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स्वतंत्रता दिवस पर कविता: Independence Day Poems

Posted on October 4, 2023October 6, 2023 by ANDREW

स्वतंत्रता दिवस पर कविता: हेलो दोस्तों जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि जब हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था, तब बहुत सारे अत्याचार हम भारतवासियों ने सहे हैं। हम बहुत लकी हैं कि हम आजाद भारत में पैदा हुए हैं क्योंकि हमारे दादा और परदादाओ ने अंग्रेजों की गुलामी और उनके अत्याचारों को देखा और सहा है। भारत को आजाद करने में बहुत सारे बहादुर शूरवीरों का हाथ है जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बिना इस देश को आजाद कराया ।

अंग्रेजों को धूल चटकार भाग खड़ा होने पर मजबूर कर दिया। हमारे भारत की धरती कई बहादुर महान आत्माओं के रक्त से रंगी हुई है इसलिए हमें भी उन्हीं की तरह अपने देश की रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए। दोस्तों आज हम आपको अपने आर्टिकल के माध्यम से स्वतंत्रता दिवस पर कुछ कविताओं के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान करना चाहते हैं यदि आप भी अपने देश से प्रेम करते हैं और भक्ति भावना रखते हैं तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।

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Table of Contents

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  • 1-स्वतंत्रता दिवस पर कविता: भारत जमीन का टुकड़ा नहीं
  • 2-15 अगस्त 1947
  • 3-स्वतंत्रता दिवस पर कविता: भारत की सोने चिड़िया (लेखक कनक मिश्रा)
  • 4- करें आजादी की रखवाली आओ निभायें अपना फर्ज
  • 5- बच्चो के लिए आजादी का मतलब

1-स्वतंत्रता दिवस पर कविता: भारत जमीन का टुकड़ा नहीं

स्वतंत्रता दिवस पर कविता

भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,
जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।
हिमालय मस्तक है,कश्मीर किरीट है,
पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं।
पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं।
कन्याकुमारी इसके चरण हैं,
सागर इसके पग पखारता है।
यह चन्दन की भूमि है,अभिनन्दन की भूमि है,
यह तर्पण की भूमि है,यह अर्पण की भूमि है।
इसका कंकर-कंकर शंकर है, इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है।
हम जियेंगे तो इसके लिये मरेंगे तो इसके लिए।

भारत कोई भूमि का टुकड़ा नहीं है,
एक जीता-जागता राष्ट्र पुरुष है।
ये वंदन की धरती है, अभिनंदन की धरती है।
ये अर्पण की भूमि है, ये तर्पण की भूमि है।
इसकी नदी-नदी हमारे लिए गंगा है,
इसका कंकड़-कंकड़ हमारे लिए शंकर है।
हम जिएंगे तो इस भारत के लिए
और मरेंगे तो इस भारत के लिए।
और मरने के बाद भी,
गंगाजल में बहती हुई हमारी अस्थियों को
कोई कान लगाकर सुनेगा,
तो एक ही आवाज़ आएगी,
भारत माता की जय।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक अटल बिहारी वाजपेई जी कहते हैं कि भारत कोई छोटा सा टुकड़ा नहीं बल्कि जीत जाकर राष्ट्र पुरुष है जिस तरह हम अपना जीवन जीते हैं और अपनों की रक्षा करते हैं इस तरह हमें भारत को स्वतंत्र बनाए रखने के लिए देश की रक्षा करना भी परम धर्म है। अटल जी कहते हैं कि हिमालय हमारे देश का मस्तक है तो कश्मीर उसकी किरीठ पंजाब और बंगाल हमारे देश की टांगे हैं। कन्याकुमारी हमारे देश का चरण। हमारा देश अर्पण, दर्पण, अभिनंदन और चंदन का तिलक है हमारे माथे पर।

हमारे देश के जल की एक-एक बूंद गंगाजल जैसी पवित्र है और हमें देश के लिए जीने मरने के लिए तैयार रहना चाहिए। देश के लिए मरना कोई छोटी बात नहीं यह केवल उन मानों के लाल करते हैं जिनकी मां का जिगर होता है। उसके सम्मान के खातिर अपनी जान देने का सौभाग्य किस्मत वालों को मिलता है। हम बहुत शुक्रगुजार हैं उन स्वतंत्रता सेनानियों के जिन्होंने हमारे देश को आजाद कराया और उसे मुकाम पर पहुंचा जो शायद हमारे लिए नामुमकिन था आज हमारा भारत देश अन्य मूल के मुकाबले बहुत बदल चुका है। हम किसी से काम नहीं किसी भी क्षेत्र में।

2-15 अगस्त 1947

आज देश में नई भोर है

नई भोर का समारोह है।

आज सिन्धु-गर्वित प्राणों में

उमड़ रहा उत्साह

मचल रहा है।

नए सृजन के लक्ष्य बिन्दु पर

कवि के मुक्त छन्द-चरणों का

एक नया इतिहास। 

आज देश ने ली स्वंत्रतता

गगन मुस्काया 

आज हिमालय हिला।

पवन पुलके

सुनहली प्यारी-प्यारी धूप 

आज देश की मिट्टी में बल

उर्वर साहस

आज देश के कण-कण

ने ली

स्वतंत्रता की सांस। 

युग-युग के अवढर योगी की

टूटी आज समाधि

आज देश की आत्मा बदली।

न्याय नीति संस्कृति शासन पर

चल न सकेंगे

अब धूमायित-कलुषित पर संकेत

एकत्रित अब कर न सकेंगे, श्रम का सोना

अर्थ व्यूह रचना के स्वामी

पूंजी के रथ जोत 

आज यूनियन जैक नहीं

अब है राष्ट्रीय निशान

लहराओ फहराओ इसको

पूजो-पूजो-पूजो इसको

यह बलिदानों की श्रद्धा है

यह अपमानों का प्रतिशोध

कोटि-कोटि सृष्टा बन्धुओं को

यह सुहाग सिन्दूर 

आज देश में नई भोर है

नई भोर का समारोह है। 

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक देश के आजाद होने के बाद पहली सुबह का वर्णन करते हुए कहते हैं कि आज की सुबह उत्साह की भर है जो बहुत सारी खुशियां लेकर हमारे जीवन में आई है। भगवान ने हमें अपनी जिंदगी संवारने का एक और मौका दिया है जहां हम एक दूसरे का हाथ पकड़ कर कम से कदम मिलाकर आगे और इतिहास बनाएंगे। इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा उन सभी महान व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि दी जा रही है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के खातिर अपने खून का एक-एक कतरा पानी की तरह बहा दिया।

कई सुहागानों ने अपना सिंदूर पहुंच दिया तो कई बच्चों के सर से उनके पिता का साया है गया लेकिन धरती मां के प्रेम सम्मान की खातिर उन्होंने नहीं सोचा अपने प्राणों को त्यागने से पहले। स्वतंत्रता के कारण आज हमारे देश की आत्म बलि लोगों को देखने का नजरिया बदला नहीं तो अगर हम आजाद ही ना हुए होते तो शायद देश की दशा कुछ और ही होती।

3-स्वतंत्रता दिवस पर कविता: भारत की सोने चिड़िया (लेखक कनक मिश्रा)

स्वतंत्रता दिवस पर कविता

क्या पढ़ते हो किताबों में 

आओ मैं तुम्हें बताती हूं।

15 अगस्त की असली 

परिभाषा समझता हूं।

एक दौर था जब भारत को 

सोने की चिड़िया कहते थे

कैद कर लिया इस चिड़िया को

वह शिकारी अंग्रेज कहलाते थे। 

कुतर कुतर कर सारे पंख 

अधमरा कर छोड़ा था 

सांसे चल रही थी बस 

ताकत से अब रिश्ता पुराना था।

कहते हैं की हिम्मत से बढ़कर 

दुनिया में और कुछ नहीं होता

कतरा कतरा समेटकर 

फिर उठ खड़ी हुई वह चिड़िया।

बिखर गए थे सारे पंख 

तो बिन पंखों के उड़ना सीख लिया 

परिस्थिति चाहे जैसी भी थी दोस्तों 

उसने लड़ना सीख लिया।

लड़ती रही अंतिम सांस तक 

और सफलता उसके हाथ लगी।

आजादी की थी चाह मन में 

और वह आजादी के घर लौट गई।

आज उसे चिड़िया को हम 

गर्व से भारत बुलाते हैं। 

और सीना गदगद हो जाता 

जब हम भारतीय कहलाते हैं। 

आजादी का यह पर्व दोस्तों 

आओ मिलकर मनाते हैं।

चाह रहे हम अमेरिका या लंदन

भारत को आगे बढ़ते हैं।

भारत के गुण गाते हैं 

और 15 अगस्त मानते हैं।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक कनक मिश्रा जी द्वारा सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत देश की स्वतंत्रता की कहानी को दर्शाया जा रहा है। लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि समय था कि जब हमारे भारत देश को सोने की चिड़िया पढ़कर से कहा जाता था और अंग्रेजो जैसे शिकारीयो की नजर देश पर पड़ी और उन्होंने इस चिड़िया को अपने कब से में कर लिया। उन्होंने हमारे भारत देश पर इतने अत्याचार किए की इस सोने की चिड़िया के पंख करती है ।

उसको अधमरा कर दिया लेकिन वह कहते हैं ना कि यदि आप में कुछ पाने का हौसला जुनून कूट कूट कर भरा हो तो कोई आपके पंख कार्ड भी दे तो भी आपको उड़ान भरने से नहीं रोक सकता। हमारे भारत देश ने फिर एक बार हिम्मत जुटा खुद को खड़ा किया और ऐसा खड़ा किया कि अंग्रेज भाग खड़े हुए और इस सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत देश के पंखों ने फिर से उड़ान भरी और ऐसी उड़ान भरी की आज दूसरे मुल्क भारत की सराहना करते नहीं थकते।

4- करें आजादी की रखवाली आओ निभायें अपना फर्ज

शत् शत् नमन करें शहीदों को, ये बहादुर वीर
न्योछावर-किये प्राण अपने, लिख गये देश की तकदीर।

अपने बलबुतो, देशभक्ति के जज्बो से, हमे आजादी दिलाई है
दिलो में रहेंगे अमरशहीद सदा, लिखा जिससे वो स्लकी स्याही है।

वतन की खुशीयों की खातिर, अपना खून बहाये हो
मिलती रहेगी हमे प्ररेणा, हमारे दिलो में समाये हो।

दिलायी हमे आजादी, नभ में फैली है सूरज की लाली
प्रकृति भी गूंज उठी है, है पतन में आजादी की हरियाली।

है हम आजाद, देश में फैली है आजादी की खुशहाली
फर्ज है हमारा, मरते दम तक करें देश की रखवाली।

रहे देश सुरक्षित, करे प्रगति हमारा वतन
सुख शान्ति रहे देश में, करते रहे हम पुरे जतन।

होगा देश का विकास, जब निभायेगे अपने फर्ज
रहे तैयार देश सेवाखातिर, सुरेश करे है आपसे अर्ज।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा वीर बहादुर को शत-शत नमन करके हमारे भारत की सुनहरी तकदीर लिखने वालों का शुक्र अदा किया जा रहा है। भारत के वीर नौजवानों की बदौलत थी आज हमारे देश की तकदीर बदली है अपने बलबूते अपने प्राणों की परवाह किए बिना देश को केवल आजाद ही नहीं कराया बोल के उन छोटे-छोटे बच्चों का भविष्य भी सुधार दिया जो अंग्रेजों की गुलामी करने को मजबूर थे।

हमारे वतन की खुशियों के खातिर अपने रक्त का कतरा कतरा बहा दिया और हमारे देश के झंडे की शान और सर कभी झुकने नहीं दिया बल्कि गर्व से ऊंचा कर दिया। हमारे देश में आजादी जिन खुशियों के साथ फैली हुई है शायद यह हमारे लिए नामुमकिन थी लेकिन हमारे बहादुर महान लोगों ने हमें यह खुशी सौगात के रूप में दे दी। कविता से हमें यह सीख मिलती है कि हमें भी अपने देश की खुशियों में योगदान करना चाहिए और हमेशा अपने कर्तव्य को पूरी ईमानदारी के साथ निभाना चाहिए और अपने वतन में सुख शांति बनाए रखने की कोशिश करते रहना चाहिए।

5- बच्चो के लिए आजादी का मतलब

हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे, आजादी का मतलब नहीं समझते
इस दिन पर स्कूल में तिरंगा है फहराते, गाकर अपना राष्ट्रगान तिरंगे का सम्मान करते।

कुछ देशभक्ति की झांकियों से दर्शकों को मोहित है करते हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे, आजादी का सिर्फ यही अर्थ है समझते।

वक्ता अपने भाषणों में, न जाने क्या-क्या है कहते
उनके अन्तिम शब्दों पर, बस हम तो ताली है बजाते।
हम नन्हें-मुन्ने है बच्चे, आजादी का अर्थ सिर्फ इतना ही है समझते।

विद्यालय में सभा की समाप्ति पर गुलदाना है बाँटा जाता भारत माता की जय के साथ, स्कूल का अवकाश हो जाता।
शिक्षकों का डाँट का डर, इस दिन न हमको कोई सताता

छुट्टी के बाद पतंगबाजी का, लुफ्त बहुत है आता।
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे, बस इतना ही समझते
आजादी के अवसर पर हम, खुल कर बहुत ही मस्ती है करते।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि छोटे बच्चों के लिए आजादी का मतलब क्या है? बच्चे मन के सच्चे होते हैं और उनके लिए आजादी का मतलब केवल इतना ही होता है कि हमारे स्कूल में देश का झंडा फहराया जाता है और सब लोग राष्ट्रगान गाते हैं और तिरंगे का सम्मान करते हैं लेकिन असल कहानी क्या है कि हमारे देश के बहादुरों ने कैसे देश को आजाद करने के लिए अपना रक्त बहा दिया और अपने प्राण न्योछावर करती है यह बढ़ती आज तो उन्हें अपनी उम्र में आकर ही समझ आएगा। इस कविता के माध्यम से हमें चाहिए सीख मिलती है कि छोटे बच्चों को आजादी का मतलब केवल छुट्टी होना राष्ट्रगान गाना तिरंगा फहराने सिर्फ इतना ही पता होता है लेकिन हमें धीरे-धीरे उनको बताना चाहिए कि स्वतंत्रता दिवस मनाने के पीछे का असल उद्देश्य क्या है।

 हम उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको हमारा आज स्वतंत्रता दिवस पर कविता से भरपूर आर्टिकल अवश्य पसंद आया होगा और आपको भी देश के प्रति सम्मान की भावना और भी ज्यादा जागृत हुई होगी आगे भी हम आपके लिए इसी तरह के लेख लिखते रहेंगे और आप हमेशा की तरह अपना प्यार हो सपोर्ट बनाए रखें।

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