बापू पर हिंदी कविता : मोहनदास करमचंद गांधी जी ने हम महात्मा गांधी बापू आदि नाम से पुकारते हैं। सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले पुजारी बापू जिन्होंने देश को आजाद कराने की जिम्मेदारी का भार अपने कंधों पर उठाया और आजाद भी कराया। महात्मा गांधी के बारे में हम जितने भी व्याख्या करें बहुत कम होगी क्योंकि आज हम आजाद देश में रहते हैं और यह तोहफा हमें बापू द्वारा छेड़ी गई जंग के ही कारण मिला है।
महात्मा गांधी हमेशा सदा खान और शादी वेशभूषा में रहते थे। सत्य और अहिंसा उनके दो महत्वपूर्ण शास्त्र थे जिनपर वे हमेशा चले और लोगों को भी चलने की सीख देते थे। देश को आजाद करने के लिए बापू कई बार जेल गए। बहुत सारे आंदोलन किया और अनशन पर भी बैठे। आज उन्हीं के कारण हमारे देश का विकास प्रगति पर हो पाया है वरना अगर देश आजाद ही नहीं हुआ होता तो भारत का क्या हाल होता? अंग्रेजों को धूल हटाकर भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया बापू ने उनके इस बलिदान के कारण ही बापू देश का इतिहास ही नहीं बल्कि बच्चे बच्चे के दिल में बसते हैं। हमारे साथ आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।
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बापू पर हिंदी कविता
चलिए दोस्तों आज हम आपको महात्मा गांधी जी पर लिखी गई कुछ कविताओं के बारे में विस्तार पूर्वक बताना चाहेंगे यदि आप भी इन कविताओं को पढ़ना चाहते हैं तो हमारे साथ आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।
1-बापू पर हिंदी कविता : गांधी के चित्र को देखकर (लेखक केदारनाथ अग्रवाल)
दुख से दूर पहुंचकर गांधी।
सुख से मौन खड़े हो
मरते-खपते इंसानों के
इस भारत में तुम्हीं बड़े हो
जीकर जीवन को अब जीना
नहीं सुलभ है हमको
मरकर जीवन को फिर जीना
सहज सुलभ है तुमको।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक केदारनाथ अग्रवाल जी द्वारा बताया जा रहा है कि हम नोट में छपी गांधी जी की तस्वीर को देखते हैं तो हमारे मन में केवल एक ही ख्याल आता था कि भारत को एक आजाद भारत बनाने में केवल बापू ही आगे बड़े थे। आज वह मोन होकर नोट पर छपी तस्वीर में हमें बहुत कुछ बहुत कुछ सिखा देते हैं। उनकी तस्वीर को देखकर उनके बलिदानों को याद करते हुए हम भी उन्हीं की तरह अहिंसा और सत्य के रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिलती है। इस कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि गांधीजी मरकर भी लोगों के दिलों में आज भी जिंदा है बच्चा बच्चा उन्हें बापू कहकर अपने दिलों में रखता है और आज का आम आदमी जिंदा होने के बाद भी मरा हुआ है।
2- बापू (लेखक रामधारी सिंह ‘दिनकर’)
जो कुछ था देय, दिया तुमने, सब लेकर भी
हम हाथ पसारे हुए खड़े हैं आशा में;
लेकिन, छींटों के आगे जीभ नहीं खुलती,
बेबसी बोलती है आँसू की भाषा में।
वसुधा को सागर से निकाल बाहर लाये,
किरणों का बन्धन काट उन्हें उन्मुक्त किया,
आँसुओं-पसीनों से न आग जब बुझ पायी,
बापू! तुमने आखिर को अपना रक्त दिया।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा बताया जा रहा है कि इसे जितना हो सकता था उन्होंने हमें दिया लेकिन फिर भी आज भी हम वही हाथ फैला कर लोगों के सामने खड़े हुए हैं। कई बार लोगों के सामने हमारी जुबान नहीं खोल हमारे आंसुओं की भाषा ही हमारी बेबसी को झलक देती है लेकिन हमें अपनी इस बेबसी से बाहर आना होगा अपने आंसुओं का सागर को बहा कर बंधनों से मुक्त होकर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।
कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि आजादी की लड़ाई में लगी आग जब बापू के आंसुओं और पसीने से ना बुझी तो वह अपने रक्त बहा ने से भी पीछे नहीं हटे। इस कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि यदि आपको जीवन में किसी भी संघर्ष पर विजय पानी है तो आप परिस्थितियों का सामना डटकर करें चाहे सामने कोई भी हो।
3-बापू पर हिंदी कविता : बापू देख तेरा हिन्दुस्तान (लेखक लोकेश इंदौरा)
बापू देख तेरा हिन्दुस्तान
याद रखे तेरी पहचान
नोटों में है तेरी फोटो
वोटो में है तेरा नाम। बच्चे जपते सुबह शाम
नेता भी निकाले काम
सारा देश करे प्रणाम
छिपा तुझ में हिन्दुस्तान आजादी तूने दिलाई
अंग्रेजों को धुल चटाई
ना बम फोड़ा बन्दूक चलाई
अंग्रेजी हुकूमत की हुई विदाई। तु भारत की गौरव गाथा
तु भारत का है अभिमान
बन भारत का भाग्य विधाता
बना स्वतंत्रता की तु पहचान
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि आज भी हिंदुस्तान में लोग बापू को याद करते हैं और नोटों में बापू की फोटो है और जब नेता वोट मांगने जाते हैं तब भी बापू के नाम पर वादे करके अपनी सरकार खड़ी कर लेते हैं। बापू के नाम से नेता भी अपने काम निकलते हैं, लेकिन बच्चे तो कोमल मन के होते हैं वह तो प्रेम की भावना से बापू को याद करते हैं। बापू के नाम में पूरा हिंदुस्तान छिपा हुआ है ।
उनके दिए हुए बलिदानों को हमेशा पूरा हिंदुस्तान का बच्चा-बच्चा याद रखेगा। गांधी जी ने ना बम ना बम से, ना गोली से आजादी की लड़ाई को जीता बल्कि उन्होंने सत्य और अहिंसा जैसे शास्त्र से आजादी की लड़ाई में विजय प्राप्त की और अंग्रेजों को धूल चटाई। स्वतंत्रता की पहचान बापू से है भारत का भाग्य विधाता हमारे परम पूज्य महात्मा गांधी हैं। इस कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि बापू के बलिदानों और त्याग को जितना भी प्रशंसा की वह कम ही होगी।
4- लेकर बापू तेरा नाम (लेखक लोकेश इंदौरा)
लेकर गाँधी तेरा नाम
चला रहे नेता दूकान। कोई कहे मैं सत्य पुजारी
कोई बोले मैं अहिंसाधारी। करके हर वक्त तुझे प्रणाम
करे मर्यादा का राम नाम। मुंह में है राम राम छाया
अंदर दबाये लूट की माया। ओढ़ कर तेरे गुणों की खाल
असल में रखे रावण सा हाल। देख इनका गाँधी इमोशन
जनता करवा रही ही शोषण। वादों का देकर ये भोजन
कर रहे हैं खुद का पोषण। गाँधी बस कर रहे तुझे बदनाम
मार अहिंसा की लाठी दे ईनाम।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक लोकेश इंदौर जी द्वारा बताया जा रहा है कि बापू के नाम पर कई भ्रष्ट नेता अपनी सरकार कुछ इस तरह चलाते हैं कि कोई कहता है कि हम अहिंसावादी हैं, तो कोई कहता है हम सत्य के पुजारी हैं। हर वक्त मर्यादा के नाम पर राम और बापू को बदनाम करना इन लोगों का जैसे धंधा बन चुका है। कुछ लोग राम का चोगा पहनकर जैसा हाल रखते हैं और गांधी को बदनाम कर अहिंसा के नाम पर गरीबों को लूट रहे हैं।
5- संत हमारा गांधी (लेखक सागर निजामी)
कैसा संत हमारा
गांधी
कैसा संत हमारा।
दुनिया गो थी दुश्मन उसकी दुश्मन था जग सारा
आख़िर में जब देखा साधो वह जीता जग हारा।
कैसा संत हमारा
गांधी
कैसा संत हमारा।
सच्चाई के नूर से उस के मन में था उजियारा
बातिन में शक्ती ही शक्ती ज़ाहर में बेचारा।
कैसा संत हमारा
गांधी
कैसा संत हमारा।
बूढ़ा था या नए जनम में बंसी का मतवारा
मोहन नाम सही था पर साधो रूप वही था सारा।
कैसा संत हमारा
गांधी
कैसा संत हमारा।
भारत के आकाश पे वो है एक चमकता तारा
सचमुच ज्ञानी, सचमुच मोहन सचमुच प्यारा-प्यारा।
कैसा संत हमारा
गांधी
कैसा संत हमारा।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक सागर निजामी की द्वारा कहा जा रहा है कि हमारा कैसा संत था गांधी जिनका दुश्मन सारा जग था लेकिन उन्होंने देश को आजाद करने के खातिर अपने प्राणों की परवाह नहीं की उन्होंने सबका भला किया यह थे हमारे संत गांधीजी। गांधी जी आकाश का वह चमकता सितारा था जिन्होंने अपने नरम स्वभाव और साधारण वेशभूषा और सत्य और अहिंसा इन दो हथियारों से पूरे देश को न केवल आजाद कराया बल्कि अंग्रेजों को भी भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
कविता से हमें यह सीख मिलती है कि आपके पहनते या स्टेटस से कोई फर्क नहीं पड़ता फर्क पड़ता है तो इस बात से की आप में कितनी काबिलियत है अपनी मंजिल को पाने के लिए। कि जिन लोगों में हुनर होता है वह झोपड़पट्टी से भी महल तक पहुंच सकते हैं लेकिन यदि आपने किसी चीज को पाने के काबिलियत ही नहीं है तो आप महलों के राजा भी होंगे तो फकीर बनने में देर नहीं लगेगी।
6- गांधी जयंती
2 अक्टूबर खास बहुत है इसमें है इतिहास छिपा,
इस दिन गाँधी जी जन्मे थे दिया उन्होंने ज्ञान नया।
सत्य अहिंसा को अपनाओ इनसे होती सदा भलाई,
इनके दम पर गाँधी जी ने अंग्रेजों की फौज भगाई।
इस दिन लाल बहादुर जी भी इस दुनिया में आये थे,
ईमानदार और सबके प्यारे कहलाये थे।
नहीं भुला सकते इस दिन को ये दिन तो है बहुत महान,
इसमें भारत का गौरव है इसमें तिरंगे की शान हैं।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक जरा बताया जा रहा है कि 2 अक्टूबर हर भारतवासी के लिए बहुत खास दिन है और इसमें बहुत गहरा और बलिदानों से भारत इतिहास छुपा हुआ है। इस दिन गांधी जी हमारे जीवन में एक रोशनी की किरण लेकर आए थे और उन्होंने हमारे देश को आजाद कराकर अपना भारतीय होने का सबूत दिया बल्कि हमारे दिलों में भी हमेशा के लिए बस गए।
गांधी जी का कहना था कि सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने वाला मनुष्य हमेशा दूसरों की भलाई ही करेगा और ऐसे करने वाले लोग कभी अपने भविष्य में ठोकर नहीं खाते। ऐसे 2 हथियारों के बल पर ही गांधी जी ने अंग्रेजों की फौज भारत से भगा दी तो सोचिए यदि ऐसे तो हथियार के बल पर आप क्या कुछ नहीं कर सकते। बहुत ही बोल और ईमानदार व्यक्ति थे और इसीलिए आज भी बच्चे बच्चे के दिलों में राज करते हैं।
7- गांधी के चेहरे पर मुस्कान
आँखों पर चश्मा हाथ में लाठी और चेहरे पर मुस्कान,
दिल में था उनके हिंदुस्तान।
अहिंसा उनका हथियार था,
अंग्रेजों पर भारी जिसका वार था।
जात-पात को भुला कर वो जीना सिखाते थे,
सादा हो जीवन और अच्छे हो विचार।
बड़ो को दो सम्मान और छोटो को प्यार,
बापू यही सबको बताते थे,
लोगों के मन से अंधकार मिटाते थे।
स्वच्छता पर वे देते थे जोर,
माँ भारतीय से जुड़ी थी उनकी दिल को डोर।
ऐसी शख्सियत को हम कभी भूला ना पाएंगें,
उनके विचारों को हम सदा अपनायेंगे।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि गांधी की आंखों पर चश्मा लगाते थे और चेहरे पर मुस्कान लिए अपने दिल में हिंदुस्तान के लिए प्रेम लेकर जब लोगों के सामने आते थे तो लोग भी उनका साथ देने को मजबूर हो जाते थे। गांधीजी जात-पात और छुआछूत जैसी बातों पर विश्वास नहीं करते थे बल्कि उनका सोचा था कि सब एक हैं उनका केवल एक ही नारा था कि देश से अंधकार मिटाना है और देश को स्वच्छ बनाना है।
उनके दिल की डोर भारत मां से जुड़ी हुई थी और उनके विचार यही थे कि भारत मां को कभी झुकने नहीं देंगे भले ही अपने प्राण चले जाएं। आज के समय में लोग अपनों के लिए इतना नहीं करते लेकिन गांधी जी के साथ-साथ अन्य और महान बहादुरों ने देश के लिए खुशी-खुशी अपने प्राणों का त्याग किया और देश को भी आजाद कराया। पिता से हमें यह सीख मिलती है कि हमें भी गांधी जी की तरह केवल अपनों के लिए ही नहीं बल्कि देश के लिए भी कुछ ऐसे कदम बढ़ाने चाहिए जहां देश का गौरव मान सम्मान और भी ज्यादा बड़े।
हम उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको आज की हमारी महात्मा गांधी पर आधारित कविताएं अवश्य ही पसंद आए होगी। आगे भी हम आपके लिए इसी तरह महत्वपूर्ण जानकारी संबंधित लेख लिखते रहेंगे और आप हमेशा की तरह अपना प्यार और सपोर्ट बनाए।