विश्व पर्यटन दिवस : दोस्तों जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि कि हमारा भारत देश कितना खूबसूरत है और हर वर्ष हजारों की तादाद में लोग हमारे भारत देश में घूमने आते हैं। हमारे भारत में अनमोल रतन की कमी नहीं। जहां एक और आगरा में ताजमहल बनाया गया है वहीं दूसरी और दिल्ली में लाल किला और कुतुब मीनार जैसी खूबसूरत इमारतें देखने को मिलती हैं। तो दोस्तों आज हम आपको अपने आर्टिकल के माध्यम से विश्व पर्यटन दिवस से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले यदि आप भी विश्व पर्यटन दिवस के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पड़े।
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विश्व पर्यटन दिवस
देश के कुछ अहम हिस्सों में टूरिस्ट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। विश पर्यटन दिवस प्रतिवर्ष 27 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाए जाने की घोषणा 1980 में विश्व पर्यटन संगठन द्वारा की गई थी। दुनिया में बसी हुई कुछ ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण चीजों के बारे में खोज और उनकी जानकारी और लोगों का ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से विश्व पर्यटन दिवस पर जोर दिया जा रहा है। क्या आप सभी लोग जानते हैं के पिछले कुछ सालों में करोड़ों की स्थिति लगातार बने रहने के कारण पर्यटकों के आने-जाने पर अधिक प्रभाव पड़ा है। इसलिए इस वर्ष पर्यटन में कुछ नए बदलाव किए गए हैं जिसकी वजह से इस उद्योग को फिर से तेजी से आगे बढ़ाया जा सके।
1-विश्व पर्यटन दिवस : हमारे देश में आना लगेगी (लेखक-आशीष श्रीवास्तव)
हमारे देश में आना लगेगी धूप छांव
मिलेंगे रंग कई देखना शहर ओ गांव
हमारा देश है हमारे ही मन का आंगन
इस धरा के चरण को चूमता है नीलगगन
न जाने कैसी है इस देश की माटी से लगन
जो यहां आता है हो जाता है सब देख मगन
घूम के देखो तुम भी देश मेरा पांव—पांव
हमारे देश में आना लगेगी धूप छांव
मिलेंगे रंग कई देखना शहर ओ गांव
कई मौसम यहां जीवन के गीत गाते हैं
सभी का प्रेम देख देव मुस्कुराते हैं
रिश्ता कोई भी हो श्रद्धा से सब निभाते हैं
अपने दुःख और तनाव पे जीत पाते हैं
शांति का टापू है, नहीं है ज्यादा कांव कांव
हमारे देश में आना लगेगी धूप छांव
मिलेंगे रंग कई देखना शहर ओ गांव
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक आशीष श्रीवास्तव जी द्वारा बताया जा रहा है कि जब हमारे देश में तेज गति पर पर्यटन उद्योग होना शुरू हो जाएगा तो हमारे भारत देश में भी टूरिस्ट के रूप में कई रंग बिखरे हुए नजर आएंगे। कुछ लोग भारत देश घूमने इसलिए भी आना पसंद करते हैं कि गांव की सोंधी-सुंधी मिट्टी की खुशबू, हरे-भरे खेत, सुबह तड़के उठकर खुला खूबसूरत आकाश आदि देखने को मिलता है। इसके अलावा हमारे भारत देश में कई ऐतिहासिक इमारतें हैं जिनके पीछे बहुत सारे वीरों की कहानियां और बलिदान छिपे हुए हैं। बहुत सारे लोग भारत के धार्मिक स्थल पर आना पसंद करते हैं क्योंकि उनके पीछे उनकी आस्था और श्रद्धा छुपी होती है। इस कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि भारत में टूरिस्ट के लिए बहुत कुछ कैसा है जो उनको बार-बार भारत आने पर मजबूर करता है।
2- प्रयागो से लेकर (लेखक -सौरभ शुक्ला)
प्रयोगों से लेकर सिद्धांत का सफ़र,
जीवन हैं जन्म से देहांत का सफ़र।
शरीर तो नश्वर है जीवन के पटल पर,
आत्मा तय करती है मरणोपरांत का सफ़र।
खुद से अगर मिलना है तो आओ! चलो करें,
खल्वत में खुद से भेंट और एकांत का सफ़र।
प्रयोगों से लेकर सिद्धांत का सफ़र,
जीवन हैं! जन्म से देहांत का सफ़र।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक आशीष श्रीवास्तव जी द्वारा कहा जा रहा है कि भारत में जो भी पर्यटक घूमने आता है उसके लिए यह प्रयाग से सिद्धांत तक का सफल माना जाता है। दोस्तों जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि जिंदगी हमारे जीवन से ध्यान तक का ही सफर है और उसे सफल को अगर आप खुशी-खुशी नहीं जीते तो आपका जीवन ही व्यर्थ है। कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि अपनी जिम्मेदारियां को पूरा करते हुए कठिनाइयों का सामना करते हुए कुछ वक्त अपने लिए आवश्यक निकालना चाहिए और उन स्थलों पर आवश्यक घूमना चाहिए जहां पर आप जाने का सपना देखते हैं।
3-विश्व पर्यटन दिवस : बंधी नियमित जिंदगी
बंधी नियमित जिंदगी से होती है सबको घुटन
इससे मन बहलाव के हित जरूरी है पर्यटन।
तेज गति के वाहनों से सुलभ अब आवागमन
घूमने जाने का इससे बड़ा दिखता है चलन।
शिक्षा ने भी बढ़ाया है परिभ्रमण का हौसला
इससे बढ़ता जा रहा है टूरिज्म का सिलसिला।
देश और विदेश में कई अनोखे स्थान है
जहां जाने देखने का मन में आता ध्यान है।
ऐसे स्थल धार्मिक है प्राकृतिक या कलात्मक
और कई है ऐतिहासिक औद्योगिक या सृजनात्मक।
पर्यटन सुविधाओं के भी हैं वहां साधन कई
और होती जा रही है आए दिन सुविधा नई।
स्थानीय लोगों को मिल जाते हैं सहज रोजगार भी इससे नए-नए केदो को है रच रही सरकार भी।
अलौकिक सुख शांति भी बिखरी वहां परिवेश में खोजे गए हैं स्थल ऐसे देश और विदेश में।
नदी निर्झर झील वन मोहन प्रकृति शोभा सुखद अलौकिक सुख शांति है बिखरी जहां आनंदप्रद।
घोलती मधुरस जहां पर मन में नित प्रकृति छटा
बातें करती मोन सबसे प्राकृतिक झिलमिल सर्वदा।
कान्हा रणथंबोर कॉर्बेट एलोरा ओ अजंता
बुलाते हैं मोन सबको मिलने नालंदा गया।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि जिम्मेदारियां को पूरा करते-करते नियमित रूप से कभी-कभी घुटन होने लगती है इसलिए जिंदगी में बाहर घूमना फिरना भी जरूरी है। ज्यादातर लोग बाहर घूमने फिरने के लिए अपने वाहनों से जाना पसंद करते हैं क्योंकि बहुत सारे लोगों को बीच में रुकते रख आते और इंजॉय करते हुए जाना पसंद होता है। शिक्षा की ओर प्रगति भी मुख्य कारण है क्योंकि इससे हमारे देश में टूरिज्म को बढ़ावा मिला है।
केवल हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत सारे ऐसे स्थान हैं जहां पर जाने का सपना हर कोई देखता है लेकिन अपने सपनों को हकीकत करना भी बहुत जरूरी है। कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि हमारे भारत में बहुत सारे स्थल ऐतिहासिक अलौकिक एवं सर्जनात्मक आदि। हमारे देश का गौरव बढ़ता है जब बाहर के निवासी हमारे देश में घूमने आते हैं और यहां से यादों की सौगात लेकर जाते हैं।
हम उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको हमारा आज का यह आर्टिकल अवश्य ही पसंद आया होगा और आपको यह भी जानकारी विस्तार पूर्वक मिल गई होगी कि विश्व पर्यटन दिवस क्यों और किस उद्देश्य से मनाया जाता है। आगे भी हम आपके लिए इसी तरह आर्टिकल्स लिखते रहेंगे और आप हमेशा की तरह अपना प्यार और सपोर्ट बनाए रखें।