गीत चतुवेर्दी कविता : गीत चतुवेर्दी कविताहेलो दोस्तों। आज हम आपको हिंदी साहित्य के बहुत ही चर्चित उपन्यासकार,लेखक, पत्रकार, कहानीकार एवं कवि गीत चतुर्वेदी जी के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हैं। इस लोकप्रिया लेखक का जन्म मुंबई में 27 नवंबर 1977 को हुआ था। हालांकि इनका निवास स्थान उत्तर प्रदेश भोपाल है। द्विवेदी जी को अंग्रेजी दिए दैनिक इंडियन एक्सप्रेस द्वारा भारत के सर्वश्रेष्ठ टॉप 10 लेखन में से माना जाता है। दोस्तों आज हम आपको गीत चतुर्वेदी द्वारा लिखी गई कुछ बहुत ही चर्चित और मशहूर कविताएं बताने वाले हैं। यदि आपको भी इनकी कविताएं पढ़ने और सुना अच्छा लगता है तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।
Also read : बालमणि अम्मा नई कविता
1-गीत चतुवेर्दी कविता: चोरी
प्रेम इस तरह किया जाए
की प्रेम शब्द का कभी जिक्र तक ना हो।
चूमा इस तरह जाए कि
होंठ हमेशा जफलत में रहे।
तुमने चूमा
या मेरे ही निचले होंठ ने औचक ऊपरी को छू लिया।
छुआ इस तरह जाए
कि मीलों दूर तुम्हारी त्वचा पर
हरे-हरे सपने उग आएँ।
तुम्हारी देह के छज्जे के नीचे
मुँहअँधेरे जलतरंग बजाएँ।
रहा इस तरह जाए
कि नींद के भीतर एक मुस्कान।
तुम्हारे चेहरे पर रहे
जब तुम आँख खोलो, वह भेस बदल ले।
प्रेम इस तरह किया जाए
कि दुनिया का कारोबार चलता रहे।
किसी को ख़बर तक न हो कि प्रेम हो गया
ख़ुद तुम्हें भी पता न चले।
किसी को सुनाना अपने प्रेम की कहानी
तो कोई यक़ीन तक न करे।
बचना प्रेमकथाओं का किरदार बनने से
वरना सब तुम्हारे प्रेम पर तरस खाएँगे।
व्याख्या
इस कविता माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि आप किसी से प्रेम करते हो तो अपना प्रेम इतना ईमानदारी और सादे दिल से निभाओगे किसी को बताने की जरूरत ना पड़े। आप ईमानदार और साफ दिल के मालिक हैं और आपके दिल में कोई छलफरेबी नहीं है तो आपको अपने प्रेम के लिए किसी को एक्सप्लेनेशन देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। आपके मनकिसी के प्रति ऐसा प्रेम होना चाहिए की सपने में भी उसे इंसान का तस्वीर आपके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान ला दे।
इस कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि कभी भी आप किसी से प्रेम करते हैं तो उसको जताने के लिए प्रेम मत कीजिए बल्कि आपका प्रेम इतना सच्चा होना चाहिए कि बिना कुछ कह भी आपका साथी आपके एहसास को समझे। यदि आप किसी को अपने प्यार के बारे में अगर बताएं भी तो उसको यही लगना चाहिए कि शायद यह मजाक कर रहा है आपके प्यार में इतनी सच्चाई और गहराई होनी चाहिए।
2- प्रेमकविता
आत्महत्या का बेहतरीन तरीक़ा होता है
इच्छा की फ़िक्र किए बिना जीते चले जाना।
पाँच हज़ार वर्ष से ज़्यादा हो चुकी है मेरी आयु
अदालत में अब तक लंबित है मेरा मुक़दमा।
सुनवाई के इंतज़ार से बड़ी सज़ा और क्या
बेतहाशा दुखती है कलाई के ऊपर एक नस
हृदय में उस कृत्य के लिए क्षमा उमड़ती है।
जिसे मेरे अलावा बाक़ी सबने अपराध माना
क़ानून की किताब में इस पर कोई अनुच्छेद नहीं।
व्याख्या
इस कविता माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि जिम्मेदारियां को तक में रखकर अपनी जिंदगी को खत्म कर लेना और आत्महत्या जैसा गलत कदम उठाने से बेहतर है कि आप अपनी जिम्मेदारियां को पूरी ईमानदारी से निभाएं। कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि कुछ लोग बहुत कुछ सहकर भी अपने जीवन को जीते चले जाते हैं और अपने मन में आत्महत्या जैसा गलत कदम का ख्याल तक आने नहीं देते क्योंकि उनको पता है कि हमारी जिंदगी हमारे लिए कितनी अहम है।
यदि भगवान ने आपको जीवन दिया है तो उसमें सुख और दुख दोनों ही बराबर शरीक है। आप अपने जीवन में आने वाली खुशियों का स्वागत करते हैं इस तरह आप अपने जीवन में आने वाले दुखों का भी सामना करना सीखिए। जीवन को सफल बनाने के लिए केवल सुख का आना जरूरी नहीं बल्कि चुनौतियों का सामना और दुख को गले लगाना भी सफल जीवन का हिस्सा है।
3-गीत चतुवेर्दी कविता: आखिरी सांस
जाते-जाते पलटकर देखा उसने
और रुकते-रुकते भी चमक कर पूछ लिया
”क्यों मियाँ आशिक़! इतने बरस जी लिए, ज़िंदगी का क्या किया?”
सबकी नज़रें बचाकर उससे नज़रें मिलाईं
और बिना रुके दमक कर बोल दिया
”आधी रोटी कमाई, मिल-बाँट कर खाई
और ख़ुश हूँ।
कि ग़ालिब का एक शे’र आधा तो समझ लिया।
व्याख्या
इस कविता माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि जब किसी व्यक्ति के जीवन की आखिरी सांस चलती है तो उसे आखिरी वक्त में अपने जीवन के हर पल को जी लेता है जहां उसने कम खाने में भी सबके साथ मिल बैठकर खुशी-खुशी खाया हो या फिर अपनों के साथ बैठकर खुशी-खुशी वक्त गुजार हो। हमारी जिंदगी में केवल जिम्मेदारियां को पूरा करने के लिए काम करना जरूरी नहीं कुछ कार्य हमें अपनी खुशी के लिए भी करने पड़ते हैं और कुछ अपनों की खुशी के लिए।
आपके द्वारा किए गए कार्यों से जब आपके घर वालों के चेहरे पर मुस्कान आती है वह दुनिया का सबसे बड़ा सुख होता है कि आपकी वजह से आपका परिवार खुश है। गीता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि जिंदगी को खुशी-खुशी जीना चाहिए ताकि आखरी सांस लेते समय आप अच्छे पलों को याद करके सुख शांति के साथ अपनी अंतिम सांस ले।
4- आखिरी चिट्ठी
जब कभी मेरी याद आए तो कोई किताब उठाना
और उसे पढ़ना शुरू कर देना।
किसी भी भाषा का कोई भी शब्द
तुम्हें अंततः मुझ तक ही पहुँचाएगा।
व्याख्या
इस कविता माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ लोग हमारी जिंदगी में बहुत अहम होते हैं और उनके द्वारा लिखी गई आखिरी चिट्ठी हम हमेशा अपने पास संभाल कर रखते हैं। कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि जब भी आप किसी अपने को याद करते हैं तो आप कोई भी एक किताब उठाकर पढ़ लेना हो सकता है कि उसे किताब में कुछ ऐसा हो जो आपको उस व्यक्ति की याद दिला दे।
5-गीत चतुवेर्दी कविता: एक इंच
कोई एक नाम ज़रूर होगा
इस पेड़ का
मेरे लिए पेड़ सिर्फ़ एक पेड़ है
फूल सिर्फ़ एक फूल
रास्ते ने ओढ़ रखी है
पेड़ से झरते फूलों की चादर
मैं इस रस्ते पर चलता हूँ
कहाँ रखूँ अपने क़दम
काश! मैं ज़मीन से एक इंच भी ऊपर चल सकता
इन अनाम फूलों को बचा लेता।
व्याख्या
इस कविता माध्यम से लेखक द्वारा बताया जा रहा है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके जीवन में वृक्षों का और फूलों का देखने का नजरिया केवल पेड़ और फल तक ही होता है। उनको केवल एक पेड़ पेड़ दिखता है और एक फूल एक खूबसूरत फूल ही दिखता है। पेड़ों के झड़ते पत्ते रास्ते पर चादर की तरह पीछे रहते हैं लेकिन कुछ लोग उसे पर चल गुजरते हैं और कुछ लोग ऐसे होते हैं जो उन कोमल पत्तियों पर पर रखना पसंद नहीं करते क्योंकि उनको पेड़ पौधों से बहुत लगाव होता है और वह उन्हें बचाना चाहते हैं। और सोचते हैं कि काश हम इन पत्तों से 1 इंच ऊपर अपने कदम रखकर रास्ता पार करले।
6- बोलने से पहले
बुद्धिमान लोगों की तरह बोलो
नहीं तो ऐसा बोलो
जिससे आभास हो कि तुम बुद्धिमान हो।
बोलने से पहले
उन तलवारों के बारे में सोचो
जो जीभों को लहर-लहर चिढ़ाती हैं।
यह भी सोचो
कि कर्णप्रिय सन्नाटे में तुम्हारी ख़राश
किसी को बेचैन कर सकती है
कई संसारों में सिर्फ़ एक बात से आ जाता है भूडोल।
खुलो मत
लेकिन खुलकर बोलो
अपने बोलों को इस तरह खोलो
कि वह उसमें समा जाए
वह तुममें समाएगा तो तुम बच जाओगे।
बोलने से पहले ख़ूब सोचो
फिर भी बोल दिया तो भिड़ जाओ बिंदास
तलवारें टूट जाएँगी।
व्याख्या
इस कविता माध्यम से लेखक द्वारा कहा जा रहा है कि कभी भी बोलने से पहले इंसान को सोच समझ लेना चाहिए। या फिर अपने मुंह से उन अल्फाजों को निकालना चाहिए जहां सामने वाले को लगे कि आप बुद्धिमान है। कहते हैं कि इंसान की पहचान उसकी जुबान से होती है इसलिए दूसरों से जब भी बात करें तो नरम लहजे में खूबसूरत अल्फाजों के साथ अपनी बात को रखें। कविता का उद्देश्य केवल इतना ही है कि ज्यादा बोलने वाले लोग दूसरे लोगों की नजरों में मूर्ख कहलाते हैं इसलिए व्यक्ति को हमेशा कम बोलना चाहिए और ऐसा बोलना चाहिए के सामने वाला कभी भी आपकी बात रद्द न कर सके।
हम उम्मीद करते हैं दोस्तों की आपको हमारी आज की गीत चतुवेर्दी कविता अवश्य ही पसंद आई होगी। कविताओं से आपको बहुत कुछ नया सीखने को मिला होगा और बहुत कुछ देखने का नजरिया बदला होगा। अभी हम आपके लिए इसी तरह की कविताएं लेकर आते रहेंगे जो आपके जीवन में आगे बढ़ाने में प्रेरणा बने। आप हमेशा की तरह हमें अपना प्यार और सपोर्ट बनाए रखें। हमारे द्वारा लिखे गए लेख आपको अच्छे लगते हैं तो आप इन कविताओं को आगे भी शेयर कर सकते हैं।