Allama Iqbal Shayari- आज हम आपके लिए पाकिस्तान के उर्दू के मशहूर राष्ट्रीय कवि अल्लामा इकबाल जी की शायरी लेकर आए हैं। अल्लामा इकबाल जी का नाम मोहम्मद इकबाल था और इनका जन्म 9 नवंबर 1877 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। उर्दू और फारसी भाषा के बेहतरीन कवियों में से एक ते हैं। सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा और लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना यह रचनाएं इस महान कवि द्वारा ही की गई है। इनकी मृत्यु 21 अप्रैल 1938 को हुई थी। यदि आपको अल्लामा इकबाल जी की शायरी पढ़ना अच्छा लगता है तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।
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1- Allama Iqbal Shayari: इंतज़ार ( लेखक – अल्लामा इक़बाल )
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतज़ार देख।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल द्वारा बताया जा रहा है कि जब आपसे सच्ची मोहब्बत करता है तो वह आपका इंतजार करने के लिए तैयार रहता है, चाहे आप उसे किसी काबिल समझते हो या नहीं।
2-Allama Iqbal Shayari: दिल में रखा ( लेखक – अल्लामा इक़बाल)
औकात में रखना था जिसे
गलती से दिल में रखा था उसे।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल द्वारा कहा जा रहा है कि कई बार हमसे जिंदगी में कुछ गलत फैसले हो जाते हैं जिनकी वजह से हम लोगों को उनकी औकात नहीं दिखा पाते हैं।
3- बेनमाजी ( लेखक – अल्लामा इक़बाल)
मस्जिद तो बना दी शब भर में ईमाँ की हरारत वालों ने
मन अपना पुराना पापी है बरसों में नमाज़ी बन न सका।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग दुनिया में ऐसे भी होते हैं जो झूठा दिखावा करने के लिए और खुद को ऊंचा दिखाने के लिए अच्छे काम करते हैं लेकिन सबसे पहले लोगों को एक अच्छा इंसान बनने की जरूरत है।
4-Allama Iqbal Shayari: इंतज़ार ( लेखक – अल्लामा इक़बाल)
बाग़-ए-बहिश्त से मुझे
हुक्म-ए-सफ़र दिया था क्यूँ
कार-ए-जहाँ दराज़ है अब मेरा इंतिज़ार कर।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल द्वारा बताया जा रहा है कि कई बार लोग अपने प्यार के हाथों मजबूर होकर उनसे दूरियां बना लेते हैं जिसके बाद सिर्फ इंतजार ही हाथ आता है।
5- मिट जाओगे (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्ताँ वालो
तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी दास्तानों में।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल द्वारा यह बताया जा रहा है कि जब कोई इंसान अपने समझने की ताकत को खो देता है तो ऐसे लोगों की दास्तां तो बहुत दूर की बात है ऐसे लोगों का पता भी नहीं चलता मिटने के बाद।
6-Allama Iqbal Shayar: दीदार ए इश्क़ ( लेखक – अल्लामा इक़बाल)
दिदार-इ-इश्क़ में अपना मक़ाम पैदा कर
नया ज़माना नई सुबह-ओ-शाम पैदा कर।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा यह कहा जा रहा है कि यदि अगर आपका प्यार आपके साथ नहीं है तो जिंदगी में आगे बढ़कर नई सुबह का आगाज करें।
7- अपना तो बन (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-इ-ज़िंदगी
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन, अपना तो बन।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल द्वारा यह बताया जा रहा है कि यदि अगर मोहब्बत में कोई आपका नहीं बन सकता तो शायद वह इंसान कभी किसी का नहीं बन सकता। इसलिए लोगों को चाहिए की सबसे पहले वह खुद से प्यार करें और अपना बने।
8-Allama Iqbal Shayari: गिराना सबको आता है ( लेखक – अल्लामा इक़बाल)
नशा पिला के गीराना तो सब को आता है
मज़ा तो जब है के गिरतों को थाम ले साकी।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि दुनिया में बहुत से लोग ऐसे होते हैं जिन्हें लोगों को नीचा दिखाना और गिराना तो आता है लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो किसी गिरते हुए इंसान को सहारा देते हैं। इसलिए बनना है तो एक अच्छे इंसान बने जो किसी की खुशी की वजह बने ना कि दुख की।
9- रजा (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा यह बताया जा रहा है कि जब इंसान पूरी तरह अपने आप को खुदा के हाथों सुपुर्द कर देता है उसके बाद खुदा बंदे से खुद उसकी रजा पूछता है।
10-Allama Iqbal Shayari: रजा (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि जिस तरह सितारों से आगे और भी जहां बाकी है इसी तरह सच्ची मोहब्बत में कदम कदम पर इंतिहान बाकी होते हैं।
11- सादगी (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
तेरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा यह बताया जा रहा है कि जो इंसान आपसे सच्ची मोहब्बत करता है वह सिर्फ आपके अच्छा व्यवहार और सादगी का कायल होता है।
12- Allama Iqbal Shayari: आसमां (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है जो इंसान जिंदगी में आगे बढ़ कर कामयाबी हासिल करना चाहता है उसके पंखों की उड़ान इतनी ऊंची होती है कि कभी कभी आसमां कम पड़ जाता है।
13- Allama Iqbal Shayari: निगाह (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर द्वारा कहा जा रहा है कि कई बार दिल की बात हमारी आंखों से पता चल जाती हैं और जो लोग सच में मोहब्बत करते हैं वह केवल आपकी आंखों में देखकर आपके दिल के हाल का पता लगा सकते हैं।
14- दुनिया (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं कि दुनिया के लोग उन्हें अपने तरीके से जिंदगी जीने देना नहीं चाहते जिसके बाद उस इंसान का आत्मविश्वास टूट जाता है और दुनिया से उसका दिल उखता जाता है।
15- Allama Iqbal Shayari: सुरूर (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
इल्म में भी सुरूर है लेकिन
ये वो जन्नत है जिस में हूर नहीं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि जिस इंसान के पास इल्म होता है उसे जिंदगी में कुछ और नहीं चाहिए होता क्योंकि उसका इन्हीं वह जन्नत होती है जिसकी हूर नहीं होती।
16- खुदा (लेखक- अल्लामा इकबाल)
कौन यह कहता है खुदा नजर नहीं आता
वही तो नजर आता है जब कुछ नजर नहीं आता।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि लोग कहते हैं कि खुदा नजर नहीं आता लेकिन जब सब साथ छोड़ देते हैं और कोई रास्ता नजर नहीं आता तो बस एक खुदा ही होता है जो अपने बंदों का साथ कभी नहीं छोड़ता।
17- Allama Iqbal Shayari: अल्लाह का बंदा (लेखक- अल्लामा इकबाल)
सजदो के एवज फिरदौस मिले यह बात मुझे मंजूर नहीं
बे लोस इबादत करता हूं बंदा हूं तेरा मजदूर नहीं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि अल्लाह का सच्चा बंदा दिल से इबादत करता है। खुदा के सजदे कुछ पाने के लिए नहीं किए जाते बल्कि दिल से किए जाते हैं खुदा की मोहब्बत में किए जाते हैं।
18- दुनिया (लेखक- अल्लामा इकबाल)
तेरे आजाद बंदों की ना यह दुनिया ना वह दुनिया
यहां मरने की पाबंदी वहां जीने की पाबंदी।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि दुनिया चाहे कोई सी भी हो लेकिन जो बंदा आजादी से जीना चाहता है उसके लिए जंजीर ही बन जाती है। जीने और मरने दोनों पर पाबंदी लगा रखी है इस दुनिया में।
19-Allama Iqbal Shayari : पासवान ए अक्ल (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल
लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि पासबान ए अक्ल दिल में ही रखनी चाहिए लेकिन कभी कभी तन्हा भी छोड़ देना चाहिए।
20- मुसलमान एक (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
हरम-ए-पाक भी अल्लाह भी क़ुरआन भी एक
कुछ बड़ी बात थी होते जो मुसलमान भी एक।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि जा रहा है कि जब खुदा ने हरम ए पाक और कुरान एक रखा है तो दुनिया के मुसलमान एक क्यों नहीं हो सकते।
21-Allama Iqbal Shayari: उम्मीद (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
सौ सौ उमीदें बंधती है एक एक निगाह पर
मुझको न ऐसे प्यार से देखा करे कोई।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि जब कोई आपका अपना आपको एक निगाह भर के देखता है तो सामने वाला साथी उससे कई सारी उम्मीदें बांध लेता है।क्योंकि उसका इस तरह से प्यार से देखना उम्मीद की एक किरण दिखा जाता है।
22- जन्नत (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
दिल में खुदा का नाम होना लाजिम है एकबाल
सजदो में पड़े रहने से जन्नत नहीं मिलती।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि सिर्फ नमाज पढ़ने या सजदे करने से ना तो जन्नत मिलती है और ना ही दुआएं कुबूल होती है। दिल में खुदा की मोहब्बत होना आपके जन्नत का रास्ता है।
23-Allama Iqbal Shayari:बंदगी (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
दिलों की इमारतों में कहीं बंदगी नहीं
पत्थरों की मस्जिदों में खुदा ढूंढते हैं लोग।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि जब तक आपके दिल में खुदा के लिए बंदगी ना हो तब तक आप की दुआएं कबूल नहीं होती और लोग भी कितने नासमझ बनते हैं कि मस्जिदों में जाकर खुदा ढूंढते हैं जबकि खुदा इंसान के दिल में बसता है। खुदा की मोहब्बत इंसान के दिल में होती है।
24- बंदगी (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
सजदा खालिक को भी इबलीस से याराना भी
हश्र में किस से मोहब्बत का सिला मांगेगा।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि लोग खुदा को सस्ता भी करते हैं और इब्लीस के हाथों अपना ईमान भी डगमगा देते हैं। लेकिन जब लेकिन जब सिला मांगने का वक्त आएगा तो हश्र में किस से मोहब्बत का सिला मांगेगा।
25-Allama Iqbal Shayari: राज़िक (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
अल्लाह को भूल गए लोग से करो जाएंगे फिकरे रोजी में तलाश रिज्क की है और राजिक का ख्याल ही नहीं
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि रोजी की फिक्र में लोग अल्लाह को ही भूल गए जबकि रोजी देने वाला तो वह परवरदिगार है। जब इंसान को राज़िक का ही ख्याल नहीं तो फिर रिज्क कहां से आता होगा।
26-Allama Iqbal Shayari: राज़िक (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
हंसी आती है मुझे हसरते इंसान पर
गुनाह करता है खुद लानत भेजता है शैतान पर।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि लोगों के किस्से भी अजीब है खुद गुनाह करता है और लानत शैतान पर भेजता है।
27- जुस्तजू (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
मैं तुझको तुझसे ज्यादा चाहूंगा
मगर शर्त है अपने अंदर मेरी जुस्तजू पैदा कर।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि जब कोई इंसान आपको अपनी जान से भी बढ़कर मोहब्बत करता है और चाहता है तो आपको भी उसी की तरह अपने दिल में मोहब्बत और जिससे जो पैदा करनी चाहिए।
28-Allama Iqbal Shayari: बेगुनाह (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
मेरे बचपन के दिन भी क्या खूब थे इकबाल
बे नमाजी भी था और बेगुनाह भी ।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि इंसान के जो बचपन के दिन होते हैं उसमें भी बेनमाज़ी होकर भी बेगुनाह रहता है उसका दिल छल फरेब से एकदम साफ होता है।
29- गुनाह की जुस्तजू (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
कितनी अजीब है गुनाह की जुस्तजू इक़बाल
नमाज भी जल्दी में पड़ता है फिर से गुनाह करने के लिए।
व्याख्या
इस शायरी में शायर इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि इंसान के गुनाह की जुस्तजू भी अजीब ही होती है गुनाह से बचने के लिए वह नमाज पढ़ता है जल्दी में नमाज पढ़कर एक बार फिर से गुनाह कर बैठता है।
30-Allama Iqbal Shayari: इश्क (लेखक – अल्लामा इक़बाल)
जफा जो इश्क में होती है वह जफा ही नहीं
सितम ना हो तो मोहब्बत में कुछ मजा ही नहीं।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है जब तक मोहब्बत में तकलीफ और सितम न हो तो मोहब्बत में मज़ा नही।
31- फौलाद
उस कौम को शमशीर की हाजत नहीं रहती
हो जिसके जवानों की खुदी सूरत ए फौलाद।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि कुछ लोगों को शमशीरो की जरूरत नहीं होती क्योंकि उनके खून में इतना जुनून और ऐसे लोग फौलाद जैसे मजबूत होते हैं।
32-Allama Iqbal Shayari: ना चीज़
ना चीज जहां ए मह ओ परवीन तेरे आगे
वह आलम ए मजबूर है तू आलम में आजाद।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग आजाद हालात होते हैं और कुछ लोग हालातों के आगे मजबूर ऐसे लोगों को किसी भी हालात में समझौता करना बाखूबी आता है।
33- खतरा
शाहीन कभी परवाज से थक कर नहीं गिरता
हर दम है अगर तू तो नहीं खतरा ए उफ्ताद।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि जो लोग कभी भी अपनी मंजिल से थक कर नहीं गिरते उन में इतना दम होता है कि वह कभी भी आने वाले किसी खतरे से नहीं डरते डटकर सामना करते हैं।
34-Allama Iqbal Shayari: हस्ती
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमां हमारा।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि जिन लोगों में जुनून और जज्बा होता है ऐसे लोगों की कभी हस्ती नहीं मिलती और जमाना ऐसे लोगों का दुश्मन होता है।
35- मेहरम
इकबाल कोई मेहरम अपना नहीं जहां में
मालूम क्या किसी को दर्द ए निहां हमारा।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि जो लोग जिंदगी में अकेले होते हैं, जिनका कोई मेहरम नहीं होता उन लोगों का दर्द कभी भी कोई और नहीं समझ सकता।
36-Allama Iqbal Shayari: इंकार की आदत
इंकार की आदत को समझती हूं बुरा में
सच यह है कि दिल तोड़ना अच्छा नहीं होता।
व्याख्या
शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कभी भी किसी भी चीज के लिए किसी को इनकार नहीं करते क्योंकि ऐसे लोगों को किसी का दिल तोड़ना अच्छा नहीं लगता।
37- परवाह
जो मैं बुरा नहीं तेरी तरह तो क्या परवाह
नहीं है तू भी तो आखिर मेरी तरह छोटा।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें अपने अच्छे या बुरे होने से कोई परवाह नहीं होती परवाह होती है। तो सिर्फ इस बात की कि वह किसी के सामने छोटे या बुरे नहीं बनना चाहते हैं।
38-Allama Iqbal Shayari: कुदरत
हर एक चीज से पैदा है खुदा की कुदरत है
कोई बुरा कोई छोटा यह उसकी हिक्मत है।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि खुदा की खुदाई सबसे निराली है। उसने दुनिया में लोगों को सोच समझकर बनाया है। खुदा खुदा के आगे किसी की क्या औकात जो उसके फैसले की बेहुरमति करें। उसको जब जिसको नवाजना होता है वह बिन मांगे नवाज देता है।
39- बड़ा बना दिया
बड़ा जहां में तुझको बना दिया उसने
मुझे दरख़्त पे चढ़ना सिखा दिया उसने।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि खुदा आजमाइश भी अपने उन बंदों की लेता है जिनसे वे मोहब्बत करता है। और इन्हीं आजमाइशो के चलते हैं वह अपने बंदों को इतना बड़ा बना देता है कि दरख़्त पर चढ़ना भी सिखा देता है।
40-Allama Iqbal Shayari: बुराई
कदम उठाने की ताकत नहीं जरा तुझ में
नीरी बुराई है खूबी है और क्या तुझ में।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि कुछ लोगों में कदम उठाने की ताकत भी नहीं होती उन्हें सिर्फ और सिर्फ बुराई होती हैं। ऐसे लोगों में बहुत कम कोई अच्छी खूबी देखने को मिलती है।
41- हूनर
ज्यो तू बड़ा है तो मुझ सा हुनर दिखा मुझको
या चल यह ही जरा तोड़ कर दिखा मुझको।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि यदि आपमें किसी के जैसा हुनर है तो उसे जरूर लोगों को दिखाना चाहिए क्योंकि कुछ लोगों को बहुत गलत फहमियां होती हैं आपके बारे में कि आपको कुछ नहीं आता यदि आपने थोड़े ही गुण है तो अवश्य ही लोगों के सामने उन्हें पेश करना चाहिए।
42-Allama Iqbal Shayari: नाकामी
नहीं है चीज नाकानी कोई जमाने में
कोई बुरा नहीं कुदरत के कारखाने में।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि नाकामी जैसी कोई चीज नहीं है इस दुनिया में क्योंकि खुदा की कुदरत के आगे कोई भी इंसान बुरा नहीं है। सबको खुदा ने बनाया है और सब में अच्छी बुरी क्वालिटी होती हैं। जिस तरह लोग आप में बुरी चीजें देखकर उन्हें सब में बताते फिरते हैं उसी तरह आपको अपने आप में अच्छी चीजों को बाहर लाकर लोगों को दिखाना बहुत जरूरी है।
43-जुदाई
जुदाई में रहती हूं मैं बेकरार
पीरोती हूं हर रोज़ अश्कों के हार।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि जब दो लोग एक दूसरे से बेइंतहा मोहब्बत करते हैं और किसी कारण उन दो लोगों को जुदा होना पड़ता है तो जो सच्ची मोहब्बत करता है वह हर रोज उसकी याद में अश्क (आसू) बहाता है।
44-Allama Iqbal Shayari: वफ़ा
ना परवाह हमारी जरा तुमने की
गए छोड़ अच्छी वफा तुमने की।
व्याख्या
इस शायरी में शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि जब दो लोग एक दूसरे से मोहब्बत करते हैं तो उन्हें एक दूसरे की परवाह भी होनी चाहिए, लेकिन आज के समय में सच्ची मोहब्बत कहा कोई करता है वह तो सिर्फ वक्त गुजारने के लिए साथ रहते हैं बस इतनी वफा निभाते हैं।
60-Allama Iqbal Shayari: भलाई
रुलाती है तुझको जुदाई मेरी
नहीं उसमें कुछ भी भलाई मेरी।
व्याख्या
शायर अल्लामा इकबाल जी द्वारा कहा जा रहा है कि दो सच्ची मोहब्बत करने वाले जुदा होने के बाद रोते रहते हैं लेकिन रोने में किसी भी एक साथी की भलाई नहीं है।
हम आशा करते हैं दोस्तों कि आपको हमारा आज का यह अल्लामा इकबाल जी का शायरी आर्टिकल अवश्य ही पसंद आया होगा। हम आपके लिए इसी तरह के लेख लेकर आते रहेंगे यदि आपको हमारे लिए अच्छे लगते हैं तो आप इसे आगे भी शेयर कर सकते हैं।