सकता आपके जीवन में।
6-सुलह की दुआ (लेखक-माधव राम जौहर)
जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुलह की दुआ
दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो।
व्याख्या
इस शायरी में शायर माधवराम जोहर जी द्वारा कहा जा रहा है कि जो लोग सच्चे दिल से दोस्ती निभाना जानते हैं वह हमेशा दोस्त की नाराजगी पर सुला की दुआ मांगते हैं लेकिन हमारे जीवन में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो हमारी सच्ची दोस्ती से जलते हैं और हमारी लड़ाई झगड़े की दुआ मांगते हैं।
7- दुश्मनों से प्यार (लेखक-ख़ुमार बाराबंकवी)
दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आज़माते जाइए।
व्याख्या
इस शायरी में शायर खुमार बाराबंकवि जी द्वारा बताया जा रहा है कि हमारे मन में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमें दोस्त नहीं दुश्मन समझते हैं लेकिन वक्त के साथ-साथ उनकी दुश्मनी भी दोस्ती में बदली जा सकती है।
8- Dosti Shayari: दुश्मनों की दुश्मनी (लेखक-हबीब जालिब)
दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है
दोस्तों ने भी क्या कमी की है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर हबीब जालिब जी द्वारा कहा जा रहा है कि कई बार हमारे सच्चे दोस्त होने का दावा करने वाले लोग भी पीठ पीछे छुरा घोंप सकते हैं।
9- दुश्मनों के सितम का (लेखक-शकील बदायुनी)
दुश्मनों के सितम का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं।
व्याख्या
शायरी में शायर शकील बदायूनी जी द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोगों को दुश्मनों से खौफ नहीं होता बल्कि दोस्ती की वफ़ा से डरते हैं कि कहीं वक्त के साथ साथ दोस्ती ना बदल जाए।
10- दर्द (लेखक-ख़्वाजा मीर)
दुश्मनी ने सुना न होगा
जो हमें दोस्ती ने दिखलाया।
व्याख्या
इस शायरी में शायर ख्वाजा मीर जी द्वारा कहा जा रहा है कि कई बार हमें हमारे सच्चे दिल से निभाई गई दोस्ती में कुछ ऐसे दर्द मिल जाते हैं जिनकी हमें तवक्को भी नहीं होती।
11- दोस्ती जब किसी से (लेखक-राहत इंदौरी)
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए।
व्याख्या
इस शायरी में शायर राहत इंदौरी जी द्वारा कहा जा रहा है कि किसी से दोस्ती करने से पहले इंसान के बारे में सही तरीके से जांच पड़ताल कर लेनी चाहिए उसके बाद ही अगला कदम आगे बढ़ाना चाहिए।
12- Dosti Shayari: दोस्ती की खासियत (लेखक-हफ़ीज़ होशियारपुरी)
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से।
व्याख्या
इस शायरी में शायर हफीज होशियारपुरी जी द्वारा बताया जा रहा है कि दोस्ती करना आसान है लेकिन सच्चे दोस्त मिलना बहुत मुश्किल है।
13- दोस्त दिल रखने को (लेखक-माधव राम जौहर)
दोस्त दिल रखने को करते हैं बहाने क्या किया
रोज़ झूटी ख़बर-ए-वस्ल सुना जाते हैं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर माधवराम जौहर जी द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ दोस्त हमारे जीवन में ऐसे होते हैं जो हमारा दिल रखने के लिए हमारी हां में हां मिलाते जाते हैं लेकिन इस तरह के बातों से झूठी दोस्ती सच्ची दोस्ती में नहीं बदली जा सकती।
14- आ कि तुझ बिन (लेखक-जिगर मुरादाबादी)
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मैं
जैसे हर शय में किसी शय की कमी पाता हूँ मैं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर जिगर मुरादाबादी जी द्वारा कहा जा रहा है कि हमारी जिंदगी में कुछ सच्चे दोस्त ऐसे होते हैं जिनके बिना हम अधूरे से होते हैं और हमें उनके साथ की जरूरत होती है। कुछ सच्चे दोस्त ऐसे होते हैं जिनके साथ के बिना हमारे जीवन में कुछ अधूरा सा कुछ कमी सी रह जाती है।
15- Dosti Shayari: दोस्तों को भी मिले (लेखक-हफ़ीज़ जालंधरी)
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब
मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर हफीज जालंधरी जी द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग हमारे जीवन में इतना दर्द दे जाते हैं के बदले में हम भी उन्हें दर्द की दौलत की दुआ देते हैं क्योंकि हमें आगे अब जीवन में किसी का साथ मंजूर नहीं होता।
16- हमें भी आ पड़ा (लेखक-हरी चंद अख़्तर)
हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी
हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया।
व्याख्या
इस शायरी में शायर हरि चमक सर जी द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ सच्चे दोस्त हमारे साथ केवल तब तक रहते हैं जब तक उनको हमसे काम निकलवाने होते हैं लेकिन जब हम अपने किसी काम के लिए उनको याद करते हैं तो झूठा बहाना बनाकर निकल जाते हैं।
17- Dosti Shayari: इस से पहले कि(लेखक-अहमद फ़राज़)
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अहमद फ़राज़ जी द्वारा कहा जा रहा है कि कई बार ऐसे हालात बन जाते हैं कि हमें महसूस हो जाता है कि दोस्ती का साथ कभी भी बीच में छूट सकता है इससे बेहतर यही है कि हालात बिगड़ने से पहले ही दोस्ती के रिश्ते को खत्म कर दिया जाए।
18- सजा (लेखक-शाज़ तमकनत)
मेरा ज़मीर बहुत है मुझे सज़ा के लिए
तू दोस्त है तो नसीहत न कर ख़ुदा के लिए।
व्याख्या
इस शायरी में शायर शाज़ तमकनत द्वारा बताया जा रहा है कि सजा देने के लिए हमारी जिंदगी में और भी लोग हैं, लेकिन दोस्ती के रिश्ते में नसीहत नहीं बल्कि साथ चाहिए।
19- Dosti Shayari: शर्तें लगाई जाती नहीं (लेखक-वसीम बरेलवी)
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ
कीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ।
व्याख्या
इस शायरी में शायर वसीम बरेलवी जी द्वारा कहा जा रहा है कि दोस्ती तो दिल से निभाने का नाम है दोस्ती में शर्ते लगाकर रिश्ता नहीं निभाया जाता। दोस्त कैसा भी हो और कैसे भी हालात है अगर दोस्त सच्चा है तो वह हर हाल में क़ुबूल होना चाहिए।
20- इस से पहले कि (लेखक-दाग़ देहलवी)
ज़िद हर इक बात पर नहीं अच्छी
दोस्त की दोस्त मान लेते हैं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर दाग देहलवी जी द्वारा कहा जा रहा है कि हर बात पर और हर रिश्ते में जिद करना अच्छी बात नहीं होती अगर आपके जीवन में कोई ऐसा इंसान है जो आपके साथ चलने लायक है बस उस दोस्त का साथ मांगे और अपनी मंजिल की ओर चल पड़ी है।
हम उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको हमारा दोस्ती से भरपूर और दिलचस्प शायरी आर्टिकल अवश्य ही पसंद आया होगा। दोस्ती किसी का स्टेटस और हालात देखकर नहीं की जाती बल्कि किसी का दिल और सच्चा होना ही इस रिश्ते को निभाने के लिए काफी होता है। आगे भी हम आपके लिए इसी तरह के आर्टिकल्स लेकर आते रहेंगे और आप इसी तरह अपना साथ और प्यार बनाए रखें।