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नागार्जुन की कविता : Checkout Latest Poem By Nagarjuna

Posted on September 19, 2023October 10, 2023 by ANDREW

नागार्जुन : नागार्जुन नाम सुनकर आपके मन में भी साउथ सुपरस्टार की याद आई होगी लेकिन यहां हम उसे सुपरस्टार की नहीं बल्कि लेखक नागार्जुन की बात कर रहे हैं जिन्होंने अपनी कविताओं से लोगों के मन को मोह लिया था। लेखक नागार्जुन का असली नाम वेघनाथ मिश्र था। इस मशहूर लेखक का जन्म बिहार के दरभंगा में सतलखा गांव में 30 जून 1911 को हुआ था। लेखक नागार्जुन ने अपने समय में बहुत सारा ज्यादा उतार-चढ़ाव देखे। इनकी कविताओं में हमें ज्यादातर साधारण लोगों की जिंदगी में गुजरने वाले हालातो का वर्णन देखने को मिलता है। तो चलिए फिर आज हम आपके लेखन वेघनाथ मिश्र द्वारा गई कविताओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं यदि आपको भी इनकी कविताएं अच्छी लगती है तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पड़े। 

Also Read : Kedarnath Agarwal poems 

Table of Contents

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  • 1-नागार्जुन : लाठी-गोली आबाद रहे
  • 2- अकाल और उसके बाद
  • 3-नागार्जुन : चमत्कार
  • 4- अभी-अभी हटी है
  • 5-नागार्जुन : करवटें लेंगे बूँदों के सपने
  • 6-नागार्जुन : भारतमाता
  • 7- तकली मेरे साथ रहेगी 
  • 8- गुलाबी चूड़ियां 

1-नागार्जुन : लाठी-गोली आबाद रहे

नागार्जुन

हमने सरकार बनाई है
सरकार चलेगी हम से ही।

लाठी-गोली आबाद रहे
तो बात बनेगी कम से ही।

इन मूँछों पर बिच्छू थिरकें
बंधुआ श्रमिकों के दम से ही।

बाकी बातों में क्या रक्खा
धरती फटती है बम से ही।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि जब हम किसी नेता को अपने देश को चलाने की सौगात देते हैं तो सही मायने में जब सरकार हम बना रहे हैं तो सरकार भी हमसे ही चलनी चाहिए। कविता का उद्देश्य केवल इतना है कि चुनाव के वक्त बड़े-बड़े वादे करने वाले भ्रष्ट नेता चुनाव जीतने के बाद गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं और कई बार दंगे फसाद में भी गुंडों का सहयोग करते हैं।

2- अकाल और उसके बाद

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त। 

दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि जब देश में भारी बारिश, बाढ़ और ओलावृति के कारण आकाल की नौबत आती है उसके बाद लोगों की क्या दशा होती है वह केवल वही इंसान जानता है जिस पर बीती है। कवि द्वारा बताया जा रहा है कि चावल ना पीसने के कारण चक्की उदास रहती है और खाना ना पकने के कारण चूल्हा भी रोता है। जब आकाल के बाद मुट्ठी भर अनाज घर के अंदर आता है तो घर के लोगों और पशु पक्षियों में जो चमक दिखाई देती है उसकी खुशी ही अलग होती है।

3-नागार्जुन : चमत्कार

नागार्जुन

पेट-पेट में आग लगी है, घर-घर में है फाका
यह भी भारी चमत्कार है, काँग्रेसी महिमा का।  

सूखी आँतों की ऐंठन का, हमने सुना धमाका
यह भी भारी चमत्कार है, काँग्रेसी महिमा का।  

महज विधानसभा तक सीमित है, जनतंत्री ख़ाका
यह भी भारी चमत्कार है, काँग्रेसी महिमा का।  

तीन रात में तेरह जगहों पर, पड़ता है डाका
यह भी भरी चमत्कार है, काँग्रेसी महिमा का

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि देश के चाहे जो भी हालत हो लेकिन कांग्रेस पार्टी में एक अलग ही छाप और भारी चमत्कार है। कवि द्वारा जहां हर घर में लोगों के पेट में आग लगी हुई है और घर-घर में फला है लेकिन फिर भी कांग्रेस सरकार चल रही है। लोगों के घरों में रातों-रात ढके पड़ जाते हैं लेकिन फिर भी कांग्रेस महिमा का यह भी भारी चमत्कार है। कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि देश की जनता के लिए कांग्रेस सरकार कुछ खास और सफल कार्य नहीं कर पाएंगे। जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं कि देश के नेता का परम कर्तव्य देश का विकास और जनता को तरक्की की ओर आगे बढ़ने का है।

4- अभी-अभी हटी है

अभी-अभी हटी है
मुसीबत के काले बादलों की छाया
अभी-अभी आ गयी–
रिझाने, दमित इच्छाओं की रंगीन माया
लगता है कि अभी-अभी
ज़रा-सी गफ़लत में होगा चौपट किया-कराया।  ठिकाने तलाश रही है चाटुकारों की भीड़
शंख फूँकने लगे नये-नये कुवलयापीड़
फिर से पहचान लो, वाद्यवृन्दों में पुरानी गमक और मीड़
दिखाई दे गये हैं गीध के शावकों को अपने नीड़।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि जिस तरह बारिश होने के बाद बादल साफ हो जाता है इस तरह कुछ समय की तकलीफ के बाद भी मुसीबत के काले बादलों की छाया हमारे सर से से हट जाती है। कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि जिस प्रकार गर्मी में बारिश राहत देती है उसी प्रकार मुसीबत का समय गुजर जाने के बाद अच्छा वक्त बारिश की तरह हम पर बरस पड़ता है और हमारा जीवन फूलों की खुशबू की तरह महकने लगता है। इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा समझाया जा रहा है कि कभी भी परिस्थितियों के आगे नहीं झुकना चाहिए बल्कि आगे बढ़कर उनको अच्छे वक्त में बदलने की कोशिश करते रहना चाहिए।

5-नागार्जुन : करवटें लेंगे बूँदों के सपने

नागार्जुन

अभी-अभी
कोहरा चीरकर चमकेगा सूरज
चमक उठेंगी ठूँठ की नंगी-भूरी डालें।      

अभी-अभी थिरकेगी पछिया बयार
झरने लग जायेंगे नीम के पीले पत्ते।

अभी-अभी  खिलखिलाकर हँस पड़ेगा कचनार
गुदगुदा उठेगा उसकी अगवानी में
अमलतास की टहनियों का पोर-पोर।

अभी-अभी
करवटें लेंगे बूँदों के सपने
फूलों के अन्दर
फलों-फलियों के अन्दर

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि जिस प्रकार सर्दी में कोहरा छठ कर धूप की किरणों की गर्माहट हमारे लिए लेकर आता है। उसी प्रकार हमारे सपने भी एक दिन अवश्य पूरे होंगे और एक दिन हमारे सपने पूरे होने के लिए करवट भी बदलेंगे। इस कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि जिस प्रकार एक फूल को अपनी खुशबू महकने के लिए वक्त लगता है उसी प्रकार एक व्यक्ति को अपना सपना पूरा करने के लिए भी वक्त लगता है लेकिन कभी भी उसे दौरान खुद को निराश और मायूस नहीं रखना चाहिए।

6-नागार्जुन : भारतमाता

जय जय जय हे भारत माता
नभनिवासिनी जलनिवासिनी
हरित भरित भूतल-निवासिनी
गिरि-मरू-पारावारवासिनी।
नील-निविड कांतार वासिनी
नगर वासिनी ग्रामवासिनी
अमल-धवल हिमधामवासिनी
जय जय जय हे भारतमाता।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा भारत माता की जय जयकार के नारे लगाए जा रहे हैं। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि हमारे भारत माता को बचाने के लिए कई शूरवीरों ने अपने रक्त को इस मिट्टी में मिला दिया। देश की झंडे की शान बढ़ाने के लिए हर परिस्थिति में जाकर भीड़ गए। देश की रक्षा करने के लिए कई नौजवान सर्दी, गर्मी और बारिश जैसी स्थिति में भी डटकर खड़े रहते हैं और देश की रक्षा करते हैं आतंकवादियों से।

7- तकली मेरे साथ रहेगी 

राजनीति के बारे में अब एक शब्द भी नहीं कहूँगा

तकली मेरे साथ रहेगी, मैं तकली के साथ रहूँगा।

नहीं ज़रूरत रही देश में सत्याग्रह की, अनुशासन है

सही राह पर हाकिम हैं तो भली जगह पर सिंहासन है।

संकट पहुँचा चरम बिंदु पर,एक वर्ष तक रहा मौन मैं

नहीं पता चलता था बिल्कुल, कौन आप हो और कौन मैं।

बहुत किया जब चिंतन मैंने, तकली का तब मिला सहारा

आओ भाई, छोड़-छाड़कर राजनीति की सूखी धारा।

सत्य रहेगा अंदर, ऊपर से सोने का ढक्कन होगा

चाँदी की तकली होगी, तो मुँह में असली मक्खन होगा।

करनी में गड़बड़ियाँ होंगी, कथनी में अनुशासन होगा

हाथों में बंदूक़ें होंगी, कंधों पर सिंहासन होगा।

तकली से तकलीफ़ मिटाओ, बाक़ी सब कुछ सहते जाओ

ख़ुद ही सब कुछ सुनते जाओ, ख़ुद ही सब कुछ कहते जाओ।

ठंड लगे तो गुदमा ओढ़ो, भूख लगे तो मक्खन खाओ

राजनीति का लफड़ा छोड़ो, बस, बाबा पर ध्यान जमाओ।

बीस सूत्र हैं, बस काफ़ी हैं, निकलें इनसे लाखों धागे

तुम आओगे पीछे-पीछे, मैं जाऊँगा आगे-आगे।

चीफ़ मिनिस्टर पैर छुएँगे, शीश नवाएँगे ऑफ़िसर

सवदय का जादू अबके नाचेगा शासन के सिर पर।

आध्यात्मिकता पर बोलूँगा, बोलूँगा विज्ञान तत्व पर

राजनीति का ज़िक्र करूँगा थोड़ा-थोड़ा ऊपर-ऊपर।

वही सुनूँगा याद रखूँगा जो मुझसे निर्मला कहेगी

लोगों से मिलने-जुलने का माध्यम मेरा वही रहेगी।

शांति, शांति, संपूर्ण शांति बस, मेरा एक यही नारा

अपना मठ, अपने जन प्रिय हैं मुझको प्रिय अपना इकतारा।

मुझको प्रिय है मैत्री अपनी, प्रिय है यह करुणा कल्याणी

अपने मौन मुझे प्यारे हैं, मुझको प्रिय है अपनी वाणी।

दुर्जन हैं जो हँसते होंगे, बाबा उन पर ध्यान न देता

बकवासों का अंत नहीं है, बाबा उन पर कान न देता।

बता नहीं पाऊँगा यह मैं, मौन मुझे कितना प्यारा है

बता नहीं पाऊँगा यह मैं कौन मुझे कितना प्यारा है।

आज वृद्ध हूँ, बचपन में था भोली माँ का भोला बालक

महा-मुखर था कभी, आज तो महा-मौन का हूँ संचालक।

सब मेरे, मैं भी हूँ सबका, मेरी मठिया सबका घर है

आप और हम सब नीचे हैं, सबके ऊपर परमेश्वर है।

राजनीति के बारे में अब एक शब्द भी नहीं कहूँगा

तकली मेरे साथ रहेगी, मैं तकली के साथ रहूँगा।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि वह राजनीति के बारे में एक शब्द भी नहीं कहना चाहते क्योंकि  उन्हें देश में सत्याग्रह की नहीं बल्कि अनुशासन की जरूरत है। देश में चल रहे संकट के कारण वह 1 वर्ष तक मून रहे और उन्हें नहीं समझ आया कि कौन क्या है? बहुत चिंता और सोचने के बाद उन्हें एक ऐसा सहारा मिले जिसे तकली कहते हैं। कवि द्वारा यह भी कहा जा रहा है की राजनीति को छोड़-छाड़ कर सुखी धारा को अपनाया और सत्य हमेशा हमारे अंदर रहेगा और कोई भी इस सत्य को नहीं बदल सकता।

हाथों में बंदूक लेकर हम अपने कंधों पर सिंहासन का भार उठा सकते है। इस कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि जिंदगी को सुकून से जीने के लिए राजनीति जैसे दलदल में फंसने से बेहतर है कि सदा जीवन दिया जाए और अपने कर्मों पर ध्यान दिया जाए। अगर सत्य कह तो राजनीति ऐसा दलदल है कि जिसमें कोई एक बार अगर धस गया तो वह धस्ता चला जाता है उससे बेहतर है कि अपने जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास किए जाए।

8- गुलाबी चूड़ियां 

प्राइवेट बस का ड्राइवर है तो क्या हुआ,

सात साल की बच्ची का पिता तो है।

सामने गियर से ऊपर, 

हुक से लटका रक्खी हैं

काँच की चार चूड़ियाँ गुलाबी

बस की रफ़्तार के मुताबिक़

हिलती रहती हैं…

झूककर मैंने पूछ लिया

खा गया मानो झटका

अधेड़ उम्र का मुच्छड़ रोबीला चेहरा

आहिस्ते से बोला  हाँ सा’ब

लाख कहता हूँ, नहीं मानती है मुनिया

टाँगे हुए है कई दिनों से

अपनी अमानत

यहाँ अब्बा की नज़रों के सामने

मैं भी सोचता हूँ

क्या बिगाड़ती हैं चूड़ियाँ

किस जुर्म पे हटा दूँ इनको यहाँ से?

और ड्राइवर ने एक नज़र मुझे देखा

और मैंने एक नज़र उसे देखा

छलक रहा था दूधिया वात्सल्य बड़ी-बड़ी आँखों में

तरलता हावी थी सीधे-सादे प्रश्न पर

और अब वे निगाहें फिर से हो गईं सड़क की ओर

और मैंने झुककर कहा—

हाँ भाई, मैं भी पिता हूँ

वो तो बस यूँ ही पूछ लिया आपसे

बर्ना ये किसको नहीं भाएँगी?

नन्हीं कलाइयों की गुलाबी चूड़ियाँ।

व्याख्या

इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि पिता चाहे अमीर हो या गरीब कोई बड़ा बिजनेसमैन हो या फिर एक बस का ड्राइवर ही क्यों ना हो अपनी नन्ही गुड़िया के सपनों को साकार करने की काबिलियत हर पिता रखता है। बस फर्क सिर्फ इतना है कि हर पिता अपनी जेब के हिसाब से अपनी बच्ची के सपनों को साकार करने की कोशिश करता है।

एक बस ड्राइवर अपनी छोटी सी गुड़िया के लिए गुलाबी चूड़ियां बस के हुक से लटका कर रखता है कि घर जाकर अपनी नन्ही गुड़िया की कलाई में यह गुलाबी चूड़ियां पहन लूंगा तो वह घर के आंगन में खिलखिला उठेगी। इस कविता के माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि बेटियां चाहे जैसी भी हो पिता के दिल पर एक ऐसी छाप छोड़ जाती हैं जो शायद कभी बेटे नहीं कर सकते। हर बेटी अपने आप के दिल पर राज करती है कोई अपनी बातों से तो कोई अपने कर्मों से। तो कोई पढ़ लिखकर अपनी काबिलियत से अपने पिता के सर को ऊंचा कर जाती है।

हम उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको हमारा आज का यह आर्टिकल अवश्य ही पसंद आया होगा। और हम यह भी उम्मीद करते हैं कि आपको नागार्जुन जी की कविताएं भी बेहद पसंद होगी। अभी हम आपके लिए इसी तरह के आर्टिकल्स लेकर आते रहेंगे और आप हमेशा के लिए अपना प्यार और सपोर्ट बनाए रखे ।

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