जावेद अख्तर : जावेद अख्तर एक बहुत ही मशहूर गीतकार लेखक और फिल्मों की कहानी लिखने वाले चर्चित व्यक्ति हैं। जावेद साहब उर्दू की शायरी के लिए बहुत ज्यादा फेमस है क्योंकि इनके पिता अपने समय के एक बहुत ही प्रसिद्ध कवि और उनकी माता श्री उर्दू भाषा की बहुत ही मशहूर शिक्षिका और लेखिका रही है। जावेद साहब का जन्म ग्वालियर में 17 जनवरी 1945 को हुआ था। जावेद साहब ने बहुत सारी मशहूर फिल्में जैसे की शोले, दीवार और जंजीर आदि कहानी लिखी हैं।
इसके अलावा यह एक बहुत ही उच्च दर्जे के संगीतकार भी हैं। जावेद साहब अपने इस हुनर की बदौलत कई सारे सम्मान अपने नाम करवा चुके हैं जैसे की पद्म भूषण, राष्ट्रीय भूषण फिल्म पुरस्कार और फिल्म फेयर आदि। तो चलिए दोस्तों आज हम आपको जावेद अख्तर साहब द्वारा लिखी गई कुछ कविताओं के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हैं यदि आप भी जावेद साहब की कविताएं पढ़ते हैं तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पड़े।
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जावेद अख्तर की कविता
जावेद साहब की कविताओं में कुछ अलग ही बात होती है उनके द्वारा लिखी गई कविताएं ज्यादातर उर्दू भाषा में होती हैं। दोस्तों आज हम आपको जावेद साहब के दिल को छू लेने वाली कविताओं का वर्णन अपने लेख के माध्यम से करने वाले हैं कृपया हमारे आर्टिकल में अंत तक बने रहें।
1-जावेद अख्तर की कविता: ये दुनिया तुमको रास आए तो कहना
ये दुनिया तुमको रास आए तो कहना
न सर पत्थर से टकराए तो कहना।
ये गुल काग़ज़ हैं, ये ज़ेवर हैं पीतल
समझ में जब ये आ जाए तो कहना।
बहुत ख़ुश हो कि उसने कुछ कहा है
न कहकर वो मुकर जाए तो कहना।
बहल जाओगे तुम ग़म सुनके मेरे
कभी दिल ग़म से घबराए तो कहना।
धुआँ जो कुछ घरों से उठ रहा है
न पूरे शहर पर छाए तो कहना।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक जावेद साहब जी द्वारा बताया जा रहा है कि इस दुनिया के लोग कभी भी दूसरे लोगों को रास नहीं आते और जब तक सर दीवार से ना टकराया तब तक लोगों को अक्ल भी नहीं आती। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि बहुत सारे लोग हमारे मुंह पर सच बोलते हैं लेकिन जब बात सच साबित करने की आती है तो मुंह कर जाते हैं। कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि आज की मतलब पारस दुनिया में कोई भी आपके साथ बिना मतलब के नहीं रहता। कोई भी इंसान आपके साथ तब तक चलता है जब तक उसको आपसे फायदा है और मतलब निकल जाने के बाद लोग आपको पहचानते तक नहीं।
2- बरवक़्त एक और ख़याल
ख़याल आता है
जैसे बच्चों की आँख बादल में
शेर और हाथी देखती है
बहुत-से लोगों ने
वक़्त में भी
शऊर बीनाई और समाअत
के वस्फ़ देखे
बहुत-से लोगों की जुस्तुजू के सफ़र का अंजाम
इस अक़ीदे की छाँव में है
कि वक़्त कहते हैं जिसको
दर अस्ल वो ख़ुदा है। मगर है जिसको तलाश सच की
भटक रहा है। ये इक सवाल
उसके ज़हनो-दिल में
खटक रहा है
ये वक़्त क्या है?
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक जावेद साहब जी द्वारा बताया जा रहा है कि कर छोटे बच्चों के सपने और देखने का नजरिया कुछ और ही होता है वैसे ही बड़ों के सपने और देखने का नजरिया बिल्कुल विपरीत होता है। कवि द्वारा कहा जा रहा है जिस प्रकार एक छोटा बच्चा आकाश में शेर और हाथी के चित्र देखा है ठीक उसी प्रकार बड़े भी अपने खुद को तलाश करते हैं और अपने जेहनों में केवल एक ही सवाल लिए घूमते हैं उनकी जुस्तजू के अंजाम का सफर क्या होगा। कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि जिंदगी के पड़ाव में आगे बढ़ते रहने के साथ-साथ लोगों के मन में कुछ ख्याल और भावनाएं जन्म लेती रहती हैं।
3-जावेद अख्तर की कविता: आज मैंने अपना फिर सौदा किया
आज मैंने अपना फिर सौदा किया
और फिर मैं दूर से देखा किया।
ज़िंदगी भर मेरे काम आए उसूल
एक-इक करके उन्हें बेचा किया।
बँध गई थी दिल में कुछ उम्मीद-सी
ख़ैर, तुमने जो किया अच्छा किया।
कुछ कमी अपनी वफ़ाओं में भी थी
तुमसे क्या कहते कि तुमने क्या किया।
क्या बताऊँ कौन था जिसने मुझे
इस भरी दुनिया में है तन्हा किया।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक जावेद अख्तर जी द्वारा कहा आ रहा है कि कई बार जीवन की विपरीत परिस्थितियों में इंसान अपनी ही बनाए हुए नियमों का सौदा कर बैठता है। जिंदगी में बने हुए कुछ अहम उसूलो को कई बार ऊलांग कर आगे बढ़ाने के लिए रास्ता बनाना पड़ता है। कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि जिंदगी में आगे बढ़ाने के लिए कब कौन आपका साथ छोड़कर आपको तनहा कर जाए कुछ नहीं पता इसलिए जिंदगी में केवल वही उसुल बनाने चाहिए, जो केवल आप पर काम करें ना के दूसरों पर।
4- न ख़ुशी दे तो कुछ दिलासा दे
न ख़ुशी दे तो कुछ दिलासा दे
दोस्त, जैसे हो मुझको बहला दे।
आग ही से मिली है तन्हाई
आ मिरी जान मुझको धोका दे।
अब तो तक्मील की भी शर्त नहीं
ज़िंदगी अब तो इक तमन्ना दे।
ऐ सफ़र इतना राएगाँ तो न जा
न हो मंज़िल कहीं तो पहुँचा दे।
तर्क करना है गर तअल्लुक़ तो
ख़ुद न जा तू किसी से कहला दे।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक जावेद अख्तर साहब द्वारा कहा जा रहा है कि हम सभी की जिंदगी में कोई ना कोई हमारे सुख दुख का साथी आवश्यक होता है। लेकिन कई बार कुछ ऐसे दोस्त भी होते हैं जो हमारे साथ केवल फॉर्मेलिटी के लिए रहते हैं तो ऐसे दोस्तों के लिए हम केवल इतना ही कहना चाहते हैं कि भले ही हमारे दोस्त हमें खुशी ना दें लेकिन दुख में दिलासा तो दे ही सकते हैं। कई बार हमारे दोस्त हमें तनहा करके हमें धोखा दे जाते हैं। कविता का उद्देश्य केवल इतना है कि यदि आप किसी को अपना दोस्त बनाते हैं तो बहुत सोच समझकर उनका चुनाव करें क्योंकि कई बार कुछ लोग हमारे साथ हमारे स्टेटस के बताओर साथ निभाते हैं। जिंदगी में सच्चा दोस्त वही होता है जो सुख में साथ दे या ना दे लेकिन दुख में आपके आंसू अवश्य पहुंचे।
5-जावेद अख्तर की कविता : मैं ख़ुद भी कब ये कहता हूँ कोई सबब नहीं
मैं ख़ुद भी कब ये कहता हूँ कोई सबब नहीं
तू सच है मुझको छोड़ भी दे तो अजब नहीं
वापस जो चाहो जाना तो जा सकते हो मगर
अब इतनी दूर आ गए हम, देखो अब नहीं
ज़र का, ज़रूरतों का, ज़माने का, दोस्तो
करते तो हम भी हैं मगर इतना अदब नहीं
मेरा ख़ुलूस है तो हमेशा के वास्ते
तेरा करम नहीं है कि अब है और अब नहीं
आए वो रोज़ो-शब कि जो चाहे थे रोज़ो-शब
तो मेरे रोज़ो-शब भी मिरे रोज़ो-शब नहीं
दुनिया से क्या शिकायतें,लोगों से क्या गिला
हमको ही ज़िंदगी से निभाने का ढब नहीं।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक जावेद साहब जी द्वारा कहा जा रहा है कि आजकल की मतलब पारस्थ दुनिया में किसी पर भी विश्वास नहीं किया जा सकता। कवि द्वारा कहा जा रहा है कि आजकल लोग इतने मतलबी हो गए हैं कि वह हमारे साथ रहे या ना रहे कोई फर्क नहीं पड़ता। यह सत्य बात है कि किसी के आने या जाने से जिंदगी नहीं रुकती। कुछ लोग दिल से इतने मजबूर होते हैं कि वह किसी के साथ को अपनी जिंदगी समझ बैठते हैं और वह किसी भी कीमत पर प्यार करने वाले लोगों को छोड़ नहीं सकते।
6- हर ख़ुशी में कोई कमी सी है
हर ख़ुशी में कोई कमी सी है
हँसती आँखों में भी नमी सी है।
दिन भी चुप चाप सर झुकाये था
रात की नफ़्ज़ भी थमी सी है।
किसको समझायेँ किसकी बात नहीं
ज़हन और दिल में फिर ठनी सी है।
ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई
गर्द इन पलकों पे जमी सी है।
कह गए हम किससे दिल की बात
शहर में एक सनसनी सी है।
हसरतें राख हो गईं लेकिन
आग अब भी कहीं दबी सी है।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कई बार खुशियां हमारे दमन में होने के बाद भी उन खुशियों में कोई कमी सी रह जाती है आंखों में चमक के साथ-साथ एक नमी सी रह जाते हैं। इस कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि कई बार हमारे दिल में बहुत कुछ होता है लेकिन दूसरों की खुशियों के कारण हम कुछ बोल नहीं पाते और अपने अंदर की इच्छाओं को अपनों के आगे दबा लेते हैं और अपनी खुशियों को जला देते हैं।
अपनों के खातिर यह सब करने के बाद भी दिल में एक आग सी लगी रहती है और दिल दिमाग में एक जंग जारी रहती है कि किस समझाएं और किस अपने दिल की बात करें। कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि जीवन आपका है जिंदगी आपको गुजारनी है तो पहले अपने बारे में सोचें क्योंकि यदि अगर आप खुश नहीं रहेंगे तो आपका परिवार भी खुश नहीं होगा इसलिए कभी भी दिल की बात दिल में ना रख कर किसी ऐसे के साथ शेयर करें जो आपकी मदद कर सके।
7- अपने होने पर मुझको यकीन आ गया
अपने होने पर मुझको यकीन आ गया
पिघले नीलम से बहता हुआ ये समां,
नीली नीली सी खामोशियाँ।
ना कहीं हैं जमीन,ना कहीं आसमां
सरसराती हुई तन्हाईयाँ पत्तियां।
कह रहीं हैं की बस एक तू हो यहाँ,
सिर्फ़ में हूँ,
मेरी सांसे हैं और मेरी धड़कने,
ऐसी गहराइयाँ, ऐसी तनहाइयाँ।
और मैं सिर्फ मैं,
अपने होने पर मुझको यकीन आ गया।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि किसी व्यक्ति को अपने होने पर यकीन आ जाए तो उसे हर चीज महसूस होने लगते हैं जैसे की बहता हुआ पानी, ना जमीन आसमान का पता। जिंदगी जीने का सबसे बेहतरीन तरीका अकेलापन है क्योंकि आपकी तनहाइयां आपसे बातें करती है जहां आपको किसी के होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता ऐसे लोग अपने में खुश रहते हैं।
कई बार देखा गया है कि दूसरों के साथ जिंदगी जीते जीते हम अपना जीवन दूसरों के इर्द-गिर भी डिपेंड कर देते हैं यदि वह दूर हो जाता है तो अपनी जिंदगी खत्म करने की सोचते हैं जो कि गलत है। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों के साथ रहने से बेहतर है कि अकेलेपन और तनहाई को चुना जाए जहां आपको किसी का मोहताज नहीं होना पड़ेगा और आप सुकून से अपना जीवन गुजार सकते हैं।
8- तुमको देखा तो ये ख़याल आया
तुमको देखा तो ये ख़याल आया
ज़िन्दगी धूप तुम घना साया।
आज फिर दिल ने एक तमन्ना की,
आज फिर दिल को हमने समझाया।
तुम चले जाओगे तो सोचेंगे,
हमने क्या खोया, हमने क्या पाया।
हम जिसे गुनगुना नहीं सकते,
वक़्त ने ऐसा गीत क्यूँ गाया।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि जब हम किसी से मोहब्बत करते हैं तो तो उसे इंसान को अपना प्यार जिंदगी की धूप और घना साया लगने लगता है। यहां तक तो बात ठीक है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि जिस इंसान से आप इतनी मोहब्बत कर रहे हैं यदि अगर वह आपको छोड़कर चला जाए तो आपका जीवन कैसे गुजरेगा?
बेश्क जिंदगी में किसी का साथ जरूरी है लेकिन के प्यार में खुद को इतना गिरता मत कीजिए कि उसको खोने के ख्याल से भी आपको खोफ आ जाए। इस कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि जब भी कभी भी आप किसी से प्रेम करें तो एक बार सामने वाले से अवश्य पूछे कि क्या वह भी आपसे आपकी तरह ही प्रेम करता है क्योंकि एक तरफा मोहब्बत इंसान को कहीं का नहीं छोड़ती।
9- यह जाने कैसा राज है
इक बात होंठों तक है जो आई नहीं,
बस आँखों से हैं झांकती
तुमसे कभी,मुझसे कभी,
कुछ लफ्ज हैं वो मांगती।
जिनको पहेन के होंठों तक आ जाएँ वो,
आवाज़ की बाहों में बाहें डालके इठलाये वो।
लेकिन जो यह इक बात हैं
एहसास ही एहसास है।
खुशबू सी है जैसे हवा मैं तैरती,
ख़ुशबू जो भी आवाज हैं,
जिसका पता तुमको भी हैं,
जिसकी खबर मुझको भी हैं।
दुनिया से भी छुपता नहीं
यह जाने कैसे राज़ हैं।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि कुछ राज हमारे दिल में ऐसे होते हैं की जुबान तक आते-आते उसे इंसान तक हमारे जज्बात नहीं पहुंच पाते। लेकिन हमारे दिल की बात उसे शख्स को पता होती है एहसास भी होता है लेकिन आप दोनों तरफ बराबर लगने के बाद भी एक दूसरे से हम उस राज की बात को नहीं कह सकते। हमारे दिल की बात का पता सामने वाले शख्स को भी होता है लेकिन हमारी आवाज कई बार साथ नहीं दे पाती है।
इस कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि किसी के लिए कई बार हमारे दिल में मोहब्बत या फीलिंग जैसे जज्बात होते हैं। और सामने वाले शख्स को इस बात का इल्म भी होता है,लेकिन फिर भी हम जुबां से अपने एहसास को उस इंसान से नहीं कह पाते। यदि आप भी किसी से मोहब्बत करते हैं तो अपने दिल की बात मत करके कह दीजिए ऐसा ना हो की देर हो जाए और आप इंतजार इंतजार ही करते रह जाए।
10- जब दर्द का बादल छाया
जब जब दर्द का बादल छाया जब ग़म का साया लहराया। जब आंसू पलकों तक आया, जब यह तन्हां दिल घबराया हम ने दिल को यह समझाया। आखिर दिल तू क्यों रोता हैं? दुनिया में यूँ ही होता हैं, यह जो गहरे सन्नाटे हैं, वक्त ने सबको ही बनाते हैं। थोडा गम हैं सबका किस्सा थोड़ी धुप हैं सबका हिस्सा। आँखे तेरी बेकार ही नम हैं। हर पल एक नया मौसम हैं। क्यूँ तू ऐसे पल खोता हैं। दिल आखिर तू क्यूँ रोता हैं।
व्याख्या
इस कविता के माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि कई बार हमारी जिंदगी में दर्द का बदला इस तरह मंडराता है जैसे गम का साया हमारे जिंदगी के चारों ओर लहरा रहा हो। आंखों से जब आंसू पलकों तक आते हैं तो दिल पर एक अजीब सा दर्द और घबराहट होती है। कई बार कुछ लोगों की जिंदगी में कुछ ऐसे दर्द होते हैं जिनको मिटाना हमारे लिए नामुमकिन होता है।
कितना ही अपने दिल को क्यों ना समझ लो लेकिन जब इंसान थोड़ी देर सुकून से बैठता है तो सिर्फ और सिर्फ वही ख्याल जहां में आता है और दिल रोने लगता है। इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि कितने भी परेशानी, सूनापन या अकेलापन हमारी जिंदगी में क्यों ना हो, लेकिन कभी भी उस अकेलेपन या परेशानियों को अपने ऊपर हावी नहीं करना चाहिए। यदि आपने एक बार खुद पर इसे हावी कर लिया तो यकीन जानिए आप अपनी जिंदगी खुद ही खराब कर लेंगे।
हम आशा करते हैं दोस्तों की आपको हमारा आज का आर्टिकल अवश्य ही पसंद आया होगा और जावेद साहब की कविताएं भी अवश्य पसंद आई होंगे। हम आपके हैं इसी तरह की मशहूर लेखको की कविताएं लेकर आते रहेंगे। आप हमेशा की तरह अपना प्यार और सपोर्ट यूं ही बनाए रखें और आगे शेयर करें।