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लोकतंत्र का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कविता: International Day of Democracy

Posted on September 24, 2023September 24, 2023 by ANDREW

लोकतंत्र का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कविता : सभी लोग जानते हैं कि देश को चलाने का कार्य केवल सरकार का नहीं होता बल्कि सरकार के साथ-साथ देश में रहने वाले नागरिकों का भी एक हम योगदान और भूमिका होती है। जनता की वोटो के आधार पर ही सरकार का चुनाव किया जाता है। देश में लोकतंत्र दिवस मनाए जाने की क्या भूमिका है और इसमें नागरिकों की कितनी भागीदारी है तो चलिए बिना समय गवाएं आपको विस्तार में समझते हैं। तो दोस्तों आज हम आपको अपने आर्टिकल के माध्यम से लोकतंत्र का अंतरराष्ट्रीय दिवस से संबंधित जानकारी और कविताओं के बारे में विस्तार पूर्वक बताने वाले हैं यदि आप भी लोकतंत्र से संबंधित जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य करें।

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लोकतंत्र का अंतर्राष्ट्रीय दिवस

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2007 में एक प्रस्ताव के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मनाए जाने की घोषणा की गई। जिसके बाद बहुत ही धूमधाम से प्रतिवर्ष 15 सितंबर वर्ष 2008 से लगातार अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मनाया जाता है। सरकार द्वारा लोकतंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से ही लोकतंत्र दिवस मनाया जाता है। इस दिन सभी सांसदों में कार्यक्रमों और समारोह का आयोजन किया जाता है जिसमें सांसद के सभी सदस्य सम्मिलित होते हैं। दोस्तों जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि सरकार केवल खुद से नहीं बल्कि जनता की भागीदारी से भी चलती है, ठीक उसी प्रकार लोकतंत्र को सभी नागरिकों की भागीदारी की आवश्यकता है। जिससे कि संसद की महत्वपूर्ण भूमिका को जागृत करना और न्याय शांति विकास और मानव अधिकार को पूरा करने की ताकत और जान आदेश का जश्न मनाने का एक अफसर है।

लोकतंत्र अंतर्राष्ट्रीय दिवस कविता

Table of Contents

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  • 1-लोकतंत्र का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कविता : सब चलता है लोकतंत्र में (लेखक केदारनाथ अग्रवाल)
  • 2-कोई एक और मतदाता (लेखक रघुवीर सहाय)

1-लोकतंत्र का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कविता : सब चलता है लोकतंत्र में (लेखक केदारनाथ अग्रवाल)

हे मेरी तुम

सब चलता है लोकतंत्र में,

चाकू – जूता – मुक्का – मूसल

और बहाना।

हे मेरी तुम!

भूल-भटक कर भ्रम फैलाये,

गलत दिशा में

दौड़ रहा है बुरा जमाना।

हे मेरी तुम!

खेल-खेल में खेल न जीते,

जीवन के दिन रीते बीते,

हारे बाजी लगातार हम,

अपनी गोट नहीं पक पाई,

मात मुहब्बत ने भी खाई।

हे मेरी तुम!

आओ बैठो इसी रेत पर,

हमने-तुमने जिस पर चलकर

उमर गँवाई।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि जब सरकार आपस में भिड़ती है तो लोकतंत्र में सब कुछ चलता है चाहे वह जूता हो, लात हो, गली हो या फिर मुक्का मुसल ही क्यों ना हो। कुछ सरकार के रखवाले तो इस कदर झूठ बोलकर लोगों में भ्रम फैलाते हैं कि सच की दशा ही बदल देते हैं। देश को चलाने वाले समाज के रखवाले देश को एक अलग ही दिशा में ले जा रहे हैं जहां देश एक और प्रगति और विकास के रास्ते पर चलना चाहता है तो वहीं दूसरी ओर लोगों को झूठ फरेब और मक्कारी की राह दिखाई जा रही है।

2-कोई एक और मतदाता (लेखक रघुवीर सहाय)

जब शाम हो जाती है तब खत्म होता है मेरा काम

जब काम खत्म होता है तब शाम खत्म होती है

रात तक दम तोड़ देता है परिवार

मेरा नहीं एक और मतदाता का संसार

रोज कम खाते-खाते उभ कर

प्रेमी प्रेमिका एक पत्र लिख दें गए सूचना विभाग को 

दिन-रात सांस लेता है ट्रांजिस्टर लिए हुए खुशनसीब खुशीराम 

फुर्सत में अन्याय चाहते हैं मस्त 

स्मृति खकोलता, हकलाता, बतलाता सवेरा

अखबार में उसके लिए खास करके एक पृष्ठ पर दूम 

खिला संपादक एक पर गूंगूरता है।

एक दिन आखिरकार दोपहर में छुरी से मारा गया खुशीराम

वह अशुभ दिन था कोई राजनीति का मसला

देश में उस वक्त पेश नहीं था

खुशीराम बन नहीं सका कत्ल का मसाला

बदचलनी का बना 

उसने जैसा किया वैसा भरा 

इतना दुख में देख नहीं सकता।

कितना अच्छा था छायावादी 

एक दुख लेकर वे एक गान देता था 

कितना कुशल था प्रतिवादी 

हर दुख का कारण वह पहचान लेता था।

कितना महान था गीतकार 

जो दुख के मारे अपनी जान लेता था 

कितना अकेला हूं मैं इस समाज में 

जहां सदा मरता है एक और मतदाता

व्याख्या

लेखक रघुवीर सहाय द्वारा लिखी गई इस कविता के शब्दों में बहुत गहरी बातों का वर्णन किया गया है, कि किस प्रकार एक आम आदमी निर्दोष होते हुए भी सरकार उसको दोषी बनाकर आत्म हत्या करने पर मजबूर कर देती है। जिस सरकार और लोकतंत्र को बनाने में आम जनता की भागीदारी एक अहम भूमिका निभाती है उसी जनता को सरकार द्वारा दोषी बना दिया जाता है खाने पीने से मोहताज कर दिया जाता है। सरकार के कुछ दृश्य ठेकेदारों के चलते हर वर्ष ना जाने कितना निर्दोष आम आदमी अपनी जान गवाता है जो अपना मत देकर उसे ही अपने देश को चलाने की जिम्मेदारी नियुक्त करता है।

कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि आज के समय में भी कुछ ऐसे मजबूर और लाचार लोग हैं जिन्हें सच में सरकार के सहयोग की जरूरत होती है आगे बढ़ाने के लिए। जब आम आदमी थक हार कर अपने घर पहुंचता है और बेरोजगारी के कारण चूल्हा बना देखा है और बच्चों का मासूम चेहरा भूख से भी लगता देखा है उस वक्त देश के रखवालो पर शर्म आती है। जब बात सरकार बनाने की आती है तब बड़े-बड़े वादे करके वोट ले जाते हैं लेकिन जब उन बातों को पूरा करने की बात आती है तो पीट दिखाकर भाग खड़े होते हैं।

हम उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको हमारे आज के आर्टिकल से अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस संबंधी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां विस्तार से समझ में आ गई होगी। आगे पर हम आपके नहीं इसी तरह के आर्टिकल्स लेकर आते रहेंगे और आप हमेशा कितना अपना प्यार और सपोर्ट हमारे आर्टिकल्स को देते रहे।

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