हास्य कविता हिंदी: हेलो दोस्तों आज हम आपको कुछ ऐसी हादसे कविताओं के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हैं जिन्हें पढ़कर और सुनकर आप हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएंगे। जिंदगी की हर परिस्थिति का सामने करने के साथ-साथ यह बहुत जरूरी है कि आपको अपने चेहरे से मुस्कान ओझल नहीं होने देनी है। वह कहते हैं ना की कोई भी कम आधे मन से नहीं करना चाहिए चाहे सुख हो या दुख परिस्थिति चाहे कैसी भी हो लेकिन हमेशा खुश रहना चाहिए।
हमेशा खुद के अंदर एक जुनून और जोश की चिंगारी लगाकर रखनी चाहिए। क्या आप लोग जानते हैं कि अपने जीवन की आधे दुखों को अपनी मुस्कान के साथ खत्म कर सकते हो। यह हमेशा खुश रहना चाहिए यदि आप दुखी हैं और आप खुश नहीं है तो कुछ ऐसा करिए जिसे करने से आपको खुशी मिलती है। यदि आप गाने सुन सकते हैं कोई हंसी का लतीफा पढ़ सकते हैं या फिर हंसी कविताएं इत्यादि। चलिए दोस्तों आज हम आपके हास्य कविता सुनाने वाले यदि आपकी हमारे साथ हंसना चाहते हैं तो हमारे इस आर्टिकल में अंत तक बन रहे।
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1-हास्य कविता हिंदी: हंसो और मर जाओ (लेखक अशोक चक्रधर)
हंसो, तो
बच्चों जैसी हंसी,
हंसो, तो
सच्चों जैसी हंसी।
इतना हंसो
कि तर जाओ,
हंसो
और मर जाओ।
हँसो और मर जाओ चौथाई सदी पहले
लगभग रुदन-दिनों में
जिनपर
हम
हंसते-हंसते मर गए
उन
प्यारी बागेश्री को
समर-पति की ओर
स-समर्पित। श्वेत या श्याम
छटांक का ग्राम
धूम या धड़ाम
अविराम या जाम,
जैसा भी है
ये था उन दिनों का-
काम
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि कभी भी आधे अधूरे मजे हंसना नहीं चाहिए यदि आपको किसी बात पर हंसी आ रही है तो हमेशा सच्चे मन से और पूरे मन से खुशी का इजहार करना चाहिए। ऊपर वाले ने जिंदगी को दो पहलुओं में बनता है या तो खुशी-खुशी जी लो या फिर मर जाओ। सुख दुख तो जीवन में लगे रहते हैं यह हमारे लिए हमारी परछाई के सामान चलते हैं। जिस प्रकार आप अपने सुख में खुशी का इजहार करते हो वैसे ही आप अपने दुख में अपने चेहरे की मुस्कान को मत खोने दो। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन की परिस्थितियों चाहे कैसी भी हो लेकिन हमें कभी भी निराशा या दुखी नहीं रहना चाहिए बल्कि हर परिस्थिति का सामना खुशी-खुशी चेहरे पर मुस्कान लेकर करना चाहिए।
2- सैंपल (लेखक हुल्लड़ मुरादाबादी)
एक नेताजी के घर
एक साथ
तीन बच्चे पैदा हुए
पहला बहरा
दूसरा गूंगा
और तीसरा अंधा।
नेताजी घबरा गए
ये गांधी जी के तीन बंदर
मेरे घर में कैसे आ गए?
उन्होंने कहा, ‘या अली
इन भिखारियों को
जन्म देने के लिए
तुझे और कोई जगह नहीं मिली।’
आवाज आई –
आम आदमी को मिला है
बहरा कानून
गूंगा संविधान
और अंधी योजनाएं।
बेटे तू बेकार घबराया है
मैंने कोई करिश्मा
नहीं दिखाया है
मैंने तो बच्चों के रूप में
तेरे पास भारतवर्ष का
सिर्फ एक सैंपल भिजवाया है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा एक नेता जी के घर का वाकया सुनाया जा रहा है सुनकर आपके चेहरे पर अवश्य ही एक मुस्कान आई होगी। एक नेता जी के घर जब तीन प्यारे बच्चे पैदा होते हैं और वह तीनों ही एक गूंगा एक बहरा और एक अंधा होता है यह देखकर नेताजी घबरा जाते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं कि यह मेरे ही घर में भेजने थे। इतने में भगवान जी ऊपर से बोलते हैं कि जिस तरह आम आदमी को बहरा कानून, गुगा संविधान और अंधी योजनाएं नेताओं की ओर से मिलती रहती हैं, उसी तरह मैने भी भारतवर्ष के सैंपल के रूप में तेरे घर एक तोहफा भेज दिया।
3-हास्य कविता हिंदी: सिगरेट समीक्षा (लेखक काका हाथरसी )
मिस्टर भैंसानंद का फूल रहा था पेट,
पीते थे दिन-रात में, दस पैकिट सिगरेट।
दस पैकिट सिगरेट डाक्टर गोयल आए
दिया लैक्चर तंबाकू के दोष बताए।
‘कैंसर हो जाता ज्यादा सिगरेट पीने से,
फिर तो मरना ही अच्छा लगता, जीने से।’
बोले भैंसानंद जी, लेकर एक डकार,
आप व्यर्थ ही हो रहे, परेशान सरकार।
परेशान सरकार, तर्क है रीता-थोता,
सिगरेटों में तंबाकू दस प्रतिशत होता।
बाकी नव्वै प्रतिशत लीद भरी जाती है,
इसीलिए तो जल्दी मौत नहीं आती है।
व्याख्या
इस हास्य कविता के माध्यम से लेखक द्वारा सिगरेट छोड़ने की समीक्षा की जा रही है जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि धूम्रपान करना सेहत के लिए हानिकारक होता है क्योंकि इससे सीधे हमारे फेफड़ों डैमेज होते हैं और आने वाले समय में यह एक घातक बीमारी जैसे कि कैंसर जैसी समस्याओं को पैदा करता है। कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि लोगों को पता होने के बाद भी अपना स्वास्थ्य खराब करना ही है यदि आपको एक समस्या के बारे में पहले से ही जानकारी है तो आपको हमेशा यह प्रयास करना चाहिए कि यदि आप पूरी आदत के साथ जीते हैं तो उसे पहले धीरे-धीरे कम करें और उसके बाद उसे खत्म करने की कोशिश करें। हम सभी में कुछ ना कुछ बुरी आदत होती है लेकिन बुरी आदतों को हमेशा साथ रखना वह सबसे बुरी आदत है।
4-हास्य कविता हिंदी: बस में थी (लेखक अशोक चक्रधर)
बस में थी भीड़ और धक्के ही धक्के
यात्री थे अनुभवीऔर पक्के।
पर अपने बौड़म जी तो
अंग्रेज़ी में सफ़र कर रहे थे,
धक्कों में विचर रहे थे।
भीड़ कभी आगे ठेले,
कभी पीछे धकेले।
इस रेलमपेल और ठेलमठेल में,
आगे आ गए धकापेल में ।
और जैसे ही स्टाप पर उतरने लगे
कण्डक्टर बोला- ओ मेरे सगे !
टिकिट तो ले जा ।
बौड़म जी बोले- चाट मत भेजा
मैं बिना टिकिट के भला हूं,
सारे रास्ते तो पैदल ही चला हूं ।
व्याख्या
इस हास्य कविता के माध्यम से लेखक द्वारा जा बताया जा रहा है कि कुछ लोग बस में सफर करने के बाद ही पैदल सफर करते हैं। इसी हास्य कविता में ऐसे ही एक बार की कलाकारियों के बारे में उल्लेख किया जा रहा है की किस तरह उसे बेवकूफ बनाकर बस में सफर कराया जाता है और लोगों की धक्का मुक्की से गुजरना पड़ता है। लोग जिसे बोडम समझ रहे हैं वह तो वह तो खुद एक चालाक आदमी था जो बिना टिकट के ही बस में सफर कर रहा था।
हम उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको हमारा हास्य कविताओं का आर्टिकल अवश्य ही पसंद आया होगा इन कविताओं को पढ़कर हम विश्वास से कह सकते हैं कि आपके चेहरे पर एक खुशी भी अवश्य ही आई होगी। अभी हम आपके लिए इसी तरह के लेख लिखते रहेंगे और आप हमेशा की तरह अपना प्यार और सपोर्ट बनाए रखें।