राष्ट्रीय एकता दिवस: एकता में यदि अनेकता देखनी हो तो हमारे भारत देश में देखनी चाहिए। आज भी हमारे देश में एक बहुत पुरानी सोच लोग लेकर चलते हैं कि कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ाना है। सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन के अवसर पर प्रतिवर्ष 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस एकता दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य देश को एकजुट कर उसका विकास एवं लोगों को एक साथ करने के विचारों से रूबरू कराना है।
दोस्तों आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से राष्ट्रीय एकता दिवस से संबंधित जानकारी विस्तार पूर्वक बताने वाले हैं और राष्ट्रीय एकता पर कुछ महान कवियों ने ऐसी कविताएं लिखी हैं जिन्हें पढ़कर आपको अवश्य ही एहसास होगा कि हमें भी राष्ट्रीय एकता दिवस के प्रति जागरूक होना चाहिए और धूमधाम से मनाना चाहिए। यदि आप भी राष्ट्रीय एकता दिवस पर लिखी इन कविताओं को पढ़ना और सुनना चाहते हैं तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।
1-राष्ट्र की एकता ही है उसका आभार
राष्ट्र की एकता ही हैं उसका आधार
न थोपों उस पर सांप्रदायिक विचार।
क्यूँ करते हो भेद ईश्वर के बन्दों में
हर मज़हब सिखाता हैं प्रेम बाँटो सब में।
क्यूँ करते हो वैचारिक लड़ाई
बनता हैं यह भारत माँ के लिए दुखदाई।
एक भूमि का टुकड़ा नहीं हैं मेरा देश
मेरी माँ का हैं यह सुंदर परिवेश।
इसके उद्धार में ही हैं अलौकिक प्रकाश
सबके साथ में ही हैं सबका विकास।
एकता ही हैं अंत दुखों का
एकता में ही हैं कल्याण अपनों का।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि राष्ट्र की एकता ही उसका आधार है और हमें लोगों पर अपने विचार नहीं थोपने चाहिए। देश के हर एक निवासी को चाहिए कि सबको मजहब में ना बाटे बल्कि एकजुट होकर सब एक समान हक के साथ एक दूसरे को प्रेम बांटे। आपस में लड़ता हुआ देखकर हमारी धरती मां और भगवान दोनों के लिए ही दुखदाई है और कोई तीसरा इसी लड़ाई का फायदा उठा कर देश को तोड़ने में कामयाब हो जाता है।
लोगों के लिए महज़ यह जमीन का टुकड़ा है लेकिन हम भारतीयों को पता है कि भारत को अपना देश बनाने के लिए हमने कितने बलिदान दिए हैं और किसी जद्दोजेहद से इसे अंग्रेजों के हाथों आजाद कराया है। एक बहुत ही प्रसिद्ध नारा है सबका साथ सबका विकास। कविता से हमें यही सीख मिलती है कि देश को आगे बढ़ाना है और उन्नति करनी है तो हम सबको एकजुट होकर कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ना होगा।
2- राष्ट्रीय एकता है ऐसी भावना
राष्ट्रीय एकता है ऐसी भावना
जो लोगों में पैदा करती है सदभावना।
हमारा भारत देश है राष्ट्रीय एकता की
जीती जागती मिशाल
मेरा भारत है धर्मों का देश
फिर भी पिरोया हुआ राष्ट्रीय एकता
के सूत्र में यह देश
मेरे देश भारत की शक्ति है
इसकी राष्ट्रीय एकता की पहचान
जब भी मेरे देश की एकता है टूटी
तभी वहां के लोगों की किस्मत है फूटी।
अखंडता और शांति को बनाये रखना है जरूरी है
इसीलिए देश के लोगो में राष्ट्रीय एकता है बहुत जरूरी है।
आईये सभी मिलकर एकता के सूत्र में बंध जाएं
गीले सिक्वे भुलाकर एक दूसरे के गले लग जाएं।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय एकता एक ऐसी भावना है जो लोगों के दिलों में एहसास और सद्भावना पैदा करती है। हमारा भारत देश अन्य मुल्कों के मुकाबले एकता की मिसाल पहले ही कायम कर चुका है और आज भी एकता के मामले में सबसे आगे है। हमारे भारत में आपको कई तरह के अलग-अलग मजहब एक माला की तरह पिरोए हुए मिलेंगे। जहां कोई किसी से बहुत या मेल नहीं रखता बल्कि सब साथ रहने पर विश्वास करते हैं। और जब-जब कुछ गद्दारों के हाथों हमारे देश की एकता टूटी है तब तक भारत ने कोई ना कोई नुकसान अवश्य उठाया। कविता से हमें यह सीख मिलती है कि यदि भारत में अखंडता और शांति रखती है तो हमें एक दूसरे का साथ देना होगा और कोई भी अफवाह पर ध्यान नहीं देना है क्योंकि कई बार कुछ गलत खबरें भाई-भाई को लाडवा देती है।
3-राष्ट्रीय एकता दिवस: भारत माता की बगिया में
भारत माता की बगिया में,
नये नये फिर फूल खिलायें।
मधुर सुगंध बहा कर इनकी,
सारा जग फिर से महकायें।
अपने घर के सारे झगड़े,
आपस में मिल कर सुलझायें।
शक्ति एकता में कितनी है,
यह रहस्य सबको समझायें।
सत्य न्याय के पाठ पर चलना,
निज जीवन आदर्श बनायें।
जीवन संघर्षों से लड़ना,
जन जन को फिर से सिखलायें।
ज्ञानदीप की ज्योति जला कर,
एक नया विश्वास जगायें।
मानव में फिर मानवता भर,
मानव को आदर्श बनायें।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
सब भाई भाई बन जायें।
अपने अपने भेद भूला कर,
आओ मिल कर देश बनायें।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि हमारा देश एक बगिया की तरह है जिसमें रंग-बिरंगे फूल हमेशा खिलते हुए नजर आते हैं। इन खुशबू की महक से हमारा देश सुगंधित हो जाता है और लोगों में प्रेम की भावना जागृत हो जाती। भारत के लोगों में कोई मतभेद चल भी रहा है तो बेहतर यही है कि उसे आमने-सामने बैठकर बिना किसी तीसरे को ले सुलझाया जाए क्योंकि एकता में कितनी ताकत है इस रहस्य को हर भारतवासी को समझना बेहद जरूरी है।
अपने ज्ञान की ज्योति जलाकर पूरी दुनिया को महकने के काबिलियत बहुत कम लोगों में होती है लेकिन यदि आप देश के लिए एक कदम बढ़ाते हैं तो 10 कम और आपके साथ बढ़ने को तैयार हो जाते हैं। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि मजहब चाहे कोई भी हो हम सबको एक दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए और कंधे से कंधा मिलाकर हर परिस्थिति और चुनौतियों का सामना मिलकर करना चाहिए।
4- देखता हूं जब भी कभी मैं इन खिलती हुई बहारो को
देखता हूं जब भी कभी में इन खिलती हुई बहारों को
याद आ जाते हैं वो सपने में स्वर्ग के सभी नज़ारे।
मेरा देश है बड़ा विशाल इसमें तो हैं सभी ही सितारे
हैं कहीं विशाल पर्वत तो कहीं हैं नदियां नालें।
यहां वसतें हैं ऐसे जवान गाती है दुनिया जिनके गुणगान
है नहीं किसी की हिम्मत जो कर सकें उनका अपमान।
यहां है भाषा अलग अलग और पहनावा है अलग अलग
फिर भी अपने देश के प्रति उठती है उनमें उमंग।
कितना विशाल है मेरा देश यह देखकर होता है मुझे मान
मेरी सदा यही है कामना वसदा रहे मेरा देश भारत महान।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि जब भी देश की खिलती हुई बहारों को कोई भारत का निवासी देखता है तो इस अद्भुत दृश्य को देखकर स्वर्ग का नजारा आंखों के सामने आ जाता है। हमारा भारत में जिस तरह अलग-अलग मजहब के लोग रहते हैं इस तरह कई प्राकृतिक सौंदर्य से मिलकर बना है कहीं विशाल पर्वत तो कहीं बहती नदियां, तो कहीं ठंडी हवा के साथ बहता आदि। हमारे देश का अपमान करने की हिम्मत किसी में नहीं क्योंकि हम ईट का जवाब पत्थर से देने की काबिलियत रखते हैं। अलग-अलग मजहब होने के कारण सबकी वेशभूषा और रहन सहन अलग है लेकिन जब बात देश की आती है तो सब एकजुट होकर खड़े हो जाते हैं। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि जहां एक अकेला इंसान लड़ने की ताकत नहीं रख सकता वैसे ही आपकी एकता को तोड़ने की ताकत कोई नहीं रख सकता।
5-इस राष्ट्र की एकता को हमेशा बनाए रखें
राष्ट्र की एकता को हमेशा बनाए रखें
दिल में इस जज्बे को हमेशा जगाए रखें।
एकता के परिवेश में जब वह रूप हमने पाया अपना भारत देश ही सोने की चिड़िया कहलाया। भारत माता के सपूतों क्यों एक दूसरे पर वार करते हो
क्यों देश की अखंडता को तार तार करते हो।
राष्ट्र के महापुरुषों ने एकता का प्रचार किया था सांप्रदायिक विचार का बहिष्कार किया था।
सब में प्रेम बाटना हीं अपनी पहचान होनी चाहिए इसी धारणा की सभी के मन में ऊंची आवाज होनी चाहिए।
ईश्वर के बच्चों में भेद मत होने दीजिए
हर मजहब एक दिखे सिख सबको दीजिए।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि अपने दिल में इस जज्बे को जगाए रखे की हमारे भारत देश की एकता कभी भी टूटने नहीं चाहिए। एकता के परिवेश में जब भारत में इस रूप को देखा तो हमारा भारत देश ही सोने की चिड़िया हालांकि अंग्रेजों ने बहुत कोशिश की इस सोने की चिड़िया के पैर काटने की लेकिन इस चिड़िया को अपने पंखों पर इतना भरोसा था कि खुद भी उड़ी और अंग्रेजों को भी मार भगाया।
हमारे भारत देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो देश के साथ गद्दारी कर देश के ही सपूतों को आपस में लड़वाते हैं और देश की अखंडता को तार तार करते हैं ऐसे में हमें किसी भी दुश्मन की चाल को कामयाब नहीं होने देना चाहिए। कविता के माध्यम से हमें सीख मिलती है कि हमारे देश की परंपरा लोगों में केवल प्रेम बांटना और एकता को बनाए रखना है और हमें प्रयास करने चाहिए कि हम ऐसे ही देश को प्यार बांटे और एकता बनाए रखें।
Consolution
हम आशा करते हैं दोस्तों की आपको हमारा आज का राष्ट्रीय एकता दिवस पर लिखी गई कविताएं अवश्य ही पसंद आई होगी। आगे भी आप हमारे द्वारा लिखे गए आर्टिकल्स को शेयर करते रहे। हम आपके लिए ऐसे ही लेख लिखते रहेंगे और आप हमेशा की तरह अपना प्रेम और सपोर्ट हमें देते रहे।