विश्व नदी दिवस कविता : हेलो दोस्तों जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं की नदियों का हमारे जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्व है। नदियों की रक्षा और उन्हें प्रदूषण से बचाए जाने के उद्देश्य से वर्ष 2005 में विश्व नदी दिवस मनाए जाने की शुरुआत की गई थी। जिसके बाद से सितंबर महीने के चौथे रविवार को विश्व नदी दिवस के साथ मनाया जाता है। इस बार विश्व नदी दिवस 27 सितंबर को मनाया जाएगा। लोगो में नदियों के प्रति जागरूकता उद्देश्य से ही विश्व नदी दिवस मनाया जाता है।
जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि बढ़ते समय के साथ-साथ नदियों पर लोग कितने गंदे की करते हैं और कुछ धार्मिक लोग खास मौके पर के किनारे पूजा करने भी जाते हैं उसी के प्रति नदियों के जल को सुरक्षित और साफ रखने के लिए लोगों में जागरूकता का भाव पैदा करना बहुत आवश्यक है। यदि आप भी विश्व नदी दिवस के बारे में जानना चाहते हैं और उसे जुड़ी कविताओं को पढ़ना चाहते हैं और लोगों को विश्व नदी दिवस के प्रति जागरूक करना चाहते हैं तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पड़े।
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1-विश्व नदी दिवस : प्यार करती है एक नदी (लेखक – केदारनाथ जी )
सच्चाई यह है
कि तुम कहीं भी रहो
तुम्हें वर्ष के सबसे कठिन दिनों में भी
प्यार करती है एक नदी
नदी जो इस समय नहीं है
इस घर में,
पर होगी जरूर कहीं न कहीं
किसी चटाई या फूलदान के नीचे
चुपचाप बहती हुई।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक केदारनाथ जी द्वारा कहा जा रहा है कि हम जीवन के इस दौर में कभी भी कहीं भी चले जाएं लेकिन नदी कभी हमारा साथ नहीं छोड़ती। जीवन के संघर्ष में कितना ही मुश्किल समय क्यों ना आ जाए लेकिन एक नदियां ही है जो हमें आगे बढ़ना सिखाते हैं और हमारा साथ देना नहीं छोड़ती।
2- जब सारा शहर सो जाए (लेखक – केदारनाथ जी )
कभी सुनना
जब सारा शहर सो जाए
तो किवाड़ों पर कान लगा
धीरे-धीरे सुनना
कहीं आसपास
एक मादा घड़ियाल की कराह की तरह
सुनाई देगी नदी।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक केदारनाथ जी बताया जा रहा है कि क्या कभी आपने रात में सारा शहर सो जाने के बाद अपनी खिड़की से कान लगाकर नदियों का शोर सुना है। यदि आपके आसपास पवित्र नदी की धारा बहती है तो कभी सन्नाटे में उसे नदी के शोर को सुनने की कोशिश करना बहुत ही विपरीत अनुभव होगा आपके लिए।
3-विश्व नदी दिवस : नदियों के किनारे
नदियों के किनारे बैठकर
मन को शांति और सुकून मिलता है।
जैसे नदी इंसान के अंदर से
उसके दुखो को निकालकर निरंतर
बहती रहती है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक कहां जा रहा है कि जब कभी शांति और सुकून की भावना मन में आती है तो नदियों के किनारे बैठ कर देखना। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि नदी किनारे बैठने से मनुष्य के अंदर का सब कुछ अपने तेज धारा में बहाकर ले जाती है। इस कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि जब नदियां हमें सुकून और शांति देती है तो क्यों ना हम भी नदियों को प्रदूषण रहित करने के लिए लोगों को जागरूक करें।
4- नदिया गाती सुंदर गाना (लेखक प्रीतम कुमार साहू)
नदिया गाती सुंदर गाना
क्यों ना हम उनसे यह सीखें
कल कल करती गीत सुनाती
दिन रात हरदम वो गाती।
जात पात का धर्म मिटाकर
सब जीवों की प्यास बुझाती
बूंद बारिश का लेकर
नदिया से सागर बनाती।
निर्मल शीतल जलधारण कर
शीतलता का पाठ पढ़ाती
चट्टानों से हरदम लड़ती
अपनी राह खुद बनाती।
कभी न रुकती कभी ना थकती
अपनी राह खुद है बनती।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक प्रीतम कुमार साहू जी द्वारा बताया जा रहा है कि नदिया हमें जीवन में आगे बढ़ाने के लिए बहुत कुछ सीखते हैं तो हमें भी नदियों के प्रदूषण और श्रद्धा की और जागरूक होना होगा। जिस तरह बिना रुके बिना थके चट्टानों से लड़ती हुई नदियां अपनी राह बनती हैं उसी प्रकार हमें भी अपनी राहों को सफलतापूर्वक पर करना है और अपनी मंजिल को भी पाना है। नदियों का निर्मल और शीतल जल को शुद्ध रखने के लिए हमें प्रतिवर्ष विश्व नदी दिवस धूमधाम से मनाना चाहिए और लोगों को भी जागरूक करना चाहिए।
5-विश्व नदी दिवस : बहती नदिया
ब़हती बहती नदी हैं आती
ऊचे पर्वत से राह ब़नाती
अपनें मीठे पानी से यह
सब जीवो की प्यास बुझ़ाती
हसती ख़ेलती अपनी मौज़ मे
सब को पानी से ज़ीवन देती
कभीं न रुक़ना कभी ना थक़ना
ज़न ज़न को है यह सिख़लाती
ख़ूब जोर से ख़ूब शोर से
कभीं मद्धम कभीं पूर ज़ोर से
अविरत ब़हती मिलनें साग़र से
जीवन को अपने सार्थक़ करती
नदी हैं चंचल और प्रतिबद्ध
ज़ीवन कर्म से यह उपक़ार हैं करती
हैं नमन तुमक़ो नदी हमारा
जो विशाल मन से सब़ अर्पण क़रती
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि ऊंचे पर्वत से रह बनाती हुई नदियां पेड़ पौधे और पशु पक्षियों को अपने स्वच्छ जल से उनकी प्यास बुझती हैं। नदिया हमारे जीवन का मूल कर है क्योंकि नदियों के जल के कारण ही हमारा जीवन चलता है अब चाहे वह खेती बाड़ी हो या फिर जिंदगी जीना हो। कवि द्वारा बताया जा रहा है कि जिस प्रकार नदियां अपने जल से हमें जिंदगी के साथ-साथ हमारी प्यास बुझती हैं इस जल को स्वच्छ और साफ रखने के लिए हमें सितंबर महीने के आखिरी हफ्ते में यानी के 27 सितंबर को विश्व नदी दिवस अवश्य ही मनाना चाहिए और लोगों को भी नदियों के प्रति प्रदूषण रहित रखने के लिए जागरूक करना चाहिए।
हम उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको नदी दिवस से संबंधित जानकारी प्रदान करने से अवश्य ही आप में भी नदियों के प्रति जागरूक होने की भावना पैदा हुई होगी। हमारे द्वारा आर्टिकल में दी गई जानकारी के बाद हम सभी को एक प्रण लेना चाहिए 27 सितंबर को हमें भी विश्व नदी दिवस हर्ष और उल्लास के साथ मनाना चाहिए और लोगों को साफ जल और प्रदूषण से नदियों को बचाने के लिए जागरूक करना चाहिए।हम आगे भी हम आपको इसी तरह महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते रहेंगे और आप हमेशा की तरह अपना प्यार और सपोर्ट बनाए रखें।