Dard Bhari Shayari: हेलो फ्रेंड्स! जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि जो लोग प्यार में धोखा खाकर बैठे हैं या फिर किसी कारण दुखी है तो ऐसे लोगों को ज्यादातर दर्द भरी शायरी पढ़ना ज्यादा अच्छा लगता है। वैसे तो ज्यादातर लोगों को शायरी पसंद होती है चाहे वह किसी भी तरह की हो। हो सकता है कि आपको हमारी शायरी पढ़कर मोटिवेशन या कुछ सीखने की प्रेरणा मिले।आज हम आपके लिए अपने इस आर्टीकल के माध्यम से दर्द भरी शायरी लेकर आए हैं कृपया हमारे इस आर्टिकल को अवश्य पढ़ें।
1- Dard Bhari Shayari: बेनाम सा ये दर्द (लेखक – ख़ामोश ग़ाज़ीपुरी)
नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है
उनकी आग़ोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर खामोश गाजीपुरी द्वारा बताया जा रहा है कि जरूरी नहीं कि किसी के आगोश में सर रखकर ही नींद आए। नींद तो कांटों भरे बिस्तर या फिर दर्द में भी आ ही जाती है।
2- बेनाम सा ये दर्द (लेखक – निदा फ़ाज़ली)
बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता।
व्याख्या
इस शायरी में शायर निदा फ़ाज़ली द्वारा बताया जा रहा है कि कई बार हमारे दिल में कुछ ऐसा बेनाम सा दर्द होता है जो कम होने का नाम ही नहीं लेता। उस दर्द के कारण हमें बीता हुआ कल बार-बार याद आता रहता है।
3- Dard Bhari Shayari: तन्हाई (लेखक – अकबर हैदराबादी)
दिल दबा जाता है कितना आज ग़म के भार से
कैसी तन्हाई टपकती है दर ओ दीवार से।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अकबर हैदराबादी द्वारा बताया जा रहा है कि कई बार तनहाई हमें उन अंधेरे रास्तों में ले जाते हैं जिनके बारे में हम सोचने से भी कतराते हैं।
4- दर्द सा दर्द है भरा उसमें (लेखक – रियाज़ ख़ैराबादी)
दर्द सा दर्द है भरा उसमें
टूटे दिल की सदा को रोते हैं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर रियास खैराबादी द्वारा कहां जा रहा है कि कई बार दर्द में भी इतना दर्द मिल जाता है और हमारा टूटा हुआ दिल ज़ार ज़ार रोता है।
5- पहलू का दर्द (लेखक – मिर्ज़ा सलामत अली दबीर)
पहलू का दर्द कैसा है ये तो बताइए
देखूँ मैं नब्ज़ हाथ तो अपना बढ़ाइए।
व्याख्या
इस शायरी में शायर मिर्जा सलामत अली दबीर द्वारा कहा जा रहा है कि दिल में जो दर्द होता है उसका अंदाजा कोई भी इंसान हाथ की नब्ज़ चेक करके नहीं बता सकता। इस दर्द को केवल वही इंसान समझ सकता है जिस पर यह कैफियत गुजरी हो।
6- Dard Bhari Shayari: ख़ुशी का ग़म (लेखक – शकील बदायुनी)
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
बेहिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे।
व्याख्या
इस शायरी में शायर शकील बदायूनी द्वारा बताया जा रहा है कि जब कुछ लोगों को जिंदगी से बहुत सारे दर्द और तकलीफ मिल चुके होते हैं तो ऐसे इंसान को खुशी और गम से फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उसकी जिंदगी बेहिस बन चुकी होती हैं।
7- अब ये भी नहीं ठीक (लेखक – जाँ निसार अख़्तर)
अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर जा निसार अख्तर द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ दर्द जिंदगी में ऐसे होते हैं कि जिन्हें हमें अपने कलेजे से लगा कर जिंदगी भर तक रखना पड़ता है क्योंकि उस दर्द में कई सारी यादें छुपी होती हैं।
8- बेदर्द दुनिया (लेखक – हबीब जालिब)
दर्द जितना भी उसे बेदर्द दुनिया से मिला
शायरी में ढल गया कुछ आँसुओं में बह गया।
व्याख्या
इस शायरी में शायर हबीब जालिब द्वारा बताया जा रहा है कि जिंदगी में इंसान को जितने भी दुख तकलीफ मिलते हैं उनका ताल्लुक कहीं ना कहीं आसपास के लोगों से होता है। हमारा दर्द आंसुओं के रास्ते बाहर निकल जाता है तो कई बार शायरी बनकर कागज पर उतर आता है।
9- Dard Bhari Shayari: मरीज़-ए-इश्क़ (लेखक – बासित भोपाली)
ख़ूब इलाज कर दिया अपने मरीज़-ए-इश्क़ का
दर्द मिटाने आए थे दर्द दिया मिटा दिया।
व्याख्या
इस शायरी में शायर बासित भोपाली द्वारा कहा जा रहा है कि जो लोग सच्चे दिल से मोहब्बत करते हैं इस दर्द का इलाज केवल वही शख्स कर सकता है जिसकी हम आरजू करते हैं ना कि ओर।
10- दर्द ओ ग़म (लेखक – जिगर मुरादाबादी)
दर्द ओ ग़म दिल की तबीअत बन गए
अब यहाँ आराम ही आराम है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर जिगर मुरादाबादी द्वारा बताया जा रहा है कि कई बार हमारा दर्द और गम हमारे दिल की तबीयत में तब्दील हो जाता है जहां बस इस दर्द में आराम ही आराम रहता है।
11- Dard Bhari Shayari: चाँद का घाव (लेखक – अहमद ज़फ़र)
अपना दर्द भुला दें ऐ दिल उस के दर्द की ख़ातिर
अपने घाव याद न आएँ चाँद का घाव देखें।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अहमद जफर द्वारा कहा जा रहा है कि कई बार जब हम दूसरों की तकलीफ सुनते हैं तो हमें अपना दर्द उस तकलीफ के आगे छोटा और कम लगता है।
12- दर्द
जब मरीज़-ए-इश्क़ को कोई दवा आई न रास
दर्द ही को दर्द की आख़िर दवा हम ने कहा।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा बताया जा रहा है कि कई बार जब इंसान को उसके दर्द की दवा नहीं मिलती तो उस दर्द को ही दर्द का मरहम बनाकर इलाज कर लेते हैं।
13- Dard Bhari Shayari: जी चाहे है ज़िंदा रहिए (लेखक – कलीम आजिज़)
दर्द ऐसा है कि जी चाहे है ज़िंदा रहिए
ज़िंदगी ऐसी कि मर जाने को जी चाहे ।
व्याख्या
इस शायरी में शायर कलीम अजीज द्वारा बताया जा रहा है कि जिंदगी दर्द से भर जाए तो मर जाने का जी करता है और दर्द ऐसा होता है कि जिंदा रहने और तकलीफ बढ़ाने की प्रेरणा देता है।
14- थकन दर्द (लेखक – फ़ातिमा हसन)
अब थकन दर्द बनती जाती है
दिल से कुछ काम भी तो ऐसे लिए।
व्याख्या
निशा फातिमा हसन द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग जिम्मेदारियों और मजबूरियों के कारण दूसरे कुछ ऐसे काम ले लेते हैं कि उनकी थकान आने वाले वक्त में एक दर्द बन जाती है।
15- Dard Bhari Shayari: किनारों ने डुबोया है (लेखक – दिवाकर राही)
अगर मौजें डुबो देतीं तो कुछ तस्कीन हो जाती
किनारों ने डुबोया है मुझे इस बात का ग़म है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर दिवाकर राही द्वारा बताया जा रहा है कि जब किसी इंसान को कोई बाहर या गैर इंसान धोखा या दर्द देता है तो इतनी तकलीफ नहीं होती जितनी अपनों के द्वारा दिए गए दर्द से होती है।
हम आशा करते हैं दोस्तों कि आपको हमारा यह दर्द भरा शायरी वाला लेख अवश्य ही पसंद आया होगा और हमारी शायरी से यकीनन आपको कुछ ना कुछ नई सीख मिलती होगी। अभी हम आपके लिए इसी तरह की शानदार और दिलचस्प शायरी लेकर आते रहेंगे और आप अपना सपोर्ट बनाए रखें।