सरोजिनी नायडू कविता: हेलो दोस्तों आज हम आपको एक राजनीतिक समाज सुधारक और एक महान लेखिका के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हैं और वह लेखिका हैं सरोजिनी नायडू। सरोजिनी जी का जन्म 13 फरवरी 1869 में हैदराबाद में हुआ था। यह बहादुर लेखिका केवल अपनी कविताओं से ही अपना नाम चर्चाओं में नहीं बल्कि आजादी की लड़ाई से भी लोगों की नजरों में एक चमकते सितारे की तरह प्रकशित हुई है। तो चलिए दोस्तों आज हम आपको सरोजिनी नायडू से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ उनके द्वारा लिखे गए कुछ महत्वपूर्ण कविताओं के बारे में विस्तार पूर्वक बताने जा रहे हैं। यदि आपको भी सरोजिनी जी की कविताएं अच्छी लगती हैं तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पड़े।
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1-सरोजिनी नायडू कविता: बदलता हूं
मैं सोच भी बदलता हूं,
मैं नजरिया भी बदलता हूं।
मिले ना मंजिल मुझे,
तो में उसे पाने का जरिया भी बदलता हूं।
बदलता नहीं अगर कुछ
तो मैं लक्ष्य नहीं बदलता हूं,
उसे पाने का पक्ष नहीं बदलता हूं।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखिका द्वारा बताया जा रहा है कि एक व्यक्ति को हमेशा अपनी सोच और नजरिया बदलते रहना चाहिए क्योंकि कई बार मंजिल को पाने के लिए हमें उसे पाने के रास्ते को कई बार बदलाव करने पड़ सकते हैं। कई बार कुछ लोग ऐसे होते हैं कि मंजिल ना अपने पर वह अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं और बीच में ही अधूरा छोड़ देते हैं। इस कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि यदि आपके सपने पूरा होने में वक्त ले रहे हैं तो उसे पाने की राह बदल अपने सपनों को अपनी मंजिल को बीच रास्ते में अधूरा ना छोड़िए। जो लोग अपनी मंजिल को पार करने में विपरीत परिस्थितियों का सामना करने से पीछे हट जाते हैं वह कभी सफल नहीं होते।
2- नारी
बचपन में मां नारी का किरदार निभाया है,
उसने ही तो हमे ठीक से चलना, बोलना और पढ़ना सिखाया है।
उम्र जैसे बढ़ी तो पत्नी ने नारी का रूप दिखाया है,
उसने हर परिस्थिति में हमे डटकर लड़ना सिखाया है।
फिर बेटी ने नारी का रूप अपनाया है,
दुनिया से प्यार करना सिखाया है।
और तो क्या ही लिखूं मैं नारी के सम्मान में,
हम सब तो खुद ही गुम हो गए हैं अपने ही पहचान में।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखिका द्वारा कहा जा रहा है कि एक नारी के बलिदानो और जिम्मेदारियां की व्याख्या की जा रही है। बचपन में हमने बचपन से ही हम लोग अपनी मां को हर वह जिम्मेदारी निभाते हुए देखते हैं जिन्हें आगे चलकर हमें भी अपनी मां की तरह ही निभाना होगा। बचपन में मां हमें बोलना, चलना, बड़ों की इज्जत करना, प्यार, मान सम्मान सब कुछ सिखाती है। हम अपनी मां को एक पत्नी के रूप में भी अपने पिता का साथ देते हुए देखते हैं जिन्हें आगे चलकर हमें भी उसी तरह निभाना है। इस कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि एक स्त्री के मान सम्मान में जितना भी लिखा जाए या जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है क्योंकि बचपन से लेकर बुढ़ापे तक अपने बदलते किरदारों को एक स्त्री बड़ी ही बाखूबी के साथ और पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाती है।
3-सरोजिनी नायडू कविता: प्यारा भारत
हर परदेश की है यहाँ अलग एक जुबान,
पर मिठास कि है सभी में शान,
अनेकता में एकता को पिरोकर,
सबने हाथ से हाथ मिलाकर देश संवारा,
लगा रहा है अब भारत सारा,
“हम सब एक हैं” का नारा,
भारत देश है हमारा बहुत प्यारा,
सारे विश्व में है यह सबसे न्यारा।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखिका द्वारा बताया जा रहा है कि हर परदेश की अलग ही जुबान होती है लेकिन जो मिठास हमारे भारत देश की जुबान में है वह आपको कहीं भी देखने को नहीं मिलती। के भारत देश अनेकता में एकता को पिरोकर हाथ से हाथ जोड़कर चलने वाला देश है। हमारा भारत देश सबसे अलग सबसे प्यारा है जहां हम सब एक हैं यही नारा हर वक्त गूंजता है। कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि जो मिट्टी की सुगंध, और सम्मान हमारे भारत देश में बाहर से आए लोगों को मिलता है वह कहीं किसी और देश में लोगों को नहीं मिल सकता।
4- जिंदगी
बच्चों तुमने जीवन नहीं जिया है, तुम्हें ऐसा लगता है कि
जीवन सपनों का एक सुंदर स्टैलेक्टाइट है,
या लापरवाह खुशियों का कार्निवल है, जो एम्बर और नीलम की लपटों में
गहरे पानी की लहरों की तरह तुम्हारे दिलों में उछलता है।
बच्चों, तुम जीवित नहीं हो, लेकिन अस्तित्व में हो,
जब तक कोई प्रतिरोधी घंटा नहीं उठेगा और
तुम्हारे हृदयों को जगाने और प्यार के लिए भूखा रखने के लिए प्रेरित करेगा,
और उन चीजों के लिए उत्कट लालसा के साथ प्यासा करेगा
जो तुम्हारे भौंहों को रक्त-लाल पीड़ा से जला देंगे। जब तक तुम महान दुःख और भय से नहीं जूझते,
और सपनों को चकनाचूर करने वाले वर्षों के संघर्ष को सहन नहीं करते,
भयंकर इच्छा से घायल नहीं हो जाते और संघर्ष से थक नहीं जाते, हे
बच्चों, तुम जीवित नहीं हो क्योंकि यही जीवन है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखिका द्वारा कहा जा रहा है कि बच्चों को जीवन ऐसा लगता है जैसे कोई सपनों का सेटेलाइट सिस्टम जहां मुंह से हर बात निकाली और पूरी। जिंदगी की असली हकीकत जैसे-जैसे हम अपनी उम्र से बड़े होते हैं और परिस्थितियों का सामना करते हैं तब हमें पता चलता है हमारे संघर्ष की लड़ाई का। अमीर हो या गरीब हर कोई अपने जीवन में संघर्ष करता है कोई अपने सपनों के लिए संघर्ष करता है तो कोई अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों के लिए। कविता का उद्देश्य केवल इतना है कि बच्चों की नजरों में जिंदगी किसी सपने से कम नहीं होती जहां सब कुछ सुंदर-सुंदर और हरा भरा दिखाई देता है वहीं दूसरी और बड़ों के लिए जिंदगी संघर्षों से भरी एक चुनौती का सामना करने का नाम है।
हम उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको हमारी आज की सरोजिनी नायडू कविता अवश्य ही पसंद आई होगी। आगे भी हम आपके लिए इसी तरह के आर्टिकल्स लेकर आते रहेंगे और आप हमेशा की तरह हमारे आर्टिकल्स को अपना प्यार और सपोर्ट देते रहे।