दुष्यन्त कुमार कविताएँ: हेलो दोस्तों। आज हम आपको एक बहुत ही चर्चित कवि और लेखक के बारे में बताने वाले हैं जिनका नाम है दुष्यंत कुमार। यह मशहूर कवि उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 27 दिसंबर 1931 में जन्म लिए थे।इनका पूरा नाम दुष्यंत कुमार त्यागी था। नहटौर से इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी। यह बचपन से गजल और कविताएं लिखते थे। दुष्यंत कुमार को भारत का सबसे श्रेष्ठ गजलकार माना जाता था और आज भी इनकी लिखी गजले लोगो के दिलो में बसी हुई है। तो चलिए दोस्तों आज हम आपको दुष्यंत कुमार जी की लिखी हुई कविताओं के बारे में विस्तार पूर्वक बताने वाले हैं यदि आपको भी इनकी लिखी कवियाए पढ़नी है तो हमारे इस लेख को अंत तक पढ़े।
1-दुष्यन्त कुमार कविताएँ: हो गई है पीर पर्वत-सी
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि व्यक्ति को कभी भी अपने मन में जोश और उत्साह कम नहीं करनी चाहिए चाहे एक प्रतिशत ही सही लेकिन मन में कुछ कर जाने की लगन और जुनून अवश्य होना चाहिए। घर की दीवारें और पर्दे तरह नहीं बल्कि खुद में इतना जोश और जज्बा होना चाहिए कि आप इसकी बुनियाद हिला दे। हमें यह सीख मिलती है कि जो लोग सिर्फ बातों से बड़े होते हैं वह असल में कुछ कर जाने का नहीं रखते बल्कि आपकी बातों से ज्यादा आपके कर्म इतने अच्छे होने चाहिए के लोग आपको देखते ही आपकी पहचान कर पाए। केवल हंगामा करना आपका मकसद नहीं होना चाहिए बल्कि स्तिथि को बदलने के काबिलियत अपमें होनी चाहिए।
2- बाढ़ की संभावनाएँ सामने हैं
बाढ़ की संभावनाएँ सामने हैं,
और नदियों के किनारे घर बने हैं।
चीड़-वन में आँधियों की बात मत कर,
इन दरख्तों के बहुत नाजुक तने हैं।
इस तरह टूटे हुए चेहरे नहीं हैं,
जिस तरह टूटे हुए ये आइने हैं।
आपके कालीन देखेंगे किसी दिन,
इस समय तो पाँव कीचड़ में सने हैं।
जिस तरह चाहो बजाओ इस सभा में,
हम नहीं हैं आदमी, हम झुनझुने हैं।
अब तड़पती-सी गजल कोई सुनाए,
हमसफर ऊँघे हुए हैं, अनमने हैं।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि लोग अपनी राह इतनी निडरता के साथ बनाते हैं की उनको पता होना होता है की बाढ़ आने वाली है लेकिन फिर भी उनके घर किनारो पर बसे होते हैं। कुछ लोग हालातो का सामना करते-करते खुद को इतना मजबूत कर लेते हैं कि उन्हें आंधी तूफान से भी डर नहीं लगता। कविता से हमें यह सीख मिलती है कि यदि आपके जीवन में एक सफल इंसान बनना है तो आपको खुद को इतना मजबूत बनाना होगा कि आप किसी भी परिस्थिति में डटकर खड़े रहे ना की भाग खड़े हों।
3-दुष्यन्त कुमार कविताएँ: आज वीरान अपना घर देखा
आज वीरान अपना घर देखा
तो कई बार झाँक कर देखा।
पाँव टूटे हुए नज़र आये
एक ठहरा हुआ सफ़र देखा।
होश में आ गए कई सपने
आज हमने वो खँडहर देखा।
रास्ता काट कर गई बिल्ली
प्यार से रास्ता अगर देखा।
नालियों में हयात देखी है
गालियों में बड़ा असर देखा।
उस परिंदे को चोट आई तो
आपने एक-एक पर देखा।
हम खड़े थे कि ये ज़मीं होगी
चल पड़ी तो इधर-उधर देखा।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग अपने जीवन में इतने अकेले होते हैं अपने घर आते हैं तो उन्हें अपना घर भी वीरान ही लगता है अपने दिल की तरह। कविता में यह भी बताया जा रहा है कि बहुत सारे लोग सपनों की दुनिया में जीते हैं लेकिन हकीकत में जरूरी नहीं की सभी सपने पूरे हो कुछ सपने टूटे-फूटे खांडल की तरह भी अधूरे रह जाते हैं। इसकविता से हमें यह सीख मिलती है कि इंसान को कभी भी झूठी उम्मीद और झूठे सपनों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए क्योंकि जब कोई व्यक्ति हकीकत से रूबरू होता है तो बहुत ज्यादा तकलीफ होती है।
4- तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं
तुम्हारे पाँवों के नीचे कोई ज़मीन नहीं,
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं।
मैं बेपनाह अँधेरों को सुबह कैसे कहूँ,
मैं इन नज़ारों का अंधा तमाशबीन नहीं।
तेरी ज़ुबान है झूठी जम्हूरियत की तरह,
तू एक ज़लील-सी गाली से बेहतरीन नहीं।
तुम्हीं से प्यार जताएँ तुम्हीं को खा जाएँ,
अदीब यों तो सियासी हैं कमीन नहीं।
तुझे क़सम है ख़ुदी को बहुत हलाक न कर,
तू इस मशीन का पुर्ज़ा है, तू मशीन नहीं।
बहुत मशहूर है आएँ ज़रूर आप यहाँ,
ये मुल्क देखने के लायक़ तो है, हसीन नहीं।
ज़रा-सा तौर-तरीक़ों में हेर-फेर करो,
तुम्हारे हाथ में कॉलर हो, आस्तीन नहीं।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि बेशक हम जमीन पर चलते हैं लेकिन अगर एक हकीकत बताएं तो हमारे पैरों के नीचे कोई जमी नहीं होती और इस हकीकत को जानने के बाद कुछ लोग इस बात पर यकीन भी नहीं करते। जिस व्यक्ति की जिंदगी अंधकार से भरी हो वह तमाशा बिन बनाकर सुबह की रोशनी क्यों देखेगा। हकीकत में सुबह तो तब होती है जब उसकी जिंदगी से परिस्थितियों बदलेंगे और खुशियां दरवाजे पर दस्तक देगी।
कुछ लोग झूठ का सहारा लेकर बहुत कुछ झूठ बोलते हैं लेकिन वह झूठ भी किसी गली से काम नहीं जो आपके कारण किसी को मुसीबत में डाल दे। कविता से हमें यह सीख मिलती है कि जीने के लिए बेशक किसी के पास सारी अहसायिशे नहीं होती लेकिन झूठ और फरेब से यह जिंदगी बहुत बेहतर होती है। इसलिए कभी भी झूठी उम्मीद के साथ या किसी झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए।
5-दुष्यन्त कुमार कविताएँ: मरना तो लगा रहेगा
मरना लगा रहेगा यहाँ जी तो लीजिए
ऐसा भी क्या परहेज़, ज़रा-सी तो लीजिए। अब रिन्द बच रहे हैं ज़रा तेज़ रक़्स हो
महफ़िल से उठ लिए हैं नमाज़ी तो लीजिए। पत्तों से चाहते हो बजें साज़ की तरह
पेड़ों से पहले आप उदासी तो लीजिए। ख़ामोश रह के तुमने हमारे सवाल पर
कर दी है शहर भर में मुनादी तो लीजिए। ये रौशनी का दर्द, ये सिरहन ,ये आरज़ू,
ये चीज़ ज़िन्दगी में नहीं थी तो लीजिए। फिरता है कैसे-कैसे सवालों के साथ वो
उस आदमी की जामातलाशी तो लीजिए।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि जीना मरना तो लगा ही रहता है लेकिन क्या लोग मरने के दर से जीना छोड़ दें। इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि जिस तरह भगवान ने जिंदगी दी है उसी तरह से वापस भी लेगा लेकिन जीवन को की इस सच्चाई को जानने के बाद भी कुछ लोग फिर भी गलत रास्ते पर चलते हैं और अपनी जिंदगी को सही तरीके से नहीं जीते। कविता से हमें यह सीख मिलती है कि दुनिया में तो हर कोई ऐसे व्यक्ति जिंदगी जीना चाहता है बिल्कुल सबका हक है खुशी-खुशी जिंदगी जीने का लेकिन किसी दूसरे का हक मार कर ऐश की जिंदगी जीना सही बात नहीं क्योंकि मरने के बाद खुद को भी मुंह दिखाना है।
हम उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको हमारा आज का ही आर्टिकल अवश्य ही पसंद आया होगा। आगे भी हम आपके लिए इसी तरह के लेख लेकर आते रहेंगे और आप इन लेख को पढ़कर अपने जीवन में आगे बढ़ाने की और जागृत होते रहे। आपको हमारे द्वारा लिखे गए लेख पसंद आते हैं तो आप हमेशा की तरह अपना प्यार और सपोर्ट बनाए रखें और आप आगे भी शेयर करें।