Bewafa Shayari: एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है कि जहां भरोसा होता है वहां विश्वास अवश्य ही टूटता है। वैसे तो आज के समय में किसी का विश्वास तोड़ना और किसी को धोखा देना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन कई बार इस गलत हरकत की वजह से सामने वाले इंसान की जिंदगी बर्बाद हो जाती हैं। यदि आपके जीवन में कोई ऐसा इंसान है जिसे आप सच में बहुत प्यार करते हैं तो एक बात हमेशा याद रखना कि कभी भी उस इंसान का दिल नहीं दुखाना और ना ही कभी उस इंसान को धोखा देना। दोस्तों आज का हम आपके लिए अपने इस आर्टिकल के माध्यम से बेवफा शायरी लेकर आए हैं जिसे पढ़कर हमें पूरा यकीन है कि आप किसी के साथ धोखा या फरेब करने का सोचेंगे भी नहीं। अगर आप भी किसी से मोहब्बत करते हैं और सच्चे इंसान है तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़े।
1- सजा
खुदा ने पूछा क्या सजा दूँ उस बेवफा को,
दिल ने कहा मोहब्बत हो जाए उसे भी,
और कोई छोड़ के चले जाये उसे भी।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि जब कोई आपके साथ मोहब्बत में फरेब करता है तो दिल से सिर्फ एक ही दुआ निकलती है कि जिस तरह आपको धोखा मिला उसी तरह वो भी किसी धोखे का शिकार है। वो कहते हैं ना जैसी करनी वैसी भरनी जब तक इंसान पर खुद नहीं गुजरती तब तक उसे किसी के दर्द का एहसास नहीं होता।
2- ख़्वाब (लेखक-गुलज़ार)
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है
मैंने हर करवट सोने की कोशिश की।
व्याख्या
शायरी में शायर गुलजार के द्वारा कहा जा रहा है कि जब किसी इंसान को प्यार में धोखा मिलता है तो उस इंसान की रातों की नींद मानव जैसे हराम हो जाती है। चाहे वह कितना भी सोने की कोशिश करें लेकिन सो नहीं पाता।
3- Bewafa Shayari: शहनाई (लेखक-जावेद अख़्तर)
रात बजती थी दूर शहनाई
रोया पीकर बहुत शराब कोई।
व्याख्या
इस शायरी में शायर जावेद अख्तर जी द्वारा कहा जा रहा है कि प्यार में धोखा देने के बाद जब कोई इंसान आपसे दूर चला जाता हैं तो दूसरे साथी की रात सिर्फ रोकर और शराब पीकर गुजरती।
4- मिज़ाज (लेखक-एहसान दानिश)
आज उस ने हंस के यूं पूछा मिज़ाज
उम्र भर के रंज-ओ-ग़म याद आ गए।
व्याख्या
इस शायरी में शायर एहसान दानिश द्वारा बताया जा रहा है कि जब कोई आपके साथ बेवफाई करता है और कुछ समय बाद आपका मिजाज पूछता है तो उस व्यक्ति को देखकर केवल उसका दिया गया धोखा याद आता है।
5- चाहा (लेखक-मज़हर इमाम)
अब तो कुछ भी याद नहीं है
हम ने तुम को चाहा होगा।
व्याख्या
इस शायरी में शायर मजहर इमाम द्वारा कहा जा रहा है कि जब कोई आपको धोखा देता है तो वक्त हर जख्म को भर देता है और जब यह जख्म भर जाता है तो सिर्फ इतना याद रहता है कि हमने किसी को चाहा था।
6- Bewafa Shayari: सच (लेखक-अहमद मुश्ताक़)
इश्क़ में कौन बता सकता है
किस ने किस से सच बोला है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अहमद मुस्ताक द्वारा बताया जा रहा है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो प्यार में झूठ भी इस तरह बोलते हैं कि सामने वाले साथी को सच लगता है।
7- वादे (लेखक-गुलज़ार)
आदतन तुमने कर लिए वादे
और आदतन हमनें ऐतबार कर लिया
व्याख्या
इस शायरी में शायर गुलजार साहब जी द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग इतने धोखेबाज होते हैं कि प्यार में झूठे झूठे बातें कर लेते हैं और बेचारा सामने वाला व्यक्ति कौन झूठे वादों को सच समझ कर एतबार कर लेता है।
8- इंतिज़ार (लेखक-जौन एलिया)
जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना
वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था।
व्याख्या
शायरी में शायर जॉन एलिया जी द्वारा कहा जा रहा है कि प्यार में बढ़ती कुछ लोगों की ख्वाहिशें जानलेवा बन जाती है इससे बेहतर तो किसी का इंतजार करना है।
9- Bewafa Shayari: तमन्ना (लेखक-शाद आरफ़ी)
कटती है आरज़ू के सहारे पे ज़िंदगी
कैसे कहूं किसी की तमन्ना न चाहिए।
व्याख्या
इस शायरी में शायर शाद आरफी जी द्वारा बताया जा रहा है कि बेवफाई कर जाने के बाद कुछ लोगों की जिंदगी आरजू के सहारे कट जाती है क्योंकि धोखा खाने के बाद किसी को पाने या चाह ने की तमन्ना बाकी नहीं रहती।
10- आह (लेखक-जौन एलिया)
आख़िरी बार आह कर ली है
मैं ने ख़ुद से निबाह कर ली है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर जॉन एलिया जी द्वारा कहा जा रहा है कि यार की बेवफाई के बाद खुद से निबह करने का रास्ता ही बेहतर होता है क्योंकि अधूरी ख्वाहिशें जीने की वजह नहीं बन सकती।
11- इज़हार (लेखक-जलील ’आली’)
दिल पे कुछ और गुज़रती है मगर क्या कीजे
लफ़्ज़ कुछ और ही इज़हार किए जाते हैं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा बताया जा रहा है कि जब कोई इंसान आपको धोखा देता है तो दिल पर क्या गुजरती है केवल वही शख्स जान सकता है जिसने कभी प्यार में धोखा खाया हो। लेकिन कुछ लोग इतने जिंदादिल होते हैं कि उनके दिल में चाहे कितना भी दर्द क्यों ना हो लेकिन चेहरे पर मुस्कान सजाए लोगों से मिलते हैं।
12- एक दिन (लेखक-जोश मलीहाबादी)
एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के
एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर इस शायरी में शायर जोश मलीहाबादी द्वारा बताया जा रहा है कि कभी-कभी किसी के दिल में क्या है वह जानना भी जरूरी होता है और कभी-कभी हमारे दिल में क्या उथल पुथल होती है वह सामने वाले को बताना भी जरूरी है।
13- Bewafa Shayari: चिराग़ (लेखक-बशीर बद्र)
अजब चिराग़ हूं दिन रात जलता रहता हूं
मैं थक गया हूं हवा से कहो बुझाए मुझे।
व्याख्या
इस शायरी में शायर बशीर बद्र जी कहा जा रहा है कि कुछ लोग दिल ही दिल में बेवफाई की आग में दिन-रात जलते हैं और एक मुद्दत बाद इतना थक जाते हैं कि फिर वह दुआ करते हैं कि काश उनके दिल की आग कोई ठंडी हवा का झोंका भुजा जाए।
14- बेवफ़ाई (लेखक-बशीर बद्र)
आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है
बेवफ़ाई कभी कभी करना।
व्याख्या
इसमें शायर बशीर बद्र जी द्वारा बताया जा रहा है जहां विश्वास और भरोसा होता है वहां बेवफाई जरूर होती है।
15- Bewafa Shayari: दिल भी तोड़ा (लेखक-महताब आलम)
दिल भी तोड़ा तो सलीक़े से न तोड़ा तुम ने
बेवफ़ाई के भी आदाब हुआ करते हैं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर आलम जी द्वारा बताया जा रहा है कि कभी भी किसी का दिल नहीं तोड़ना चाहिए और यदि आप उस रिश्ते से छुटकारा पाना चाहते हैं तो कोई ठोस वजह होनी चाहिए।
16- शिद्दतें जुदाई (लेखक-अहमद फ़राज़)
इस क़द्र मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की
आज पहली बार उस से मैं ने बेवफ़ाई की।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अहमद फ़राज़ जी द्वारा कहा जा रहा है कि जब कोई इंसान आपके साथ शिद्दत के साथ बेवफाई करता है तो उस इंसान को वही तकलीफ का एहसास कराने के लिए आपको भी बेवफा बनना पड़ेगा।
17- बेवफ़ाई (लेखक-मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी)
जो मिला उस ने बेवफ़ाई की
कुछ अजब रंग है ज़माने का।
व्याख्या
इस शायरी में शायर मुसहफी गुलाम हमदानी द्वारा बताया जा रहा है कि हमेशा हमें जो मिलता है वही इंसान बेवफाई का रंग क्यों दिखाता है।
18- Bewafa Shayari: बेवफ़ा (लेखक-अख़्तर शीरानी)
काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएं तो क्या करें
उस बेवफ़ा को भूल न जाएं तो क्या करें।
व्याख्या
इस शायरी शायर अख्तर शीरानी द्वारा कहा जा रहा है कि किसी रिश्ते में जब आपकी वफाएं काम ना आए तो उस रिश्ते को खत्म करके उस इंसान को भूलने की कोशिश करनी चाहिए और जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।
19- मजबूरियां (लेखक-बशीर बद्र)
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता।
व्याख्या
इस शायरी शायर बशीर बद्र जी द्वारा कहा जा रहा है कि जरूरी नहीं है हर इंसान बेवफाई करें कई बार इंसान के आगे कुछ ऐसी मजबूरियां आ जाती है कि उसे बेवफाई जैसी तोहमत अपने माथे पर लगाने पड़ते हैं वरना हर कोई तो बेवफा नहीं होता।
20- तुम किसी के नही (लेखक-अमीर रज़ा मज़हरी)
तुम किसी के भी हो नहीं सकते
तुम को अपना बना के देख लिया।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अमीर रजा मजहरी जी द्वारा बताया जा रहा है कि जो इंसान आपसे मोहब्बत का दावा करें और वक्त आने पर अपना रंग बदल कर आपके साथ बेवफाई कर जाए तो यकीन मानिए ऐसा इंसान किसी की मोहब्बत के लायक नहीं क्योंकि वह इंसान कभी किसी का नहीं होते रहता।
हम उम्मीद करते हैं दोस्तों आपको हमारा बेवफा शायरी से भरपूर और दिलचस्प आर्टिकल अवश्य ही पसंद आया होगा। आप भी किसी से सच्चे दिल से मोहब्बत करते हैं तो कभी भी इंसान का दिल दुखाने या छोड़ने के बारे में सोचना भी मत क्योंकि आज के समय में बहुत मुश्किल से सच्चा प्यार मिलता है जो आपके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को हर वक्त तैयार रहता है। आगे भी हम आपके लिए इसी तरह प्यारे-प्यारे और दिलचस्प आर्टिकल लेकर आते रहेंगे और आप इसी तरह अपना प्यार और सपोर्ट बनाए।